खबरची भगतदाजूयू नहीं रहे।
पलाश विश्वास
आज रात को ही कर्नाटक के लिए रवाना होना है। पखवाड़ेभर बाद कोलकाता लौचना होगा। सो, सुबह से सविता ने बाजार से राशन पानी सब्जी वगैरह, और मुंबईप्रवासी बेटे टुसुमहाराज के लिए कुछ सामान ले आने का तगादा लगा रखा था। पर नेट पर मनैं बिजी था। बाजार के लिए सविता साड़ी पहनकर तैयार हो गई तभी फिल्मकार राजीव का फोन आ गया। अपना दफ्तर हावड़ा के डोमजूर चला गया और कोलकाता से संपर्क लगभग टूट ही गया? रोजानो नोयडावालों की तरह बसयात्रा ट्राफिक जाम और कोहरा से निबटने में राजीव से अरसे से बात नहीं हुई। वह बीमार है, खबर मिली थी, पर देखने जाना संभव नहीं, इसलिए फोन पर भी खबर नहीं ली।
राजीव ने छूटते ही खबर दाग दी, नैनीताल से राजीव लोचन साह का फोन आया है, भगतदाज्यू नहीं रहे। ऐसा झटका देकर न्यूज ब्रेक करना भगतदाज्यू का अपना स्टाइल था। लगबग तीन साल से घर जाना नहीं हुआ। नैनीताल आखिरी बार कब गये याद नहीं। पर जब भी नैनीताल जाना हुआ, गिरदा शेखर मिले न मिले भगतदा और महेशदाज्यू, हरिया दाढ़ी ओर पवन राकेश से मुलाकात जरूर होती रही। गिरदा तो पहाड़ में और पहाड़ के पार अपने गीतों के साथ हुड़का लेकर धूम मचाते रहते थे। समाचार इन्हीं लोगों के बूते निकलता रहा है।
आपातकाल के दिनों में हममें से दैनिक पर्वतीय के महेश दाज्यू और भगतदा सबसे शांत रहे। कोलकाता में अब सर्दी पड़ने लगी है। कोहरा भी घना है। कल सुबह फलकनामा पकड़नी है तो आज रात को ही हावड़ा स्टेशन पर कोहरा टालने के लिए डेरा डालना है। सत्तर के दशक में कोहरा, बारिश या हिमपात का , भूस्खलन या बाढ़ का हम लोगों पर कोई असर ही नहीं था। १९७८ में भागीरथी बाढ़ कवर करने गये गिरदा ओर शेखर तो उनके लौचते न लौचते मैं गंगोत्री की ओर कूच कर गया एकदम अनजान इलाके में। यह हिमम्त उस दौर की खासियत है जब सुरक्षित दड़बे में शुतुरमुर्ग की जिंदगी जीने के बजाय हम जंगल में या पहाड़ में शीत लहर के बीच वर्षा पानी में पत्थरों या माटी के ढेले पर आराम से सर रखकर सो लिया करते थे।
नैनीताल समाचार टीम में शेखर बेहद दृढ़ता से अपनी बात कहने और मनवाने में माहिर थे। गिरदा का अपना स्टाइल था। हरुआ और महे?शदाज्यू इस झंझट में पड़ते न थे, क्या करना है , सिर्फ यह तय करके बताना था। हल्ला करने का जिम्मा मेरे और गिरदा का थी। पर इन सबके बीत जंगलात के कर्मचारी भगतदाज्यू ने बहुत मजबूती से अपनी जगह बनाई।
समाचार में आशलकुशल कालम का मौजूदा स्वरूप पहले दिन से जस का तस है. यह भगतदाज्यी की फसल है और खबरची तो वे थे ही।
शुरुआती झटके में गिरदा पर जो लिखना हो गया, अब शेखर के बार बार तकाजा के बाद भी लिखा नहीं जाता। इसी कारण से बाबा नागार्जुन और ?शलभ श्री राम सिंह या गोरख पांडे पर बाद में मुझसे लि?खा नहीं गया। अपनों के गुजर जाने के बाद ?फिर बीते हुए जमाने को याद करना वाकई बेहद यंत्रणादायक होता है।
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उत्तराखंड राज्य के गठन में पत्रकारों की एक बड़ी भूमिका थी। इस भूभाग की समस्याओं को उजागर करने के साथ ही एक पृथक राज्य के औचित्य को सिद्ध कर में पत्रकारों ने डट कर काम किया। यही नहीं, उस दौर में हुई रिपोर्टिंग ने आन्दोलनरत जनता का मनोबल बनाये रखा। इन दस-ग्यारह सालों में स्थितियाँ [...]
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उत्तराखंड में शराब के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई अनवरत जारी है। दशकों पहले दीपा देवी ने शराब की जिस दुकान को आग लगाई थी, वह अभी तक जल ही रही है। दीपा बाद में शराब के खिलाफ लड़ने वाली टिंचरी माई के नाम से मशहूर हुई। महान क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन की माता तारा देवी से [...]
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प्रवीण कुमार भट्ट इस पखवाड़े उत्तराखंड राज्य के गठन को दस साल पूरे हो जायेंगे। एक दशक के इस सफर में कई बुनियादी और बड़े सवाल पीछे छूट गये हैं जिनका हल खोजा जाना अभी बाकी है। इन्हीं में से एक सवाल उत्तराखंड की असली राजधानी का भी है। पृथक राज्य की लड़ाई के साथ [...]
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दस साल! दस साल का होने जा रहा है उत्तराखंड इस 9 नवम्बर को। एक बच्चा बचपन पार कर किशोरावस्था में प्रवेश कर रहा है। एक समाज के लिये कितना महत्वपूर्ण पड़ाव है यह ? लेकिन कहीं कोई उत्साह है क्या ? 9 नवम्बर आयेगा….राज्य का स्थापना दिवस। सब कुछ उसी कर्मकांड की तरह होगा। [...]
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तेरहवें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखंड की विधानसभा हेतु 88 करोड़ रुपया स्वीकृत किये जाने के बाद गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाये जाने की माँग जोर पकड़ रही है। हालाँकि काँग्रेस में सांसद सतपाल महाराज के अलावा कोई बड़ा नेता इस माँग से नहीं जुड़ सका है। भाजपा ने तो इस मुद्दे पर पूरी तरह मौन [...]
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प्रस्तुति : बसंत पांडे 'नदी बचाओ अभियान' के दो वर्ष पूरे होने पर एक समीक्षात्मक बैठक 22 दिसम्बर 09 को कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में सम्पन्न हुई। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार चिपको आन्दोलन ने पेड़ों के प्रति चेतना पैदा की, उसी प्रकार नदी बचाओ अभियान ने पानी व नदी के प्रति जागृति पैदा [...]
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प्रस्तुति : ओम प्रकाश भट्ट देश भर के गांधीवादी व पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नदियों के प्रवाह को उनके प्राकृतिक परिवेश में बनाये रखने का संकल्प लिया। नदियों की पवित्रता तथा पावनता को बनाये रखने व नदियों से पलने वाले लोगों के जीवन को बचाने के लिए पूरे देष में संघर्ष की रणनीति बनायी। यह तय [...]
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गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की माँग को लेकर उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों का एक दिवसीय सम्मेलन सितम्बर को श्रीनगर में बृहद् स्तर पर आयोजित किया गया। 'गैरसैंण राजधानी बनाओ संयुक्त समिति' के तत्वावधान में पहाड़ के दूरदराज से आये आन्दोलनकारियों ने एक स्वर में कहा कि राजधानी अगर बनेगी तो गैरसैंण में। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड लोक [...]
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उत्तराखंड के पूर्व आंदोलनकारी इन दिनों फिर आंदोलित हैं। यह खबर सुखद हो सकती थी बशर्ते कि आंदोलनकारी उस राज्य के व्यापक हितों की बात करते जो उनके संघर्ष की एवज में हमें मिला। जो राज्य फटी पायजामा पहनने वाले आम आदमी के लिये माँगा था, नौकरशाहों, दलालों और हूटर बजाकर आतंकित करने वाले तथाकथित [...]
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'दारू और दवा, इसी की चल रही है हवा'….'घर में शादी हो या जागर, रंग में भंग कर देता है शराबी आकर'. …जैसे नारों व गीतों के माध्यम से क्षेत्रीय संगठनों ने बसौली स्थित शराब की दुकानों के विरोध में आन्दोलन का विगुल फूँक दिया है। विभिन्न महिला मंगल दलों, महिला समूहों से जुड़ी महिलाओं [...]
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'यार चन्दन' से शुरू होती थीं उनकी भावभीनी चिठ्ठियाँ
लेखक : नैनीताल समाचारबाँके लाल कंसल: एक शताब्दी तक फैला इतिहास
लेखक : डाँ. अजय रावत
खत्तेवासियों के नारों से गूँजा हल्द्वानी का आकाश
लेखक : नैनीताल समाचार'लहरों के राजहंस' का मंचन
लेखक : नैनीताल समाचारसम्पादकीय : क्या यह चुनाव की तैयारी है?
लेखक : राजीव लोचन साह
चिट्ठी पत्री : भाषा, बोली या आंचलिक भाषा?
लेखक : नैनीताल समाचार
Category: विशेषांक, हरेला-अंक
अपनी माटी से ताउम्र जुड़े रहे उमेशदा
By नैनीताल समाचार on August 9, 2010
Category: विशेषांक, हरेला-अंकमुम्बई का हिल स्टेशन 'माथेरान' और नैनीताल
By रमदा on August 9, 2010
Category: विविध, विशेषांक, हरेला-अंकश्रीनगर के लिये अभिशाप बन कर आई है जल विद्युत परियोजना
By नैनीताल समाचार on August 8, 2010
Category: उर्जा, विशेषांक, हरेला-अंक
जयदीप लघु उद्योग
By प्रदीप तिवारी on August 9, 2010
Category: विविधएक प्रखर व प्रतिभाशाली पत्रकार के जीवन की अतिंम यात्रा
By राजीव लोचन साह on July 29, 2010
Category: विशेषांक, हरेला-अंकभारी बजट के बावजूद प्यासे हैं गाँव
By जगमोहन रौतेला on August 1, 2010
Category: जल, विशेषांक, हरेला-अंक
याद रहेंगे पत्तीदास
By प्रेम पंचोली on August 9, 2010
Category: विशेषांक, श्रद्धांजली, हरेला-अंकहेम पाण्डे: सच के लिए मरने का उसे अफसोस नहीं हुआ होगा
By प्रभात उप्रेती on July 28, 2010
Category: विशेषांक, हरेला-अंकस्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा रहा भीमताल का हरेला मेला
By नैनीताल समाचार on August 9, 2010
Category: विविध, विशेषांक, हरेला-अंक
By नैनीताल समाचार on March 5, 2010
Category: व्यक्तित्व, संस्मरणकटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
By विजय जड़धारी on March 5, 2010
Category: विविधस्पष्ट दिशा के अभाव में बद्तर होते राज्य के हालात
By संजीव भगत on March 5, 2010
Category: विविध''तब के आई.सी.एस. साइकिल पर जाते थे या फिर इक्के पर''
By कमल जोशी on March 5, 2010
Category: विविधनदियों को सुरंगों में डालकर उत्तराखण्ड को सूखा प्रदेश बनाने की तैयारी
By हरीश चन्द्र चंदोला on March 5, 2010
Category: उर्जा, जल, विविधउत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!
By नैनीताल समाचार on March 5, 2010
Category: सम्पादकीय'कैंपेन फार ज्यूडिशियल एकांउटेबिलिटी एण्ड रिफार्म्स' का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन
By नैनीताल समाचार on March 5, 2010
Category: विविधशराब माफिया व प्रशासन के खिलाफ उग्र आन्दोलन की तैयारी
By महेश जोशी on March 5, 2010
Category: विविधनियम विरुद्ध करवाए गए सरमोली-जैंती वन पंचायत चुनाव
By कैलाश चन्द्र पपनै on March 5, 2010
Category: विविधनैनीताल को बचाने के लिये जबर्दस्त संकल्प की जरूरत है
By उमेश तिवारी 'विस्वास on March 5, 2010
Category: विविध
पलाश विश्वास
आज रात को ही कर्नाटक के लिए रवाना होना है। पखवाड़ेभर बाद कोलकाता लौचना होगा। सो, सुबह से सविता ने बाजार से राशन पानी सब्जी वगैरह, और मुंबईप्रवासी बेटे टुसुमहाराज के लिए कुछ सामान ले आने का तगादा लगा रखा था। पर नेट पर मनैं बिजी था। बाजार के लिए सविता साड़ी पहनकर तैयार हो गई तभी फिल्मकार राजीव का फोन आ गया। अपना दफ्तर हावड़ा के डोमजूर चला गया और कोलकाता से संपर्क लगभग टूट ही गया? रोजानो नोयडावालों की तरह बसयात्रा ट्राफिक जाम और कोहरा से निबटने में राजीव से अरसे से बात नहीं हुई। वह बीमार है, खबर मिली थी, पर देखने जाना संभव नहीं, इसलिए फोन पर भी खबर नहीं ली।
राजीव ने छूटते ही खबर दाग दी, नैनीताल से राजीव लोचन साह का फोन आया है, भगतदाज्यू नहीं रहे। ऐसा झटका देकर न्यूज ब्रेक करना भगतदाज्यू का अपना स्टाइल था। लगबग तीन साल से घर जाना नहीं हुआ। नैनीताल आखिरी बार कब गये याद नहीं। पर जब भी नैनीताल जाना हुआ, गिरदा शेखर मिले न मिले भगतदा और महेशदाज्यू, हरिया दाढ़ी ओर पवन राकेश से मुलाकात जरूर होती रही। गिरदा तो पहाड़ में और पहाड़ के पार अपने गीतों के साथ हुड़का लेकर धूम मचाते रहते थे। समाचार इन्हीं लोगों के बूते निकलता रहा है।
आपातकाल के दिनों में हममें से दैनिक पर्वतीय के महेश दाज्यू और भगतदा सबसे शांत रहे। कोलकाता में अब सर्दी पड़ने लगी है। कोहरा भी घना है। कल सुबह फलकनामा पकड़नी है तो आज रात को ही हावड़ा स्टेशन पर कोहरा टालने के लिए डेरा डालना है। सत्तर के दशक में कोहरा, बारिश या हिमपात का , भूस्खलन या बाढ़ का हम लोगों पर कोई असर ही नहीं था। १९७८ में भागीरथी बाढ़ कवर करने गये गिरदा ओर शेखर तो उनके लौचते न लौचते मैं गंगोत्री की ओर कूच कर गया एकदम अनजान इलाके में। यह हिमम्त उस दौर की खासियत है जब सुरक्षित दड़बे में शुतुरमुर्ग की जिंदगी जीने के बजाय हम जंगल में या पहाड़ में शीत लहर के बीच वर्षा पानी में पत्थरों या माटी के ढेले पर आराम से सर रखकर सो लिया करते थे।
नैनीताल समाचार टीम में शेखर बेहद दृढ़ता से अपनी बात कहने और मनवाने में माहिर थे। गिरदा का अपना स्टाइल था। हरुआ और महे?शदाज्यू इस झंझट में पड़ते न थे, क्या करना है , सिर्फ यह तय करके बताना था। हल्ला करने का जिम्मा मेरे और गिरदा का थी। पर इन सबके बीत जंगलात के कर्मचारी भगतदाज्यू ने बहुत मजबूती से अपनी जगह बनाई।
समाचार में आशलकुशल कालम का मौजूदा स्वरूप पहले दिन से जस का तस है. यह भगतदाज्यी की फसल है और खबरची तो वे थे ही।
शुरुआती झटके में गिरदा पर जो लिखना हो गया, अब शेखर के बार बार तकाजा के बाद भी लिखा नहीं जाता। इसी कारण से बाबा नागार्जुन और ?शलभ श्री राम सिंह या गोरख पांडे पर बाद में मुझसे लि?खा नहीं गया। अपनों के गुजर जाने के बाद ?फिर बीते हुए जमाने को याद करना वाकई बेहद यंत्रणादायक होता है।
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जन आन्दोलन
People's Movements on Various Issues (विभिन्न मुद्दों पर जनान्दोलन)एक किताब बदलाव के लिये
By नैनीताल समाचार on July 16, 2011उत्तराखंड राज्य के गठन में पत्रकारों की एक बड़ी भूमिका थी। इस भूभाग की समस्याओं को उजागर करने के साथ ही एक पृथक राज्य के औचित्य को सिद्ध कर में पत्रकारों ने डट कर काम किया। यही नहीं, उस दौर में हुई रिपोर्टिंग ने आन्दोलनरत जनता का मनोबल बनाये रखा। इन दस-ग्यारह सालों में स्थितियाँ [...]
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शराब के खिलाफ महिलायें
By मयंक पांडे on June 1, 2011उत्तराखंड में शराब के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई अनवरत जारी है। दशकों पहले दीपा देवी ने शराब की जिस दुकान को आग लगाई थी, वह अभी तक जल ही रही है। दीपा बाद में शराब के खिलाफ लड़ने वाली टिंचरी माई के नाम से मशहूर हुई। महान क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन की माता तारा देवी से [...]
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युवाओं ने जीवित रखा गैरसैंण का मुद्दा
By नैनीताल समाचार on December 28, 2010प्रवीण कुमार भट्ट इस पखवाड़े उत्तराखंड राज्य के गठन को दस साल पूरे हो जायेंगे। एक दशक के इस सफर में कई बुनियादी और बड़े सवाल पीछे छूट गये हैं जिनका हल खोजा जाना अभी बाकी है। इन्हीं में से एक सवाल उत्तराखंड की असली राजधानी का भी है। पृथक राज्य की लड़ाई के साथ [...]
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हाँ, दस साल हो गये हैं राज्य बने
By नैनीताल समाचार on December 24, 2010दस साल! दस साल का होने जा रहा है उत्तराखंड इस 9 नवम्बर को। एक बच्चा बचपन पार कर किशोरावस्था में प्रवेश कर रहा है। एक समाज के लिये कितना महत्वपूर्ण पड़ाव है यह ? लेकिन कहीं कोई उत्साह है क्या ? 9 नवम्बर आयेगा….राज्य का स्थापना दिवस। सब कुछ उसी कर्मकांड की तरह होगा। [...]
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निशंक सरकार गैरसैंण में बनायेगी सचिवालय ?
By पुरुषोत्तम असनोड़ा on June 28, 2010तेरहवें वित्त आयोग द्वारा उत्तराखंड की विधानसभा हेतु 88 करोड़ रुपया स्वीकृत किये जाने के बाद गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाये जाने की माँग जोर पकड़ रही है। हालाँकि काँग्रेस में सांसद सतपाल महाराज के अलावा कोई बड़ा नेता इस माँग से नहीं जुड़ सका है। भाजपा ने तो इस मुद्दे पर पूरी तरह मौन [...]
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नदी अभियान की समीक्षा
By नैनीताल समाचार on January 9, 2010प्रस्तुति : बसंत पांडे 'नदी बचाओ अभियान' के दो वर्ष पूरे होने पर एक समीक्षात्मक बैठक 22 दिसम्बर 09 को कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में सम्पन्न हुई। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार चिपको आन्दोलन ने पेड़ों के प्रति चेतना पैदा की, उसी प्रकार नदी बचाओ अभियान ने पानी व नदी के प्रति जागृति पैदा [...]
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2010 'नदियों को मुक्त करो वर्ष' होगा
By नैनीताल समाचार on November 21, 2009प्रस्तुति : ओम प्रकाश भट्ट देश भर के गांधीवादी व पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नदियों के प्रवाह को उनके प्राकृतिक परिवेश में बनाये रखने का संकल्प लिया। नदियों की पवित्रता तथा पावनता को बनाये रखने व नदियों से पलने वाले लोगों के जीवन को बचाने के लिए पूरे देष में संघर्ष की रणनीति बनायी। यह तय [...]
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गैरसैंण को लेकर सरगर्मी तेज
By पंकज शर्मा on September 22, 2009गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की माँग को लेकर उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों का एक दिवसीय सम्मेलन सितम्बर को श्रीनगर में बृहद् स्तर पर आयोजित किया गया। 'गैरसैंण राजधानी बनाओ संयुक्त समिति' के तत्वावधान में पहाड़ के दूरदराज से आये आन्दोलनकारियों ने एक स्वर में कहा कि राजधानी अगर बनेगी तो गैरसैंण में। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड लोक [...]
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हाँ..हाँ रे आन्दोलनकारी….. क्यों गई तेरी मति मारी
By शंम्भू राणा on February 15, 2009उत्तराखंड के पूर्व आंदोलनकारी इन दिनों फिर आंदोलित हैं। यह खबर सुखद हो सकती थी बशर्ते कि आंदोलनकारी उस राज्य के व्यापक हितों की बात करते जो उनके संघर्ष की एवज में हमें मिला। जो राज्य फटी पायजामा पहनने वाले आम आदमी के लिये माँगा था, नौकरशाहों, दलालों और हूटर बजाकर आतंकित करने वाले तथाकथित [...]
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अब राग रंग को तबाह करने वाली सत्यानाशी शराब के खिलाफ ग्रामीण
By महेश जोशी on February 15, 2009'दारू और दवा, इसी की चल रही है हवा'….'घर में शादी हो या जागर, रंग में भंग कर देता है शराबी आकर'. …जैसे नारों व गीतों के माध्यम से क्षेत्रीय संगठनों ने बसौली स्थित शराब की दुकानों के विरोध में आन्दोलन का विगुल फूँक दिया है। विभिन्न महिला मंगल दलों, महिला समूहों से जुड़ी महिलाओं [...]
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ताजा अंकअलविदा बीबीसी… उँगलियाँ तो फिर भी तलाशेंगी तुझे
लेखक : शंम्भू राणा'यार चन्दन' से शुरू होती थीं उनकी भावभीनी चिठ्ठियाँ
लेखक : नैनीताल समाचारबाँके लाल कंसल: एक शताब्दी तक फैला इतिहास
लेखक : डाँ. अजय रावत
खत्तेवासियों के नारों से गूँजा हल्द्वानी का आकाश
लेखक : नैनीताल समाचार'लहरों के राजहंस' का मंचन
लेखक : नैनीताल समाचारसम्पादकीय : क्या यह चुनाव की तैयारी है?
लेखक : राजीव लोचन साह
चिट्ठी पत्री : भाषा, बोली या आंचलिक भाषा?
लेखक : नैनीताल समाचार
हरेला अंक-2010हरेले के तिनड़े के साथ बधाई
By रोहित जोशी on July 23, 2010Category: विशेषांक, हरेला-अंक
अपनी माटी से ताउम्र जुड़े रहे उमेशदा
By नैनीताल समाचार on August 9, 2010
Category: विशेषांक, हरेला-अंकमुम्बई का हिल स्टेशन 'माथेरान' और नैनीताल
By रमदा on August 9, 2010
Category: विविध, विशेषांक, हरेला-अंकश्रीनगर के लिये अभिशाप बन कर आई है जल विद्युत परियोजना
By नैनीताल समाचार on August 8, 2010
Category: उर्जा, विशेषांक, हरेला-अंक
जयदीप लघु उद्योग
By प्रदीप तिवारी on August 9, 2010
Category: विविधएक प्रखर व प्रतिभाशाली पत्रकार के जीवन की अतिंम यात्रा
By राजीव लोचन साह on July 29, 2010
Category: विशेषांक, हरेला-अंकभारी बजट के बावजूद प्यासे हैं गाँव
By जगमोहन रौतेला on August 1, 2010
Category: जल, विशेषांक, हरेला-अंक
याद रहेंगे पत्तीदास
By प्रेम पंचोली on August 9, 2010
Category: विशेषांक, श्रद्धांजली, हरेला-अंकहेम पाण्डे: सच के लिए मरने का उसे अफसोस नहीं हुआ होगा
By प्रभात उप्रेती on July 28, 2010
Category: विशेषांक, हरेला-अंकस्वतंत्रता आन्दोलन से जुड़ा रहा भीमताल का हरेला मेला
By नैनीताल समाचार on August 9, 2010
Category: विविध, विशेषांक, हरेला-अंक
होली अंक -2010
नहीं भुलाया जा सकता चन्द्रसिंह शाही का योगदानBy नैनीताल समाचार on March 5, 2010
Category: व्यक्तित्व, संस्मरणकटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
By विजय जड़धारी on March 5, 2010
Category: विविधस्पष्ट दिशा के अभाव में बद्तर होते राज्य के हालात
By संजीव भगत on March 5, 2010
Category: विविध''तब के आई.सी.एस. साइकिल पर जाते थे या फिर इक्के पर''
By कमल जोशी on March 5, 2010
Category: विविधनदियों को सुरंगों में डालकर उत्तराखण्ड को सूखा प्रदेश बनाने की तैयारी
By हरीश चन्द्र चंदोला on March 5, 2010
Category: उर्जा, जल, विविधउत्तराखंड में माओवाद या माओवाद का भूत ? !!
By नैनीताल समाचार on March 5, 2010
Category: सम्पादकीय'कैंपेन फार ज्यूडिशियल एकांउटेबिलिटी एण्ड रिफार्म्स' का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन
By नैनीताल समाचार on March 5, 2010
Category: विविधशराब माफिया व प्रशासन के खिलाफ उग्र आन्दोलन की तैयारी
By महेश जोशी on March 5, 2010
Category: विविधनियम विरुद्ध करवाए गए सरमोली-जैंती वन पंचायत चुनाव
By कैलाश चन्द्र पपनै on March 5, 2010
Category: विविधनैनीताल को बचाने के लिये जबर्दस्त संकल्प की जरूरत है
By उमेश तिवारी 'विस्वास on March 5, 2010
Category: विविध
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- anil on कौन खरीद पायेगा इतनी महंगी दवाओं को ? मेरा पहाड़ (Mera Pahad)
- लिपि कोई मजबूरी नहीं
- भाषायें बहता हुआ दरिया हैं
- कुमाऊनी-गढ़वाली को मिले उत्तराखण्ड की 'द्वितीय भाषा' का दर्जा
- लिपि कला नहीं विज्ञान है- एक आविष्कार है
- भाषा ही नहीं, सांस्कृतिक पहचान का प्रश्न
- स्थानीय बनाम व्यावहारिक भाषा
- शैलनट की कार्यशाला रुद्रपुर में
- एक प्रतिबद्ध कामरेड स्व० नारायण दत्त सुन्दरियाल
- उत्तराखण्ड की एक विरासत है कुमाऊंनी रामलीला
- श्री पी. सी. जोशी – भारत में कम्युनिस्ट पार्टी के आधार स्तम्भ Apna Uttarakhand
- ऐसे अनपढ़ चाहिये पहाड़ को
- चिपको के बहाने कुछ और बातें…
- रैणी: 26 मार्च 1974: चिपको आंदोलन की सच्ची कहानी
- एक थीं गौरा देवी: एक माँ के बहाने चिपको आन्दोलन की याद
- मेरे को पहाड़ी मत बोलो मैं देहरादूण वाला हूं
- भिनज्यू को बेटे में बदलने की साजिश
- भिनज्यू : हरफनमौला.. हरफन अधूरा
- माठु माठु हिट जरा हौले हौले चल तू
- त्यारा रूप कि झौल मां, नौंणी सी ज्यू म्यारु
- फसलें और त्यौहार
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