प्रेस विज्ञप्ति
०४/०७/२०१३
आज का भोर सिलिकोसिस पीड़ित पराण मुर्मु के लिए अंतिम स्वास लेने का दिन था. पिछले १३ सालो से पराण मुर्मु सिलिकोसिस जैसी लाईलाज जानलेवा पेशागत बीमारी से ग्रसित था. १९९९ से सर्बश्री के के मिनाराल्स नमक कोम्पनी में २००२ तक कार्यरत रहा हैं जहा कुआर्त्ज़ अर्थात सफ़ेद पथ्थरो का पाउडर और चिप्स बनाया जाता था. जहा सिलिका का बारीक़ धूलकण हवा में तैरता रहता था जो बीमारी का मुख्या बजह हैं. अबतक मुसाबोनी ब्लाक में ३७ लोगो (सूचि संग्लग्न हैं) का मौत हो चूका हैं जिसकी तथ्य आकुपेसनल सेफ्टी एंड हेल्थ एसोशिएशन ऑफ झारखण्ड के दस्ताबेज में हैं. लेकिन मजदूरों का कहना हैं की घाटशिला ब्लाक के सुदूर ग्रामीण छेत्रो से कम करने के लिए भी आते थे जिनके बारे में कोई सही आकलन नहीं हैं. अत पेशागत इतिहास से यहाँ कहा जा सकता हैं की अबतक मृतको की संख्या लगभग ४५ से कम नहीं होगा. अबतक २२ अन्य मजदूरों का जाँच हुई जो सिलिकोसिस से पीड़ित होने की ओर इशारा करता हैं. इसके अतिरिक्त १४०/१४५ धुल पीड़ित मजदूर हैं जो उपोरोक्त मृतक और पीड़ित जिसकी जाँच अबतक नहीं हुआ हैं. जबकि इस सम्मंध में जानकारी सभी सम्मंधित सरकारी बिभागो और मंत्रनालय को दिया २००४ से ही दिया जा रहा था.
१२ फरबरी २०१२ को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देश के पुर्बांचलियो राज्यों का एक रिव्यू बैठक हुई जिसमे राज्यों सरकार के प्रतिनिधि एबंग सम्मंधित संस्था ने भाग लिए जिसमे यहाँ निर्णय हुआ था की ओसाज की ओर से स्वास्थ बिभाग के अलावा झारखण्ड के सभी सम्मंधित बिभागो को पीड़ित मजदूरों की सूचि प्रस्तुत करना हैं. इसी निर्देशानुसार ओसाज संस्था की ओर से नए सिरेसे पत्रांक. २५८ दिंनाक १४/३/२०१२ के तहत ज्ञापन, जाँच प्रतिबेदन सहित उक्तो सिलिकोसिस मृतक, सिलिकोसिस पीड़ित व जीबित एबंग धुल प्रभाबित मजदूरों सूचि उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम को और जिसकी प्रतिलिपि झारखण्ड के माननीयों मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री गानों, प्रधान स्वास्थ सचिव, प्रधान श्रम सचिब, श्रमायुक्त, संयुक्त श्रमायुक्त एबंग उप-श्रमायुक्त के कार्यालय में ०३/०४/२०१२ एबंग ०४/०४/२०१२ को जमा कर दिया गया हैं. मुख्य कारखाना निरीक्षक को भी अलग से पत्रों लिखा गया था. लेकिन खेद के साथ यह कहना पर रहा हैं की आज तक सर्बोच्य नायालय के आदेशानुसार न सिलिकोसिस पीडितो का मुआबजा मिला न ही सिलिकोसिस पीडितो के लिए जीवनदायी चिकित्सा सुविधाओं मुहैया कराया गया और नहीं धुल पीडितो का स्वास्थ जाँच कराया गया. इन सूचीबद्ध सभी मजदूर सिलिकोसिस से मृतक एबंग पीड़ित ब्यक्तियो के साथ कार्यरत रहे हैं.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने १०/०७/२०१२ को झारखण्ड सरकार को सिलिकोसिस से मृतक को मुवाबजा देने के सम्मंध में जो कारण बताओ नोटिस जारी किया था उसीमे हमारी संस्था के लिए एक निर्देश यह था की झारखण्ड के मुख्य सचिब को उपरोक्त सूचियाँ मुहैया कराया जाय. उपोरोक्त सभी सूचियाँ मुख्य सचिव को भेज दिया गया था लेकिन स्थिति जो के त्यों बनी रही कोई परिवर्तन नहीं हुई और गरीब मजदूरों के मौत का सिलसिला चलता आ रहा हैं जो आज भी जारी हैं. अभी बर्तमान समय में सर्वाधिक पीड़ित मजदूरों का नाम श्रीमती कार्मि हंसदा (18.08.2011), श्रीमती गुड्डी मुखी (22.09.2012), श्रीमती पार्वती मार्डी (03.11.2012), श्री अंतर्यामी नायक (28.12.2012), श्री पराण मुर्मू (03.07.2013), का देहांत वर्णित तिथियो में हो गया हैं. तत्काल कई अन्यों मजदूरों का स्तिथि काफी संकट जनक हैं, जिसमे सर्बाधिक खराब स्तिथि में श्रीमती तरमोनी कर्मकार, श्रीमती बासो (धांगी) हंसदा, श्रीमती रानी मुर्मू, श्रीमती पानो हंसदा, श्रीमती राधि महाली, श्रीमती पानो हंसदा, श्री घासीराम कर्मकार, श्री हाथी शबर, श्री सुरेश राजवर, श्री बासुदेव भगत, श्री मनोरंजन राजवर, श्री शंकर गिरी, श्री सलाखु मुर्मू, श्री लेविया बानरा, श्री श्रीराम मुंडा, श्री सल्कू हंसदा, श्री सोम बहादुर, श्री रमेश मांझी, श्री गिद्दु बेहेरा, श्री विशाल मुखी (भोला), श्री रामू सरदार हैं. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं की इनमे से अधिकांस लोगो को अपनी रोजी रोटी के लिए रोजाना मेहनत करना पर रहा हैं.
एक तो सरकार के तरफ से चिकित्स्वा एबंग स्वास्थ जाँच नहीं कराया जा रहा हैं लेकिन एक सर्कार के कुछ ओफ्फिसरो ने एक अमानवीय तरीका ढूंड निकला हैं ताकि सिलिकोसिस से मृतक मजदूरों को मुआवजा नहीं मिले. हमारी संस्था द्वारा प्रस्ताबित लगभग सभी सुझाव को स्वीकारते हुए सरकार ने सिलिकोसिस रोकथाम हेतु जो कार्य जोजन तैआर किया हैं उसमे शब् अन्तपरिक्षण को भी जोर दिया गया हैं इसका सीधा अर्थ यहाँ हैं की पीडितो का जाच नहीं होगी मरने के वाद ही अन्तपरिक्षण से पीड़ित के परिवार बालों को यह प्रमाण जुटाना हैं की मौत सिलिकोसिस से हुआ हैं. सिलिकोसिस से मृतोको के लिए शब् अन्तपरिक्षण का कोई क़ानूनी बाध्यकारी प्रावधान का विषय हैं ही नहीं और राज्य सर्कार इस तरह का कोई नियम बनाने के लिए भी कानूनन अधिकृत नहीं हैं. दी वर्कमेन काम्पेंसेसन एक्ट १९२३ के तहत पेशागत बीमारियों से पीडितो को दुर्घटना से घटित घायल अवस्था के अनुरूप समझना होगा और घायल का प्रतिसत अनुरूप मुआबजा देने का प्रावधान हैं. सिलिकोसिस से मृतोको के लिए शब् अन्तपरिक्षण का विषय इसलिए जोर गया की इन प्रक्रिया से मौत का कारण सिलिकोसिस ही हैं का संपुष्टि होगी, इस अवधारणा से पेशागत बीमारियों को दुर्घटना से घटित घायल अवस्था के अनुरूप समझने का और घायल का प्रतिसत अनुरूप मुआबजा देने का क़ानूनी प्रावधान का ही बिरोध में चला जा रहा हैं. कारखाना अधिनियम (फेक्टोरिस एक्ट) १९४८ के सूचि ३ में वर्णित सिलिकोसिस सहित अन्य पेशागत बीमारियो के लिए डॉक्टर द्वारा किसी भी ब्यक्ति को उक्त बीमारियो से पीड़ित पाए जाने पर मुख्या कारखाना निरीक्षक को सूचित करने का एबंग दी वर्कमेन काम्पेंसेसन एक्ट १९२३ एबंग इ. एस. ई एक्ट १९४८ के तहत मुआबजा देने का प्रावधान हैं. माइनिंग एक्ट १९५२ के सन्दर्भ यह बात लागु हैं और बर्णित इन सभी कानूनों में सिलिकोसिस या अन्य पेशागत बीमारी से मृतोको के लिए शब् अन्तपरिक्षण का प्रावधान नहीं हैं. अत: सिलिकोसिस रोकथाम सम्मंधित कार्य योजना में इसे शामिल करना गैर क़ानूनी और जनविरोधी हैं और इसलिए यहाँ किया गया ताकि सिलिकोसिस पीड़ित और उनके परिवारों के बच्चे और महिलाओ को सामाजिक सुरक्षा का लाभ के रूप में मुयाबजा देना न परे. इसलिए सरकार की और से कभी भी जाँच नहीं कराइ जा रही हैं किउकी सरकारकी ओर से मानवाधिकार आयोग के अदालत में १स्त माय २००८ को एक प्रतिबदन प्रस्तुत किया गया था की झारखण्ड में एक भी सिलिकोसिस के पीड़ित नहीं हैं.
झारखण्ड में ३० लाख सिलिकोसिस सहित अन्य पेशगत बीमारियो से पीड़ित ब्यक्ति हैं जिनकी अकाल मौत उनके बच्चे का पढ़ाई त्यागने, बाल श्रमिक बन्ने, और पलायन करने का कारण बना हुआ हैं. अत: सरकार से हमारी मांग यह हैं की सर्वोच्य नायालय के आदेशानुसार उपोरोक्त सूचि में शामिल सभी लोगो का स्वास्थ जाँच करे, चिकित्सीय सुबिधाओ मुहैया कराया जाय एबं मुआबजा प्रदान किया जाय.
ज्ञातब्य राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जुलाई के २३/७/२०१३ को एक विशेष बैठक का आयोजन किया हैं जिसमे उपरोक्त विषयो पर चर्चा होगी.
समित कुमार कार
महासचिव, ओसाज
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