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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, December 23, 2013

आइये,कारपोरेट राज के तिलिस्म में एकतरफा लेखन , प्रवचन, विमर्श, फतवे और मिथ्या घृणा अभियान के इस महारण्य की युद्धक प्रबंधकीय मार्केटिंग राजनीति के मुकाबले सामाजिक यथार्थ की जनसुनवाई में शामिल हो जाये हम और आप! मुक्तिबोध ने एकदम सही लिखा हैः सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक् चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं उनके ख़याल से यह सब गप है मात्र किंवदन्ती। रक्तपायी वर्ग से नाभिनाल-बद्ध ये सब लोग नपुंसक भोग-शिरा-जालों में उलझे। प्रश्न की उथली-सी पहचान राह से अनजान वाक् रुदन्ती।

आइये,कारपोरेट राज के तिलिस्म में एकतरफा लेखन , प्रवचन, विमर्श, फतवे और मिथ्या घृणा अभियान के इस महारण्य की युद्धक प्रबंधकीय मार्केटिंग राजनीति के मुकाबले सामाजिक यथार्थ की जनसुनवाई में शामिल हो जाये हम और आप!


मुक्तिबोध ने एकदम सही लिखा हैः

सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक्

चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं

उनके ख़याल से यह सब गप है

मात्र किंवदन्ती।

रक्तपायी वर्ग से नाभिनाल-बद्ध ये सब लोग

नपुंसक भोग-शिरा-जालों में उलझे।

प्रश्न की उथली-सी पहचान

राह से अनजान

वाक् रुदन्ती।


पलाश विश्वास

eeta Gairola shared Harnot Sr Harnot's photo.

अस्कोट आराकोट अभियान जिंदाबाद

डॉ0 खेखर पाठक-प्रख्‍यात लेखक, पर्वतारोही और पहाड के संपादक

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BBC Hindi

ये तस्वीर है आम आदमी पार्टी के दफ्तर की जहां पार्टी समर्थक इस वक्त नाच-गा कर 'आप' की सरकार बनने का जश्न मना रहे हैं. बीबीसी संवाददाता सलमान रावी इस वक्त वहां मौजूद हैं. कुछ देर में आप तक और तस्वीरें पहुंचाएंगे!

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आज का संवाद

आइये,कारपोरेट राज के तिलिस्म में एकतरफा लेखन , प्रवचन,विमर्श, फतवे और मिथ्या घृणा अभियान के इस महारण्य की युद्धक प्रबंधकीय मार्केटिंग राजनीति के मुकाबले सामाजिक यथार्थ की जनसुनवाई में शामिल हो जाये हम और आप!


ममता बनर्जी भी राजकाज कारपोरेट प्रबंधन के मुताबिक कर रही हैं।नरेंद्र मोदी,अरविंद केजरीवाल,नंदन निलेकणि,राहुल गांधी और ममता बनर्जी स‌ारे के स‌ारे लोग अपने तौर तरीक अत्याधुनीक तकनीक और स‌्ट्रेटिजिक मार्केटिंग के हिसाब स‌े बदल रहे हैं और हम अभी उन्नीसवीं स‌दी में जी रहे हैं।

http://eisamay.indiatimes.com/city/kolkata/administrative-calender/articleshow/27774007.cms

ताजा हालत यह है कि हाथ का साथ लेकर दिल्ली में अब आप की सत्ता है और तमाम विशेषज्ञ इसे भारतीय राजनीति में परिवर्तन बते रहे हैं। लेकिन इस परिवर्तन की आड़ में भारत में जो कारपोरेट कायाकल्प हो रहा है,उसकी कोई चर्चा नही हो रही। दिल्ली में कांग्रेस के तख्तापलट और भगवा नमोलहर थमने से कोई विकल्प तैयार हो गया है,अभी से यह मानने का कोई कारण नही ंहै। सामाजिक शक्तियां नागरिक समस्याओं को लेकर एकमात्र भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गोलबंद हुई है,कुल मिलाकर सकारात्मक बदलाव यही है।छात्र युवाजनों में बदलाव की  आकांक्षा एक बड़ी शक्ति बनकर उभरी है और हमने भी इसका स्वागत किया है।


इसपर आगे चर्चा से पहले यह जान लें कि लोकसभा चुनाव के लिए राहुल टीम में शामिल करने के बहाने जयंती नटराजन को हटाने के बहाने जल जंगल जमीन और आजीविका से बेदखली के लिए देश के समूचे आदिवासी भूगोल समेत जनपदों के विरुद्ध कारपोरेट राज की जो युद्धघोषणा हुई है, मीडिया के आप विमर्श के अंतराल में किसी का उस ओर ध्यान भी नहीं है।अंग्रेजी अखबारों में सबसे बड़ी चर्चा इसे लेकर हो रही है कि कैसे जयंती नटराजन ने भारत के विकास गाथा को बाट लगी दी है और कैसे निवेश रुक गया है।


रिलायंस मंत्री को पर्यावरण का कार्यभार सौंपा गया है और उन्होंने विकास की गाड़ी पटरी पर लाने का वायदा किया है।आप की जीत का जश्न मना रही सामाजिक शक्तियां इस कवायद से अनजान है क्योंकि पूरी बहस तो आप सरकार के स्थायित्व पर केंद्रित हो गयी है।लोकसभा चुनावों में उसकी कामयाबी से लेकर अरविंद केजरीवाल के प्रधानमत्रित्व का कयास लगाने वालों में तमाम मेधा दिग्गज भी हैं। मान लेते हैं कि कारपोरेट मोहरा ओबीसी चायवाला देश का प्रधानमंत्री नहीं बना और केजरीवाल बन गये तो बिजली पानी और नागरिक सुविधाओं के अलावा आम जनता के बुनियादी मुद्दों पर आप का रवैया क्या होगा, इसे समझ लेना जरुरी है। लोकपाल कनून बन जाने से देश में भ्रष्टाचार का मुद्दा जरुर खत्म हुआ है, भ्रष्टाचार लेकिन खत्म हुआ नहीं है क्योंकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आड़ में कालाधन ही भारत की अर्थ व्यवस्था को संचालित कर रहा है।


कारपोरेट राज के खिलाफ किसी भी राजनीतिक दल के लिए कुछ कहना और सत्ता की दौड़ में टिका रहना मुश्किल है। वैसे भी कांग्रेस के समर्थन से ही यह सरकार बनी है और कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन दिया नहीं है।फिर क्षत्रपों के कब्जे में अस्मिताओं का जो भूगोल है,उसे तोड़कर देश का मुकम्मल नक्शा बनाने की चुनौती है और गौरतलब है कि इसी परिप्रेक्ष्य में हिंदुत्व का दामन छोड़कर अब नरेंद्र मोदी भारत या हिंदुस्तान के लिए नहीं,बल्कि इंडिया के लिे वोट माग रहे हैं।इस इंडिया में जाहिर है कि जनपदों और देहात का भारत है ही नहीं और न अस्पृश्य भूगोल का कोई हिस्सा है।जाहिर है कि आप ब्रांड परिवर्तन इसी इंडिया के नक्शे के लिए है और इसीलिए कारपोरेट कायाकल्प के तहत दूसरे चरण के अनिवार्य सुधारों के लिए नंदन निलेकणि के साथ अरविंद केजरीवाल मनमोहन के अवसान के बाद जुड़वां ईश्वर बतौर स्थापित किये जा रहे हैं। कारपोरेट पूंजी के जरिये समाज सेवा करने वाले ,सामाजिक सांस्कृतिक क्रांति करने वाले भी इस कारपोरेट उपक्रम में साझेदार है। कारपोरेट पूंजी सेचलने वाले मीडिया के लिए तो वे ही एकमात्र विकल्प हैं।


आप ने अगर देशभर में भगवा लहर को थामने का काम किया तो कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों का सिलसिला ही जारी रहना है।जैसे कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल मुख्यमंत्री बन गये हैं,वैसे ही कुछ राज्यों में कमाल दिखाकर केजरीवाल प्रधानमंत्री भी बन सकते हैं।


अगर भगवा लहर चल गयी तो मोदी के प्रधानमंत्रित्व में कारपोरेट राज फिरभी मजबूत होना है। जाहिर है कि ये तमाम विकल्प हमारे नहीं हैं।


लेकिन हम दिल्ली की जनसंख्या विन्यास, प्रति व्यक्ति आय और तकनीक मित्रता को नजरअंदाज करके दिल्ली का करिश्मा पूरे देश में दोहराये जाने का ख्वाब सजाने लगे हैं। अतीत में भी ऐसे विकल्प आते रहे हैं और जनता के भारी समर्थन के बावजूद हासिल कुछ नहीं हुआ है।


हकीकत दरअसल यही है कि  हर परिवर्तन के साथ कारपोरेट राज मजबूत, और  मजबूत हो रहा है।जैसा सत्तर दशक के छात्र युवा आंदोलन के बाद हुआ औरजैसा परिवर्तन के बाद बंगाल में हुआ।जैसा परिवर्तन तमिलनाडु और कर्नाटक ,उत्तर प्रदेश और बिहार समेत गायपट्टी में सामाजिक बदलाव के बतौर महिमामंडित लैपटाप या अयंगर क्रांति है।


जिस राजनीति के साथ सत्तावर्ग भारतीय जनता को पार्टीबद्ध या परिवर्तनवादी खेमे में बांट रहा है,वहकुल मिलाकर बाजार की कारपोरेट प्रबंधकीय तकनीकी दक्षता है।स्ट्रेटिजिक मार्केटिंग हैं।इसी के मद्देनजर आम जनता को संबोधित करने का छल प्रपंच में तमाम चामत्कारिक वैज्ञानिक प्रभाव है,जैसा हम सिनेमा में अक्सर देखते हैं।हूबहू हो वही रहा है जैसा जूबू जूबी सिनेमा में होता है।


हम लगातार लिखते बताते रहे हैं कि कारपोरट राज में जनादेश दरअसल कुछ होता नहीं है। जन सुनवाई होती नहीं है।न हकीकत में कही कोई वितचार है और न विमर्श और न ही संवाद। जनमत संग्रह का हर आयोजन आइडिया का विज्ञापन है। आपका भारत रत्न भी दरअसल बाजार का सबसे बड़ा ब्रांड है।


दरअसल यह समझना जरुरी है कि जिन्हें आप  परिवर्तन और मिशन के अवतार रूपेण पूज रहे हैं,वे दरअसल राजनीति के ही सचिन तेंदुलकर हैं,जिनके एक एक रन,एक एक रिकार्ड पर बाजार का दांव लगा है।


टीआरपी के साथ विज्ञापन का गणित जो चलता है,दरअसल वही आपका सूचना महाविस्फोट है और हकीकत में आपको जो जानकारी होती है और जिसके आधार पर आप विश्लेषण बहस योद्धा बन जाते हैं, सामाजिक यथार्थ और आम जनता के असली मुद्दों को किनारे करने के लिए वही सबसे बड़ी मिथ्या है।


ताश के महल में भारतीय जनता को कोई छत मिलने वाली नहीं है और हम लोग हवा में महानगरीय तिलिस्म रचने लगे हैं।


इस बहुमंजिले परिवर्तन के विविध आयाम से फिर तेज होनी ही रक्त नदियां,हमें इसका होश ही नहीं है। हम सिरे से सारे जरुरी मुद्दों को टालते रहने और गैरजरुरी मुद्दों की सुनामी बनाने को अभ्यस्त ही नहीं,उसके बाकायदा विशेषज्ञ हैं।


संसद का सत्र जारी है लेकिन कोई संसदीय खबर सुर्खियों में नहीं है।संसद से बाहर असंवैधानिक तत्व संसद सत्र के दौरान ही नीति निर्धरणकर रहे हैं और इस पर कोई चर्चा ही नहीं है।चर्चा है भारत अमेरिकी छद्म युद्ध और आप की। या फिर यौनगंधी विवादों की।धर्मनिरपेक्षता बनाम स्त्री अस्मिता के गृह युद्ध की।


इंडियन एक्सप्रेस के की रपट के मुताबिक


Union Petroleum Minister M Veerappa Moily, who has been givenadditional chargeof the Ministry of Environment and Forests (MoEF), said on Sunday that there shouldn't be any inexplicable delay in granting environmental clearances.


Asked how he would deal with the issue of delayed environmental clearances stalling many important projects, some of which have been kept hanging for over a year, Moily told The Indian Expresss, "There are no two ways about it. As Environment and Forest Minister, my job is to protect our environment and forests. Protection of environment is sacrosanct. But the India growth story can't also be put on hold. Rahul Gandhi has also spoken against slow decision-making and the need to fix accountability and take decisions in a time-bound manner. The decision-making process can't be suffocated."


He added, "The way forward, as I see it, is to decide all cases in a time-bound manner. If a project can't be cleared due to environmental issues, say so in a time-bound manner rather than sitting on the file for 15-20 months."

श्रेई इंफ्रा के सीएमडी हेमंत कनोरिया का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय में बदलाव से इंफ्रा कंपनियों के लिए माहौल सकारात्मक हुआ है। राहुल गांधी ने भी कहा है कि जल्द ही पर्यावरण संबंधित मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की जाएगी।


हालांकि इंफ्रा कंपनियों में फिलहाल जो तेजी आ रही है उसके पीछे वजह यही है कि अब पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के चलते अटके प्रोजेक्ट के शुरु होने की उम्मीद है। पर्यावरण क्लियरेंस को राज्य सरकारों के ऊपर छोड़ना चाहिए और केंद्र सरकार को इस विषय से दूर रहना चाहिए।




बहर हाल इसी बीच बहुत दिनों बाद हरनोट जी के सौजन्य से शेखर दाज्यू की तस्वीर के मुखातिब हो सका। गीता गैरोला ने भी फिर वही तस्वीर पोस्ट कर दी है। इसे इस आलेख के साथ ले रहा हूं अस्कोट आरोकोट अभियान की याद में।भूगोल के हर हिस्से को जोड़कर पूरे देश को जोड़ने के लिए दरअसल ऐसा अभियान सर्वत्र दोहराने की जरुरत है,इसीलिए।


माता जी के 2006 में निधन के बाद फिर नैनीताल जाना न हुआ।शेखर दाज्यू से आखिरी मुलाकात 2011में तब हुई थी, जब पिताजी पुलिनबाबू के अवसान के बाद नैनीताल से गिरदा, राजीवदाज्यू, शेखरदाज्यू, बटरोही जी की अगुवाई में डीएसबी के हमारे अनेक अध्यापक और पहाड़ के साथी मेरे घर बसंतीपुर आये।


तब शायद कपिलेश, पीसी और शायद शमशेर दाज्यू भी अल्मोड़ा से आ गये थे ।


अब उन सारे लोगों के नाम भी याद नहीं आ रहे हैं।


बूढाने लगा हूं और स्मृतियां धुधलाने लगी हैं।


उनमें महिलाएं भी थीं।जिनमें शायद शीला रजवार,उमा भाभी और नीरजा टंडन भी थीं।


दरअसल ये तमाम लोग मैं जहां भी जाता हूं,मेरे वजूद में शामिल रहते हैं।


ठीक ठीक अब याद नहीं कर पाता कि कब कहां किससे कब मुलाकातें होती रहीं।


बहरहाल जवाब में नैनीताल गया और डीएसबी अग्निकांड के बाद पहलीबार शेखरदाज्यू मुझे पकड़कर डीएसबी ले गये। तब नये बने विशालाकार डीएसबी रीडिंग रूम में पसरे सन्नाटा को देखकर सत्तर के दशक में खड़े पंक्तिबद्ध हमारे वे दिन याद आये,जब हम पढ़ने,बहसियाने के अलावा कभी भी, कहीं भी दौड़ पड़ने वाले युवाजन हुआ करते थे।


उसी वक्त डीएसबी से निकलने के बाद पहली और आखिरी बार मैडम अनिल बिष्ट से अपने अंग्रेजी विभाग में मुलाकात हुई।


उसके बाद एकाधबार नैनीताल जाना हुआ तो न शेखरदाज्यू मिले, न उमा भाभी से मुलाकात हुई और गिरदा तो हमेशा घाटियों और शिखरों के बीच अविराम दौड़ने वाले हुआ ठहरे,और तो और बटरोही जी भी इसी बीच रोमानिया पढ़ाने चले गये और लौटे तो उनसे भी मुलाकात नहीं हुई।


हर बार नैनीताल समाचार में राजीवदाज्यू,हरुआ दाढ़ी,पवन राकेश और महेश दाज्यू ही मिले।सखा दाज्यू से भी मिले अरसा बीत गया।शहर में जहूर,इदरीश और डीके से होती रहीं मुलाकातें।


गिरदा और भगतदाज्यू के अवसान के बाद अब तो नैनीताल समाचार हरुआ,पवन और महेश दाज्यू के हवाले हैं।


अब हम सबकी हिस्से की दौड़,दिवंगत निर्मल,विपिन चचा,षष्ठीदत्त,जनौटी,फ्रेडरिक स्मेटचेक समेत कितने ही लोगों की दौड़ जी रहे हैं राजीव दाज्यू और शेखरदाज्यू।


अब यह भी नहीं जानता कि नैनीताल हम पहुंच गये तो सबसे मुलाकात होगी या नहीं।


दिनेशपुर में पिताजी की स्मृति में फुटबाल प्रतियोगिता चल रही है।शेखरदाज्यू और राजीवदाज्यू की दौड़ में मुझे आजीवन  दौड़ते रहे पिताजी और गिरदा की दौड़ भी याद आ रही है।


हम तो पेशे की वजह से और वहां भी आटोमेशन के कारण एकदम विकलांग हो गये हैं।फर्क यही है कि अपने परम मित्र जगमोहन फुटेला की तरह अभी ब्रेन स्ट्रोक नहीं हुआ।


2001 तक आसपास कितने ही लोग थे।हम मजे मजे में महीनेभर फिल्म की शूटिंग के लिए भी निकल सकते थे।


अब हाल यह है कि आकस्मिक अवकाश सारे लैप्स हो गये। कमाया अवकाश भी एक्सपायर होने लगा।दिसंबर खत्म होने को है। हम पूरे महीने में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश ले पाये हैं।


मजा तो मीडिया का यह है कि अंग्रेजी वाले लैपटाप से डेस्क का काम कहीं भी कर सकते हैं और उन्हें हफ्ते में दो दिन का अवकाश मिलता है।


हमारे लिये रोज दफ्तर जाने की बाध्यता है।कोई नहीं होता तो अवकाश लेने की सोच भी नहीं सकते।


प्रबंधन का कहना है कि आपके संपादक ही दो दिनों के अवकाश देने को तैयार नहीं हैं।मिलें भी तो ले कैसे सकते हैं जबकि एक दिन का भी अवकाश नहीं मिल रहा।


अपने पास पीसी है और नेट कनेक्शन है तो सारी बातें,सारी मुलाकातें अब इसी के मार्फत।


जाहिर है कि  हम अपने दिवंगत पिता की तरह रीढ़ में कैंसर सहेजे दौड़ नहीं सकते।न हम गिरदा और न शेखरदाज्यू और न राजीव दाज्यू की तरह दौड़ नहीं सकते हैं। बंद चासनाला खान के अंदर तक दौड़ लगाने के वे दिन मैं झारखंड में ही छोड़ आया।


शेखर के साथ हरनोटजी ने बटरोही जी की तस्वीर भी पोस्ट की है।बटरोही जी ने हमें कभी नहीं पढ़ाया। लेकिन जीआईसी के जमाने से उनके साथ संवाद हमेशा होते रहे।इन दोनों तस्वीरों के साथ पिताजी के नाम फुटबाल प्रतियोगिता के बहाने पिता की मृत्युशय्या के असह्य दिन याद आ रहे हैं,जब नारायण दत्त तिवारी समेत पहाड़ और तराई के कोने कोने से लोग आकर हमारे साथ खड़े होते रहे।तमाम पक्षों के लोग।तमाम क्षेत्रों के लोग।


अब महानगर कोलकाता में निपट अकेले उस हिमालय और उस तराई से अलहदा मेरा कोई वजूद है ही नहीं तो मैं क्या करूं।


बंगाली शरणार्थी परिवार से होने से क्या,उत्तराखंडी के अलावा मेरी कोई पहचान दरअसल है ही नहीं।पत्रकारिता की पहचान तो दो साल में हमेशा के लिए खत्म हो जाने वाली है।


मित्रों,यह विषयांतर नहीं बल्कि विषय प्रस्तावना है। थोड़ा लंबा जरुर है। लेकिन संवाद तो हमने नैनीताल में ही इन्हीं लोगों के सान्निध्य में सीखा है और उसके तमाम तौर तरीके भी वहीं सीखें।


निरंतर प्रयोग करते रहने की आदत तो उस ससुरे गिरदा ने डाली जिसे हर वक्त मुद्दों को सीधे तौर पर बिना किसी झोल,तत्काल उठाने की भयंकर बेचैनी हुआ करती थी।


हम अगर कहें कि तमाम धुरंधरों,सूचना महाविस्फोट के तमाम ईश्वरों और अवतारों से सामना होने के बावजूद आज भी हमारी नजर में सबसे बड़ा पत्रकार वह हुड़कावीर सुराखोर दढियल महीनों न नहानेवाला,उबले अंडे और बंद मक्खन के साथ सहारे हफ्तों बिताने वाला ठेठ कुमांयूनी था,तो लोगों को भारी ऐतराज हो सकता है।


लेकिन गिरदा हमारे लिए पत्रकारिता के किसी विश्वविद्यालय से कम न थे। हमारा  प्रिय गिराबल्लभ जितना खूबी से लोक को स्वर दे सकता था,जितना उस्तादी नुक्कड़ और मंच प्रस्तुतियों में दिखा सकता था,उससे कहीं ज्यादा शातिर वह सूचनाओं के सारे बंद दरवाजों और खिड़कियों को खोलने के मामले में था।


फालोअप के लिए उसने हम सबको कहां कहां नहीं दौड़ाया।


बाढ़,भूकंप,मूसलाधार,हिमपात,भूस्खलन के मध्य खुद दौड़ता रहा और सबको दौड़ाता रहा।


बनारस में वसीयत की शूटिंग के दौरान हमारे नैनीताली निर्देशक राजीव कुमार ने पूरे नैलीताल को देश भर से बटोरकर बनारस  में एकत्रित कर दिया था और करीब महीने भर सन् 2002 में हम बनारस में नैनीताल को जीते रहे। गिरदा को घेरे हमने खूब हुड़दंग मचाया। उनकी टांग भी खींची खूब।चर्चाएं भी हुई जमकर।गिरदा से वही आखिरी मुलाकात थी और वह हमें फिर नहीं मिला।


अस्वस्थता की खबरें मिलती रही थीं और हम जा नहीं पाये जैसे हम अपने वीरेनदा या फुटेला के पास भी भटक नहीं सके।अकस्मात गिरदा के अवसान  की खबर आयी।


अब वह बहाना भी नहीं रहा कि नैनीताल गिरदा से मिलने जाना है। राजीवदाज्यू और शेखर को दौड़ के मध्य छूना भी हमारे लिए असंभव हो गया है।


अगर सही मायने में पुनर्जन्म कोई होता तो मैं फिर यही फटीचर कूकूर जिंदगी जीने को तैयार हूं अगरे मुझे पहाड़ और तराई के वहीं पुराने दिन हूबहू मिल जाये।


नैनीताल समाचार,झीलकिनारे और मालरोड पर ब्रज मोहन साह,बाबा कारंथ से लेकर हिमांशु जोशी, रमेशचंद्र शाह,पुष्पेश पंत, पंकज बिष्ट,आनंद स्वरुप वर्मा ,वीरेन डंगवाल, नबुआ,गोविंद पंत राजू,शमशेर जैसे अक्सर धमकने वालों के साथ,जिनमें आदरणीय सुंदरलाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट,कुंवर प्रसून जैसे लोग भी शामिल रहे हैं,अविराम देश दुनिया के मसलों पर बाते होती रही हैं।


चंद्रेश शास्त्री जैसे अर्थशास्त्री और अजय रावत जैसे इतिहासकार भी इन बहसों में शामिल थे।


गिरदा,मोहन यानी कपिलेश के साथ हम बरसात में,हिमपात में सारी सारी रात मालरोड पर तल्ली मल्ली लौटफिरकर आते जाते देश दुनिया के कितने मसलों को निपटाया।


डीएसबी पुस्तकालय और झीलमध्ये नगरपावलिका पुस्तकालय हमारे लिए कूबेर के खजाने से कम न था।फिर आदरणीय ताराचंद्र त्रिपाठी जी का निजी संग्रह पूरा का पूरा हमारा था।


हम लोग एक ही दिन पांच छह फिल्में देखते थे।ऐसा समय था वह।


गिरदा ने हमें सिखाया कि ट्रेडिल मशीन पर रंगीन अखबार कैसे निकाला जा सकता है आफसेट की तरह।सिखाया कि मशीन परकाम करने वाला भी दरअसलसंपादक ही होता है और उससे कम नहीं होता।मास्साब के बिना हमारा कोई प्रयोग सिरे असंभव हुआ करता था।


गिरदा ने हमें सिखाया कि मास्टहेड कहीं भी लगाया जा सकता है आगे पीछे, ऊपर नीचे। एक एक शब्द के इस्तेमाल पर सिलसिलेवार विमर्श की आदत उन्होंने हम सबको डाली। तुरंत बुलेटिन और पर्चा निकालकर मौके पर पहुंचकर पीड़ितों के हाथों पहुंचाकर उनको आंदोलित करने के तौर तरीके भी हमने गिरदा से ही सीखा।


तब हम लोग नैनीताल समाचार का गट्ठर ढोते हुए पहाड़ का कोना कोना भटकते हुए पत्रकारिता का ककहरा सीख रहे थे।तो शेखर ने पेशेवर पत्रकारिता के गुर बताये।बिना पत्रकार हुए तबभी हम छात्र जीवन में सर्वत्र छप रहे थे।फिर पेशेवर पत्रकारिता में आने की जो नौबत मिली तो हमने वे सारे नूस्खे आवाज, जागरण और अमर उजाला में आजमाये। बरेली अमरउजाला में तो वीरेनदा भी साथ थे।


लेकिन कारपोरेट प्रबंधन के मातहत प्रयोग तो दूर हमें लिखने तक का कोई मौका ही नहीं मिला।


हम लिख भी नहीं सकते कारपोरेट प्रबंधन के मातहत कारपोरेट हितों के मुताबिक और पत्रकारिता की सीढ़ियां न चढ़ पाने का अफसोस भी मुझे नहीं है।


बल्कि अपने दिलोदिमाग में नैनीतास समाचार का जुनून अब तक हम बहाल रख सकें और नौकरी भी फिलहाल सही सलामत है,यह शायद मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि है।


गिरदा ने ही हम सबको वह दृष्टि दी कि हम आज भी वह देख लेते हैं, जो बाकी लोग देखना ही नहीं चाहते। देखना पड़ें तो तमाम इंद्रियों के दरवाजे बंद कर लें।


अब हम उसी तहखाने में कैद हैं,जहां न कोई दरवाजा होता है और न कोई खिड़की होती है। लेकिन गनीमत है कि इस गैस चैंबर में भी गिरदा को,नैनीताल समाचाकर को हमने अपने से  अलग होने की इजाजत सपने में भी नहीं दी।


इसका मुझे जो खामियाजा भुगतना पड़ा,मैं उसीके काबिल हूं।


तब आज की तरह पहाड़ के चप्पे चप्पे में मीडिया की घुसपैठ नहीं थी और हमने अपने सीमित संसाधनों से पहाड़ और तराई को सूचनाओं सो लैस करने का हर संभव प्रयत्न किया।


तब हमारे पास तकनीक नहीं थी। मोबाइल क्या, फोन नहीं था।


हालत यह है कि दैनिक आवाज में जब पहलीबार हमने फोन डायल करना सीखा,तब बंकिम बाबू बोले कि चलो,तुम्हारा गधा जन्म तो छूटा।


उस गधा जनम में भी हम पहाड़ और तराई के गांव गांव से जुड़े थे और कोई संवाद,कोई विमर्श आज की तरह एकतरफा न था।


शब्द का प्रयोग हो या शीर्षक.या लेआउट,हर मुद्दे पर धुआंधार बहस के बाद कोई फैसला होता था।


रंगकर्म में भी और आंदोलन में भी जनभागेदारी,मंच को तोड़ने की अराजकता और जनसुनवाई का स्पेस तैयार करने के तमाम प्रयोग हम लोगों ने तब उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी,युगमंच,नैनीताल समाचार और पहाड़ में कर डालें।


अपने पुरातन मित्र कमल जोशी तब डीएसबी में रसायन शास्त्र के शोधार्थी थे और उनके  सौजन्य से डीएसबी कीकैमिस्ट्री प्रयोगशाला में हम मीडिया और जनांदोलन का विमर्श चला रहे थे।पवन राकेश की किराने की दुकान में गिरदा के सान्निध्य में जितनी बहसें हुईं वो शायद ही किसी राष्ट्रीय सेमीनार में होती होंयययययययययययययययययय।हमने इतिहास विभाग,गणित विभाग से लेकर वनस्पति विज्ञान के प्रयोगशाला तक को विमर्श केंद्र बनाया हुआ था।


आज हमारे पास तकनीक है और दक्षता भी। लेकिन संवाद और विमर्श सिरे से गायब हो गये।भाषा ,शब्द और माध्यम, विधाओं, सौंदर्यशास्त्र, विचारों,अवधारणाओं, व्याकरण की सीमाओं को तोड़ने कासाहस ही हममें नहीं है।


सिर्प जनभागेदारी और जनसुनवाई के तौर तरीके हम लोग भूल गये हैं या आजमाना ही नहीं चाहते।शायद यह हमारी निजी कामयाबी के रास्ते बाधक हो,इसीलिए।


कारपोरेट कायाकल्प में विमर्श और संवाद अब युद्धक बाजार प्रबंधन है। बिजनेस मैनेजमेंट के व्याकरण और नियमों के तहत राजनीति बदल रही है।


आप का प्रयोग हम देख ही रहे हैं। नरेंद्र मोदी की चायवाले की छवि और ओबीसी पहचान की मार्केटिंग भी हम देख रहे हैं।सत्ता में फिर वापसी के लिए काग्रेस की तकनीकी  कवायद भी हम देख रहे हैं।


लेकिन हमारे बीच कोई गिरदा जैसा सनकी है ही नहीं कि सारी लक्ष्मणरेखाओं को एक झटके के साथ तोड़कर जनता के बीच खड़ा होकर तुरंत सबसे जरुरी मुद्दों पर बिना किसी लाग लपेट बहस शुरु कर दें।


हम गिरदा की विरासत सहेजने में फेल हैं उसीतरह जैसे हम पुरखों के सारे बलिदानों को बेकार करते हुए देश बेचने के अभियान में ,जनसंहार अश्वमेध में जाने अनजाने शामिल हैं।




यक्षप्रश्न यह है कि हम आम जनता के मुद्दों पर बहस कैसे केंद्रित करें।


यक्षप्रश्न यह है कि मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तहत जो एकाधिकारवादी कारपोरेट प्रबंधन के शिकंजे हैं सारे जनांदोलन,उन बेदखल जनांदोलनों को मुक्तिकामी जनता के संघर्ष में कैसे तब्दील करें हम।


यक्षप्रश्न यह है कि कारपोरेट प्रायोजित जो फर्जी मुद्दे,फर्जी बहस है,जो फर्जी संवाद और जनसुनवाई की तकनीकी चकाचौंध हैं,उस तिलिस्म को तोड़कर हम अपने मुद्दों पर कैसे लौटें।


यक्षप्रश्न यह है कि जब हजारों चैनल हमारे नहीं हैं,लाखों अखबार हमारे नहीं है,कोई माध्यम हमारा नहीं है,विधायें बेदखल है और मातृभाषाओं से लोक तक बाजार के व्याकरण के मुताबिक हैं,तब हम क्या कुछ भी नहीं कर सकते।


यक्षप्रश्न यह है कि जब कहीं कोई मीडिया नहीं था तब हमारे पुरखों का आंदोलन कैसे चलता रहा है।


यक्षप्रश्न यह है कि इस युद्धक मार्केटिंग के दुस्समय में जनपक्षधरता के मोर्चे की ओर से कोई अपनी रण नीति है या नहीं।


यक्षप्रश्न यह है कि हम अपने पुरातन विचारों और तौर तरीकों को अद्यतन चुनौतियों के मुकाबले युद्धस्तर पर युद्धतंत्र के मुकाबले के लिए कितना प्रासंगिक बनाने की तैयारी कर पा रहे हैं।


यक्षप्रश्न यह है कि क्या हमने रूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया है या नहीं और हममें गिरते पड़ते उठ खड़ा होने का माद्दा है या नहीं।


यक्षप्रश्न यह है कि गिरदा की तर्ज पर मुद्दों को लटकाये बिना उसे तुरंत संबोधित करने का कोई ईमानदार प्रयास हम करना चाहते हैं या नहीं।


यक्षप्रश्न यह है कि बेदखल माध्यम,बेदखल भाषा, बेदखल विधा और बेदखल जनांदोलन के इस आलम में भी हम सामाजिक शक्तियों की गोलबंदी के लिए कोई पहल कर पाते हैं या नहीं।


यक्षप्रश्न यह है कि हम और आप किसी ईमानदार संवाद के लिए तैयार हैं या नहीं।


मैं देश भर के मित्रों से यही प्रश्न विस्तार से सिलसिलेवार दोहरा रहा हूं।देश के कोने कोने से बात हो रही है।हम कितना बोले, हम कितना लिख चुके हैं,हम कितने स्थापित हैं,इसपर जनता का जीवन मरण या देश का भविष्य कतई निर्भर नहीं है।


आज सुबह भी दुसाध जी से लंबी बातचीत हुई। उनका लिखा भी इसी संवाद में शामिल कर रहा हूं।


गौर करें कि दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस की कड़ी सुरक्षा लेने से इनकार करते हुए कहा कि ईश्वर सबसे बड़ी सुरक्षा प्रदान करने वाला है। दिल्ली के अतिरिक्त आयुक्त (सुरक्षा) वी रंगनाथन ने केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली पुलिस दिल्ली के मुख्यमंत्री को सुरक्षा प्रदान करती है जो 'जेड श्रेणी' के स्तर की होती है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को जरिये भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा, 'चूंकि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, दिल्ली पुलिस को नियमों के तहत उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है।'आप का परिवर्तन चमत्कार यही है।


गौर करें कि


Exclusive: सितारों की मदद से देश की राजनीति के हीरो बने केजरीवाल


बैंगलोर। आज दिल्ली के राजा का नाम फाइनल हो गया है, अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के हिसाब से हुआ तो 26 दिसंबर को दिल्ली के राजा की ताजपोशी हो जायेगी। जी हां हम बात कर रहे हैं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की, जो कि दिल्ली के नये सीएम होंगे। आज आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनायेगी। आजादी के इतने सालों बाद देश की राजनीति ने ऐसी अंगड़ाई ली है जिससे केवल पूरी दिल्ली ही नहीं पूरे देश के राजनीतिक गलियारें हिल गये हैं। आज देश के दिल पर वो व्यक्ति राज करने जा रहा है जो ना तो किसी राजनीति घराने की पैदाईश है और ना ही किसी पार्टी की देन। अरविंद केजरीवाल वो चेहरा है जिसने देश के भ्रष्ट सिस्टम को बदलने के लिए जन्म लिया है। किसी हिंदी फिल्म के हीरो की तरह अऱविंद केजरीवाल लोगों के सामने आये और धीरे-धीरे जीरो से हीरो बन गये। उनकी सच्चाई, ईमानदारी, सीधापन, स्पष्टवादिता और तीक्ष्ण बुद्धि से लोग प्रभावित हुए, लोगों को लगा कि कोई है जो उनकी सुनेगा, आम गरीब आदमी भी केजरीवाल की बातों पर भरोसा करने लगा औऱ जिसका नतीजा आपके सामने हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि एक साधारण व्यक्तित्व वाले अरविंद केजरीवाल के कर्मों ने तो उन्हें हीरो बनाया ही है लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें जीरो से हीरो बनाने वाले उनके सितारे भी है। अंकज्योतिष के हिसाब से अरविंद केजरीवाल के सितारे कहते हैं कि आने वाले साल 2014 में वह परिवर्तन की एक नई कहानी लिखेंगे जिसकी शुरूआत हो चुकी है। देश की भ्रष्ट हो गयी व्यवस्था को बदलने की क्षमता रखने वाले अरविंद केजरीवाल के लिए आने वाला साल काफी भाग्यशाली है। इस साल उनके पीछे की मेहनत को एक नया आयाम मिलेगा। अंकज्योतिषियों की मानें तो अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हुआ है। 16 यानी कि 1+6=7 यानी की मूलांक 7 और साल 2014 मूलांक 7 वालों के लिए स्वर्णिम युग लेकर आ रहा है। क्योंकि यह संयोग ही है कि 2014 यानी कि 2+0+1+4=7 यानी कि मूलांक 7। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि जन्मतिथि और साल का योग एक ही हो। और जिनका योग एक होता है वह विरले ही होते हैं जिन्हें कुदरत और सितारों की ओर से अभूतपूर्व व्यक्तित्व औऱ मकाम हासिल होता है। जिसकी वजह से ही अरविंद केजरीवाल आज देश के आम आदमी से खास आदमी बन चुके हैं। खैर ज्योतिषियों की भविष्यवाणियां और दावे कितने सच साबित होते हैं, यह तो आने वाले कुछ महीनों में ही पता चल जायेगा लेकिन इसमें कोई सच नहीं कि आज देश की राजनीति के नायक देश का आम आदमी यानी कि अरविंद केजरीवाल है। जिनसे दिल्ली ही नहीं देश की जनता को भी काफी उम्मीदें हैं।


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गौर करें कि

केजरीवाल और...असंभव को आजमाने की जिद!

आईबीएन-7 | Dec 23, 2013 at 06:27pm | Updated Dec 23, 2013 at 10:24pm

नई दिल्ली।

मैं अभी उपराज्यपाल से मिला। उन्हें चिट्ठी दी गई है कि आम आदमी पार्टी सरकार बनाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा है कि वो ये प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजेंगे। शपथ ग्रहण समारोह रामलीला मैदान में होगा: अरविंद केजरीवाल

23 दिसंबर की तारीख ये खबर लेकर आई कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। इसे वो अपनी नहीं आम आदमी की सफलता बताते हैं। उसकी आकांक्षाओं का साकार होना बताते हैं। चुनाव में बहुमत न पाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाने का फैसला एक जनमत सर्वेक्षण के बाद किया, जब कांग्रेस ने उन्हें बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया।

अरविंद सियासत का नया व्याकरण रच रहे हैं जो पुराने सियासतदानों को भी समझ नहीं आ रहा। वो अरविंद केजरीवाल के तौर-तरीकों को अभी भी शक की निगाह से देख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कहती हैं कि ये ट्रेंड(एसएमएस से राय मांगने का) मेरी समझ में नई आता। मुझे नहीं पता कि ये लोकतंत्र के लिए कितना सही है। वहीं बीजेपी विधायक दल के नेता हर्षवर्धन ने कहा कि आप ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए बड़ी-बड़ी बात की हैं, लेकिन सत्ता के लिए उसने सिद्धांतों से समझौता कर लिया।

राजनेताओं के उलट आम आदमी केजरीवाल की कामयाबी में अपनी कामयाबी देख रहा है। बेशक, अरविंद केजरीवाल की सफलता उस सोच की सफलता है, जो हर कदम पर देश को चौंकाती आई है। रटी-रटाई लीक को तोड़ती आई है। वो उस निराशावादी सोच को चुनौती देते से लगते हैं, कल तक जिसका मानना था कि देश में कुछ नहीं बदलने वाला। अरविंद ने ये सिलसिला एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया, जब उन्होंने जनलोकपाल आंदोलन को बिना किसी मुकाम पर पहुंचाए सियासी पार्टी बनाने का फैसला किया।

आम आदमी पार्टी के गठन ने विरोधियों को मखौल उड़ाने का भी मौका दिया। कहा गया कि जनलोकपाल आंदोलन के वक्त जो लोग लोकतंत्र और जनता के स्वघोषित नुमाइंदे बन बैठे थे, अब उन्हें पता चलेगा कि जनता का भरोसा जीतना आसान नहीं है। विरोधी इंतजार कर रहे थे कि केजरीवाल क्या कर पाएंगे। लेकिन उन्होंने ये ऐलान करके सबको चौंका दिया कि आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। खुद केजरीवाल 15 साल से मुख्यमंत्री की गद्दी पर काबिज शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

इस बार विरोधी ही नहीं तमाम सियासी पंडित चौंक पड़े। माना जाने लगा कि सियासत में शुरुआत के साथ ही शीला जैसी हैवीवेट के खिलाफ चुनाव लड़ना आत्मघाती है। दोनों में कोई मुकाबला नहीं था। शीला दीक्षित का कुल सियासी तजुर्बा ही अरविंद केजरीवाल की कुल उम्र के लगभग पड़ता था। लेकिन केजरीवाल ने साफ कर दिया कि वो जीतने-हारने या करियर बनाने नहीं आए हैं। आम आदमी की लड़ाई लड़ने आए हैं।

अरविंद केजरीवाल ने सियासत की रटी-रटाई लीक को तोड़ते हुए, ईमानदार और जनता के प्रति जवाबदेह सियासी नेतृत्व देने के वादे पर चुनाव लड़ा। दिल्ली चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि जनता ने उनके वादे और उन पर जबर्दस्त भरोसा जताया। तिकड़मबाजी, फिरकापरस्ती, जातीय-धार्मिक आधार पर बांटो और राज करो के फलसफे पर चलने वाली भारतीय सियासत को दिल्ली विधानसभा चुनाव से अरविंद केजरीवाल एक नया फलसफा देने में कामयाब हो गए। ये फलसफा है, विकल्प का... नई उम्मीद का।

बहुत से लोग इस कामयाबी को एक आदमी की मेहनत, दूरंदेशी और एक मकसद पकड़ कर नाक की सीध में चलते चले जाने की जिद का कमाल मान रहे हैं। हालांकि अरविंद केजरीवाल कामयाबी को पार्टी के वालंटियर और नेताओं का कमाल बता रहे हैं, लेकिन इसमें शक नहीं है कि इस कामयाबी की नींव तब पड़ी थी जब 2006 में अरविंद केजरीवाल ने आईआरएस की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर पूरी तरह से सामाजिक कार्यों में आने का फैसला किया था।

परिवार ने कहा कि जॉब नहीं छोड़नी चाहिए तो जवाब मिला कि आगे की क्यों सोचते हो। कल एक्सीडेंट हो जाए तो फिर। इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। अरविंद केजरीवाल ने जब आईआरएस की नौकरी छोड़ने का फैसला किया था तब भी वो सामाजिक कार्यों में अपनी जगह बना चुके थे। दरअसल, विधानसभा चुनाव में केजरीवाल को जो सफलता मिली है, उसकी जमीन पिछले 15 साल से तैयार हो रही थी। आम लोगों का समर्थन उन्हें सिर्फ जनलोकपाल आंदोलन से पैदा हुई लहर से ही नहीं मिला है। इस आंदोलन ने मिडिल क्लास को उनके करीब लाने में मदद की। वहीं झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब तबके से अरविंद का नाता तब ही जुड़ गया था जब एनजीओ बनाकर वो उनके बीच काम करने लगे थे। शुरुआत 1999 में शुरू हुए परिवर्तन मूवमेंट के साथ हुई थी।

सूचना के अधिकार आंदोलन के दौरान ही अरविंद की अन्ना हजारे से मुलाकात हुई थी, जिनके साथ मिलकर उन्होंने 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन मूवमेंट के तहत जनलोकपाल बिल के लिए बड़ा आंदोलन खड़ा किया। मकसद, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त कानून लागू करवाने का था। जल्द ही जनलोकपाल आंदोलन जनांदोलन में बदल गया। लेकिन आंदोलन खत्म होने के बाद उस टीम अन्ना का बिखराव भी शुरू हो गया जिसने जनलोकपाल आंदोलन को खड़ा किया था। 3 अगस्त 2012 को अरविंद केजरीवाल ने पहली बार सियासी दल बनाने का इरादा जाहिर किया। इसके बाद अरविंद और उनके करीबी लोगों ने सियासत में संभावना टटोलनी शुरू कर दी, लेकिन ये बात अन्ना को रास नहीं आई।

वरिष्ठ पत्रकार और नई टीम अन्ना के सदस्य संतोष भारतीय ने बताया कि अरविंद ने हिमाचल प्रदेश में एक सर्वे कराया कि अगर वहां चुनाव होंगे तो उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी। अन्ना ने पूछा कि यह सर्वे किसने करवाया। तब सभी को पता चल गया कि अन्ना चुनाव नहीं लड़ना चाहते।

अरविंद केजरीवाल ने अन्ना को भी सियासत में आने के लिए मनाना चाहा लेकिन अन्ना नहीं माने। आखिरकार 19 सितंबर 2012 को अन्ना और अरविंद ने कहा कि समान लक्ष्यों के बावजूद दोनों अलग रास्ते पर चलेंगे। इसके बाद 26 नवंबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के गठन का ऐलान किया। अन्ना और केजरीवाल दोनों अलग राह पर चल पड़े।

आम आदमी पार्टी ने भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ जनता के गुस्से को हवा दी। बाद में बिजली के महंगे बिल के पीछे भ्रष्टाचार को वजह बताकर नया आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की। 23 मार्च 2013 को महंगे बिजली बिल के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने खुद 15 दिन तक अनशन किया। ये आसान नहीं था कि क्योंकि केजरीवाल खुद डायबिटीज के पेशेंट हैं। मगर अनशन के वक्त उनका मार्गदर्शन करने वाले योगाचार्य भी उनका दृढ़निश्चय देखकर दंग थे।

असंभव को आजमाने की अरविंद केजरीवाल की इसी जिद ने जनता में उनके प्रति विश्वास पैदा किया। विधानसभा चुनाव के नतीजे इसी विश्वास का प्रतीक हैं। हालांकि अब इस विश्वामस की सबसे कठिन परीक्षा शुरू होने वाली है, जब मुख्यमंत्री बनने के बाद केजरीवाल को भरोसे पर खरा उतरने की असंभव सी दिखने वाली चुनौती को संभव करना पड़ेगा। वैसे सच ये भी है कि अरविंद अब तब असंभव को ही संभव करते आए हैं।

अरविंद केजरीवाल दिल्ली से सटे गाजियाबाद के कौशांबी में रहते हैं। घर में मां-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं। घर की जिम्मेदारियों के बीच अरविंद सियासत का मोर्चा संभाल रहे हैं, लेकिन न उन्होंने और न ही उनके परिवार ने कभी ये सोचा था कि वो सियासत में आएंगे। अरविंद की मां बताती हैं कि बचपन से ही अरविंद का ध्यान खेल-कूद की बजाय पढ़ने में लगता था। मां गीता केजरीवाल कहती हैं कि गाजियाबाद में स्कूल में पढ़ता था। एक बार नंबर कम हो गए तो रोते हुए घर आया।

अरविंद के पिता इंजीनियर थे। लिहाजा, किसी भी आम मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे की तरह ही अरविंद का बचपन बीता। फिर उनकी जिंदगी को तब एक नई दिशा मिली जब उन्होंने आईआईटी में एडमिशन लिया। आईआईटी में एडमिशन लेने की कहानी भी दिलचस्प है।

आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने जमशेदपुर में टाटा स्टील में नौकरी शुरू की लेकिन अरविंद कुछ और ही तलाश रहे थे। नौकरी छोड़कर वो सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगे, लेकिन खुद की तलाश खत्म नहीं हुई। केजरीवाल ने कुछ वक्त राम कृष्ण मिशन और नेहरू युवा केंद्र में भी बिताया।

आज अरविंद का पूरा परिवार उनकी लड़ाई में उनके साथ है। पत्नी सुनीता आईआरएस अफसर हैं। दोनों की मुलाकात तब हुई जब सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफल होकर अरविंद भी आईआरएस के लिए ट्रेनिंग करने पहुंचे।

आज अरविंद और सुनीता का दो बच्चों का भरा-पूरा परिवार है। बेटी हर्षिता और बेटा पुलकित पढ़ रहे हैं। प्रचार और पार्टी के काम में मसरूफियत के चलते अरविंद बच्चों को बहुत कम वक्त दे पाते हैं, लेकिन समझदारी के मामले में बच्चे पिता से कम नहीं हैं। हर्षिता कहती हैं कि अच्छा लगता है कि पापा पूरे देश के लिए लड़ रहे हैं। वहीं पुलकित कहते हैं कि पापा फ्री होते हैं तो टाइम देते हैं। मूवी के लिए जाते हैं। आज, अरविंद का परिवार उनके लक्ष्य से तालमेल बैठा चुका है और अरविंद अपने समर्थकों की आकांक्षाओं और उम्मीदों से तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं।




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Palash Biswas

about an hour ago ·

  • अगर सही मायने में पुनर्जन्म कोई होता तो मैं फिर यही फटीचर कूकूर जिंदगी जीने को तैयार हूं अगरे मुझे पहाड़ और तराई के वहीं पुराने दिन हूबहू मिल जाये।
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    • Pramod Kaunswal likes this.

    • Pramod Kaunswal मेरे गांव का घर आपको सादर भेंट है। सब लोग नौटियाल नहीं कुछ कौन्सवाल भी होते हैं

    • 15 minutes ago via mobile · Like

Palash Biswas प्रिय,प्रमोद वह घर तो मेरा तभी स‌े है जबसे मैं वहां जा चुका हूं।क्या तुम मुझे इसी बहाने मेरे घर स‌े बेदखल करने के फिराक में तो नही हो।

Pushya Mitra

झरिया की आग से बन सकती है बिजली... और यह आइडिया किसी वैज्ञानिक का नहीं बल्कि रांची की नौंवी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ज्यामिति का है.


ज्यामिति बताती है : झरिया में जहां भूमिगत आग लगी है, वहां जियोलॉजिस्ट से सर्वे करा कर उसे चिह्न्ति किया जाये. चिह्न्ति स्थल पर लंबा होल बनाया जाये. उसमें ऐसी धातु की नली (पाइप) डाली जाये, जिसमें अधिकतम तापमान झेलने की क्षमता है. इसके बाद उस पाइप के जरिये किसी नदी से पानी को अंदर डाला जाये. पानी डालते ही वाष्प बन कर ऊपर की ओर आयेगा. इस वाष्प को पाइप के जरिये टरबाइन तक ले जाया जाये. टरबाइन पर भाप गिरते ही डायनेमो चार्ज हो जायेगा और बिजली बनने लगेगी. इतना ही नहीं, टरबाइन में जाने के बाद वाष्प फिर पानी में भी परिवर्तित होने लगेगा. इस तरह पानी भी बेकार नहीं जायेगा. इस पानी को संघनित कर पाइप के जरिये फिर अंदर डाला जा सकता है. यानी इसी पानी को रिसाइकिल कर बिजली बनती रहेगी.


http://prabhatkhabar.com/news/73911-Ranchi-IX-student-research-Jharia-fire-electricity-will-become.html

रांची : नौवीं की छात्रा का खोज, झरिया की आग से बन सकेगी बिजली | PrabhatKhabar.com : Hindi News...

prabhatkhabar.com

रांची में हुए इनोवेशन कंसल्टेशन के दौरान होटल बीएनआर में बड़े-बड़े अधिकारी और विशेषज्ञ पहुंचे थे. इन सबके बीच साधारण सी दिखनेवाली 14 वर्ष की छात्रा ज्यामिति कुमारी अपने एक छोटे से मॉडल के साथ पहुंची. ज्यामिति का यह मॉडल एक ऐसा इनोवेशन था, जिसे देख हर कोई हतप्रभ रह गया.

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Navbharat Times Online

दिल्ली की राजनीति में अच्छे-अच्छों को पस्त कर चुके भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चमनलाल 'टोपी' पहनाते हैं... आखिर कौन हैं चमनलाल, पढ़ें...http://nbt.in/6g-eQa

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Economic and Political Weekly

A study of the vote share of the Bharatiya Janata Party over the past four Lok Sabha elections indicates a sharp fall in support among its core constituency of the rich and middle-class voters. Recent indications of a surge in support for the BJP points to a return of these classes to it, while the Congress has seen a whittling away of support from all classes of voters. Will this be enough to ensure a victory for the BJP in the next general elections?

http://www.epw.in/perspectives-polls/can-bjp-revive-itself-2014.html

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Satya Narayan added a new photo.

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Avinash Das

अरविंद केजरीवाल [Arvind Kejriwal] आपको पसंद नहीं हैं, तो अब न सिर्फ उन्‍हें ताना मार सकते हैं, बल्कि गोली भी मार सकते हैं। गोली न हो, तो खंजर मार सकते हैं। सामने से दिल धड़के, तो पीठ पर वार कर सकते हैं। पहले मुख्‍य विपक्षी पार्टी के तौर पर उन्‍होंने सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया था, अब मुख्‍यमंत्री बन कर भी उन्‍होंने पुलिस सुरक्षा का आग्रह अस्‍वीकार कर दिया है। यह एलान मंच, माइक पर नहीं, बल्कि हस्‍ताक्षरित चिट्ठी-पत्री के जरिये हुआ। देखिए एसीपी का पत्र और फिर एसीपी को अरविंद केजरीवाल का जवाब। इतिहास में इससे पहले किसी मुख्‍यमंत्री ने सरकारी सुरक्षा लेने से मना किया हो, तो इसकी जानकारी भी साझा करें।

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Navbharat Times Online

ट्विटर पर छाई AAP की 'धोखेबाजी' ‪#‎AAP‬ ‪#‎KEJRIWAL‬


दरअसल'आप' को धोखेबाज बताने वाले किए जा रहे हैं ये ट्वीट...http://nbt.in/nDaFca

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Shalikram Maulikar shared Rashtrawadi Shiv Sena's photo.

हो सके तो इस तस्वीर को हर देश वासी तक पहुँचाने की कोशिश कीजियेगा....... ये तस्वीर "शहीद भगत सिंह , राजगुरु और सुखदेव जी" के अंतिम संस्कार की है.. " दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फत मेरी मिटटी से भी खुशबु - ऐ - वतन आएगी "

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India Today

Not sure how long AAP-led govt in Delhi will last, says Prashant Bhushanhttp://indiatoday.intoday.in/story/not-sure-how-long-aap-led-govt-in-delhi-will-last-bhushan/1/332565.html

Not sure how long AAP-led govt in Delhi will last, says Prashant Bhushan : Delhi, News - India Today

indiatoday.intoday.in

Aam Aadmi Party (AAP), which has decided to form the government in Delhi with outside support from Congress, is not sure about the longevity of the ministry as its leaders feel that going by the track record of the century-old party, it is to be seen how long it will last.

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Jana Natya Manch with Vijay Kalia and 3 others

1st Jan 1996, Jhandapur. Janam showed its play Andhera Aaftaab Mangega, which had been entirely evolved through improvisations guided by Sudhanva. Kajal Ghosh had set to music the songs written by Brijesh. The play was about the changing industrial scenario through a story of friends, lovers, family, exploitation and union work. That year Naya Theatre sang songs and did its satirical play, Sadak, on so-called development. The public meeting was addressed by CPI (M) leader Prakash Karat.

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Aaj Tak

दिल्‍ली में बनेगी 'आप'की सरकार... देखें लाइव...http://aajtak.intoday.in/story/aam-aadmi-party-to-form-government-in-delhi-1-750239.html

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Economic and Political Weekly

How should the Left respond to the enormous potential both for democratisation as well as for a right-ward shift in the Lokpal movement? From the Economic and Political Weekly archives:http://www.epw.in/archives.html

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Navbharat Times Online

जानिए, सोशल साइट्स पर क्या लिखें, क्या न लिखें


http://nbt.in/GaprAa

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Sudhir Suman added 21 new photos to the album कथा मंच.

जसम के कथा मंच का पहला आयोजन 21-22 दिसंबर को इलाहाबाद में हुआ. पहले और दूसरे दिन के दूसरे सत्र की कुछ तस्वीरें

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India Today

Controlling inflation remains RBI priority, says Raghuram Rajanhttp://indiatoday.intoday.in/story/controlling-inflation-remains-rbi-priority-says-raghuram-rajan/1/332551.html

Controlling inflation remains RBI priority, says Raghuram Rajan : India, News - India Today

indiatoday.intoday.in

Brushing aside suggestions that the Reserve Bank of India, country's central banker, has shifted focus from inflation management to growth, the central bank on Monday said fighting rising prices will continue to be its priority and a call on raising interest rates will be taken after factoring in mo...

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Anita Bharti

अंधेरे में...( अपने आप को उजाले का प्रहरी समझने वाले लोगों के लिए)


सब चुप, साहित्यिक चुप और कविजन निर्वाक्

चिन्तक, शिल्पकार, नर्तक चुप हैं

उनके ख़याल से यह सब गप है

मात्र किंवदन्ती।

रक्तपायी वर्ग से नाभिनाल-बद्ध ये सब लोग

नपुंसक भोग-शिरा-जालों में उलझे।

प्रश्न की उथली-सी पहचान

राह से अनजान

वाक् रुदन्ती।

चढ़ गया उर पर कहीं कोई निर्दयी,...

भव्याकार भवनों के विवरों में छिप गये

समाचारपत्रों के पतियों के मुख स्थल।

गढ़े जाते संवाद,

गढ़ी जाती समीक्षा,

गढ़ी जाती टिप्पणी जन-मन-उर-शूर।

बौद्धिक वर्ग है क्रीतदास,

किराये के विचारों का उद्भास।

बड़े-बड़े चेहरों पर स्याहियाँ पुत गयीं।

नपुंसक श्रद्धा

सड़क के नीचे की गटर में छिप गयी...

धुएँ के ज़हरीले मेघों के नीचे ही हर बार

द्रुत निज-विश्लेष-गतियाँ,

एक स्पिलट सेकेण्ड में शत साक्षात्कार।

टूटते हैं धोखों से भरे हुए सपने।

रक्त में बहती हैं शान की किरनें

विश्व की मूर्ति में आत्मा ही ढल गयी...


... मुक्तिबोध…

BBC Hindi

दुनिया के कई हिस्सों में क्रिसमस के मौसम के साथ ही बर्फबारी होने लगी है. भारत में मौसम की पहली बर्फ गिरी है. क्या आप भी थे बर्फ का आनंद लेने वालों में. देखिए तस्वीरों में और अगर आपके पास अपनी तस्वीरें हैं तो शेयर कीजिए हमारे साथ.

http://bbc.in/1cMAQrO

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India Today

AK-46: CV of Delhi's next CM Arvind Kejriwal

AK-46: CV of Delhi's next CM Arvind Kejriwal

indiatoday.intoday.in

Kejriwal wants to clean up Indian politics and make AAP India most transparent political party.

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Reuters India

Sensex edges up on foreign buying; Infosys falls


The BSE Sensex edged higher on Monday, as blue chips gained on continued foreign inflows despite last week's decision by the U.S. Federal Reserve to start reducing its bond purchases, although a fall in Infosys Ltd (INFY.NS) capped broader gains. Full article herehttp://reut.rs/19luaFS

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দিল্লির মসনদে 'আম আদমি' কেজরিওয়াল

23 Dec 2013, 13:34দিল্লিতে সরকার গঠনের সিদ্ধান্ত স্পষ্ট ভাবে জানিয়ে দিল অরবিন্দ কেজরিওয়াল নেতৃত্বাধীন আম আদমী পার্টি। এর জন্য কংগ্রেসের থেকে বাইরে থেকে সমর্থন নেবে আপ। অরবিন্দ কেজরিওয়াল মুখ্যমন্ত্রী হবেন বলে সাংবাদিক বৈঠকে জানিয়েছেন আপ নেতা মণীশ সিসোদিয়া।

গোপন জবানবন্দিতে না, আদালতে আর্জি কুণালের

23 Dec 2013, 16:53

এবার গোপন জবানবন্দি না-দেওয়ার আবেদন জানিয়ে সোমবার আদালতে আর্জি পেশ করলেন কুণাল ঘোষ। আগামী ২৭ তারিখ মামলার শুনানি।

রাজ্য এ বার জনতার আদালতে

23 Dec 2013, 08:45

সরকারি কাজের বিচার হবে জন-দরবারে, একেবারে সরাসরি৷কী করে?মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বিচারে সফল মন্ত্রীর শিরোপা পেয়েছেন সুব্রত মুখোপাধ্যায়, ফিরহাদ হাকিম-সহ ছয় মন্ত্রী৷

http://eisamay.indiatimes.com/

Sudha Raje
Sudha Raje
जब बस्ती के छोर पे कोई घर
वीरान सिसकता था ।
तब बच्चों की मौत पे डायन सबसे
ज्यादा रोती थी।
वो जिसने टोना मारा था मंतर काले
जादू का ।
वही टोनहिन दिखा सभी को ।
काले नयन
भिगोती थी।
बच्चों की कब्रों का सौदा पहले तय कर
आयी थी।
बिलख बिलख कर पीट के
छाती अरथी को सँग ढोती थी।
तङप देख कर सभी द्रवित थे उसकी ।
लोट
पोट थी यूँ
माँस और हड्डी से जिसकी रोज
"बियारी"(dinner)होती थी।
शव के साथ सती होने का स्वाँग सजाये
चीखी वो ।
जो रातों के पहलू में नित उगता सूर्य
डुबोती थी।


Sudha Raje
जब बस्ती के छोर पे कोई घर
वीरान सिसकता था ।
तब बच्चों की मौत पे डायन सबसे
ज्यादा रोती थी।
रोक लिया सबने करुणा से जिसे
वही थी हत्यारन ।
सुधा वहाँ पर कोई न समझा विष की बूँदें
मोती थी।
©®SudhaRaje
सुधा राजे
Dta-Bjnr



H L Dusadh Dusadh

6 hours ago ·

  • भारत में भ्रष्टाचार और जाति –प्रथा
  • एच एल दुसाध
  • भ्रष्टाचार को भावनात्मक मुद्दा बनाकर कर जिस तरह अरविन्द केजरीवाल ने भारतीय राजनीति में चांचल्य सृष्टि किया है ,उससे आज भारत ही नहीं ,सारी दुनिया में ही उनका जादू लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है.उनके कृतित्व से विस्मित एक विदेशी पत्रिका ने तो उन्हें दुनिया के सौ विशिष्ट लोगों में शुमार कर लिया है.सचमुच उन्होंने लोगों पर जादू कर दिया तभी तो उन्हें दिल्ली में विधानसभा चुनाव में इतनी सीटें मिल गईं जिसकी कल्पना न तो खुद केजरीवाल और न ही उनके बड़े से बड़े गुनानुरागी ने किया था.किन्तु उनका जादू आम आदमी ही नहीं वाम और दक्षिणपंथी सभी विचारधारा के बुद्धिजीवियों पर भी समान रूप से चला.बल्कि बुद्धिजीवियों पर तो उनका इतना असर पड़ा कि वे मनुष्य रूपी भेड़ में तब्दील हो गए .इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि उन्होंने अपना विवेक खो कर भ्रष्टाचार के खात्मे पर केजरीवाल ने जो पाठ पढाया,उसी भाषा में वे जन लोकपाल-2 का रट्टा लगाते रहे.जन लोकपाल के भेड़चाल में भ्रष्टाचार से जुड़े सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों,विशेषकर भ्रष्टाचार के जाति-शास्त्र की वे पूरी तरह अनदेखी ही कर गए.इससे भ्रष्टाचार निर्मूलन का सही सूत्र आते-आते रह गया.
  • बहरहाल भ्रष्टाचार अगर एक सामाजिक बुराई है तो इसके तार जाति-प्रथा से उसी तरह जुड़े हुए हैं जैसे सती-विधवा-बालिका विवाह और अछूत-प्रथा इत्यादि के.इसे जानने के लिए वर्ण-व्यवस्था की उत्पत्ति,स्वरूप एवं इसमें जन्मे लोगों के सामाजिक व्यवहार को जान लेना होगा.विश्व के पहले साम्राज्यवादी आर्यों द्वारा प्रवर्तित वर्ण-व्यवस्था मुख्यतः शक्ति के स्रोतों (आर्थिक-राजनीतिक और धार्मिक) की वितरण व्यवस्था रही.इसमें आईपीसी (भारतीय दंड संहिता)लागू होने के पूर्व तक दलित-पिछड़े और महिलायें अध्ययन-अध्यापन,पौरोहित्य,राज्य संचालन,सैन्य वृत्ति,व्यवसाय-वाणिज्यादि अर्थात शक्ति के सभी स्रोतों से पूरी तरह बहिष्कृत रहे.दैविक सर्वस्वहारा बहुजनों की स्थिति प्रायः मनुष्येतर प्राणी जैसी रही.दूसरी तरफ ब्राह्मण-क्षत्रिय और वैश्य से युक्त सवर्ण आर्थिक-राजनीतिक और धार्मिक ,शक्ति के समस्त स्रोतों के एकाधिकारी ;बाबाजी,बाबू साहेब,सेठ जी की सामाजिक मर्यादा से समृद्ध रहे.कुल मिलाकर वर्ण-व्यवस्था ने 85 प्रतिशत आबादी को 'सर्वस्वहारा'और 15 प्रतिशत विदेशागत साम्राज्यवादियों को विशेषाधिकारयुक्त'सुविधासंपन्न'वर्ग के रूप में तब्दील कर दिया.चूंकि मानव जाति में व्याप्त काम,क्रोध,मद,मोह,करुणा,स्नेह इत्यादि की भांति लोभ (धन-तृष्णा),जोकि पूरी दुनिया में ही भ्रष्टाचार की जड़ है,की व्याप्ति भारत के 'सर्वस्वहारा' और 'सुविधासंपन्न'उभय वर्गों में ही रही अतः विदेशागत सवर्ण और मूलनिवासी बहुजन दोनों ही विश्व के अन्यान्य समाजों की भांति ही अतीत से लेकर वर्तमान तक भ्रष्टाचार में लिप्त रहे.फर्क रहा तो मात्रा का जिसके लिए जिम्मेवार है जाति समाज में जन्मी मानसिकता.बेहिसाब मात्रा में फैले भ्रष्टाचार के लिए जाति-प्रथा कैसे जिम्मेवार है,इसमें समाज विज्ञानियों की राय सहायक हो सकती है.
  • जो धन-तृष्णा भ्रष्टाचार की जड़ है उसका संपर्क आकांक्षा स्तर (level of aspiration)से है और आकांक्षा –स्तर का नाभि-नाल का सम्बन्ध सामाजिक विपन्नता (social disadvantages) से है.सामाजिक विपन्नता और आकांक्षा –स्तर के परस्पर संबंधों का अध्ययन करते हुए दुनिया के तमाम समाज मनोविज्ञानियों ने साबित कर दिया है कि विपन्न लोगों में आकांक्षा-स्तर निम्न हुआ करती है .वे थोड़े से में संतुष्ट हो जाते हैं.इनमें उपलब्धि –अभिप्रेरणा (achievement motivation)भी निम्न हुआ करती है.विपरीत स्थिति सामाजिक सम्पन्नता वाले समूह की रहती है.ऐसे समूहों में आकांक्षा–स्तर और उपलब्धि –अभिप्रेरणा उच्च हुआ करती है.इनमें उच्च वर्गीय की तुलना में मध्यम वर्गीय लोगों की उपलब्धि-अभिप्रेरणा उच्चतम रहती है.
  • उपरोक्त सामाजिक मनोविज्ञान के आईने में भारत के सामाजिक समूहों का अध्ययन करने पर पाते हैं कि वर्ण-व्यवस्था के वितरणवादी सिद्धांत के फलस्वरूप दलित-पिछड़े और उनसे धर्मान्तरित समुदाय सामाजिक रूप से विपन्न श्रेणी के दायरे में रहा है.इस कारण इसकी आकांक्षा-स्तर और उपलब्धि अभिप्रेरणा निम्न स्तर की रही है.यह थोड़े में संतुष्ट रहनेवाला समूह है.यही कारण है इसकी धन-तृष्णा कम है जिससे बड़े पैमाने के घोटालों में इसकी संलिप्तता अपवाद रूप से ही दिखती है.वर्ण-व्यवस्थागत कारणों से ही भारत के सवर्ण वर्ग की प्रस्थिति सामाजिक-संपन्न वर्ग के रूप में है.इसलिए इसमें आकांक्षा-स्तर और उपलब्धि –अभिप्रेरणा का स्तर उच्च है.आकांक्षा –स्तर और उपलब्धि-प्रेरणा की उच्चता के कारण ही बड़े-बड़े घोटालों में सामान्यता सवर्णों की संलिप्तता नज़र आती है.चूँकि सारी दुनिया में ही मध्यम वर्ग की उपलब्धि प्रेरणा उच्चतम हुआ करती है,इसलिए भारत के सवर्णों में भी उच्च नहीं,बहुधा मध्यम वर्ग के लोग बड़े –बड़े घोटालों में संलिप्त नज़र आते हैं.वर्ण-व्यस्था के कारण ही भ्रष्टाचार में संपन्न समूहों की संलिप्तता में कुछ और तत्व क्रियाशील रहते हैं.
  • वर्ण-व्यस्था में भारत का विदेशागत संपन्न समूह चिरकाल से ही अनुत्पादक वर्ग के रूप में तब्दील रहा है.किन्तु उत्पादन से पूरी तरह दूर रहकर भी यह उत्पादन के सम्पूर्ण सुफल का भोग करने का अभ्यस्त रहा है.इससे इसके रक्त में परजीवीपन का भाव क्रियाशील होता रहा है.चूँकि यह बिना उत्पादन किये उसका सुफल भोगने का अभ्यस्त रहा है इसलिए यह परजीवी वर्ग अधिकतम भौतिक सुख भोगने की लालसा में धनार्जन का शार्टकट रास्ता अख्तियार करने की जुगत भिड़ाते रहता है.इस समूह की अपार भौतिक आकांक्षा में एक और तत्व बड़ा रोल अदा करता है .वह है मानव सृष्टि में हिन्दू-धर्म का दैविक सिद्धांत(divine theory).चूंकि वर्ण-व्यवस्था ईश्वर सृष्ट रही और इसमें तमाम भौतिक भौतिक अधिकार ईश्वर उत्तमांग से जन्मे सवर्णों के लिए आरक्षित रहे इसलिए यह वर्ग तमाम संपदा-संसाधनों को अपने अधीन रखना अपना दैविक अधिकार (divine right)समझता है.यह दैविक अधिकार की भावना भी उसे बड़े-बड़े आर्थिक अपराध करने के लिए प्रेरित करती है.लेकिन अपराधी संपन्न हो या विपन्न समूह से,अपराध करने से पहले उसके अवचेतन में पकड़े जाने का भाव जरुर क्रियाशील रहता है.किन्तु भारत के संपन्न तबके के भ्रष्टाचारी कुछ हद तक भयमुक्त रहते हैं.वे कहीं न कहीं से इस बात के प्रति आश्वस्त रहते हैं कि पकड़े जाने पर न्यायपालिका,पुलिस –प्रशासन में छाये उनके सजाति उन्हें बचा लेंगे.उनका ऐसा सोचना गलत भी नहीं है.चूँकि जाति समाज में समाज में सामान्यतया व्यक्ति की सोच स्व-जाति/वर्ण के स्वार्थ की सरिता के मध्य घूर्णित होती रहती है इसलिए शासन-प्रशासन और न्यायपालिका में छाये सवर्ण अपने सजातिय अपराधियों के प्रति कुछ नरम रुख अख्तियार कर लेते हैं.इससे सवर्ण समाज के लोग बड़ा से बड़ा घोटाला करने की जोखिम ले लेते हैं.विपरीत इसके शासन-प्रशन में सवर्ण समुदाय की जबरदस्त उपस्थिति बहुजनों की शिराओं में भय का संचार करती रहती इसलिए संरक्षण के अभाव में वे भ्रष्टाचार में कूदने की जल्दी हिम्मत नहीं जुटा पाते.
  • बहरहाल भ्रष्टाचार से जुड़ा सामाजिक मनोविज्ञान आँख में अंगुली डालकर बताता है कि विविध कारणों से सवर्णों में क्रियाशील अपार धन –तृष्णा ही राष्ट्र को हिलाकर रख देने वाले भ्रष्टाचार/घोटालों का प्रधान कारण है.किन्तु उनकी धन-तृष्णा के शमन का कोई उपाय नहीं है.धर्म-शास्त्रों में परलौकिक सुख के जयगान में रंगे गए लाखों पन्ने इसमें पूरी तरह व्यर्थ हुए हैं.लोकपाल भी उनकी धन-तृष्णा पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो सकता.अतः ले देकर एक ही उपाय बांचता है,वह यह कि सवर्ण वर्ग को हर क्षेत्र में उनकी जन संख्यानुपात में सीमित रखने के लिए कानून बनाया जाय.इसके लिए एक ही कानून प्रभावी हो सकता और वह है शक्ति के प्रमुख स्रोतों-आर्थिक,राजनीतिक और धार्मिक-में सामाजिक (social)और लैंगिक(gender)विविधता (diversity)का प्रतिबिम्बन.शक्ति के स्रोतों में डाइवर्सिटी लागू करने का कानून बनने पर जो सवर्ण बड़े-बड़े घोटालों के लिए 80-90 प्रतिशत जिम्मेवार हैं,वे हर जगह 80-85 की जगह 7-9%पर सिमटने के लिए बाध्य होंगे.कारण हर जगह लैंगिक विविधता भी लागू होगी.इससे 15% की उनकी हिस्सेदारी में 50%अर्थात कुल 7'5% उनकी महिलाओं के हिस्से में चला जायेगा.हालांकि सवर्ण समुदाय में भी नीरा राडिया ,बरखा दत्त जैसी महिलाएं हैं,पर उन्हें अपवाद ही माना जाना चाहिए.सामाजिक यथार्थ तो यही है कि जाति-प्रथा के कारण उनकी भी धन-तृष्णा सीमित है.ऐसे में शक्ति के स्रोतों में सवर्ण महिलाओं की वाजिब उपस्थिति भ्रष्टाचार की मात्रा में गिरावट लाने में सहायक हो सकती है.डाइवर्सिटी लागू होने पर राष्ट्र भ्रष्टाचार से राहत पायेगा ही,आर्थिक और सामाजिक विषमता जनित आतंकवाद,विच्छिन्नतावाद,भूख कुपोषण,महिला –दलित-आदिवासी-पिछड़ा और अल्पसंख्यकों के अशक्तिकरण की समस्या से भी निजात पायेगा.अतः जिन्हें भारत नामक अभागे राष्ट्र से जरा भी प्रेम है उन्हें जन लोकपालवादियों से भी ज्यादा जोरदार तरीके से डाइवर्सिटी लागू करवाने के लिए आगे आना होगा.
  • दिनांक:22 दिसंबर,2013.

রাজ্য এ বার জনতার আদালতে

অমল সরকার

সরকারি কাজের বিচার হবে জন-দরবারে, একেবারে সরাসরি৷

কী করে?

মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের বিচারে সফল মন্ত্রীর শিরোপা পেয়েছেন সুব্রত মুখোপাধ্যায়, ফিরহাদ হাকিম-সহ ছয় মন্ত্রী৷ মুখ্যমন্ত্রীর মূল্যায়নের সঙ্গে আপনি কি সহমত?

সহমতই হোন বা ভিন্নমত, এ বার থেকে কিন্ত্ত আপনিও মন্ত্রী-সচিবদের কাজের মূল্যায়ন করতে পারবেন৷ সেই সুযোগ আসতে চলেছে প্রশাসনিক ক্যালেন্ডার প্রকাশের সিদ্ধান্তে৷ মুখ্যমন্ত্রী সব দন্তর এবং জেলা প্রশাসনকে ওই ক্যালেন্ডার তৈরির নির্দেশ দিয়েছেন, যা ২ জানুয়ারি আনুষ্ঠানিক ভাবে প্রকাশ করবেন রাজ্যপাল এমকে নারায়ণন৷ তার পরই প্রতিটি দন্তর এবং জেলা প্রশাসন তাদের ওয়েবসাইটে ওই ক্যালেন্ডার প্রকাশ করবে, যাতে উল্লেখ থাকবে প্রতিটি কাজের 'ডেডলাইন'৷ অর্থাত্, কোন কাজ তারা কবে শেষ করবে৷

রাজ্য প্রশাসনের শীর্ষ আধিকারিক থেকে অবসরপ্রান্ত মুখ্যসচিব, মায় জনপ্রশাসন (পাবলিক অ্যাডমিনিস্ট্রেশন) বিশেষজ্ঞরা বলছেন, তারিখ দিয়ে প্রকল্পের শিলান্যাস ও কাজ শেষ করার আগাম ঘোষণার নজির যেমন নেই, তেমনই নজিরবিহীন হল জনসমক্ষে তা প্রকাশ করে দেওয়া৷ বিদেশেও এর নজির খুব কমই৷ এই ব্যবস্থার মধ্য দিয়েই মন্ত্রী ও তাঁদের দন্তরের কাজকর্মের মূল্যায়ন করার সুযোগ পেতে চলেছেন রাজ্যবাসী৷ সরকারি ঘোষণার সঙ্গে বাস্তবের কতটা মিল-অমিল, তা সাধারণ মানুষ নিজেরাই যাচাই করে নিতে পারবেন৷ অনলাইনে এখনই দন্তরগুলিকে মতামত দেওয়ার সুযোগ আছে৷ নবান্ন সূত্রের খবর, আগামী দিনে এই সুযোগ আরও বাড়ানো হবে৷

শুধু আগাম ঘোষণাই নয়, কোন কাজের কতদূর অগ্রগতি হল, তিন মাস অন্তর তা প্রকাশ করবে দন্তর ও জেলা প্রশাসন৷ মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র বিভাগীয় সচিবদের বলে দিয়েছেন, সরকার লক্ষ্যমাত্রা চাপিয়ে দিচ্ছে না৷ বিভাগীয় সচিবরাই তা ঠিক করবেন, পূরণ করার দায়ও তাঁদেরই৷ পাশাপাশি, আগামী তিন বছরের জন্য দন্তর ও জেলাগুলিকে তাদের কাজের রুটিন তৈরি করার নির্দেশ দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ যার পোশাকি নাম 'ভিশন স্টেটমেন্ট'৷ ৩১ জানুয়ারির মধ্যে তা-ও প্রকাশ করবে রাজ্য৷

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের এই উদ্যোগে প্রশংসায় পঞ্চমুখ বাম জমানার দুই মুখ্যসচিব নারায়ণ কৃষ্ণমূর্তি এবং অমিতকিরণ দেব৷ অবসরপ্রান্ত এই দুই আইএএস রবিবার 'এই সময়'কে বলেন, বর্তমান মুখ্যমন্ত্রী প্রশাসনিক সংস্কারে প্রায় সাড়ে তিন দশক আগে আলোচিত একটি প্রস্তাবকে বাস্তবায়িত করতে চাইছেন, যা কার্যকর করার সাহস ইতিপূর্বে দেশের কোনও প্রশাসক দেখাননি৷ দু'জনেরই বক্তব্য, কাজের লক্ষ্যমাত্রা নির্ধারণের বিষয়টি এতকাল প্রশাসনের অন্দরে আলোচিত বিষয় ছিল৷ এই প্রথম জনসাধারণ বিচার করতে পারবেন কোন দন্তর কাজ করছে, আর কারা ব্যর্থ৷ মুখ্যমন্ত্রী এবং মুখ্যসচিবের মূল্যায়নই আর শেষ কথা থাকছে না৷

দু'জনেই বলছেন, বর্তমান অর্থমন্ত্রী পি চিদম্বরম কেন্দ্রের কর্মী বিষয়ক দন্তরের রাষ্ট্রমন্ত্রী থাকাকালীন এ ভাবেই দিনক্ষণ ধরে কাজ শেষ করার সময়সীমা বেঁধে দিয়ে প্রশাসনকে চাঙ্গা করার সূত্র বাতলেছিলেন৷ যাতে মন্ত্রীদের পাশাপাশি রাজকর্মচারীদেরও জনসাধারণের কাছে জবাবদিহির দায় বর্তায়৷ কিন্ত্ত, তা খাতায়-কলমেই থেকে গিয়েছিল৷ এ বার মমতা তা বাস্তবে প্রয়োগ করছেন৷

বুদ্ধদেব ভাচার্য ও মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় দু'জনের অধীনেই মুখ্যসচিব ছিলেন সমর ঘোষ৷ দুই মুখ্যমন্ত্রীর চোখেই দক্ষ প্রশাসকের শিরোপা পাওয়া সমরবাবুর কথায়, 'সময়ের কাজ সময়ে শেষ করার কথা বরাবরই বলা হয়েছে৷ এখন যদি তারিখ ধরে কাজ শেষ করার নির্দেশ জারি এবং ব্যর্থ হলে জবাবদিহি বাধ্যতামূলক হয়, তা হলে প্রশাসনে আরও গতি আসবে, সন্দেহ নেই৷' অমিতকিরণবাবু বলেন, 'বছরের গোড়ায় অফিসার পিছু কাজের লক্ষ্যমাত্রা স্থির করা এবং সেই মতো কাজ হল কি না, বছর শেষে তার হিসেব কষে এসিআর-এ উল্লেখ করারই কথা৷ কিন্ত্ত, বহু কাল আগেই সে সব বন্ধ হয়ে গিয়েছে৷'

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের এই পদক্ষেপের প্রশংসা করেছেন দিল্লির ইন্ডিয়ান ইনস্টিটিউট অফ পাবলিক অ্যাডমিনিস্ট্রেশনের অধ্যাপক রাধাকান্ত বারিক৷ তাঁর মতে, মুখ্যমন্ত্রী কাজে গতি আনতে যে সব পদক্ষেপ করছেন, সব রাজ্যেরই তা অনুসরণ করা উচিত৷ একেই বলে ম্যানেজমেন্ট অফ পাবলিক সার্ভিস, যেখানে সাফল্য এবং ব্যর্থতার দায় অফিসারদেরও নিতে হবে৷

কী বলছে মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের অফিসারকুল? সূত্রের খবর, অফিসারদের একাংশ চিন্তিত৷ তার ছাপ পড়েছে প্রশাসনিক ক্যালেন্ডারে৷ যেমন একটি দন্তর তাদের ক্যালেন্ডারে বলেছিল, জমি, অর্থ এবং মামলা-মোকদ্দমা এবং স্থানীয় বাধা না-থাকলে তারা কাজগুলি ঘোষিত সময়ের মধ্যে শেষ করতে পারবে৷ বিষয়টি মুখ্যসচিব মারফত মুখ্যমন্ত্রীর কানে পৌঁছয়৷ টাউন হলের বৈঠকে এক সচিব টাকার সমস্যার কথা তুললে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, 'অর্থ দন্তরের কাছ থেকে অর্থ আদায়ে আপনি কী কী করেছেন, সোমবারের মধ্যে আমাকে জানান৷' অর্থাত্, কাজের ব্যাপারে তিনি যে কোনও অজুহাত শুনবেন না, তা স্পষ্ট করে দিয়েছেন সে দিনই৷

রাজ্যের আইএএস অ্যাসোসিয়েশনের সভাপতি স্বাস্থ্যসচিব মলয় দে এ ব্যাপারে মুখ খুলতে চাননি৷ যদিও সূত্রের খবর, গত সন্তাহে টাউন হলের বৈঠকে মুখ্যমন্ত্রীর ঘোষণাই এখন আইএএস মহলের প্রধান আলোচ্য৷ নতুন বছরের গোড়ায় নানা সরকারি কর্মসূচিকে ঘিরে নবান্ন-সহ সরকারি অফিসগুলি থেকে বর্ষশেষের ছুটির মেজাজ আগেই উবে গিয়েছে৷ আবার এই কর্মব্যস্ততার মধ্যেই বিভাগীয় সচিব-সহ পদস্থ অফিসারদের কপালে চিন্তার ভাঁজ ফেলেছে মুখ্যমন্ত্রীর আর একটি ঘোষণা৷ মুখ্যসচিব সঞ্জয় মিত্র মারফত তিনি অফিসারদের জানিয়ে দিয়েছেন, প্রশাসনিক ক্যালেন্ডার এবং ভিশন স্টেটমেন্টে যে কাজের জন্য যে সময়সীমা নির্ধারণ করা হয়েছে, সেই সময়ের মধ্যে কাজ শেষ না-হলে বিভাগীয় সচিব-সহ পদস্থ অফিসারদের জবাবদিহি করতে হবে৷ জবাবে সরকার সন্ত্তষ্ট না-হলে কাজে ব্যর্থতার কথা তাঁদের অ্যানুয়াল কনফিডেন্সিয়াল রিপোর্ট (এসিআর)-এ উল্লেখ করা হবে, যা পদোন্নতি এবং বদলির মাপকাঠি হবে৷

মুখ্যমন্ত্রীর ঘোষণা এবং প্রশাসনিক বৈঠকে পাঁচ জনের সামনে মন্ত্রী-অফিসারদের তিরস্কার ও প্রশংসা করার যে প্রথা চালু করেছেন, তা এখন গোটা দেশেই অফিসার মহলে আলোচিত হচ্ছে৷ শুক্রবার টাউন হলের বৈঠক চলাকালীনই দুই অফিসারের কাছে ভিন রাজ্যে কর্মরত ব্যাচমেট অফিসাররা এসএমএস-এ জানতে চান, মুখ্যমন্ত্রী কাকে বকলেন, কারই বা প্রশংসা করলেন৷ রাজ্যের এক পদস্থ আইএএস অফিসারের কথায়, 'দেশের কোথাও কোনও মুখ্যমন্ত্রী বা মন্ত্রী এ ভাবে প্রশাসনিক বৈঠকে মন্ত্রী-অফিসারদের একযোগে শাসন এবং উত্সাহ দেন না৷ কোনও অফিসারকে ভর্ত্সনা করতে হলে একান্তে তা করা হয়৷ মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় সেই প্রথার বিরুদ্ধে হেঁটে এ ক্ষেত্রেও বৈচিত্র্য এবং স্বচ্ছতা এনেছেন৷'

http://eisamay.indiatimes.com/city/kolkata/administrative-calender/articleshow/27774007.cms


दिल्ली में आप की सरकार, वादों पर कितना उतरेगी खरा

प्रकाशित Mon, दिसम्बर 23, 2013 पर 19:53  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

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दिल्ली में जो हो रहा है वो फिल्मों से भी ज्यादा नाटकीय है। एक इंजीनियर जो इनकम टैक्स अफसर बना। और उसने राजनीति पर ऐसा छापा मारा कि अब वो दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। लोकतंत्र के इस सबक को समझने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों अब भी माथापच्ची कर रही हैं।


बहरहाल अभी अरविंद केजरीवाल ने सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। ये एक अल्पमत सरकार होगी। कांग्रेस के बाहरी समर्थन के भरोसे चलेगी। आप, कांग्रेस और बीजेपी चाहे जो भी कहें, दिल्ली में अब जो कुछ भी होगा, वो 2014 के चुनावों को ध्यान में रखकर होगा।


आम आदमी पार्टी ने दिल्लीवासियों को बिजली 50 फीसदी सस्ती करने का वादा किया है, लेकिन ये वादा पूरा होना मुश्किल है पर बिजली सस्ती जरूर होगी। रोज 700 लीटर मुफ्त पानी देने का वादा किया है, लेकिन अभी दिल्ली में पानी की 24 फीसदी कमी है ऐसे में ये वादा पूरा हो पाना मुश्किल है। साथ ही दिल्ली में 40 फीसदी पानी की बरबादी भी होती है।


आम आदमी पार्टी ने 500 नए स्कूल बनाने का वादा किया है जिसके लिए जमीन केंद्र सरकार से लेनी पड़ेगी। 2700 मोहल्ला सभा बनाने का वादा किया है जिसके लिए नगरपालिका कानून बदलना होगा और कानून बदलने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी लेनी होगी। दिल्ली के अलग से जन लोकपाल कानून बनाने का वादा किया है, जो 15 दिन में बनना संभव है। झुग्गियों की जगह पक्के मकान बनाने का वादा है, लेकिन इतने ज्यादा मकान आखिर कैसे बनेंगे।


अरविंद केजरीवाल के दिल्ली में सरकार बनाने के ऐलान के बाद राजनीतिक पार्टियों और लोगों के बयान आने शुरू हुए हो गए हैं। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का कहना है कि आम आदमी पार्टी को दिए जाने वाले समर्थन को वापस लेने का भी विकल्प खुला है। वहीं बीजेपी ने दिल्ली में सरकार बनाने के आम आदमी पार्टी के फैसले की आलोचना की है। बीजेपी नेता हर्षवर्धन ने इसे दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात बताया है। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अबदुल्ला ने कहा कि पहली बार में आईआईटी और आईआरएस निकाला और अब पहली बार में सीएम बनें। अरविंद केजरीवाल शानदार छात्र हैं।


दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल होंगे, 45 साल के अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सबसे युवा सीएम होंगे। माना जा रहा है कि दिल्ली की अगली सरकार में मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज मंत्री बन सकते हैं, जबकि विनोद कुमार बिन्नी भी मंत्रिमंडल में शामिल सकते हैं। महिला कोटे से वंदना कुमारी और राखी बिड़ला मंत्री बन सकती हैं। साथ ही जरनैल सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। सोमनाथ भारती दिल्ली विधानसभा के स्पीकर बन सकते हैं।


आम आदमी पार्टी के सामने सरकार बनाने के बाद काफी सारी चुनौतियां होंगी। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 50 फीसदी सस्ती बिजली देने का वादा किया है। रोजाना हर परिवार को 700 लीटर पानी मुफ्त देने के अलावा झुग्गियों के बदले पक्के मकान देने का वादा किया है। एक साल में अवैध कॉलोनियों को अधिकृत करने, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने और जनलोकपाल बिल पास कराने जैसे वादे भी किए हैं।


माना जा रहा है कि 1 हफ्ते में आम आदमी पार्टी का एक्शन प्लान जारी होगी जिसमें रोजाना हर परिवार को 700 लीटर मुफ्त पानी देने का आदेश जारी होगा। सस्ती बिजली देने के लिए बिजली कंपनियों का ऑडिट और मीटरों की जांच के आदेश दिए जाएंगे। लाल बत्ती गाड़ी, सरकारी बंगला और सुरक्षा न लेकर वीआईपी कल्चर खत्म किया जाएगा।


सरकार बनने के 15 दिन के भीतर जनलोकपाल बिल पास कराने की कोशिश होगी। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की हालत सुधारने पर बड़े फैसले मुमकिन हैं। साथ ही अनधिकृत कॉलोनियों में जरूरी सुविधाएं देने पर बड़े फैसले मुमकिन हैं।

अप्रैल तक जारी होंगे नए बैंक लाइसेंसः रघुराम राजन

प्रकाशित Mon, दिसम्बर 23, 2013 पर 15:18  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

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रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अप्रैल तक नया बैंक लाइसेंस जारी करने का भरोसा दिया है। रघुराम राजन ने बैंकों से बढ़ते एनपीए पर तेजी से काबू करने की अपील की है। रघुराम राजन ने सीएनबीसी आवाज़ के बैंकिंग एडिटर प्रदीप पंड्या से खास बातचीत में कहा कि महंगाई और बढ़ते करेंट अकाउंट घाटे को काबू में करना उनकी प्राथमिकता है।


रघुराम राजन ने कहा कि मार्केट को चौंकाना आरबीआई का मकसद नहीं है। मार्केट को भरोसा दिलाना जरूरी है। डब्ल्यूपीआई महंगाई दर 5 फीसदी के नीचे लाना जरूरी है और सीपीआई महंगाई पर काबू पाना प्राथमिकता है। इंफ्लेशन इंडेक्स बॉन्ड के अलावा दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।


रघुराम राजन ने बताया कि सितंबर से कर्ज देने की रफ्तार में तेजी आई है। कुछ समय के बाद एसएलआर में कमी मुमकिन है। वहीं सोने के इंपोर्ट पर लगी सख्ती धीरे-धीरे कम की जाएगी, लेकिन करेंट अकाउंट घाटे (सीएडी) को काबू करना जरूरी है।


रघुराम राजन के मुताबिक सरकारी बैंकों के लिए एनपीए बड़ी चिंता है। एनपीए पर काबू के लिए बैंकों को तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत है। नए बैंक लाइसेंस पर तेजी से काम जारी है और अप्रैल तक नए बैंक लाइसेंस देने का भरोसा है। आरबीआई गवर्नर ने भरोसा दिलाया कि सरकार बदलने पर लाइसेंस वापस नहीं लिए जाएंगे।

बाजार में आएगा सुधार, चाहिए मजबूत सरकार

प्रकाशित Mon, दिसम्बर 23, 2013 पर 10:41  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

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भारतीय बाजारों का रुख सकारात्मक दिखाई दे रहा है। बाजार के लिए जो बड़ी रुकावटें थी बाजार ने उसका पार कर लिया है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है अगले कुछ महीनों तक भारतीय बाजारों का रुख सकारात्मक रहेगा। लेकिन आर्थिक सुधार के मोर्चे पर बाजार अब भी कड़ी चुनौतियों को सामना करना पड़ेगा। ऐसे में आगे कैसी रहेगी बाजारों की चाल समझा रहे हैं एशियानॉमिक्स के एमडी जिम वॉकर।


जिम वॉकर का कहना है कि मौजूदा समय में भारतीय बाजारों का प्रदर्शन बेहतर दिखाई दे रहा है। क्यूई3 में कटौती की खबरों को बाजार ने पचा लिया है और बाजार हरे निशान के साथ कारोबार कर रहे हैं। हालांकि क्यूई3 कटौती की आशंकाओं के चलते बाजार पहले की काफी कमजोरी दिखा चुके हैं। ऐसे में इसको लेकर अब और गिरावट की उम्मीद इमर्जिंग मार्केट से नहीं करना चाहिए। लेकिन भारत में अर्थव्यवस्था को लेकर जोखिम काफी है जिससे भारतीय बाजारों को संभलने का मौका नहीं मिल पाता है।


मौजूदा समय में भारतीय बाजार भले मजबूत स्थिति के संकेत दे रहे हैं, लेकिन बाजारों के लिए आगे की राह इतनी आसान नहीं होगी। रुपये की कमजोरी, चालू खाते का घाटा और कंपनियों के खराब तिमाही नतीजे बाजार पर लगातार दबाव बनाएंगे। हालांकि साल 2014-15 में भारत में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजों के देखकर लगता है, लोकसभा चुनाव में भी कोई मजबूत पार्टी उभरतकर आएगी, जिससे बाजारों को फायदा मिलेगा। ऐसे में निवेशक लंबी अवधि के नजरिए से निवेश की रणनीति बना सकते हैं।


मिडकैप शेयरों में निवेश के बेहतर मौके दिखाई दे रहे हैं। निवेशक यदि 1 साल के नजरिए से इन शेयरों में निवेश करते हैं तो 30-40 फीसदी रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। वहीं पिछले 2 साल से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय बाजारों पर लंबी अवधि के नजरिए से काफी पैसा लगाया है। ऐसे में यह उम्मीद कुछ पुख्ता हो जाती है कि लंबी अवधि के लिए बाजार में काफी अवसर हैं।


आगामी साल भारतीय बाजारों के लिए अच्छा रहने की उम्मीद है। हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था कुछ स्थिर रह सकती है, लेकिन अमेरिकी बाजार बेहतर प्रदर्शन करते नजर आ सकते हैं। वहीं भारत में लोकसभा चुनावों के बाद ऐसी मजबूत सरकार सत्ता में काबिज होनी चाहिए जो पॉलिसी और आर्थिक सुधार के मोर्चे पर सकारात्मक रूप से स्वयं को साबित कर सके। ताकि अर्थव्यवस्था और बाजार दोनों को सहारा मिल सके। यदि ऐसा होता है तो भारतीय बाजारों की मुश्किलें हवा हो जाएंगी।


मोदी का पीएम बनना बाजार के लिए अहमः एंड्र्यू हॉलैंड

प्रकाशित Tue, अक्तूबर 15, 2013 पर 10:09  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

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एंबिट कैपिटल के इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड का कहना है कि इस समय बाजार में लिक्विडिटी के आधार पर अच्छी तेजी देखी जा सकती है। अगर अच्छी खबरें जारी रहती हैं तो बाजार में नई ऊंचाई आ सकती है।


अमेरिका में कर्ज संकट जल्द खत्म होता है तो वैश्विक बाजारों के लिए अच्छी खबर होगी। वहीं अगर भारत में आने वाले चुनावों के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो ये बाजार के लिए काफी अच्छी खबर होगी।


एंड्रयू हॉलैंड के मुताबिक इस बार तिमाही नतीजों से बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। हालांकि नतीजों का शुरुआती दौर ठीकठाक रहता है जिसमें बड़ी कंपनियों के नतीजे आते हैं और इस बार भी ऐसा हो रहा है।


अमेरिका में क्यूई3 में कमी की शुरुआत जनवरी 2014 से हो सकती है। वहीं इसके मार्च तक भी टलने के आसार हैं। अगर ऐसा होता है तो अगले 3-6 महीने तक क्यूई3 में कमी होने तक घरेलू सरकार के पास आर्थिक सुधारों के कदम उठाने का अच्छा मौका है। 2014 से जीडीपी ग्रोथ में सुधार शुरु हो सकता है।


एंड्रयू हॉलैंड के मुताबिक भारतीय करेंसी पर दबाव कम होता नजर आ रहा है लेकिन इसमें 60 से नीचे के स्तर आना मुश्किल है। छोटी अवधि में डॉलर के मुकाबले रुपया 61-63 रुपये के बीच स्थिर हो सकता है। हालांकि 2014 की पहली तिमाही में रुपये में फिर से कमजोरी आने की आशंका है।


इस साल के अंत तक तक लिक्विडिटी अच्छी रहने के चलते बाजार में काफी अच्छा उछाल देखने को मिल सकता है। एफआईआई का नजरिया भारत के लिए सकारात्मक हो रहा है जिसका घरेलू बाजारों को फायदा मिल सकता है।

आने वाली सरकार पर बाजार की नजरः राज भट्ट

प्रकाशित Tue, नवम्बर 19, 2013 पर 10:10  |  स्रोत : CNBC-Awaaz

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एलारा कैपिटल के चेयरमैन और सीईओ राज भट्ट का कहना है कि आने वाले चुनावों में बाजार एक ऐसी सरकार की उम्मीद कर रहा है जो रिफॉर्म्स को अच्छी तरह लागू कर सके जिससे ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। बाजार चाहता है कि जो भी सरकार आए वो पूर्ण बहुमत के साथ आए जिससे आर्थिक सुधारों को लागू करने में कोई दिक्कत ना हो।


एफआईआई की ओर से जो निवेश हो रहा है वो चुनाव के चलते नहीं बल्कि इमर्जिंग मार्केट्स में एफआईआई के बढ़ते रुझान के चलते हो रहे हैं।


राज भट्ट के मुताबिक जनवरी, फरवरी 2014 तक चुनावों के रुझान आने शुरु हो जाएंगे जिससे बाजारों में अच्छी तेजी के संकेत मिल सकते हैं। इस समय बाजार में सकारात्मक माहौल है और एफआईआई भी यहां खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के वैल्यूएशन अच्छे हैं।


चीन में जो आर्थिक सुधार हो रहे हैं वो वैश्विक इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए भी नए बाजार खुलेंगे और अन्य देशों के साथ भी चीन का कारोबार बढ़ेगा।


रुपये में आगे चलकर मजबूती देखी जा सकती है क्योंकि एफसीएनआर रूट से काफी पैसा आ रहा है। एफआईआई की बढ़ती खरीदारी से भी रुपये में मजबूती लौट सकती है। पिछले दिनों रुपये में देखी गई कमजोरी केवल सेंटीमेंट खराब होने के चलते देखी गई थी। अब क्यूई3 के टलने की खबर से रुपये को सहारा मिल रहा है। हालांकि विदेशी कारणों के अलावा घरेलू कारण भी रुपये को स्थिरता देने में मददगार साबित होंगे।


Ak Pankaj shared Gladson Dungdung's photo.

Jharkhand is a cultural state, where we have unique tradition and culture, which is based on community living, equality and fraternity. The Adivasis and Moolvasis (local settlers) have their own languages. However, the immigrants (outsiders) impose their languages, culture and tradition on us by portraying our languages, culture and tradition as inhuman one. Instead of accepting our language, tradition and culture, they have been demanding for enforcement of their languages in the state. How can we accept it? The divide between Jharkhandi vs non-Jharkhandi, outsiders vs insiders, and Adivasi vs non-Adivasis will only be resolved if they respect the Constitution within Constitution (5th Scheduled), obey the laws (CNT, SPT, PESA, etc), stop grabbing our land and other resources, respect the development ethos of Adivasis and accept the language, tradition and culture of Jharkahnd. Are they ready for it? Though full article is not published due to lack of space but still you can read the prime view in my column in Khabar Mantra today.

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Samit Carr shared Satyendra Pratap Singh's photo.

जियो भारतीय जनता पार्टी के "राष्ट्रवादियों"! एक लाख करोड़ रुपये का माल महज पन्द्रह सौ करोड़ रुपये में बेच डाला था! लगे रहो वीरों

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Amitabh Bachchan

FB 438 -Des qualités trop supérieures rendent souvent un homme moins propre à la société. On ne va pas au marché avec des lingots ; on y va avec de l'argent ou de la petite monnaie …


Qualities too elevated often unfit a man for society. We don't take ingots with us to market ; we take silver or small change ..

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Avinash Das

कांग्रेस ने 1998 में बीजेपी से दिल्‍ली की सत्ता छीनी थी। तब बिजली की दर एक रुपये पचास पैसे प्रति यूनिट थी। आज प्रति यूनिट छह रुपये से ज्‍यादा बिजली की दर है। दर बढ़त के इस सफर में सर्वाधिक मुनाफाखोरी कॉरपोरेट ने की। ऑडिट से ये आंकड़ा सामने आ जाएगा। इसलिए पुरानी दर पर बिजली की सप्‍लाई को ले जाना बहुत मुश्किल नहीं होगा, बल्कि मौजूदा दर से आधी कीमत पर बिजली बांटने के बाद भी 1998 के हिसाब से दर दुगनी ही रहेगी। इसी तरह 1998 से अब तक का पानी का टैरिफ प्‍लैन देखें और पानी माफियाओं का मनमानापन उसमें से घटा दें, तो मुफ्त में सात सौ लीटर पानी देना भी आसान हो जाएगा। इसलिए आम आदमी पार्टी [Aam Aadmi Party] के लिए लोगों से अपने वायदे पूरे करने में ज्‍यादा मुश्किल नहीं आनी चाहिए। मुश्किल होगी कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्‍ट्रीय पार्टियों को आने वाले लोकसभा चुनाव में। अगर केजरीवाल ने चमत्‍कार कर दिखाया, तो यकीन मानिए अगले प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी ताजपोशी तय है।

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अश्विनी कुमार http://mediadarbar.com/.../an-open-letter-to-aam-admi-party/

"आप" अर्थात आम आदमी पार्टी के नाम खुली चिट्ठी…मीडिया दरबार « मीडिया दरबार

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जनज्वार डॉटकॉम

लगातार बढ़ती बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, छेड़खानी एवं यौन उत्पीड़न की घटनाओं से त्ऱस्त महिलाओं, स्कूली छात्राओं के सब्र का बांध जब टूट गया, तो वे सड़कों पर उतर आयीं. पुलिसिया हस्तक्षेप के बावजूद लगभग सात-आठ घंटे तक वे सड़कों पर अपने गुस्से का प्रदर्शन करती रहीं...http://www.janjwar.com/society/1-society/4634-balatkar-ke-khilaf-sadak-par-mahilayen-for-janjwar-by-neera-sinha

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Alok Putul

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दिल्ली में आम आधमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की जीत के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता का गुस्सा देखने लायक होगा.

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Shamshad Elahee Shams

12 hours ago · Edited ·

  • कथाकार उदय प्रकाश द्वारा समर अनार्य को ब्लाक करने से सम्बंधित धोषणा करने वाली पोस्ट पर मेरा जवाब :
  • उदय भाई आपका यह स्टेट्स निहायत सतही लगा वह इस लिए कि आपने इस विषय पर अपनी कोई खोज खबर किये बिना ही या किसी 'ज्ञानी' के प्रभाव में आकर इसे टांग दिया. पहली बात तो यह कि ब्लाक करना अलोकतांत्रिक है, रहा अभद्र भाषा के प्रयोग का सवाल तब आप उस वाक्य का यहाँ उल्लेख करते और अपने मित्रो पाठको से मशविरा लेते ...आपने तो निर्णय लिया और मुखिया की तरह फैसला सुना दिया ...अब हुक्का गुडगुडाने वाले अगर ४००-५०० है तो २००-३०० हां हुंकर करेंगे ही. आप यही नहीं रुके बल्कि दो कदम आगे जाकर आपने कुछ सर्टिफिकेट भी दे दिए है जिसने नाइत्तेफाकी पूरी दलीलों के साथ हो सकती है. लोकतंत्र में असहमति होना एक बात लेकिन उसका आदर करना समृद्ध लोकतंत्र की निशानी है. मैं इस्लाम की आलोचना करता हूँ और खूब गालियाँ सुनता हूँ ...मैंने किसी को ब्लाक नहीं किया. तीन साल के अपने अनुभव में २-३ लोगो को तब किया जब वह व्यक्तिगत हमलो पर उतर आये थे ..बाद में उन्हें भी खोल दिया. खैर यह एक अलग विषय हो सकता है. अब मुद्दे पर आये ..आप लेखक है, आपके कृतित्व पर और व्यक्तित्व पर इसी फेसबुक पर कायदे की आलोचनाये हुई. लोग आपको बुलाते रहे, आपके जवाब की प्रतीक्षा में लगे रहे लेकिन आपने टस से मस नहीं की ..क्यों ? क्योकि आप कही अपने भीतर उस बहस को फालतू मानते थे और निश्चिन्त थे ..उसके परिणामो पर भी आपको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. आपकी किसी कहानी पर वरिष्ठ दलित लेखको ने आपको सवर्ण और दलित विरोधी तमगे दे रखे है ..आपको याद होगा. उत्तरे प्रदेश के हिन्दुत्त्व ठेकेदारों द्वारा आपको सम्मान दिए जाने और उसके यहाँ शिरकत करने के कारण आप स्वयं अपनी वैचारिक निष्ठाओ को लेकर घेरे में रहे है ...और अब आप खुद भी वही काम कर रहे है जिसके खुद शिकार रहे ..संवेदनशीलता का भी यह तकाजा था कि ऐसा न किया जाए. खैर ...समर पर आता हूँ, निसंदेह वह भगत सिंह नहीं है. वह जुझारू है सवाल करता है लड़ता है और भारत में सुर्ख इन्कलाब का ख़्वाब उसकी आँखे देखती है ..कोई इन्कलाब कहे तो उसकी मुट्ठी खुद बखुद भिंच जाती है और जिंदाबाद की ज्वाला से स्वर फूट पड़ते है.
  • अनवर खुर्शीद को वह कामरेड ही नहीं अपना भाई मनाता है. मरने से पहले अनवर खुर्शीद ने जो आख़िरी काल की (बात नहीं की) वह समर को की थी. जब इंसानी रिश्तो में ऐसी गर्माहट हो तब किसी एक साथी का किसी हादसे का शिकार हो जाना ..यकीनन पीछे छूट जाने वाले साथी के लिए सबसे बड़ी परीक्षा है. मैं यह बात मान सकता हूँ कि समर इस आघात में अपना आप खो चुका हो और कथित शाब्दिक मर्यादाओं का उससे कही उल्लंघन हुआ हो लेकिन मुझे यह कहते हुए जरा भी शक नहीं कि वह अपने वैचारिक उद्देश्यों और कर्तव्यों से विमुख हुआ हो. अनवर भाई के मुत्ताल्लिक जितनी जानकारी उसके पास थी शायद ही किसी दूसरे के पास रही हो ..पिछले ३ महीनो से जिस मानसिक वेदना का शिकार अनवर खुर्शीद रहे, तो समर भी कुछ कम नहीं रहा. काश वह इस स्थिती और समय में हांगकांग में नहीं रहा होता, और इस आघात के समय अकेला न होता ..तब उसका व्यवहार यकीनन दूसरा ही होता. लेकिन जो भी है उसके लिए उसकी परिस्थियाँ अधिक जिम्मेदार है और एक लेखक को मैं यह बताऊ ये मेरे लिए शर्म की बात है.
  • यह सवाल सिर्फ एक व्यक्ति की मौत का नहीं बल्कि उसे को घेर कर शिकार करने वालो की साजिशो को समझने का है ..उन चेहरों को बेनकाब करने का है जिनके उजले चेहरों के पीछे हिटलरी मंसूबे छिपे है. अंत में आप मेरे बड़े है और मेरे सम्मानीय भी. मैं समर से उम्र में बड़ा हूँ, यदि मेरे छोटे भाई से कोई व्यक्तिगत गलती हुई है तब मैं क्षमाप्रार्थी हूँ, इस वायदे के साथ कि वैचारिक प्रश्नों पर हम भविष्य में भी उलझते रहेंगे. सादर
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    • Shamshad Elahee Shams, Siddharth Kalhans, Amalendu Upadhyaya and 34 others like this.

    • दिनेशराय द्विवेदी एक लेखक को मैं यह बताऊ ये मेरे लिए शर्म की बात है.

    • 11 hours ago · Like · 2

    • Shishir Gupta शम्शाद जी आपका ये स्टेटस देख कर कई लोगों की प्रोफाइल पर गया, उनकी पिछले कुछ दिनों की बातें पढ़ीं। हालाँकि व्यक्तिगत तौर पर आप लोगों से जान पहचान तो नहीं है पर फिर भी सोच में पड़ गया। केवल एक ही निष्कर्ष पर पहुँच पा रहा हूँ कि सत्य हमारी परिकल्पनाओं से परे नितांत ही अप्रत्याशित हो सकता है और एक हम हैं कि खुद ही केस फ़ाइल करके फ़ैसला भी सुना देते हैं।

    • 10 hours ago via mobile · Like · 2

    • Shamshad Elahee Shams शिशिर गुप्ता जी जब स्थितियां इतनी तरल हो तब कोई भी फिसल सकता है, स्वाभाविक है ...

    • 10 hours ago · Like · 3

    • Shamshad Elahee Shams दिनेश दा ....आपकी आमद उपलब्धि है.

    • 10 hours ago · Like · 1

    • Girijesh Tiwari मैं दोनों को जानता हूँ. Samar Anarya और उनकी तुर्शी मुझे प्रिय है. उदय प्रकाश से भी कॉमरेड गोरख पाण्डेय के ऊपर लिखी उनकी कहानी 'रामसजीवन की आत्मकथा' के ज़माने से ही परिचित हूँ. दोनों के व्यक्तित्व के अन्तर को भी समझता हूँ. ज़हरीले तपन ने मुझसे बताया था कि तब तक मुझ सहित जिन चार लोगों को वह विडियो दिखाया गया था, उनमें एक नाम उदय प्रकाश का भी था. और मैं उनकी अवस्थिति की भर्त्सना करता हूँ.

    • 9 hours ago · Like · 2

    • Amar Nadeem अक्सर यही होता है . बाहर से आने वाली हवाओं को लोग जब झेल नहीं पाते तो खिड़की-दरवाज़े बंद करके बैठ जाते हैं .

    • 8 hours ago · Like · 3

    • Shamshad Elahee Shams Amar Nadeem Sir, pls help us to find a way...guide us to get the right door.

    • 8 hours ago via mobile · Like · 2

    • Amar Nadeem Shamshad sahab ! you are treating me as if I'm an ocean of knowledge and wisdom which is far far from the truth. अजी साहब मैं भी इसी अँधेरे में भटक रहा हूँ एक दरवाज़े की तलाश में जिसके पार सुबह का सूरज चमक रहा हो . मुतमईन हूँ कि हम सब मिल कर तलाश करेंगे तो वो दरवाज़ा मिलेगा ज़रूर. दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर / हर हथेली खून से तर और ज़्यादा बेक़रार (दुष्यंत)

    • 8 hours ago · Like · 4

    • Amalendu Upadhyaya बहुत सटीक टिप्पणी की आपने शमशाद भाई। समर की मानसिक स्थिति को समझ पाना किसी भी संवेदनशील इंसान के लिए कठिन नहीं है।

    • 7 hours ago · Like · 4

    • Shamshad Elahee Shams नदीम साहब ........हम सब पथिक है, आप हमारे अग्रज है ..कही बहके तो कान पकडिये ...बस यही इल्तजा है. बाकी उदय प्रकाश जी ने मेरे कथन के बाद एक टीप भी दी है ...अपनी ही वाल पर . आखिर बर्फ को पिघलाने में शम्स का कोई काम तो है

    • 6 hours ago · Like · 3

    • Shamshad Elahee Shams अमलेंदु जी ...जरुरी नहीं कि किसी को जानने के लिए जीवन खपा दिया जाय लेकिन मैं जितना उसके बारे में जानता हूँ बेहतर जानता हूँ उसमे अपना की अक्स देखता हूँ ........बारहाल लड़ाई व्यक्तियों में न उलझे मेरा यही प्रयास है ....हिंसक रीछ को पकड़ना है ...भले ही एक दो गीदड़ भाग जाए, उन्हें बाद में संभाल लेंगे. आप आये आपका तहे दिल से स्वागत.

    • 6 hours ago · Like · 4

    • Amar Nadeem उदय प्रकाश जी मेरी सूची में नहीं हैं . उनकी timelineसे समझ नहीं पा रहा हूँ कि आप किस टीप की बात कर रहे हैं . वह टीप यहाँ दे सकते हैं क्या ?

    • 6 hours ago · Like · 1

    • Raavi Thenameoflife ....... Brave & brilliant ........

    • 6 hours ago via mobile · Like · 1

    • Shamshad Elahee Shams नदीम सर ..ये रहा लिकं https://www.facebook.com/...

    • Uday Prakash

    • दोस्तो, मैंने अभी-अभी दुख के साथ समर अनार्य उर्फ़ अविनाश पांडे को 'ब्लाक' किया है...See More

    • 6 hours ago · Like

    • Amar Nadeem शुक्रिया .

    • 6 hours ago · Like · 1

    • Shamshad Elahee Shams रावी जी स्नेह बनाये रखिये ...शुक्रिया

    • 6 hours ago · Like · 1

    • Satyendra Pratap Singh इन्कलाब जिंदाबाद

    • 6 hours ago via mobile · Like · 1

    • Raavi Thenameoflife ........ Aapka Samar bhai k liye mahsoos karna aur likhna hame baht achcha laga ........ Yeh waqt unke liye aur hm sabke liye mushkil hai ......

    • 6 hours ago via mobile · Like · 1

    • Shamshad Elahee Shams सत्तू भाई ...रहने दो ..

    • 6 hours ago · Like · 1

    • Shamshad Elahee Shams रावी जी ...जिसे भी किन्ही मूल्यों से मोहब्बत है और इंसानियत के लिए हमदर्दी उसे इस मौके पर चैन कैसे आयेगा ...बस समर की तरह आपा खोने वाले कम ही होते है ...अब वह जो है सो है ....कोई समझे या न समझे, लेकिन हम उसकी ताकत बनेंगे कमजोरी नहीं, बस यही फर्क है.

    • 6 hours ago · Like · 2

    • Raavi Thenameoflife .......... Bilkul ........ Nek zazbaat ..... Best regards ..

    • 5 hours ago via mobile · Like

    • Dakhal Prakashan उदय प्रकाश सच नहीं सुन सकते। उनकी कारस्तानिया बताने वाले उन्हें तुरत दुश्मन लगने लगते हैं और ब्राह्मणवादी। वह बहुत शातिरी से आत्मदया का प्रचार करते हैं और खुद को हिंदी के सारे सम्मान हथियाने के बावजूद सबसे बड़ा शिकार और सताया हुआ बता कर सहानुभूति लूटते हैं। उनके कुछ चमचे और लगुए भगुए सब जानते हुए उनके पीछे हुआ हुआ करते रहते हैं। समर ने कुछ ग़लत नहीं लिखा था। हां वह तल्ख़ था। तो उसे समझा जा सकता है।

    • 3 hours ago via mobile · Like · 1

Anita Bharti

एक रंगा हुआ चूहा है। वह अपने लचर-पचर ललमुंह और नकुआ से हवा का रुख सूंघता रहता है। विचारों की तेज हवा में वह देखता है कि जहां ज्यादा तेज हवा हो, वह अपने ललमुँह से चिचयाने लगता है। हवा का रुख पलटते देख यह ललमुँहा अपना एकाउंट डिएक्टिवेट कर अपने बिल में घुस जाता है। वह रंगा हुआ ललमुँहे वाला चूहा फिर जमीन पर मुँह धंसाए देखता है कि ओह! हवा थम रही है तो वह थम रही हवा का रुख मोडने का विजयी भाव अपने सिर लिए अपना ललमुँह निकाले चिचिया चिचिया कर अपनी चोटी जैसी पुंछ किसी एंटिना की तरह हिलाने लगता है।( मैं किसी भी तरह की चूहा प्रजाति के खिलाफ नही हूँ मैं आदमी के भेष में छिपे रंगे चूहों के खिलाफ हूँ)

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देवयानी को पेशी से छूट, यूएन में तबादला भी मंजूर

Published on Dec 23, 2013 at 22:45 | Updated Dec 23, 2013 at 22:50

नई दिल्ली। देवयानी से बदसलूकी के बाद भारत-अमेरिकी रिश्तों में आई तल्खी अब नरम पड़ती दिख रही है। न्यूयॉर्क की एक अदालत ने वीजा फर्जीवाड़े मामले में देवयानी को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी है। इसके अलावा अमेरिका ने देवयानी को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में तैनात राजनयिक के तौर पर भी मान्यता दे दी है। उधर, दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने अपने अधिकारियों और भारतीय कर्मचारियों की डिटेल देने के लिए समय सीमा बढ़ाने की गुजारिश की है। हालांकि अमेरिका ने भारत की उस मांग को फिलहाल नहीं माना जिसमें बदसलूकी के लिए माफी और वीजा फर्जीवाड़े के आरोप हटाने की मांग की गई थी।

आरोप है कि 12 दिसंबर को न्यूयॉर्क में हुई देवयानी की गिरफ्तारी के दौरान उनके साथ बदसलूकी हुई। वीजा फर्जीवाड़े के आरोप में हुई गिरफ्तारी के दौरान उन्हें हथकड़ी लगाई गई और फिर कपड़े उतारकर तलाशी ली गई। हालांकि बाद में ढाई लाख डॉलर के बॉन्ड पर उन्हें जमानत दे दी गई। इसके बाद भारत सरकार ने उनका तबादला संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में कर दिया जहां उन्हें सारे राजनयिक अधिकार मिलेंगे जो पहले नहीं थे। दर्जे में बदलाव के बावजूद अमेरिका देवयानी के खिलाफ पिछले मामले बंद करने को तैयार नहीं है। हालांकि अब अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में उनकी तैनाती को मान्यता दे दी है जो एक अहम कदम है।

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स्पीड न्यूजः सोमवार दिनभर की सभी बड़ी खबरें

Published on Dec 23, 2013 at 21:28

नई दिल्ली। देश, दुनिया, बिजनेस, खेल और मनोरंजन जगत की सभी बड़ी खबरें एक ही जगह। (वीडियो देखें)

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SC की जांच पर पूर्व जज गांगुली ने उठाए सवाल

Published on Dec 23, 2013 at 17:55 | Updated Dec 23, 2013 at 22:50

कोलकाता। यौन शोषण के आरोपों से घिरे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस ए के गांगुली ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पी सदाशिवम को पत्र लिखकर सफाई दी है। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए सुप्रीम कोर्ट की जांच पर भी सवाल खड़ा किया है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इस पत्र का उनके खिलाफ होनी वाली कानूनी कार्रवाई में कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार जस्टिस गांगुली के खिलाफ राष्ट्रपति परामर्श का मन बना चुकी है।

शुक्रवार को अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने सरकार को अपनी राय दी थी कि जस्टिस गांगुली के खिलाफ राष्ट्रपति परामर्श की कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। जवाब में जस्टिस गांगुली ने सोमवार को अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पी. सदाशिवम को पत्र लिखकर अपनी बेगुनाही का दावा किया। उनका तर्क है कि उनके पक्ष को ठीक से नहीं सुना गया।

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देखें: स्पीड न्यूज- सोमवार दोपहर की सभी खबरें

Published on Dec 23, 2013 at 14:56

नई दिल्ली। देश, दुनिया, बिजनेस, खेल और मनोरंजन जगत की सभी बड़ी खबरें एक ही जगह। (वीडियो देखें)

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रेप पीड़िता के घर गए रामदेव, आयोग नाराज

Published on Dec 23, 2013 at 09:07

चंडीगढ़। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने योगगुरु रामदेव की कड़ी आलोचना की है। रामदेव ने चंडीगढ़ पुलिस के पांच कांस्टेबलों की हवस का शिकार हुई एक किशोरी के घर का दौरा किया जिससे उसकी पहचान उजागर हो गई। आयोग के अध्यक्ष राजकुमार वेर्का ने कहा कि रामदेव ने दौरा कर पीड़िता के परिवार की भावना को चोट पहुंचाया।

पीड़िता के परिजनों से अज्ञात स्थल पर मुलाकात करने वाले वेर्का ने कहा कि रामदेव के दौरे से पीड़िता की पहचान उजागर हो गई। उन्होंने दुष्कर्म की घटना पर चंडीगढ़ पुलिस को विस्तृत रिपोर्ट और अमल में लाई गई कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को सौंपने का निर्देश दिया।

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देखें: स्पीड न्यूज- सोमवार सुबह की सभी बड़ी खबरें

Published on Dec 23, 2013 at 08:59

नई दिल्ली। देश, दुनिया, बिजनेस, खेल और मनोरंजन जगत की सभी बड़ी खबरें एक ही जगह। (वीडियो देखें)

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पढ़ें: अरविंद कैसे बने आम आदमी से खास आदमी

Published on Dec 22, 2013 at 22:30 | Updated Dec 22, 2013 at 23:00

नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल, एक आम आदमी, आम आदमी पार्टी के संस्थापकों में से एक, हो सकता है कि सोमवार को दिल्ली को अरविंद के रुप में एक नया मुख्यमंत्री मिल जाए। महज डेढ़ साल पुरानी पार्टी दिल्ली में अपनी सरकार बनाने वाली है। आखिर कैसे हुआ ये। कैसे बने अरविंद आम आदमी से खास आदमी पढ़े स्पेशल रिपोर्ट।

कहते हैं किसी इंसान के नाम में उसकी पूरी शख्सियत छिपी होती है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अन्ना का साथ देने वाले अरविंद केजरीवाल भी अब पूरे देश पर छाए जा रहे हैं। 42 साल के इस शख्स को लोग देखना चाहते हैं, सुनना चाहते हैं, अपने तर्कों के जरिए सरकार के तमाम दावों की धज्जियां उड़ा देने वाले अरविंद केजरीवाल उस युवा भारत की तस्वीर हैं जो हमारी और आपकी किस्मत बदलने के लिए दिन रात एक कर रहा है। अरविंद का मकसद है इस देश के सड़ चुके सिस्टम को बदलना क्योंकि इसी सिस्टम के बीच रहकर अरविंद केजरीवाल ने बहुत बारीकी से सारी बातें समझीं हैं। वक्त के साथ वो खुद बदले हैं और अब देश में शासन का मतलब बदलना चाहते हैं।

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स्पीड न्यूजः रविवार शाम की सभी बड़ी खबरें

Published on Dec 22, 2013 at 20:24

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जम्मू: गहरी खाई में गिरी गाड़ी, 9 की मौत

Published on Dec 22, 2013 at 11:02

जम्मू। जम्मू क्षेत्र के किश्तवाड़ जिले में एक सड़क दुर्घटना में नौ लोगों की मौत हो गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोहरे और भारी बर्फबारी के चलते प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)के काम में लगा एक वाहन गहरी खाई में गिर गया।

उन्होंने बताया कि दुर्घटना यहां से 245 किलोमीटर दूरी किश्तवाड़ जिले के वादवान के पास अस्की में हुई। स्थानीय सेना की इकाई ने दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर तीन लोगों को बचाया।

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स्पीड न्यूजः रविवार सुबह की सभी बड़ी खबरें

Published on Dec 22, 2013 at 10:51

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सोने को लगी नजर, नए साल होंगे और सस्ते!

Published on Dec 21, 2013 at 17:55

नई दिल्ली। पिछले 13 साल में पहली बार नेगेटिव रिटर्न देने जा रहे है सोने का आगे का आउटलुक भी खराब है। दुनिया भर के जानकारों का यही मानना है कि सोने में कम से कम अगला साल भी गिरावट भरा रह सकता है। साफ है कि सोना गिरावट दिखा सकता है और सस्ता हो सकता है लेकिन कितना, सबके जेहन में यही सवाल है। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए सीएनबीसी आवाज़ लेकर आया है खास पेशकश सोना होगा सस्ता।

गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि सोने का भाव और घट सकता है। उनके मुताबिक 2014 तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 1050 डॉलर तक फिसल सकता है। यानी एक साल के अंदर सोने की कीमत में मौजूदा स्तर से करीब 12 फीसदी की गिरावट आ सकती है। गोल्डमैन सैक्स ने फिर से आगाह किया है अमेरिकी इकोनॉमी में सुधार की वजह से सोने में गिरावट देखी जाएगी।

दूसरी ओर साल 2000 से लगातार चढ़ने वाला सोना, निवेश कम होने की वजह से इस साल गिरावट झेलने वाला है। वायदा बाजार में भी रुझान गिरावट का ही है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के ऐलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव 6 महीने के निचले स्तर पर बना हुआ है। कॉमेक्स पर ये 1190 डॉलर का निचला स्तर भी छू चुका है। इस हफ्ते इसकी कीमतों में करीब 4 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। वहीं घरेलू बाजार में भाव 28500 रुपये के नीचे फिसल गए हैं।

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2014 में 5.3 फीसदी रहेगी भारत की विकास दर

Published on Dec 20, 2013 at 11:39

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने साल 2014 में भारत की आर्थिक विकास दर 5.3 फीसदी रहने की संभावना जताई है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस अवधि में वैश्विक विकास दर 3 फीसदी रहने के आसार हैं। इस पूर्वानुमान के अनुसार वैश्विक विकास दर में सुधार देखा जा रहा है, जो 2013 में 2.1 फीसदी अनुमानित था।

संयुक्त राष्ट्र के ग्लोबल इकोनोमिक मानिटरिंग यूनिट के प्रमुख पिंगफैन हांग ने बताया कि विकासित देशों की विकास दर अगले साल 1.9 फीसदी रहेगी, जबकि विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पांच फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी।

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सरकारी बैंकों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें: सूत्र

Published on Dec 19, 2013 at 16:47 | Updated Dec 19, 2013 at 17:07

नई दिल्ली। सरकारी बैंकों की मुश्किल बढ़ सकती है। सूत्रों से एक्सक्लूसिव जानकारी मिली है कि वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों के लिए सभी इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसी बेचना जरूरी कर सकता है।

वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों के लिए इंश्योरेंस ब्रोकर बनना जरूरी करेगा। बैंकों के कॉर्पोरेट एजेंसी लाइसेंस रिन्यू नहीं होंगे। कॉर्पोरेट एजेंसी में बैंक एक लाइफ इंश्योरेंस, एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी बेचता है। ब्रोकर बनने के बाद सभी इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसी बेचना होगी। बैंकों को मार्च तक ब्रोकर लाइसेंस के लिए अर्जी देनी होगी।

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बाजार में गिरावट जारी, सेंसेक्स 47अंक गिरा

Published on Dec 17, 2013 at 15:49 | Updated Dec 17, 2013 at 16:21

मुंबई। शेयर बाजार में भले ही बड़ी गिरावट नहीं दिख रही है, लेकिन धीरे-धीरे ये नीचे की ओर फिसल रहा है। आज लगातार छठवें दिन सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट रही है। पिछले 6 कारोबारी सत्र में निफ्टी 225 अंक टूट चुका है।

हालांकि आज गिरावट मामूली ही थी लेकिन दिग्गज शेयरों का साथ मिडकैप शेयरों ने भी दिया। कल क्रेडिट पॉलिसी आनी है और बाजार ने 0.25 फीसदी रेट कटौती का अनुमान लगा रखा है। लेकिन उससे पहले बाजार किसी बड़े मूव से बचता दिख रहा है।

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सेंसेक्स 91 अंक चढ़कर 20751 पर पहुंचा

Published on Dec 17, 2013 at 11:04

मुंबई। अमेरिकी और एशियाई बाजारों के अच्छे संकेतों के दम पर भारतीय बाजारों की भी अच्छी तेजी पर शुरुआत हुई है। स्मॉलकैप शेयरों में अच्छा उछाल देखा जा रहा है। फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 91.66 अंक यानि 0.44 फीसदी की बढ़त के साथ 20751 पर पहुंच गया है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 27.25 अंक यानी 0.44 फीसदी की तेजी के बाद 6181 के स्तर पर पहुंच गया है।

बाजार के दिग्गजों में चढ़ने वाले शेयरों में आईसीआईसीआई बैंक 1.79 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। वहीं सेसा स्टरलाइट भी 1.75 फीसदी ऊपर है। टाटा मोटर्स में 1.55 फीसदी की तेजी देखी जा रही है। बीएचईएल और टीसीएस में 1.42 फीसदी की बढ़त दर्ज की जा रही है। जयप्रकाश एसोसिएट्स में 2.34 फीसदी का उछाल देखा जा रहा है।

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बाजार में मामूली गिरावट, सेसेंक्स 20,659 पर बंद

Published on Dec 16, 2013 at 16:23 | Updated Dec 16, 2013 at 16:50

मुंबई। महंगाई सभी पर भारी पड़ रही है। सरकार, रिजर्व बैंक और बाजार सभी महंगाई से डरे-सहमे हैं। सभी को लग रहा है कि कर्ज महंगा होगा और ग्रोथ पर फिर डंडा चल जाएगा। सहमा बाजार आज दिनभर लड़खड़ाता रहा। आखिर में सेंसेक्स-निफ्टी करीब चौथाई फीसदी की हल्की गिरावट पर बंद हुए, लेकिन ये गिरावट का लगातार पांचवां कारोबारी दिन है।

हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हल्की खरीद हुई। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.3 फीसदी, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स 0.4 फीसदी चढ़कर बंद हुआ। आज के कारोबार में ऑयल एंड गैस, ऑटो और एफएमसीजी शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली हावी रही। वहीं आईटी, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर ड्युरेबल्स शेयरों में सबसे ज्यादा खरीदारी का रुझान रहा।

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स्पाइसजेट का टाइगर एयरवेज के साथ करार

Published on Dec 16, 2013 at 14:52

मुंबई। घरेलू बजट एयरलाइंस स्पाइसजेट लगातार अपना कारोबार बढ़ा रहा है। इसी सिलसिले में उसने टाइगर एयरवेज के साथ सिंगापुर की उड़ानों के लिए डील की है। इस डील में किसी तरह का फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट शामिल नहीं है। सन ग्रुप के सीएफओ एस एल नारायणन के मुताबिक स्पाइसजेट-टाइगर एयरवेज करार के तहत दोनों कंपनियां एक-दूसरे के नेटवर्क और संसाधनों का इस्तेमाल करेंगी। ये करार 3 साल के लिए सिंगापुर की उडा़नों के लिए किया गया है। 6 जनवरी से ये उड़ानें शुरू हो जाएंगी।

समझौते के तहत छह जनवरी 2014 से देश के 14 शहरों से स्पाइसजेट की उड़ान पकड़ने वाले यात्रियों का हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के जरिए टाइगर एयर की सिंगापुर जाने वाली उड़ानों के साथ संपर्क स्थापित हो जाएगा। समझौते के तहत शुरुआती किराया प्रचार के तौर पर एक ओर का 4,699 रुपये न्यूनतम रखा गया है, जबकि शुरुआती वापसी किराया 9,998 रुपये न्यूनतम रखा गया है।

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नवंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 7.52 फीसदी

Published on Dec 16, 2013 at 14:40

नई दिल्ली। सरकार को महंगाई के मोर्चे पर लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर बढ़कर 7.52 फीसदी हो गई है। सितंबर 2012 के बाद से डब्ल्यूपीआई महंगाई दर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं अक्टूबर में डब्ल्यूपीआई महंगाई दर 7 फीसदी रही थी। साथ ही सितंबर में संशोधित महंगाई दर 6.46 फीसदी से बढ़कर 7.05 फीसदी हो गई है।

महीने दर महीने आधार पर नवंबर में कोर महंगाई दर 2.6 फीसदी से बढ़कर 2.7 फीसदी हो गई है। महीने दर महीने आधार पर नवंबर में खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 18.19 फीसदी से बढ़कर 19.93 फीसदी पर पहुंच गई है। थोक महंगाई दर जून 2010 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। महीने दर महीने आधार पर नवंबर में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर 14.68 फीसदी से बढ़कर 15.92 फीसदी हो गई है।

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बाजार में सुस्ती का माहौल, छोटे-मझौले शेयर चढ़े

Published on Dec 16, 2013 at 12:07

नई दिल्ली। बाजार में आज सुबह से ही सुस्ती के साथ कारोबार देखने को मिल रहा है। दरअसल ऑयल एंड गैस, मेटल और ऑटो शेयरों में बिकवाली से बाजार में सुस्ती है। हालांकि फार्मा, आईटी, टेक्नोलॉजी और कंज्यूमर ड्युरेबल्स शेयरों में अच्छी खरीदारी दिख रही है। दिग्गज शेयरों की नरमी के बीच मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में अच्छी बढ़त है। डॉलर के मुकाबले रुपया भी सुस्त है और ये 62.13 पर नजर आ रहा है।

फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 12.5 अंक की मामूली बढ़त के साथ 20,728 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 2 अंक की बढ़त के साथ 6,170.5 के आसपास बना हुआ है।

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अटक सकती है जेट एयरवेज-एतिहाद डील!

Published on Dec 15, 2013 at 11:27

ई दिल्ली। लंबे समय से अटके जेट-एतिहाद डील पर अब फिर मार्केट रेगुलेटर सेबी की नजर पड़ गई है। खबर है कि सेबी जेट-एतिहाद डील पर अपने फैसले पर दोबार विचार कर सकता है।

सेबी जेट-एतिहाद डील पर और ज्यादा सफाई के लिए सीसीआई से बात भी करेगा। साथ ही जेट एयरवेज पर एतिहाद के नियंत्रण के बारे में भी सेबी जानकारी जुटाएगा। हालांकि मार्केट रेगुलेटर ने ये भी साफ किया कि इस जेट-एतिहाद डील पर आखिरी फैसला सरकार लेगी।

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