Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, June 28, 2015

इन दिनों पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदंबरम समाजवादी किस्म की अर्थव्यवस्था के धुन्वाधार प्रवक्ता हो रक्खे हैं. हर हफ्ते 'इंडियन एक्सप्रेस' में उनका एक आर्टिकल आता है (जो दो-तीन हिंदी अख़बारों में भी अनुदित होकर छपता है), जो दर्शाता है कि वह मोदी सरकार की उग्रवादी-अर्थव्यवस्था से बहुत त्रस्त हैं. उन्हें गाँव, गरीब, किसान, खेती की जमीन, असंगठित क्षेत्र के मजूरों आदि के अस्तित्व की बहुत चिंता सता रही. लेकिन चिदंबरम ऐसा क्यों कर रहे? मोदी और जेटली तो उन्हीं के बोये पौंधों को सींच रहे हैं. चिदंबरम तो मनमोहन और मोंटेक सिंह के साथ 1991 की ऐतिहासिक नव उदारवादी और फ्री मार्किट इकॉनोमी के मास्टर माइंड रहे हैं. ऐसा हृदयपरिवर्तन क्यों? क्या मुक्त अर्थव्यवस्था का चरित्र समझ आ गया या विपक्ष में रहने पर ढोंग कर रहे?

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...