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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, August 29, 2012

पाकिस्तान से आए हिंदुओं के साथ होगी रियायत

http://www.jagran.com/news/national-hindus-from-pakistan-will-be-a-concession-9570687.html

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पाकिस्तान से पलायन कर आए हिंदुओं के प्रति भारत ने उदारता बरतने के संकेत दिए हैं। विदेश और गृह मंत्रालय उन हिंदुओं को रियायत देने के विकल्प तलाश रहे हैं जिन्होंने पाकिस्तान वापस न जाने का एलान कर दिया है। भारतीय खेमे ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि दो सप्ताह बाद इस्लामाबाद जा रहे विदेश मंत्री एसएम कृष्णा विदेश मंत्री स्तर वार्ता में भी मामले को उठाएंगे।

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार रियायत के अलावा इन हिंदुओं के वीजा विस्तार आवेदन पर भी विचार करेगी। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि धार्मिक यात्रा के लिए आए इन यात्रियों में किसी ने भी शरण के लिए या वीजा विस्तार के लिए अभी तक आवेदन नहीं किया है। ऐसा होता है तो हर मामले पर उसकी गंभीरता के मुताबिक फैसला किया जाएगा। महत्वपूर्ण है कि वैसे तो भारत के पास कोई ठोस शरणार्थी नीति नहीं है, लेकिन वह शरणार्थियों को लौटाता नहीं है। बीते एक सप्ताह में 250 पाकिस्तानी हिंदू भारत आए हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्री 7-9 सिंतबर की अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान इन हिंदुओं के मुद्दे पर भी पाकिस्तानी नेताओं से बात करेंगे। हालांकि विदेश मंत्री स्तर वार्ता की तैयारियों के मद्देनजर भारतीय खेमा फिलहाल पाक से हिंदुओं की आमद के मुद्दे को तूल नहीं देना चाहता।

सूत्रों का कहना है कि इससे द्विपक्षीय वार्ता से पहले माहौल प्रभावित हो सकता है। महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान ने अपने हिंदू अल्पसंख्यकों को बड़ी संख्या में वीजा दिए जाने को साजिश करार देना शुरू कर दिया है। इन आरोपों पर भारतीय पक्ष का कहना है कि द्विपक्षीय वीजा समझौते के तहत ही धार्मिक यात्रा के लिए ये वीजा जारी किए गए हैं।

बीते कुछ दिनों में पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों ने अपने साथ हो रहे अत्याचारों की दास्तान बयान करने के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वे लौटने की मंशा नहीं रखते। करीब साढ़े सत्रह करोड़ आबादी वाले पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की तादाद ढाई फीसद है।

पाक में न जिंदगी सुरक्षित है, न इज्जत

इंदौर। वहां न तो हमारी बहू-बेटियां सुरक्षित हैं और न ही हमारी जान। घर में घुसकर कब, कौन लूट ले कोई भरोसा नहीं। व्यापार करने की भी छूट नहीं है। पाकिस्तानी सरकार भी हमारी मदद नहीं करती। वाघा बॉर्डर पर हमें रोकने की कोशिश की गई। कई साथी हताश होकर पाकिस्तान लौट गए, लेकिन हम खुशनसीब हैं। अब हम किसी भी हालत में यहां से लौटना नहीं चाहते। सभी शरणार्थी धार्मिक वीजा पर भारत आए हैं।

यह दास्तान है पाकिस्तान से इंदौर आए सिंध और बलूचिस्तान प्रांत के शरणार्थियों की। मंगलवार को 22 शरणार्थियों का जत्था निजामुद्दीन एक्सप्रेस से इंदौर आया। स्टेशन पर इनका स्वागत भाजपा नगर अध्यक्ष शंकर लालवानी ने किया। शरणार्थियों ने बताया कि 52 सदस्यों का दूसरा जत्था बुधवार को शहर आएगा। लालवानी ने मांग की है कि केंद्र सरकार को 14 अगस्त 1947 की स्थिति बहाल करते हुए कुछ समय के लिए दोनों देशों की सीमाएं खोल देनी चाहिए। जैकबाबाद के दिलीप ने कहा कि पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों की मदद नहीं कर रही है। अगर कोई व्यक्ति इस बारे में शिकायत करता है, तो उसे सार्वजनिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है। सरकार खुद अल्पसंख्यकों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रही है।

ये शरणार्थी इतने खौफजदा थे कि मीडिया के सामने आने में कतरा रहे थे। शरणार्थियों ने बताया कि धार्मिक वीजा की समय सीमा खत्म होने पर वे लंबी अवधि के अस्थायी वीजा के लिए आवेदन करेंगे। लालवानी ने बताया कि सभी शरणार्थी सिंधी समाज के हैं। इनके रहने खाने-पीने की व्यवस्था समाज के लोग और रिश्तेदारों के यहां की जा रही है। भाजपा, केंद्र सरकार से मांग करेगी कि शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाए।

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