Sunday, 20 May 2012 16:07 |
कोलकाता, 20 मई (एजेंसी) पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के शासन के एक साल पूरे हो चुके हैं। पश्चिम बंगाल का बुद्धिजीवी वर्ग कभी ममता बनर्जी का समर्थक था। लेकिन अब जब राज्य में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष के शासन के एक साल पूरे हो चुके हैं तो बुद्धिजीवियों की राय ममता के बारे में अलग अलग है। मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित लेखिका महाश्वेता देवी ने रैली निकाले जाने तथा भूख हड़ताल की अनुमति के लिए 'एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आॅफ डेमोक्रेटिक राइट्स' :एपीडीआर: को पुलिस के इंकार के कारण तृणमूल सरकार को 'फासीवादी' करार दिया है। तृणमूल कांग्रेस के बागी सांसद, गायक और संगीतकार कबीर सुमन ने कहा ''कभी मैं उनकी अच्छाइयों की तारीफ करते हुए गाने लिखता था। अब मैं और ऐसा नहीं कर सकता। विपक्ष की नेता के तौर पर उनका कद उच्च्ंचा था लेकिन सत्तारूढ़ दल की नेता के तौर पर ऐसा नहीं है।'' ममता के प्रति राय बदलने का कारण बताते हुए सुमन ने कहा ''मामूली सी भी आलोचना से उनके मन में बैर भाव आ जाता है। मैं सोच विचार करने वाला व्यक्ति हूं लेकिन वह अपने आसपास ऐसे लोग चाहती हैं जो केवल उनकी हां में हां मिलाते रहें।'' बहरहाल, प्रख्यात चित्रकार शुवप्रसन्ना ने कहा ''मैं किसी दल से नहीं जुड़ा हूं। लेकिन मैं उनका समर्थन करता हूं क्योंकि उन्होंने राज्य में हर ओर विकास किया है।'' उन्होंने कहा ''सांस्कृतिक और रचनात्मक मोर्चे पर लोग इसलिए उत्साहित हैं क्योंकि उन्होंने हमारे लिए कई कदम उठाए हैं।'' |
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Sunday, May 20, 2012
बुद्धिजीवियों की राय में ‘निरंकुश’ हैं ममता
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