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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, July 4, 2013

Rihai Manch- IM is the brain child of IB. Bring White paper on IM. Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 44 days.




RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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राजेन्द्र कुमार पर आरोप पत्र दाखिल न करके सीबीआई ने साबित किया कि वह
गृह मंत्रालय की गुलाम है- रिहाई मंच
आईबी ही चलाती है इंडियन मुजाहिदीन, सरकार श्वेतपत्र लाए- रिहाई मंच
धरने के 44 वें दिन क्रमिक उपवास पर अरुण वर्मा बैठे

लखनऊ, 4 जुलाई 2013। मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों
की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के
नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की मांग के साथ चल रहा
रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 44 वें दिन भी जारी रहा। आज उपवास पर
अरुण वर्मा बैठे।

कचहरी धमाकों के आरोप में फंसाए गए तारिक कासमी के चचा हाफिज फैयाज आजमी
ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा था कि वो मानसून सत्र में आरडी
निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन रिपोर्ट के साथ लाएंगे पर अब तक जिस
तरीके से मानसून सत्र ही नहीं बुलाया गया उसकी वजह से मेरे बेगुनाह बेटे
की रिहाई संभव नहीं हो पा रही है। ऐसे में मैं सरकार से मांग करता हूं की
जल्द से जल्द मानूसन सत्र बुलाकर आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर सरकार
एक्शन ले।

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और अवामी काउंसिल
के महासचिव असद हयात ने कहा कि कुछ दिन पूर्व गृह मंत्रालय भारत सरकार
द्वारा यह विवाद खड़ा किया गया कि सरकार को अधिकार है कि वह किसी भी लोक
सेवक के विरुद्ध तैयार किए

गए आरोप पत्र का अध्ययन करे और यह देखे कि उस कृत्य को जिसे जांच एजेंसी
द्वारा अपराध बताया जा रहा है और जिसके लिए आरोप पत्र तैयार किया गया है,
क्या वह कृत्य उस लोक सेवक द्वारा अपने पद पर रहते हुए पद से जुड़ी
जिम्मेदारियों और कर्तव्य के अनुपालन में हुआ है। गृह मंत्रालय का यह
विवाद व्यर्थ है और आईबी के अधिकारी राजेन्द्र कुमार व अन्य को बचाने का
एक कुत्सित प्रयास है। सीबीआई द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि उसके पास
इन अधिकारियों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं कि इन अधिकारियों द्वारा
साजिश में शामिल होकर फर्जी मुठभेड़ करके इशरत सहित अन्य की हत्या की
गयी। किसी भी व्यक्ति की हत्या करना और इसकी साजिश रचना किसी भी लोक सेवक
की पद से जुड़ी जिम्मेदारी और कर्तव्य नहीं है। उसके विरुद्ध जो साक्ष्य
हैं उन पर केवल न्यायालय द्वारा ही विचारण किया जा सकता है। यदि
प्रशासनिक अधिकारी और सरकारें ऐसे साक्ष्यों का विचारण करके यह निर्णय
देने लगें कि किसी लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है
अथवा नहीं तो यह लोकतंत्र के लिए घातक है और न्यायपालिका के क्षेत्र में
अतिक्रमण भी है। सीबीआई को गृह मंत्रालय की अनदेखी करते हुए इन
अधिकारियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करना चाहिए था। न्यायालय स्वतः ही
यह निर्णित कर देता कि पर्याप्त साक्ष्य हैं अथवा नहीं और हत्या तथा
फर्जी मुठभेड़ के मामले में गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलना आवश्यक है अथवा
नहीं। परन्तु ऐसा न करके सीबीआई द्वारा एक ओर जहां अपने कर्तव्य से मुंह
मोड़ा गया है वहीं उसने यह भी साबित किया है कि वह गृह मंत्रालय की गुलाम
है और यह लोकतंत्र के लिए घातक है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि जिस तरह इशरत जहां फर्जी
मुठभेड़ में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट में यह बताया गया है कि इशरत समेत
मारे गए लोगों के पास से बरामद हथियार खुद आईबी ने रखे थे उससे यह सवाल
उठना लाजमी है कि क्या जो आईबी ऐसे हथियार निर्दोषों को फंसाने के लिये
दिखा सकती है वह उन हथियारों का इस्तेमाल करते हुये देश में आतंकी घटनाएं
नहीं करा सकती। लेहाजा यह जरूरी हो जाता है कि देश की सुरक्षा के लिये
तमाम आतंकी घटनाओं और उनसे जुड़ी गिरफ्तारियों में आईबी की भूमिका की
जांच तो हो ही आईबी को तत्काल प्रभाव से भंग करते हुये उसकी जगह किसी
दूसरी एजंेसी को जिसमें सेक्यूलर मानसिकता के अधिकारी हों को गठित किया
जाए। रिहाई मंच के अध्यक्ष ने कहा कि इशरत जहां और सादिक जमाल मेहतर
फर्जी मुठभेड़ कांड से यह साबित हो गया है कि सरकारें अपने सियासी फायदे
के लिए आईबी  जैसी एजंेसियों का गलत इस्तेमाल करते हुए निर्दोषों की
हत्याएं कराती हंै और इसीलिए सारी पार्टीयां आईबी को बचाने में लग जाती
हैं जैसा कि इशरत जहां केस में हो रहा है।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि कई स्वतंत्र
जांच संगठनों और मानवाधिकार संगठनों के तरफ से इंडियन मुजाहिदीन के
अस्तित्व पर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं कि यह एक कागजी संगठन है जिसे
आईबी ने निर्दोष मुसलमनों को फसाने के लिए बनाया है। इशरत की हत्या समेत
लियाकत शाह, तारिक-खालिद प्रकरण और इंडियन मुजाहिदीन के कुछ रहस्यमयी
कमांडरों का जिनकी तस्वीरें और हुलिया तो सरकारों के पास रहता है पर जो
खुद तो कभी नहीं पकड़े जाते लेकिन उनके जानने वाले पकड़ लिए जाते हैं से
यह दावा और मजबूत हो जाता है कि आईबी ही इंडियन मुजाहिदीन नाम के फर्जी
संगठन को संचालित करवा रही है और उसके नाम पर देश भर में विस्फोट करवाकर
अपने राजनीतिक आकाओं को सियासी फायदा पहंुचा रही है।  इसलिए हम मांग करते
हैं कि केंद्र सरकार आईएम पर श्वेतपत्र लाए।

इस दौरान सोशलिस्ट फ्रंट आॅफ इंडिया के मोहम्मद आफाक ने दर्जनों
कार्यकर्ताओं के साथ गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे पर इशरत जहां फर्जी
मुठभेड़ कांड में आईबी अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाते हुए विधान सभा
के सामने शिंदे का पुतिला फूंका।

भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद अहमद, एहसानुल हक मलिक, हाजी फहीम
सिदद्ीकी, इंडियन नेशनल लीग के मो0 समी ने कहा कि खालिद की हत्या हो या
इशरत जहां की हत्या इन सभी हत्याओं के पीछे आईबी की मुख्य भूमिका है। ऐसे
में रिहाई मंच का विधान सभा लखनऊ के सामने चल रहा यह धरना आईबी के खिलाफ
पूरे जन समुदाय में जो रोष है उसको अभिव्यक्त करने का मंच बन गया है। 10
जुलाई को इस अनिश्चितकालीन धरने के पचास दिन पूरे होने के साथ ही यह एक
तारीखी धरना होगा जो कि देश की उस एजेंसी पर सवाल खड़ा करता है जिस पर
हुकूमत के डर की वजह से अब तक चुप्पी थी। यहां पर जिस तरह से खुलेआम आईबी
का पुतला दहन हुआ उसने इस कातिल एजेंसी का डर आम जनता से दूर कर दिया है।
आजमगढ़ से आए रिहाई मंच के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि दो साल
पहले आजमगढ़ समेत यूपी के बेगुनाह लड़के जो आतंकवाद के नाम जिन्हें
सरकारों ने अपना शिकार बनाया उन लड़कों के पक्ष में इशरत जहां की मां
शमीमा कौसर संजरपुर आजमगढ़ आई और कई दिनों रहीं और जिस तरीके से उन्होंने
कहा कि इंसाफ की हर जंग में वो शामिल रहेंगी ऐसे में हम उस हौसले के साथ
खड़े हैं और जब तक कि इशरत के असली गुनहगार नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को
सजा नहीं होती हम इशरत के इंसाफ की लड़ाई चलाते रहेंगे।

रिहाई मंच के धरने का संचालन रिहाई मंच के नेता हरेराम मिश्र ने किया।
धरने में पूर्व सांसद इलियास आजमी, सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, जैद अहमद
फारुकी, रिजवान अहमद, पिछड़ा महासभा के एहसाानुल हक मलिक, भारतीय एकता
पार्टी के सैयद मोइद अहमद, वकारुल हसनैन, डा0 हारिस सिद्किी, डा0 अनीस,
जुबैर जौनपुरी, शुऐब, मकसूदुल हक, आदिल सिद्किी, प्रबुद्ध गौतम,
असदुल्ला, फैज, शमीम वारसी, शाहनवाज आलम शामिल रहे।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
        Email- rihaimanchlucknow@gmail.com

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