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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, July 17, 2013

लिव इन में रह रहीं महिलाओं को भी घरेलू हिंसा कानून के तहत संरक्षण का अधिकार

लिव इन में रह रहीं महिलाओं को भी घरेलू हिंसा कानून के तहत संरक्षण का अधिकार

Wednesday, 17 July 2013 15:22

कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि लिव इन रिश्ते में रहने वाली महिलाओं को भी 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण कानून' के प्रावधानों के तहत संरक्षण पाने का अधिकार है। 
अलापुझा जिले के चेरतला के रहने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीश के. हरिलाल ने कल दिए अपने आदेश में कहा कि इस कानून के खंड 2 :ए: में सिर्फ इतना कहा गया है कि दो लोगों के बीच का संबंध वैवाहिक प्रकृति का होना चाहिए।
इस व्यक्ति की लिव इन साथी ने घरेलू हिंसा से संरक्षण और हर्जाना मांगते हुए शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके खिलाफ इसने याचिका दायर की थी।

न्यायाधीश हरिलाल ने हालांकि कहा, ''एक साथ रहने वाले जोड़े भी जीवन साथियों के समान ही रहते हैं। यह खुद में काफी है। इस कानून का मकसद कानूनी तौर पर विवाह के बिना भी अपनी पति के साथ रह वैवाहिक जीवन गुजार रहीं महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना है।''
याचिकाकर्ता का कहना था कि इस कानून के खंड 2 :एफ: के मुताबिक वह महिला उसकी पत्नी नहीं है और उनके बीच कोई घरेलू संबंध नहीं है।

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