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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, September 16, 2013

वाममोर्चा बुरीतरह बिखरने लगा है।किरणमय ने भी नंदीग्राम में जबर्दस्ती का आरोप लगाया।

वाममोर्चा बुरीतरह बिखरने लगा है।किरणमय ने भी नंदीग्राम में जबर्दस्ती


का आरोप लगाया।



एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



वाममोर्चा बुरीतरह बिखरने लगा है। वाम एकता पिछले विधानसभा चुनावों में सत्ता से बेदखली के बाद ही सवालिये निसान पर है। आरएसपी, भाकपा और फारवर्ड ब्लाक के विरोधी स्वर सुनायी पड़ते रहे हैं। जबकि सत्ता में रहते हुए माकपा नेतृत्व पर उंगलियां उठाने की भी हिम्मत नहीं थी किसी को। खंडित वाम एकता की वजह से माकपा के लिए खोया हुआ जनाधार दुबारा हासिल कर पाना असंभव सा हो गया  है।पिछले पंचायत चुनावों में तो तमाम वाम दुर्ग ताश के पत्तों की तरह ढह गये।माकपा में ही संगठनात्मक कवायद में अंतर्कलह प्रबल है। किसान नेता रज्जाक मोल्ला खुलकर नेतृत्व में नये चेहरे और सभी समुदायों को समुचित प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं।


समाजवादी पार्टी भी बागी


अब वाम मोर्चा का छोटा घटक दल समाजवादी पार्टी भी बागी तेवर में है। किरणमय नंद वाम जमाने में लंबे समय तक मंत्री रहे।उनकी पार्टी का मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी में विलय हो गया है। उत्तर प्रदेश में पिछले विधान सभा चुनावों में नंद मुख्य प्रचारक बतौर सामने आये। उन्हींकी पहल पर राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में मुलायम सिंह के साथ दीदी ने तय किया था कि वे प्रणव मुखर्जी को समर्थन नहीं देंगे।आखिरतक किरणमय यही कहते रहे कि मुलायम अपने स्टैंड पर कायम हैं। लेकिन परदे के पीछे मुलायम ने कांग्रेस से समझौता कर लिया और दीदी ने झख मारकर प्रणव का ही समर्थन कर दिया।


वाम नेतृत्व ने गलती की


इस घटनाक्रम के बाद राज्य राजनीति के परिदृश्य से समाजवादी पार्टी और किरणमय दोनों गायब रहे। अब फिर किरणमय सामने आये हैं तो सीधे आरोप लगा रहे हैं कि नंदीग्राम में केमिकल हब के लिए भूमि अधिग्रहण नोटिस जारी करना ही गलत था। उनके मुताबिक वाम नेताओं को जनता के बीच जाना चाहिए था और जनता को समझा बुझाकर राजी करना था।उनके मुताबिक हुआ इसके उलट। वाम नेतृत्व ने नंदीग्राम में शक्ति का प्रयोग किया और वहां पुलिस फायरिंग में चौदह लोगों की जानें गयीं।


कोई एकता नहीं


यहीं नहीं, किरणमय ने साफ तौर पर कहा कि वाममोर्चा में अब कोई एकता नहीं है।उनके मुताबिक नंदीग्राम के किसानों की सुनी नहीं गयी,इसीलिए वाममोर्चे की यह दुर्गति हो गयी।वाम नेताओं की इस भूल के लिए ही तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आ गयी।उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों के वक्त भी वाममोर्चे में कोई एकता नहीं है अब।


नेताओं की खूब खबर ली


किरणमय अब मुलायम के नजदीक हैं और इसीलिए राज्यसभा के सदस्य भी हैं। एगरा में अपनी पार्टी क कार्यकर्ताओं को संबोधित करतेहुए बिना माकपा का नाम लिये उन्होंने नंदी ग्राम प्रकरण से लेकर माकपा और वाममोर्चे की मौजूदा हालत के लिए नेताओं की खूब खबर ली।उन्होंने फिर कहा कि अब पछताने से कोई फायदा नहीं है।बल्कि इस पर सिलसिलेवार विचार हो कि आखिर कैसे तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आ गयी और कैसे वाम मोर्चा अगले लोकसभा चुनावों में मैदान में उतरेगी।


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