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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, September 16, 2013

Fwd: Invitation - Regional conference ofAll India Union Of Forest Working People - Renukut sonbhadra UP- 28-29sept 2013







Invitation - Regional conference of All India Union Of Forest Working People (Kaimur Region)
28-29 September 2013
Renukut, Sonbhadra UP
Theme - Implementation of Forest Rights Act and strengthening of forest working people Union in the region

Dear all,
As you all know that the implementation of the Forest Rights Act is very poor in the entire country. The government both central and state governments have not shown any political will to implement this Act in its true spirits. Except in those areas where people's movement has been strong the forest people are themselves educating and pressurizing state to implement this Act. The state has not been able to undo the "historical injustice" as enshrined in the preamble to million of people living or depending on the forest for their livelihood till now. The colonial legacy in the form of forest department is still the biggest villain that is creating hurdles in implementation of this Act. Not only this the bureaucratic machinery along with the local feudal and capitalist forces with the help of police  is very much active to subvert this Act. It is very clear now that until and unless we unite it will not be possible to get this Act implemented. That is why the National Forum of Forest People and Forest Worker took resolution in its fourth national convention to form "All India Union Of Forest Working People" (AIUFWP) in Puri Odisha from 3-5th June 2013 to unionize around the issue of forest rights.

In order to strengthen the unionization process we are Organizing first regional conference of union of Kaimur region of UP, Jharkhand and Bihar on 28-29 September 2013 in industrial town of Sonbhadra Renukut. In this conference the political strategy of strengthening the union, movement will be built. In this conference many forest people will join from Tarai region, Bundelkhand, Jharkhand and other parts of our country. Many regional conference of AIUFWP will take place in other parts of the country in coming months and finally a preparation will be done to organize a big mass rally in Delhi before forth coming Parliamentary election.

we invite you all to participate in this. kindly find the hindi programme attahced.

In Solidarity
Roma
(Dy. Gen. Sect)
(AIUFWP)

दुनिया के मज़दूरों एक हो                                                              जल  - जंगल और ज़मीन
एक हो     -   एक हो                                                              हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे
इक देश नहीं इक खेत नहीं हम सारी दुनिया मांगेंगे
                                                                -फ़ैज़ अहमद ''फै़ज़''

शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के 106 वे जन्मदिवस के महान अवसर पर
अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन (कैमूरक्षेत्र) का
प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन
दिनांक 28-29 सितम्बर 2013, गाॅधी मैदान रेणूकूट-सोनभद्र उ0प्र0


प्रिय साथियों!
जैसा कि आप जानते हैं कि दिनांक 28 सितम्बर 2013 को देश की ब्रिटिश हुक़ूमत से आज़ादी के लिए अपनी जान न्योछावर कर देने वाले अमर शहीद-ए-आज़म भगत सिंह का 106वां जन्मदिवस है। शहीद-ए-आज़म भगत सिंह ने हंसते-हंसते मौत को इसलिए गले लगा लिया था कि उनका सपना ना सिर्फ़ ब्रिटिश हुक़ूमत से देश को आज़ाद कराने का था, बल्कि कुव्यवस्था की ज़ंजीरों  में बड़ी ताकतों द्वारा जकड़े गये तमाम वंचित तबकों, महिलाओं, दलित-आदिवासियों को भी इस कुव्यवस्था से आज़ाद कराने का भी था। लेकिन 66 वर्ष पूर्व देश अंग्रेजों से आज़ाद तो हुआ लेकिन आज़ादी की लड़ाई में सबसे ज़्यादा बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाला देश का वंचित तबका तब भी आज़ादी से महरूम रह गया। खासतौर पर देश के वनक्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी-अन्य वनाश्रित समाज व इस समाज की महिलाओं को और अधिक गुलाम बना लिया गया और अंग्रेजों द्वारा वन-संसाधनों की लूट व लोगों की वनक्षेत्रों से बेदखली के लिए बनाई गई वनविभाग जैसी संस्था और बड़ी-बड़ी कम्पनियों का वनों पर शासन तंत्र मज़बूत करने के लिए नए-नए कानून बनाने शुरू कर दिए गए व पुराने 1927 के काले कानून भारतीय वन अधिनियम को और सख्त कर दिया गया। लेकिन दूसरी तरफ आदिवासी-वनाश्रित समाज के अन्दर लगातार फैलते आक्रोष के कारण इन तबकों ने अपने आंदोलनों को भी तेज़ कर दिया व एक जगह पर इकट्ठा होने लगे। इन्हीं आंदोलनों के दबाव में सरकार को देश के इतिहास में पहली बार आदिवासी-वनाश्रित समाज के जंगल पर हकों को स्थापित करने की मान्यता देने वाला वनाधिकार कानून बनाना पड़ा और जिसे 15 दिसम्बर 2006 को संसद में पारित भी कर दिया गया और 1 जनवरी 2008 से नियमावली बनाकर लागू भी।
लेकिन आज इस कानून को भी पास हुए लगभग 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी (केवल कुछ उन जगहों को छोड़कर जहां लोग खुद अपनी सांगठनिक ताक़त से इसे लागू करने के लिए पहल कर रहे हैं व सफलता भी हासिल कर रहे हैं) इस कानून के वास्तविक क्रियान्वयन की प्रक्रिया ना सिर्फ अधर में ही लटकी हुई है, बल्कि वनविभाग व बड़ी कम्पनियों के नुमाईंदों द्वारा वनाश्रित समाज व इस समाज की महिलाओं पर की जाने वाली जु़ल्म-ओ-ज़्यादती की सारी हदों को पार किया जा रहा है व इस कानून को लागू करने के लिए जिम्मेदार पुलिस व प्रशासन इनको मदद करने में जुटे हुए हैं और केन्द्र सरकार सहित प्रदेश सरकारें इस ओर से पूरी तरह से आंख बन्द किए हुए बैठी हैं।
उ0प्र0, बिहार व झारखण्ड में कैमूर घाटी की पहाडि़यों पर बसे हमारे कई जनपदों सोनभद्र, मिर्जापुर, चन्दौली, कैमूर भभुआ, रोहताश और गढ़वा जो कि इन सभी प्रदेशों के बड़े वनक्षेत्र वाले जनपद है और इनकी आबादी का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी-वनाश्रित समाज से है में इसके बावज़ूद इनमें कानून के सरकारी क्रियान्वयन की स्थिति कम-ओ-बेश यही बनी हुई है, लेकिन यहां की वनाश्रित समाज की महिलाओं ने संगठित रूप से इस कानून में मान्यता दिये गए अधिकारों को हासिल करने के लिए पहल की व अपने अधिकारों को हासिल करने में सफलता भी प्राप्त की। लेकिन यहां वनविभाग, बड़ी कम्पनियां और सामंती तबकों ने यहां के आदिवासी-दलित ंअन्य वनाश्रित समाज पर तरह-तरह से हमले करने की कार्रवाईयों को तेज़ कर दिया है। संवैधानिक अधिकार और वनाधिकार कानून में दिए गए 13 विकास कार्यों के अधिकारों में शामिल स्वास्थ सुविधाओं को पाने के अधिकार के बावज़ूद यहां की दुद्धी तहसील में निजि कम्पनी हिन्डालको द्वारा संचालित अस्पताल में हमारे यूनियन की राष्ट्रीय नेतृत्वकारी आदिवासी महिला साथी सोकालो गोण्ड के 13 वर्षीय पुत्र श्रवण कुमार की यहां डाक्टरों द्वारा पूरी तरह से बरती गई लापरवाही के कारण मौत हो गई और यहां के लापरवाही बरतने वाले डाक्टर इस मामले से अभी तक पूरी तरह से पल्ला झाड़ने में जुटे हुए है। हालांकि इस मामले को लेकर अ.भा.व.ज.श्रमजीवी यूनियन के आंदोलनरत होने पर जिला प्रशासन द्वारा एक जांच समिति का गठन किया गया, जिसमें प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी तथा विशेषज्ञ डाक्टरों को शामिल किया गया। इस जांच दल ने दिनांक 7सितम्बर को रेणूकूट का दौरा करके जांच की है, जिसमें दोषी डाक्टर व डाक्टरों की लापरवाही से मृतक बालक श्रवण कुमार की माता सोकालो गोण्ड के बयान भी दर्ज किए हैं। जल्द ही जांच दल की रिपोर्ट सामने आने पर अगली कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इसमें भी दोषी हिन्डालको कम्पनी के प्रतिनिधियों ने अपने दामन पर लगे खून के छींटों को धोकर अपने गुनाह से पल्ला झाड़ने की नीयत से जिला प्रशासन द्वारा पूरे नियम कायदों को ध्यान में रखकर बनाई गई समिति की वैद्यता पर ही सवाल खड़े किए गए हैं। गौरतलब है कि सरकार द्वारा रेणूकूट व इसके आसपास के करीब 100 कि0मी0 तक बसे लोगों के स्वास्थ को एक निजि अस्पताल के हवाले कर दिया गया है, जोकि मनमाने ढंग से यहां बसे आदिवासियों व अन्य गरीब तबाकों के लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जबकि वनाधिकार कानून के आने के बाद सामुदायिक अधिकारों के तहत भी स्वास्थ व शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण ज़रूरतों को पूरा करना अब सरकार की जिम्मेदारी है, जिसे  सरकारों द्वारा पूरी तरह से अनदेखा किया जा रहा है।
 साथियों! यह स्थिति जब से उ0प्र0 प्रदेश में नई सरकार आई है पूरे प्रदेश में चल रही है और बिहार व झारखण्ड में तो कानून के क्रियान्वयन की स्थिति इतनी दयनीय बनी हुई कि यहां के अधिकारी खुले तौर पर कहने में गुरेज़ नहीं कर रहे कि ''यहां वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन की ज़रूरत ही नहीं है''। केवल नक्सलवाद का हौवा खड़ा करके करोड़ों रुपये के पैकेज लाकर डकार जाना ही इनका धन्धा बना हुआ है। वनाधिकार कानून का वनविभाग व पुलिस प्रशासन द्वारा खुले आम उलंघन किया जा रहा है। वनाश्रित समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाले इस क्रांतिकारी कानून के क्रियान्वयन की प्रक्रिया एकदम ठप कर दी गई है, वनविभाग द्वारा कहीं हत्या करके, कहीं प्रशासन द्वारा गांवों में पीएसी फोर्स आदि लगाकर तो कहीं जापान की जायका कम्पनी द्वारा वृृक्षारोपण के नाम पर लोगों के हाथ से उनके हक़ वाली ज़मीनों को छीनने की कोशिश की जा रही है। जबकि वनाधिकार कानून के आने के बाद वनविभाग जंगल क्षेत्र में ऐसी किसी भी कार्रवाई को अंजाम नहीं दे सकता। कैमूरक्षेत्र में एक लम्बे समय तक आदिवासी-वनाश्रित समाज के अधिकारों के लिए जीवनपर्यन्त लड़ने वाले डा0 विनियन ने कैमूर क्षेत्र में स्वायत्त परिषद बनाने व इस क्षेत्र को पांचवी अनुसूचि में शामिल करने की मांग उठाई थी व संघर्ष किया था, यह महत्वपूर्ण मुद्दे भी वहीं अपनी जगह पर आज भी खड़े हुए हैं। लेकिन दूसरी ओर वनाश्रित समुदायों के लोग भी अपने संघर्षों को तेज़ कर रहे हैं और ये सभी संघर्ष महिलाओं की अगुआई में लड़े जा रहे हैं। जैसा कि आपको विदित होगा कि वनाधिकार कानून में सितम्बर 2012 में कुछ संशोधन भी किए गए हैं। इन संशोधनों में वनाश्रित समाज के जंगल व जंगल की तमाम तरह की लघुवनोपज को अपने परिवहन संसाधनों से बे रोक-टोक लाने, स्वयं इस्तेमाल करने व अपनी सहकारी समितियां-फैडरेशन आदि बनाकर बाज़ार में बेचने के मान्यता दिए गए अधिकारों को और अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इस अधिकार को पाने के लिए एक और तीसरे दावे को वनसंसाधनों पर अधिकार के दावे के रूप में दिया गया है, जिसे सबसे पहले भरकर अपना दावा ग्राम समितियों के माध्यम से उपखण्डस्तरीय समिति को सौंपना नितांत आवश्यक है। इन सभी कार्यों को करने व अपने संघर्षों की धार को और तेज़ करने के उद्ेश्य से यूनियन द्वारा कई तरह के कार्यक्रम भी तय किए जाने हैं।
जैसा कि आपको यह भी विदित है कि हमने संगठन व संगठन के संघर्षों के बढ़ते हुए स्वरूप को देखते हुए इसी वर्ष दिनांक 3 से 5 जून को पुरी-उड़ीसा में एक सम्मेलन आयोजित करके अपने संगठन राष्ट्रीय वन-जन श्रमजीवी मंच  को अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन  के रूप में तब्दील कर दिया है। साथियों यूनियन की सारी ताक़त उसके सदस्यों व सदस्यों की संख्या में होती है। हमने पुरी में सामूहिक रूप से यह भी संकल्प लिया था कि हम इस वर्ष के अन्त तक केवल उ0प्र0 से 50000 की संख्या में सदस्यता बनाएंगे। यूनियन की मज़बूती के लिए यूनियन के सदस्यता अभियान को तेज़ी देने व अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए सरकारों पर दबाव बनाने के उदे्श्य से उ0प्र0 के विभिन्न वनक्षेत्रों और प्रदेश के आस-पास के प्रदेशों उत्तराखण्ड, बिहार, मध्य प्रदेश आदि में यूनियन के सम्मेलन आयोजित करना व अन्त में आने वाले लोक सभा चुनावों से पूर्व ही दिल्ली में एक विशाल प्रदर्शन करने का भी यूनियन द्वारा निर्णय लिया गया है।  जिसमें देशभर के वनक्षेत्रों से कम से कम 50000 की संख्या में आदिवासी वनाश्रित समाज की महिलाएं व लोग तथा वनाधिकार कानून के मुद्दों पर काम करने वाले जनसंगठनों व मददगार मित्र संगठनों के लोग इकट्ठा होकर संसद भवन के सामने प्रदर्शन करेंगे व केन्द्र सरकार से सवाल पूछेंगे कि कानून आने के बाद 7 सालों में दोबार सत्ता पर काबिज रहने के बावजूद आखिरकार वनाधिकार कानून को क्यूं ठंडे बस्ते में डाला गया है और वनविभाग व सरकारों द्वारा वनाश्रित समाज के बीच फैलाए जा रहे आतंक पर क्यूं कोई रोक नहीं लगाई जा रही है?
साथियों! इसी कड़ी में हम दिनांक 28-29 सितम्बर 2013 को देश की आज़ादी व वंचित समाज के लिए मात्र 23 वर्ष की उम्र में शहीद हो जाने वाले जांबाज़ युवा शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के 106वें जन्म दिवस के महान अवसर पर कैमूर क्षेत्र स्थित रेणूकूट जनपद सोनभद्र में अपने यूनियन का प्रथम सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं। इस सम्मेलन में कैमूर क्षेत्र के जनपद सोनभद्र, मिर्जापुर, चन्दौली, बिहार अधौरा, रोहताश, झारखण्ड व अन्य वन क्षेत्रों तराई लखीमपुर खीरी, गौण्डा, बहराईच, पीलीभीत, बुन्देलखण्ड चित्रकूट कर्वी, मानिक पुर, बांदा, मध्यप्रदेश रीवा, पश्चिमांचल सहारनपुर, उत्तराखण्ड राजाजी नेशनल पार्क व इनके अलावा देश के कई हिस्सों से वनाश्रित समाज के लोग व वनाधिकार के मुद्दों पर काम करने वाले जनसंगठनों व मददगार संगठनों के नेतृत्वकारी प्रतिनिधिगण व संवेदनशील नागरिक समाज के अन्य बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। इनमें प्रमुख रूप से अरुणांचल महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष व अ.भा.व.श्र.यूनियन की अध्यक्ष सुश्री जारजूम ऐटे, कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व राज्यमंत्री श्री संजय गर्ग, पूर्व जज श्री मन्नूलाल मरकाम, महासचिव श्री अशोक चैधरी, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश व झारखण्ड से प्रो0रामशरण शामिल होंगे। आपसे अपील है कि बड़ी से बड़ी संख्या में इसमें शामिल होकर अपने आदर्श शहीद-ए-आज़म भगत सिंह का जन्मदिवस मनाते हुए अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के कैमूरक्षेत्र के इस पहले सम्मेलन को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने में हिस्सेदारी निभाएं। दोनों दिन के कार्यक्रम रेणूकूट स्थित गाॅधी मैदान में आयोजित किए जाएंगे। दिनांक 28 सितम्बर 2013 को दिन में हम गाॅधी मैदान से रेणूकूट की सड़कों पर एक विशाल रैली निकालेंगे व शाम को 4 बजे यूनियन के सम्मेलन की शुरूआत की जाएगी। 29 सितम्बर को सम्मेलन दिन भर चलेगा व शाम 5 बजे तक समापन किया जाएगा।     
                                                        
ऐ ख़ाकनशीनों उठ बैठो, वो वक़्त क़रीब आ पहुंचा है
       जब  तख़्त गिराए  जाऐंगे, जब ताज  उछाले  जाऐंगे - ''फै़ज़''

अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन ;।प्न्थ्ॅच्द्ध
कैमूर क्षेत्र महिला-मज़दूर किसान संघर्ष समिति, कैमूर मुक्ति मोर्चा








--
NFFPFW / Human Rights Law Centre
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj,
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 05444-222473
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com






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