RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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एडीजी समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के काॅल डिटेल हों सार्वजनिक-रिहाई मंच
पुलिस सुधारों पर हलफनामा न देने पर मुख्य सचिव को सुप्रिम कोर्ट द्वारा
तलब किया जाना शर्मनाक- रिहाई मंच
बेगुनाहों की रिहाई के लिए रिहाई मंच ने चलाया प्रदेश व्यापी पोस्ट कार्ड अभियान
लखनऊ 17 जुलाई 2013। रिहाई मंच ने कहा कि पिछले 57 दिनों से शहीद मौलाना
खालिद मुजाहिद के न्याय के लिए चल रहे अनिश्चित कालीन धरने के दौरान इस
देश में आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से बेगुनाहों को फंसाने वाले आईबी
के अधिकारियों का पर्दाफाश हुआ है, बावजूद इसके प्रदेश सरकार का रवैया
आपराधिक व आतंकवादी पुलिस अधिकारियों को संरक्षण देने वाला है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि जब आरडी निमेष रिपोर्ट ने
साफ कर दिया है कि मरहूम खालिद और तारिक को गलत तरीके से पुलिस व आईबी के
लोगों ने गिरफ्तार ही नहीं किया बल्कि उनके पास से डेढ़ किलो आरडीएक्स,
जिलेटिन की छडं़े और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद दिखा दिया। ठीक इसी तरह
इशरत जहां मामले में राजेन्द्र कुमार ने भी पहले इशरत को अगवा करवाया बाद
में उसकी हत्या करवाकर उसके पास से एके 47 बरामद होने का दावा किया था।
ऐसे में यह दोनों केस एक जैसे हैं। आखिर यूपी की सरकार आतंकी पुलिस
अधिकारीयों विक्रम सिहं, बृजलाल, मनोज कुमार झा, अमिताभ यश, एस आनंद व
आईबी अधिकारियों को किन आधारों पर अब तक गिरफ्तार नहीं किया, इस बात का
जवाब दे। क्योंकि इन दोषी पुलिस अधिकारियों का किसी भी लोकतांत्रिक समाज
में जेल के बाहर रहना देश की सुरक्षा के साथ समझौता करना है। मो0 शुऐब ने
कहा कि जिस तरीके से इन दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाया जा रहा है ऐसे
में वर्तमान डीजीपी और एडीजी अरुण कुमार भी संदेह के घेरे में आते हैं।
ऐसे में इन सभी उच्च पुलिस अधिकारियों के मोबाइल रिकार्ड सार्वजनिक किये
जाएं, कि खालिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों और वर्तमान अधिकारियों के
बीच क्या बातचीत हुई।
धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष और मुस्लिम पर्सनल
लाॅ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
पुलिस सुधार के मसले पर अपना हलफ न देने के चलते उत्तर प्रदेश के मुख्य
सचिव का तलब किया जाना प्रदेश की सपा सरकार के लिए शर्मनाक घटना है।
उन्होंने कहा कि शायद सपा हुकूमत ने तय कर लिया है कि पुलिस को किसी भी
कीमत पर सुधरने नहीं देना है और उनके माध्यम से आम जनता से धन उगाही,
अपराध, सांप्रदायिक दंगे, आंदोलनकारियों का दमन और फर्जी एनकांउटर करवाते
रहना है।
रिहाई मंच के इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह और तारिक शफीक
ने कहा कि यह बड़े ही शर्म की बात है कि एडीजी अरुण कुमार आज भी अपने पद
पर बने हुए हैं और पुलिस कर्मियों के कंधे पर सितारे लगाते हुए फोटो
खिचवा रहे हैं, जबकि अगर वरुण गांधी पर से सपा सरकार के इशारे पर, मुकदमा
वापसी की निष्पक्ष जांच करवा ली जाए, जिसकी रिहाई मंच लगातार मांग करता
रहा है तो अरुण कुमार का असली सांप्रदायिक चेहरा उजागर हो जाएगा। क्योंकि
इनके मातहत पीलीभीत के एसएसपी अमित वर्मा ने ही सरकार और अपने आला
अधिकारियों के इशारे पर वरुण गांधी मामले में गवाहों पर अपने बयान से
मुकर जाने का दबाव डाला था। जिसका स्टिंग आपरेशन पूरी दुनिया ने देखा है।
उन्होंने कहा कि यह वही अरुण कुमार हैं जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही सूबे
के पुलिस कर्मियों को सलमान खान की दबंग जैसी फिल्मों से नसीहत लेनी की
बात कही थी, जिसमें थानों में दारु के नशे में धुत होकर नाच गाने और किसी
लड़की और उसके बाप को जबरन पुलिस द्वारा उठा लेने की कहानी दिखायी गई है।
फर्रुखाबाद से धरने के समर्थन में आए सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र ंिसंह
यादव और पीसी कुरील ने कहा कि उन्नाव व सीतापुर की जेलों में गंभीर
बीमारी के चलते दो कैदियों की मौतों से जेलों के अंदर अमानवीय बर्ताव किए
जाने की पुष्टि हो जाती है। अपने को लोहिया के सिंद्धांतों पर चलने का
भ्रम फैलाने वाली सरकार से हम पूछना चाहेंगे कि जिस राजनीतिक धारा में
नेताओं का लोकतांत्रिक संघर्षों के दौरान जेलों में आना-जाना बना रहता था
वो जेलों में हो रही इन मौतों पर खामोश क्यों है। उन्होंने कहा कि पिछले
दिनों रिहाई मंच के धरना स्थल पर नैनी सेंट्रल जेल की अण्डा सेल से डा0
इरफान का पत्र आया था। जिन्हें पिछली सपा की मुलायम सरकार में फर्जी
तरीके से फंसाया गया था। हम पूछना चाहते हैं कि जो सपा आतंकवाद के नाम पर
बेगुनाहों को रिहा करने का वादा करके सत्ता में आयी है, जिसे उसने अब तक
नहीं निभाया है, उसके शासन में बेगुनाहों को अण्डा सेल जिसमें न आदमी
खड़ा हो सकता है न बैठ सकता है जैसी जगहों पर क्यों रहना पड़ रहा है।
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह बच्चे 23-23 घंटे बैरकों में कैद रखे जाते
हैं। हम सरकार से मांग करते हैं यूपी की जेलों में अण्डा सेल में किसी को
न रखा जाए और जेल मैनुवल को सख्ती से लागू किया जाए।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि आज से रिहाई मंच पूरे प्रदेश में
पोस्टकार्ड के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का अभियान चलाएगा।
उनहोंने बताया कि पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से अवाम मांग करेगी की
मौलाना खालिद मुजाहिद और हकीम तारिक कासमी की फर्जी गिरफ्तारी की जांच पर
गठित आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट पर किए वादे के मुताबिक मानसून
सत्र शीघ्र बुलाकर रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रखें तथा आयोग द्वारा की
गयी सिफारिशों के मुताबिक दोषियों को तत्काल चिन्हित कर सजा दिलाएं और
बेगुनाह तारिक की रिहाई सुनिश्चित करें। साथ ही आतंकवाद के नाम पर कैद
बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई पर सरकार ने कोई ठोस कदम नही उठाया है।
नतीजतन पाक रमजान के महीने में हमारे बेगुनाह बच्चे जेलों में जुल्म और
ज्यादती के शिकार हैं। बेगुनाहों का जेल में रहना जम्हूरी निजाम के खिलाफ
है। रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए कथित आतंकी हमले, वाराणसी-फैजाबाद-लखनऊ
कचेहरी, गोरखपुर और वाराणसी में हुए सभी धमाकों सहित 2000 के बाद यूपी
में हुई सभी आतंकी घटनाओं में जांच एजेंसियों द्वारा जो जांच की गई है वह
सत्य पर पर्दा डालती है। केंद्र व राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देष
पर इन मामलों की दोषपूर्ण विवेचना के तहत निर्दोष मुस्लिम युवकों को झूठा
फंसाया गया। ऐसे में हम मांग करते हैं कि इन मामलों की जांच एनआईए से
कराई जाए।
रमजान के पाक महीने में हाजी फहीम सिद्दीकी की इमामत में रिहाई मंच के
मंच पर ही नमाज अदा की गई। हाजी फहीम सिद्दीकी ने अपील की कि आने वाले 20
जुलाई को खालिद के न्याय के लिए चल रहे संघर्ष के दो महीने पूरे होने पर
इस संघर्ष में शामिल मिल्लत से हम गुजारिश करेंगे कि उस दिन आप सभी मगरिब
की नमाज रिहाई मंच के धरने स्थल पर की जाएगी।
मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस तथा एटीएस एवं खुफिया अधिकारियों
की तुरंत गिरफ्तारी की मांग, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने
और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की तत्काल रिहाई की
मांग को लेकर 22 मई से चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को
भी जारी रहा। रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 57 वें दिन उपवास पर
रिहाई मंच के इलाहाबाद प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह बैठे।
धरने का संचालन देवेश यादव ने किया। धरने को मो0 शुएब, मौलाना शमशाद,
मौलाना कमर सीतापुरी, इनायतुल्ला खान, डाॅ अबूसाद खान, सुल्तान अमीन,
तारिक, शफीक हाजी फहीम सिद्दीकी, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, पीसी कुरील,
तूलिका, नीति, वाराणसी से आए जयप्रकाश भारती, मोहम्मद खालिद, रमेश चंद्र
पाण्डे, मुजीब इकराम नदवी, फरीद खान, सादिक खान, मोहम्मद शाद खान,
एहसानुल हक मलिक, बब्लू यादव, जैद अहमद फारुकी, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद
फैज, हरे राम मिश्र, देवेश यादव, योगेन्द्र सिंह यादव, शाहनवाज आलम और
राजीव यादव ने संबोधित किया।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
Email- rihaimanchlucknow@gmail.com
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पुलिस सुधारों पर हलफनामा न देने पर मुख्य सचिव को सुप्रिम कोर्ट द्वारा
तलब किया जाना शर्मनाक- रिहाई मंच
बेगुनाहों की रिहाई के लिए रिहाई मंच ने चलाया प्रदेश व्यापी पोस्ट कार्ड अभियान
लखनऊ 17 जुलाई 2013। रिहाई मंच ने कहा कि पिछले 57 दिनों से शहीद मौलाना
खालिद मुजाहिद के न्याय के लिए चल रहे अनिश्चित कालीन धरने के दौरान इस
देश में आतंकवाद के नाम पर फर्जी तरीके से बेगुनाहों को फंसाने वाले आईबी
के अधिकारियों का पर्दाफाश हुआ है, बावजूद इसके प्रदेश सरकार का रवैया
आपराधिक व आतंकवादी पुलिस अधिकारियों को संरक्षण देने वाला है।
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि जब आरडी निमेष रिपोर्ट ने
साफ कर दिया है कि मरहूम खालिद और तारिक को गलत तरीके से पुलिस व आईबी के
लोगों ने गिरफ्तार ही नहीं किया बल्कि उनके पास से डेढ़ किलो आरडीएक्स,
जिलेटिन की छडं़े और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद दिखा दिया। ठीक इसी तरह
इशरत जहां मामले में राजेन्द्र कुमार ने भी पहले इशरत को अगवा करवाया बाद
में उसकी हत्या करवाकर उसके पास से एके 47 बरामद होने का दावा किया था।
ऐसे में यह दोनों केस एक जैसे हैं। आखिर यूपी की सरकार आतंकी पुलिस
अधिकारीयों विक्रम सिहं, बृजलाल, मनोज कुमार झा, अमिताभ यश, एस आनंद व
आईबी अधिकारियों को किन आधारों पर अब तक गिरफ्तार नहीं किया, इस बात का
जवाब दे। क्योंकि इन दोषी पुलिस अधिकारियों का किसी भी लोकतांत्रिक समाज
में जेल के बाहर रहना देश की सुरक्षा के साथ समझौता करना है। मो0 शुऐब ने
कहा कि जिस तरीके से इन दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाया जा रहा है ऐसे
में वर्तमान डीजीपी और एडीजी अरुण कुमार भी संदेह के घेरे में आते हैं।
ऐसे में इन सभी उच्च पुलिस अधिकारियों के मोबाइल रिकार्ड सार्वजनिक किये
जाएं, कि खालिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों और वर्तमान अधिकारियों के
बीच क्या बातचीत हुई।
धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष और मुस्लिम पर्सनल
लाॅ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
पुलिस सुधार के मसले पर अपना हलफ न देने के चलते उत्तर प्रदेश के मुख्य
सचिव का तलब किया जाना प्रदेश की सपा सरकार के लिए शर्मनाक घटना है।
उन्होंने कहा कि शायद सपा हुकूमत ने तय कर लिया है कि पुलिस को किसी भी
कीमत पर सुधरने नहीं देना है और उनके माध्यम से आम जनता से धन उगाही,
अपराध, सांप्रदायिक दंगे, आंदोलनकारियों का दमन और फर्जी एनकांउटर करवाते
रहना है।
रिहाई मंच के इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह और तारिक शफीक
ने कहा कि यह बड़े ही शर्म की बात है कि एडीजी अरुण कुमार आज भी अपने पद
पर बने हुए हैं और पुलिस कर्मियों के कंधे पर सितारे लगाते हुए फोटो
खिचवा रहे हैं, जबकि अगर वरुण गांधी पर से सपा सरकार के इशारे पर, मुकदमा
वापसी की निष्पक्ष जांच करवा ली जाए, जिसकी रिहाई मंच लगातार मांग करता
रहा है तो अरुण कुमार का असली सांप्रदायिक चेहरा उजागर हो जाएगा। क्योंकि
इनके मातहत पीलीभीत के एसएसपी अमित वर्मा ने ही सरकार और अपने आला
अधिकारियों के इशारे पर वरुण गांधी मामले में गवाहों पर अपने बयान से
मुकर जाने का दबाव डाला था। जिसका स्टिंग आपरेशन पूरी दुनिया ने देखा है।
उन्होंने कहा कि यह वही अरुण कुमार हैं जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही सूबे
के पुलिस कर्मियों को सलमान खान की दबंग जैसी फिल्मों से नसीहत लेनी की
बात कही थी, जिसमें थानों में दारु के नशे में धुत होकर नाच गाने और किसी
लड़की और उसके बाप को जबरन पुलिस द्वारा उठा लेने की कहानी दिखायी गई है।
फर्रुखाबाद से धरने के समर्थन में आए सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र ंिसंह
यादव और पीसी कुरील ने कहा कि उन्नाव व सीतापुर की जेलों में गंभीर
बीमारी के चलते दो कैदियों की मौतों से जेलों के अंदर अमानवीय बर्ताव किए
जाने की पुष्टि हो जाती है। अपने को लोहिया के सिंद्धांतों पर चलने का
भ्रम फैलाने वाली सरकार से हम पूछना चाहेंगे कि जिस राजनीतिक धारा में
नेताओं का लोकतांत्रिक संघर्षों के दौरान जेलों में आना-जाना बना रहता था
वो जेलों में हो रही इन मौतों पर खामोश क्यों है। उन्होंने कहा कि पिछले
दिनों रिहाई मंच के धरना स्थल पर नैनी सेंट्रल जेल की अण्डा सेल से डा0
इरफान का पत्र आया था। जिन्हें पिछली सपा की मुलायम सरकार में फर्जी
तरीके से फंसाया गया था। हम पूछना चाहते हैं कि जो सपा आतंकवाद के नाम पर
बेगुनाहों को रिहा करने का वादा करके सत्ता में आयी है, जिसे उसने अब तक
नहीं निभाया है, उसके शासन में बेगुनाहों को अण्डा सेल जिसमें न आदमी
खड़ा हो सकता है न बैठ सकता है जैसी जगहों पर क्यों रहना पड़ रहा है।
आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह बच्चे 23-23 घंटे बैरकों में कैद रखे जाते
हैं। हम सरकार से मांग करते हैं यूपी की जेलों में अण्डा सेल में किसी को
न रखा जाए और जेल मैनुवल को सख्ती से लागू किया जाए।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि आज से रिहाई मंच पूरे प्रदेश में
पोस्टकार्ड के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का अभियान चलाएगा।
उनहोंने बताया कि पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से अवाम मांग करेगी की
मौलाना खालिद मुजाहिद और हकीम तारिक कासमी की फर्जी गिरफ्तारी की जांच पर
गठित आरडी निमेष जांच आयोग की रिपोर्ट पर किए वादे के मुताबिक मानसून
सत्र शीघ्र बुलाकर रिपोर्ट को विधानसभा पटल पर रखें तथा आयोग द्वारा की
गयी सिफारिशों के मुताबिक दोषियों को तत्काल चिन्हित कर सजा दिलाएं और
बेगुनाह तारिक की रिहाई सुनिश्चित करें। साथ ही आतंकवाद के नाम पर कैद
बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई पर सरकार ने कोई ठोस कदम नही उठाया है।
नतीजतन पाक रमजान के महीने में हमारे बेगुनाह बच्चे जेलों में जुल्म और
ज्यादती के शिकार हैं। बेगुनाहों का जेल में रहना जम्हूरी निजाम के खिलाफ
है। रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए कथित आतंकी हमले, वाराणसी-फैजाबाद-लखनऊ
कचेहरी, गोरखपुर और वाराणसी में हुए सभी धमाकों सहित 2000 के बाद यूपी
में हुई सभी आतंकी घटनाओं में जांच एजेंसियों द्वारा जो जांच की गई है वह
सत्य पर पर्दा डालती है। केंद्र व राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देष
पर इन मामलों की दोषपूर्ण विवेचना के तहत निर्दोष मुस्लिम युवकों को झूठा
फंसाया गया। ऐसे में हम मांग करते हैं कि इन मामलों की जांच एनआईए से
कराई जाए।
रमजान के पाक महीने में हाजी फहीम सिद्दीकी की इमामत में रिहाई मंच के
मंच पर ही नमाज अदा की गई। हाजी फहीम सिद्दीकी ने अपील की कि आने वाले 20
जुलाई को खालिद के न्याय के लिए चल रहे संघर्ष के दो महीने पूरे होने पर
इस संघर्ष में शामिल मिल्लत से हम गुजारिश करेंगे कि उस दिन आप सभी मगरिब
की नमाज रिहाई मंच के धरने स्थल पर की जाएगी।
मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस तथा एटीएस एवं खुफिया अधिकारियों
की तुरंत गिरफ्तारी की मांग, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने
और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की तत्काल रिहाई की
मांग को लेकर 22 मई से चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को
भी जारी रहा। रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 57 वें दिन उपवास पर
रिहाई मंच के इलाहाबाद प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह बैठे।
धरने का संचालन देवेश यादव ने किया। धरने को मो0 शुएब, मौलाना शमशाद,
मौलाना कमर सीतापुरी, इनायतुल्ला खान, डाॅ अबूसाद खान, सुल्तान अमीन,
तारिक, शफीक हाजी फहीम सिद्दीकी, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, पीसी कुरील,
तूलिका, नीति, वाराणसी से आए जयप्रकाश भारती, मोहम्मद खालिद, रमेश चंद्र
पाण्डे, मुजीब इकराम नदवी, फरीद खान, सादिक खान, मोहम्मद शाद खान,
एहसानुल हक मलिक, बब्लू यादव, जैद अहमद फारुकी, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद
फैज, हरे राम मिश्र, देवेश यादव, योगेन्द्र सिंह यादव, शाहनवाज आलम और
राजीव यादव ने संबोधित किया।
द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
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