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Memories of Another day

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Wednesday, July 17, 2013

विवाद लेकिन खत्म नहीं हुआ, कोल इंडिया ने कहा कि एनटीपीसी पर चार हजार करोड़ का बकाया!

विवाद लेकिन खत्म नहीं हुआ, कोल इंडिया ने कहा कि एनटीपीसी पर चार हजार करोड़ का बकाया!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


भारत सरकार और सीसीआई के दोहरे दबाव में कोल इंडिया ने एनटीपीसी के साथ कोयला आपूर्ति समझौते पर दस्तखत तो कर दिये और एनटीपीसी की ओर से विवाद सुलट जाने का दावा भी किया जा रहा है, लेकिन वास्तव में कोयला मूल्य को लेकर विवाद अभी बाकी है। कोल इंडिया पर घटिया कोयला आपूर्ति का ारोप लगा रही एनटीपीसी कोल इंडिया के बताये दरों पर कोयला मूल्य भुगतान के लिए कतई तैयार नहीं है। कोयला नियामक बन जाने  के बाद सीसीआई की खबरदारी के बीच एनटीपीसी से कोल इंडिया की वसूली भी खटाई में पड़ती नजर आ रही है। पहले बताया जा रहा था कि ेनटीपीसी पर कोलइंडिया का बकाया दो हजार करोड़ रुपये है। अब फिर देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनीऔर सबसे बड़ी कोयला कंपनी के बीच सात आठ कोयला आपूर्ति समझौते पर   दस्तखत के दिन ही यह खुलासा हो गया कि एनटीपीसी पर कोलइंडिया का बकाया दो हजार करोड़ नहीं, बल्कि चार हजार करोड़ रुपये हैं। कोल इंडिया के मुताबिक एनटीपीसी लगातार कोयले का कम मूल्य भुगतान कर रहा है और कोल इंडिया की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।अभी सीसीआई बिजली कंपनियों को  घटिया कोयला आपूर्ति के आरोप में कोल इंडिया और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, महानंदा कोलफील्ड्स व ईस्टर्न कोलफील्डस समेत उसकी अनुषंगी इकाइयों के खिलाफ जांच कर रही है।


कोल इंडिया के चेयरमैन एस नरसिंह राय ने खुलेआम कह दिया कि एनटीपीसी पर कोल इंडिया का चार हजार करोड़ रुपये का बकाया है।वैसे उन्होंने उम्मीद जताई की थर्ड पार्टी सैंपलिंग लागू हो जाते ही एनटीपीसी पूरी रकम का भुगतान अवश्य कर देगी।गौरतलब है कि कोल इंडिया हर रोज एनटीपीसी को करीब साठ करोड़ रुपये मूल्य के कोयला का भुगतान करती है।


इससे पहले  दावा किया जा रहा था कि  एनटीपीसी और कोल इंडिया के बीच सारे मतभेद सुलझ गए हैं। दोनों कंपनियों के बीच 1400 मेगावॉट के एफएसए करार होंगे। इसी मसले पर कोल इंडिया के सीएमडी एस नरसिंह राव का कहना था कि केवल एनटीपीसी से एफएसए साइन करना बाकी है। अब एफएसए पर दस्तखत भी बिना अड़चन  शुरु हो गये।लेकिन राव इसके साथ ही एनटीपीसी पर बकाया चार हजार करोड़ का दावा करने लगे हैं। जाहिर है कि टल्ली डालकर विवाद को छुपाया जाता रहा है।


एनटीपीसी के सीएमडी अरूप रॉय चौधरी का कहना है कि एनटीपीसी की ओर से पेमेंट को लेकर कोई विवाद नहीं था। चूंकि इंडिया से तय गुणवत्ता का कोयला नहीं मिला था इसलिए कंपनी को जिस क्वॉलिटी का कोयला मिला उसी का भुगतान किया गया था।अब कोल इंडिया से फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट को लेकर सारे विवाद खत्म हो गए हैं और एनटीपीसी के बोर्ड से एफएसए को मंजूरी मिल चुकी है। कंपनी कोल इंडिया बोर्ड की मंजूरी के बाद एफएसए साइन करेगी।


हालांकि अपने अडिय़ल रुख में बदलाव लाते हुए एनटीपीसी ने कोल इंडिया लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से कोयले की गुणवत्ता के आकलन का काम शुरू कर दिया है। वह अपने बिजली संयंत्रों के लिए ईंधन की पूरी आपूर्ति चाह रही है।


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