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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, January 26, 2015

तुम चाहते हो कि हम मान लें कि तुम ही राष्ट्र हो ?



आपने एक ज़मीन के टुकड़े की एक सीमा बनाई 
उस ज़मीन के टुकड़े को राष्ट्र कहा 
इसमें रहने वाले सारे लोग अपने आप अब उस राष्ट्र के नागरिक हो गये
अब इन सब लोगों के क्या अधिकार होंगे ?
इनमे से कौन जन्म से ही सम्म्मानित माना जायेगा 
और कौन जन्म से ही अपमानित माना जाएगा ?
कौन काट सकेगा किसके बच्चों को तलवारों से ?
और किसका संरक्षण करेगी अदालत लक्ष्मणपुर बाथे के हत्या कांड के बाद भी ?
किसका घर कौन बुलडोजर लगा कर तोड़ सकेगा मुंबई में ?
किसके फायदे के लिये सिपाही मार सकेंगे दूसरे नागरिकों को बस्तर में ?
किसको जन्म से ही माना जायेगा राष्ट्रभक्त ?
और कौन बिना किसी कसूर के ही देखा जायेगा हमेशा संदेह की नज़र से क्योंकि उसका विश्वास अलग होगा इश्वर के बारे में ?
किसकी धरती ज़्यादा होगी और किसी को नहीं होगा ज़मीन पर कहीं भी रहने का कोई ह्क़ ?
कौन मानेगा अपने जन्म को बे ज़रूरत इस धरती पर ?
और कौन इतराएगा देख कर अपनी मीलों तक फ़ैली हुई ज़मीन को ?
किसके जिस्म में पत्थर भरे जायेंगे ?
और कौन करोड़ों सभ्य लोग होंगे जो ईनाम देंगे पत्थर भरने वाले को ?
जिसके जिस्म में पत्थर भरे जायेंगे उसके लिये कौन सा कोना होगा सिसक सिसक कर मरने के लिये ?
और आपके जश्न मनाने के लिये बनाये गये शापिंग मॉल तक उसकी सिसकियों की आवाज़ ना पहुँच सके इसके क्या इंतजाम होंगे ?
फिर आप अपने इस अय्याश्खाने को राष्ट्र कहेंगे
और सिसकने वाले को कह देंगे राष्ट्रद्रोही
और हुक्म देंगे अपनी राष्ट्रीय फौजों को कि वो खामोश कर दे इन सिसकने वालों को
और आप करोड़ों लोगों को इस तरह की बेबसी में धकेल देंगे
और फिर अपनी अय्याशी की हिफाज़त के लिये
चारों तरफ खड़ा कर लेंगे सिपाहियों को
उसे आप कहेंगे राष्ट्रीय सुरक्षा ?
आप अपने महल के ऊपर फहरा लेंगे एक तीन रंग का कपड़ा
और आप कहेंगे सिपाहियों से कि ये कपडा ही राष्ट्र है
इस कपडे की हिफाज़त करना ही सिपाहियों का फ़र्ज़ है
आप कहेंगे कि आपका गोल महल ही लोकतन्त्र है
इस महल में कभी नहीं होगा कश्मीर की कुचली गई लड़कियों का कोई भी ज़िक्र
या कभी बात नहीं होगी शीतल साठे की जिसे सिर्फ इसलिये छिप कर रहना पड़ रहा है
क्योंकि उसने जन्म लिया एक अवैध बस्ती की एक झोंपड़ी की एक गरीब छोटी ज़ात की औरत के पेट से .
और उस लड़की ने चुनौती दी तुम्हारे बड़े होने को ?
इसलिये तुमने अपने सिपाही पीछे लगा दिये उस बहादुर लड़की शीतल साठे के पीछे ?
तुम बड़ी जाति के हो इसलिये सम्मनित हो
तुम अमीर हो
तुम ही कानून हो
तुम ही सरकार हो
तुम चाहते हो कि हम मान लें कि तुम ही राष्ट्र हो ?
नहीं अभी रुको
अभी हमें सोचने दो इन सब बातों पर
हम सवाल उठाएंगे
हर बात पर
हम सवाल उठाएंगे धर्म पर राष्ट्र पर जाति पर सरकार पर
तुम्हारे बड़े और अपने छोटे होने पर
इस दुनिया को अब पहले जैसी दुखी नहीं रहने देंगे हम
इस दुनिया को दुखी बनाने वाली हर चीज़ को हम खत्म करेंगे हम
तब मानेंगे

आपने एक ज़मीन के टुकड़े की एक सीमा बनाई   उस ज़मीन के टुकड़े को राष्ट्र कहा   इसमें रहने वाले सारे लोग अपने आप अब उस राष्ट्र के नागरिक हो गये  अब इन सब लोगों के क्या अधिकार होंगे ?  इनमे से कौन जन्म से ही सम्म्मानित माना जायेगा   और कौन जन्म से ही अपमानित माना जाएगा ?  कौन काट सकेगा किसके बच्चों को तलवारों से ?  और किसका संरक्षण करेगी अदालत लक्ष्मणपुर बाथे के हत्या कांड के बाद भी ?  किसका घर कौन बुलडोजर लगा कर तोड़ सकेगा मुंबई में ?  किसके फायदे के लिये सिपाही मार सकेंगे दूसरे नागरिकों को बस्तर में ?  किसको जन्म से ही माना जायेगा राष्ट्रभक्त ?  और कौन बिना किसी कसूर के ही देखा जायेगा हमेशा संदेह की नज़र से क्योंकि उसका विश्वास अलग होगा इश्वर के बारे में ?  किसकी धरती ज़्यादा होगी और किसी को नहीं होगा ज़मीन पर कहीं भी रहने का कोई ह्क़ ?  कौन मानेगा अपने जन्म को बे ज़रूरत इस धरती पर ?  और कौन इतराएगा देख कर अपनी मीलों तक फ़ैली हुई ज़मीन को ?  किसके जिस्म में पत्थर भरे जायेंगे ?  और कौन करोड़ों सभ्य लोग होंगे जो ईनाम देंगे पत्थर भरने वाले को ?  जिसके जिस्म में पत्थर भरे जायेंगे उसके लिये कौन सा कोना होगा सिसक सिसक कर मरने के लिये ?  और आपके जश्न मनाने के लिये बनाये गये शापिंग मॉल तक उसकी सिसकियों की आवाज़ ना पहुँच सके इसके क्या इंतजाम होंगे ?  फिर आप अपने इस अय्याश्खाने को राष्ट्र कहेंगे  और सिसकने वाले को कह देंगे राष्ट्रद्रोही  और हुक्म देंगे अपनी राष्ट्रीय फौजों को कि वो खामोश कर दे इन सिसकने वालों को  और आप करोड़ों लोगों को इस तरह की बेबसी में धकेल देंगे  और फिर अपनी अय्याशी की हिफाज़त के लिये  चारों तरफ खड़ा कर लेंगे सिपाहियों को  उसे आप कहेंगे राष्ट्रीय सुरक्षा ?  आप अपने महल के ऊपर फहरा लेंगे एक तीन रंग का कपड़ा  और आप कहेंगे सिपाहियों से कि ये कपडा ही राष्ट्र है  इस कपडे की हिफाज़त करना ही सिपाहियों का फ़र्ज़ है  आप कहेंगे कि आपका गोल महल ही लोकतन्त्र है  इस महल में कभी नहीं होगा कश्मीर की कुचली गई लड़कियों का कोई भी ज़िक्र  या कभी बात नहीं होगी शीतल साठे की जिसे सिर्फ इसलिये छिप कर रहना पड़ रहा है  क्योंकि उसने जन्म लिया एक अवैध बस्ती की एक झोंपड़ी की एक गरीब छोटी ज़ात की औरत के पेट से .  और उस लड़की ने चुनौती दी तुम्हारे बड़े होने को ?  इसलिये तुमने अपने सिपाही पीछे लगा दिये उस बहादुर लड़की शीतल साठे के पीछे ?  तुम बड़ी जाति के हो इसलिये सम्मनित हो  तुम अमीर हो  तुम ही कानून हो  तुम ही सरकार हो  तुम चाहते हो कि हम मान लें कि तुम ही राष्ट्र हो ?  नहीं अभी रुको  अभी हमें सोचने दो इन सब बातों पर  हम सवाल उठाएंगे  हर बात पर  हम सवाल उठाएंगे धर्म पर राष्ट्र पर जाति पर सरकार पर  तुम्हारे बड़े और अपने छोटे होने पर  इस दुनिया को अब पहले जैसी दुखी नहीं रहने देंगे हम  इस दुनिया को दुखी बनाने वाली हर चीज़ को हम खत्म करेंगे हम  तब मानेंगे
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