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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, June 29, 2015

जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो उख रात नि पड़दि क्या ?

 जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो  उख रात नि पड़दि  क्या  ?

                          मुंबई बटें जसपुर तक नागराजा पूजा जात्रा -11
                             अविस्मरणीय धार्मिक -सांस्कृतिक यात्रा वृतांत - 11                   
                                  
      
                              जत्र्वै - भीष्म कुकरेती 


                       अच्काल मुंबई ह्वेन या निपट दूर दराजो गौं हो टेक्नॉलॉजी बदलण से हर रोज नै नै कहावत बणना छन अर खतम बि हूणा छन।  जन कि हमर गाँ मा पंद्रेक दिन बिटेन ट्रांसफॉर्मर कोटद्वार जोग हुयुं छौ तो गाँव दिन मा बि अन्ध्यर फील करणो छौ। अर यांइ पर एक कहवत एकाक मुखन सूण बल जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो क्या उख रात नि हूँदि क्या  ? या जै गाँव मा बिजली नि आंदि तो क्या उख लोगुं तै निंद नि आंदि ? या जै गाँव मा बिजली नि हूंदी वै गां मा कुखुड़ बांग  नि दींदन क्या ? 
  अब कहावतों पर बात आयि तो कुछ हौर नई कहावत (कै पणि बोल ) बि सुणिन अर मि यूँ कहावतों तै यीं जात्रा की महान उपल्ब्धियुं मादे एक उपलब्धि मणदु जन कि -
पैसा दिखावो तो राजधानी मा टीसी तुमकुण दारुका इंतजाम अफिक करलु। 
जै गाँव मा मिलिट्री वाळ नि हून्दन तो उक  लोग दारु नि पींदन ?
नास्ता मा चाउ माउ का मतलब यु नी च कि मेरि कज्याण अळगसि च। 
जा तैंकु झगड़ा बिजली बाबू से ह्वे जैन फिर दिख्दु कन बलब जगान्दि धौं। 
जख ब्वारी , लौड़ी अर गौड़ी नि छन तो अमूल तो छैं च। 
लौंड़ खर्चा पाणी नि द्याल तो बीपीएल कार्ड बणै द्योलु। 
जैक पेंसन पट्टा च वैक लौड़ ब्वारी बि खूब सिवा करदन। 
सरकारी साब अर परधानो दगड़ झगड़ा माने हुक्का पाणि बंद। 
म्यार नौनु बच्युं राल तो मनरेगा से बि खै ल्यालु (म्यार नौनु बच्युं रालु त  हौळ फोडिक खै ल्यालु कहावत से उपजीं नई कहावत ) 
शौचालय से पता लगणु च तैकि कमाई छैं च। 
मनिख मारी द्यावो तो जमानत मिल बि जाली पर सुंगर पर हथ बि उठैल तो  .... 
बानी आणि च तैकि कज्याण परधानी जी बण गे। 
नाक फुंजणो  सवर नी च अर परधानी बण गे। 
इनि ऋषिकेश अर हरिद्वार मा बि भौत सा नई कहावत सुणिन।  चूँकि अधिकतर कहावत अचानक उपजणा छन तो कुछ कहावत वैबरी मर जाणा छन कुछ कहावत कुछ समौ बाद समाप्त हूणा छन अर कुछ कहावत सैत च सार्वभौमिक कहावत बणि जाला। 




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