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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, July 9, 2013

गठबंधन टूट गया तो नौकरियां छीन ली!

गठबंधन टूट गया तो नौकरियां छीन ली!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

वाह री राजनीत।गठबंधन टूट गया तो नौकरियां छीन ली।अगले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को अब भी ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की घरवापसी की उम्मीद है।दीदी के केंद्र विरोधी जिहाद के मद्देनजर कांग्रेस का शीर्षनेतृत्व उनके रवैये पर नरम रवैया अख्तियार किये हुए हैं।तृणमूल ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस लिया तो बदले में बंगाल की मां माटी मानुष की सरकार से अलग हो गयी कांग्रेस। तृणमूलियों की जगह राज्यसे कांग्रेस के सांसद केंद्र में मंत्री बने।तृममूल के कब्जे से रेलवे मंत्रालय निकलने पर बरहमपुर के सांसद अधीर चौधरी रेलराज्य मंत्री बन गये।


महज राजनीतिक लाभ के लिए प्रतिद्वंद्वी को नीचा दिखाने के लिए अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने का नमूला पेश करने की प्रतियोगिता चल पड़ी है और इसमें सबसे आगे निकल रहे हैं अधीर चौधरी। दीदी के रेलमंत्रित्व के जमाने से तृणमूली रेलमंत्रियों की पहल पर शुरु परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए अधीरबाबू ने क्या क्या गुल खिलाये, किसी को नहीं मालूम। पर दीदी ने रेलवे के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले नौकरी देने की जो घोषणा की थी और जिस पर अमल हो रहा था, उसे यकायक रद्द कर दिया गया।इसके पीछे अधीर बाबू का हाथ हो न हो पर वे इस फैसले को जायज बता रहे है और राज्य के परिवहन मंत्री मदन मित्र की आपत्ति पर अदालत का रास्ता दिखाने लगे है।


आम जनता को कभी नहीं मालूम होता कि किसकी दाढ़ी में तिनका है। बहरहाल ताजा मामला यह है कि ऐन पंचायत चुनाव के मौके पर अधिग्रहण के बदले नौकरी की प्रतीक्षा तालिका रद्द कर दी गयी है। नंदीग्राम से फुरफुरासाहिब तक रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले कुल 750 लोगों को नौकरी देने की तालिका तैयार हुई। इनमें से325 को नौकरियां मिल बी गयी हैं। लेकिन बाकी लोगों की तालिका तुरंतप्रभाव से रद्द कर दी गयी है।जिनकी नौकरियां लगी,आखिरकार कब तक उनकी नौकरियां बची रहेंगी या ते खुदा जानते होंगे या पिर रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौदरी।


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