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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, June 29, 2013

उत्तराखंड के कई गावों में मातम, बुझ गए घर के चिराग

उत्तराखंड के कई गावों में मातम, बुझ गए घर के चिराग


रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड की भयानक त्रासदी ने कई घरों के चिराग या तो बुझा दिए या फिर उनका कोई अता-पता नहीं है। उत्तराखंड के पहाड़ों पर बसे कई गांव के नौजवान अब तक घर नहीं लौटे हैं। उनके मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है। घरों के दरवाजों पर आंखें टक-टकी लगाए अपने जिगर के टुकड़ों का इंतजार कर रही हैं।

उत्तराखंड के कई गावों में मातम, बुझ गए घर के चिराग
आईबीएन7 संवाददाता मौसमी सिंह ने रुद्रप्रयाग के पहाड़ों पर बसे कई गांव का जायजा लिया, आईबीएन 7 को पता चला कि इन गांव के कई नौजवान अब भी लापता हैं। इनमें से ज्यादातर केदारनाथ गए थे। कोई काम करने गया तो कोई घूमने गया था। कांडा गांव रुद्रप्रयाग से करीब 30 किलोमीटर दूर पहाड़ी रास्तों को पार करते हुए आईबीएन-7 की टीम कांडा गांव पहुंची तो लोगों की हैरान और परेशान निगाहें उन पर पड़ी। उन्हें लगा इतने दिनों के बाद अचानक भला किसने गांव में दस्तक दी है।

हमारी संवाददाता पहुंची शीशपाल के घर। घर में मातम जैसा माहौल था, घर का 20 साल का बेटा अरुण सिंह अपने दोस्तों के साथ केदारनाथ घूमने गया था, अभी-अभी उसने 12वीं का इम्तेहान पास किया था। 23 जून को उसे श्रीनगर में एक इम्तिहान देने वापस आना था बहन ने काफी समझाया भी था कि परीक्षा है घर पर ही रहो, लेकिन वो नहीं माना त्रासदी के बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है। उत्तराखंड के गांव के यही कहानी है किसी का नौजवान बेटा लापता है, किसी का पति लापता है इनमें से ज्यादातर केदारनाथ गए हुए थे।

http://khabar.ibnlive.in.com/news/102201/3/21

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