Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, January 30, 2012

इराक से सेना हटाने के बाद ईरान को तबाह करने पर तुला अमेरिका। मुसलमानों के खिलाफ इस अनवरत युद्ध में इजराइल के अलावा​ ​ ग्लोबल हिंदुत्व भी भागीदार।​ ​​ ​पलाश विश्वास

इराक से सेना हटाने के बाद ईरान को तबाह करने पर तुला अमेरिका। मुसलमानों के खिलाफ इस अनवरत युद्ध में इजराइल के अलावा​ ​ ग्लोबल हिंदुत्व भी भागीदार।​
​​
​पलाश विश्वास

इराक से सेना हटाने के बाद ईरान को तबाह करने पर तुला अमेरिका। मुसलमानों के खिलाफ इस अनवरत युद्ध में इजराइल के अलावा​ ​ ग्लोबल हिंदुत्व भी भागीदार।​भारत अमेरिकी परमाणु समझौते पर द्स्तखत हो जाने के बाद भारत की सरकार तो आतंकवाद के विरोधी युद्ध में अमेरिका और इजराइल
के साथ पार्टनर है। इससे भी कारपोरेट हित सधते हैं क्योंकि मुक्त बाजार में अब तेल की कीमतों पर कारपोरेट का नियंत्रण है, सरकार का नहीं। याद रहे, इराक​
​के खिलाफ और हाल में लीबिया के खिलाफ अमेरिका के युद्ध का मकसद तेल कुंओं पर कब्जा जमाने का रहा है, जिस ग्लोबल हिंदुत्व का पूरा समर्थन मिला।

दूसरी ओर काटजू ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जनहित के अनुरूप होनी चाहिए। भारतीय प्रेस परिषद अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने सलमान रूश्दी की आलोचना करते हुए आज कहा कि उनकी पुस्तक 'सैटेनिक वर्सेज' में मौजूद 'सनसनी' ने मुसलमानों की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत किया है और किसी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जनहित के अनुरूप होनी चाहिए।

लेकिन काटजू सिर्फ अर्द्धसत्य बता रहे हैं और इस आयोजन के पीछे रची गई गहरी साजिश की तरफ इशारा भी नहीं करते। यह करतब तो​ ​ सच्चर आयोग और मिश्र आयोग की रपटों के तर्ज पर मुसिलिम आवेग को गुदगुदाने के लिए है। मूलनिवासियों के हिंदूकरण से​ ​ बहुसंख्यक बनने वाला सत्तावर्ग को चुनावी जीत हासिल करने के लिए मुसलमानों के जख्म पर मरहम जो लगाना होता है।

द सेटेनिक वर्सेस भारत में प्रतिबंधित है। साहित्यकार रूचिर जोशी, जीत थायिल, हरि कुंज़रू और अमिताभ कुमार ने पुस्तक के लेखक रूश्दी को न आने देने की कुछ संगठनों की मांग और उसके बाद रूश्दी की सुरक्षा को लेकर उठे विवाद के बाद इस पुस्तक के कुछ अंश महोत्सव में पढ़े थे। ये लेखक 21 और 22 जनवरी को महोत्सव को बीच में ही छो़डकर रवाना हो गए। इन लेखकों ने रूश्दी की प्रतिबंधित पुस्तक के अंश पढने पर इन लेखकों ने अपनी सफाई दी है कि उनकी मनसा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि वे तो रूश्दी के विचार लोगों तक पहुंचाना चाहते थे।


ुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रहे जस्टिस काटजू ने कहा कि सलमान रूश्दी ने हमेशा अपनी कलम से हंगामा मचाने की कोशिश की है। काटजू ने भारत में जन्मे और ब्रिटेन में रहने वाले रुश्दी के प्रशंसकों की भी आलोचना की। काटजू ने कहा कि वे हीनभावना से ग्रस्त है इसलिए विदेश में रहने वाले हर लेखक को महान मान लेते हैं।

काटजू ने कहा कि यह मैं किसी के कहने पर नहीं कह रहा हूं बल्कि मैनें उनकी कुछ किताबें पढ़ी हैं जिनके आधार पर मैं यह बातें कह रहा हूं। मुझ यह कहने में बिल्कुल भी अफसोस नहीं है कि रूश्दी अव्वल दर्जे के घटिया लेखक है।

जयपुर साहित्य महोत्सव के प्रस्तुतकर्ता (प्रोड्यूसर) का कहना है कि विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी के दौरे को सार्वजनिक करना आयोजकों की ओर से हुई एक भयावह भूल थी। वर्ष 2007 में जब इस महोत्सव का आयोजन हुआ था तब इसमें रूश्दी शामिल हुए थे और कोई हल्ला भी नहीं हुआ था। इसी तरह वर्ष 2010 में इस महोत्सव में विवादास्पद डच-सोमालियाई लेखक अयान हिरसी अली भी आए थे और कोई विवाद नहीं हुआ था।

महोत्सव के प्रस्तुतकर्ता संजय के. राय ने कहा कि यह बेहतर होता कि रूश्दी के दौरे का ऐलान नहीं किया जाता क्योंकि ऐलान से तो यह मामला पूरे महोत्सव पर हावी हो गया। सीएनएन-आईबीएन पर प्रसारित करण थापर के कार्यक्रम डेविल्स एडवोकेट में राय ने कहा कि मेरा मानना है कि रूश्दी के दौरे को सार्वजनिक करना एक बड़ी भूल थी। उन्होंने कहा कि रूश्दी का दौरा रद्द करने का फैसला उस खुफिया जानकारी के आधार पर था, जो राजस्थान आईबी की ओर से मिली थी।

उनसे पूछा गया था कि आयोजकों ने तीन सप्ताह पहले ही रूश्दी के दौरे को सार्वजनिक कर दिया था। राय ने कहा कि राजस्थान आईबी से सूचना मिली थी और इसके आधार पर रूश्दी का दौरा नहीं हुआ। यह सबसे अच्छा फैसला था। हाल ही में रूश्दी के प्रस्तावित दौरे को लेकर उस वक्त विवाद खड़ा हो गया था, जब कई मुस्लिम संगठनों ने सरकार से मांग की कि देश में प्रतिबंधित किताब द सैटेनिक वर्सेज के लेखक को भारत आने से रोका जाए।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं होने के बाद लेखक सलमान रूश्दी ने ट्विट किया है कि मुस्लिम संगठनों द्वारा हिंसा की धमकी ने बोलने की आजादी को दबाया है। सच्चे लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार होना चाहिए न कि उन्हें जो सिर्फ धमकियां देते हैं।

इससे पहले, लिटरेचर फेस्टिवल में सलमान रुश्दी की वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं हुई। किताब सेटेनिक वर्सेस से विवादों में आए लेखक सलमान रुश्दी के जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुडऩे को लेकर मुस्लिम संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया था। सुबह 11 बजे से फेस्टिवल के आयोजन स्थल डिग्गी पैलेस में संगठनों से जुड़े लोग इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। इन लोगों ने इस वीसी का जबरदस्त विरोध किया। जिसके बाद इन संगठनों के प्रतिनिधियों से फेस्टिवल के आयोजकों ने बात की। अंततः यह फैसला लिया गया कि सलमान रूश्दी की वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं होगी। कुछ ही देर पहले आयोजकों में से एक संजॉय रॉय ने आफिशियली ऐसी घोषणा की। जिसके बाद यह तय हो चुका है कि वीसी नहीं हो रही।

हालांकि इससे पहले सुबह जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजक संजॉय रॉय ने कहा कि वीसी के लिए किसी प्रकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सब कानून के दायरे में ही है। केवल उनकी एक पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया गया है, उन पर नहीं। ऐसी स्थिति में उनकी किसी अन्य पुस्तक पर उनसे चर्चा कराई जा सकती है। हालांकि वे जयपुर नहीं आ रहे लेकिन उनकी किताब पर वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा करेंगे। गौरतलब है कि सलमान रुश्दी की पुस्तक सेटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध है और उनकी भारत यात्रा का मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है।

भाजपा नेता उमा भारती ने आज कहा कि सलमान रूश्दी को मुसलमानों का वोट पाने के लिए ही जयपुर आने से रोका गया। उमा भारती ने मीडिया के सामने कहा कि विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी के भारत आने में अड़चनें सिर्फ इसलिए लगाई गईं क्योंकि कांग्रेस को मुसलमानों के वोट चाहिए थे।

अगर रूश्दी भारत आते तो कांग्रेस के मुसलिम वाटों पर असर का खतरा बढ़ जाता। रूश्दी के आने के सवाल पर जो स्थिति पैदा की गई उससे कांग्रेस के धर्म निरपेक्षता के दावे पर भी सवाल उठता है। दूसरी तरफ उमा ने कहा कि सलमान रूश्दी ने अपनी पुस्तक "द सेनेटिक वर्सेस" में हनुमान जी का भी मजाक उड़ाया है और आपत्तिजनक बातें लिखी हैं लेकिन उन्होंने कभी भी इसका विरोध नहीं किया।

उन्होंने कहा कि किसी भी लेखक को अपनी बात कहने या लिखने का हक है लेकिन उसे इस सीमा तक ही माना जा सकता है कि किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचे। उमा भारती ने समाजसेवी अन्ना हजारे की सराहना करते हुए कहा कि राजनीति की आलोचना करना ठीक है लेकिन वैकल्पिक राजनीति भी सुझाई जानी चाहिए। उनका मानना है कि हजारे राजनीति से दूर रहें तो ज्यादा अच्छा है।


ईरान की सरकारी तेल कम्पनी के प्रमुख ने कहा है कि ईरानी तेल आयात पर यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण दुनिया में तेल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल हो सकती हैं।अमेरिका और उसके सहयोगी देश ईरान पर परमाणु कार्यक्रम समाप्त करने के लिए दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि इसकी आड़ में वह परमाणु हथियार बना रह है लेकिन ईरान अपनी सफाई में कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम देश की असैन्य ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।




समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के अनुसार, नेशनल ईरानियन ऑयल कम्पनी के प्रमुख अहमद कलेहबानी ने समाचार एजेंसी इरना के साथ रविवार को बातचीत में कहा, "ऐसा लगता है कि भविष्य में हमें कीमतें 120 डॉलर से 150 डॉलर देखने को मिलेंगी।"



सोवियत संघ के पतन के बाद बनी नई वैश्विक ऴ्यवस्था में यहूदियों और ब्राह्मणों का वर्चस्व हो जाने से दुनियाभर में मुसलमानों पर ​​चौतरफा हमला हो रहा है। मुसलमानों के खिलाफ घृणा अभियान भारतीय हिंदू राष्ट्रवाद की आत्मा है जो वंदे मातरम में अभिव्यक्त है।

सलमान रूश्दी को जयपुर कारपोरेट साहित्य सम्मेलन में आमंत्रित करने, सुपरनायकत्व आरोपित करने और सैटेनिक वर्सेस की आवृत्ति वंदे मातरम के बतर्ज करने के पीछे अपनी गिनती कराने की ओबीसी की सर्वदलीय संसदीय आम सहमति अनुमोदित मांग को हाशिये पर डालकर बहुसंख्यक ​​मूलनिवासी बहुजनों के दिनोंदिन भारत मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में तेज हो रहे  राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन से दिग्भ्रमित करने और उन्हें अंध मुसलिम विरोधी हिंदू राष्ट्रवाद के रंग में रंगने की साजिश है।​
​​
​अमेरिका के ओवामा सरकार का नियंत्रण अमेरिकी कारपोरेट अर्थव्यवस्था पर काबिज जिओनिस्ट यहूदियों के अलावा घोर मुसलमानविरोधी ब्राह्ममों के हाथों में है। जिनकी देखरेख में मध्यपू्र्व में तमाम मुस्लिम देशों में फर्जी जनांदोलन के जरिए अमेरिका की कठपुतली सरकारे सत्ता में हैं।​

​ भारत में तो सत्ता की बागडोर सीधे वाशिंगटन में है और नीतियां कारपोरेट वैश्विक व्यवस्था और मुक्त बाजार के हितों में तय होती है, जिसमें तथाकथित जनप्रतिनिधियों की कोई भागीदारी नहीं होती।

मसलन जनता के द्वारा चुने गये प्रणव मुखर्जी बजट पेश करते हैं संसद में जो​ ​न तो अर्थशास्त्री हैं और न ही अर्थशास्त्र के जानकार। उनके बकलम यह बचट बनाते हैं विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के नुमाइंदा​ ​ एवम् कारिंदा मनटेक सिंह आहलूवालिया, जो जनप्रतिनिधि नहीं हैं। भारतीय नागरिकों की नागरिकता तय करने वाले हुए इनफोसिस के​ ​बास नंदन नीलेकणि। बंगाल में पोरिबर्तन के बाद सरकार ममता बनर्जी नहीं, मंटेक और सैम पित्रौदा चला रहे हैं।​

इस बीच अमेरिका के रक्षा मंत्नी लियोन पैनेटा ने क हा है कि ईरान को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनने से रोकने के लिए अमेरिका हर संभव कोशिश करेगा।

पैनेटा ने सीबीएस चैनल को दिए एक साक्षात्कार में कल कहा 'ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है और हमें उसकी सूचना मिलती है तो हम पूरी कोशिश करेंगे कि उसे ऐसा करने से रोका जाए।

जब पैनेटा से पूछा गया कि क्या ऐसा करने के लिए अमेरिका सेना की भी मदद ले सकता है तो उनका जवाब था कि इस मामले में अमेरिका ने सभी विकल्प खुले रखे हैं।

उन्होंने कहा 'अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं चाहते कि ईरान परमाणु सम्पन्न राष्ट्र का दर्जा हासिल करे। यह हमारे लिए खतरे की घंटी है और स्वाभाविक रूप से यह इजराइल के लिए भी खतरनाक है इस क्षेत्न में हम दोनों के लक्ष्य एक जैसे ही हैं।'


ज्ञात हो कि ईयू ने पिछले सोमवार को ईरान से तेल आयात बंद करने का निर्णय लिया था। ईयू ने यह कदम तब उठाया, जब ईरान ने इस महीने के प्रारम्भ में घोषणा की थी कि उसने पवित्र शिया शहर, कोम के पास स्थित एक अति सुरक्षित भूमिगत केंद्र में परमाणु सम्वर्धन कार्यक्रम शुरू कर दिया है।




यह परमाणु कार्यक्रम यूरेनियम को 20 प्रतिशत सम्वर्धित करता है, जिसे आसानी से परमाणु बम सामग्री में परिवर्तित किया जा सकता है।





ईयू का यह प्रतिबंध हालांकि पहली जुलाई से लागू होगा, लेकिन ईरान ने कहा है कि वह इससे पहले ही यूरोप को कच्चे तेल की आपूर्ति बंद कर सकता है।





कलेहबानी ने कहा है कि ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को तेल को बेचने के बदले घरेलू बाजार में तेल की खपत बढ़ाने की योजना बनाई है। ईरानी तेल उत्पादन का मात्र 18 प्रतिशत ही ईयू को जाता है।





पश्चिमी देशों को आशंका है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है, लेकिन तेहरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम असैन्य उद्देश्यों के लिए है।





ईरान ने प्रतिबंधों के प्रतिक्रियास्वरूप,मध्य पूर्व से आपूर्ति के मुख्य निर्यात मार्ग, हार्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है।


भारत ने साफ किया है कि वह अमेरिका और यूरोपीय संघ की पाबंदियों के बावजूद ईरान से कच्चे तेल के व्यापार पर रोक नहीं लगाएगा। अमेरिकी दौरे पर गए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत के लिए ईरान से होने वाले तेल आयात में कटौती का निर्णय लेना संभव नहीं है। भारत में तेजी से बढ़ रही ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान एक अहम देश है।


कच्चे तेल के कारोबार पर पाबंदी सही नहीं

परमाणु कार्यक्रमों के चलते अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान के खिलाफ कई ‌तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत के लिए ईरान से कच्चे तेल के कारोबार पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। इससे भारत को ऊर्जा जरूरतों के लिए किसी और मुल्क की मदद लेनी होगी।




पिछले हफ्ते रूश्दी को 'निम्नस्तरीय लेखक' बताने वाले न्यायमूर्ति काटजू ने इस लेखक को 'बुकर पुरस्कार' से सम्मानित किए जाने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें यह पुरस्कार क्यों मिला...यह 'रहस्य' है।  


उन्होंने एक बयान में कहा, ''कुछ लोग रूश्दी को महान लेखक बताते हैं क्योंकि उन्हें बुकर पुरस्कार मिला है। इस सिलसिले में, मैं यह कहना चाहता हूं कि साहित्य पुरस्कार अक्सर रहस्य होते हैं। अब तक साहित्य के लिए लगभग 100 नोबेल पुरस्कार दिए जा चुके हैं लेकिन किसी को भी 80 या इससे अधिक विजेताओं के नाम याद नहीं हैं।''


काटजू ने सैटेनिक वर्सेज का जिक्र करते हुए कहा कि रूश्दी ने निश्चित तौर पर अप्रत्यक्ष रूप से इस्लाम और पैगंबर पर हमला किया है। इस तरह की सनसनी से भले ही रूश्दी ने लाखों डॉलर हासिल किए हों लेकिन इसने मुसलमानों की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत किया है।


हाल फिलहाल तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति काटजू ने कहा कि किसी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जनहित के अनुरूप हो।


उन्होंने कहा, ''दूसरे शब्दों में दोनों के बीच एक संतुलन कायम करना होगा।'' काटजू ने इस बात का जिक्र किया कि संविधान का अनुच्छेद 19 :2: देश की सुरक्षा, कानून व्यवस्था और नैतिकता के हित में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तार्किक प्रतिबंध लगाता है।


इस साल जयपुर साहित्य समारोह में रूश्दी विवाद छाया रहा।  पीसीआई अध्यक्ष ने इसमें कहा था, ''रूश्दी ने 'सैटेनिक वर्सेज' के जरिए मुसलमानों की भावनाओं को गंभीर रूप से आहत किया है। फिर जयपुर में उन पर इतना ध्यान केंद्रित क्यों किया गया? क्या हिंदू और मुसलमानों को बांटने की यह कोई चाल थी? ''

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि किसी भारतीय या विदेशी लेखक पर मुश्किल से कोई चर्चा हुई। ''रूश्दी को नायक बना दिया गया।''


न्यायमूर्ति काटजू ने रूश्दी की रचनाओं की सामाजिक प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ''क्या रूश्दी के लेखन कार्यों से भारतीयों को फायदा हुआ है।''


साहित्य को बेरोजगारी, कुपोषण और किसानों की आत्महत्या की समस्याओं का समाधान करना चाहिए या नहीं...इस बारे में काटजू ने कहा, ''मेरे मुताबिक भारतीयों के लिए आजादी का मतलब भूख, अज्ञानता, बेरोजगारी, रोग और सभी तरह के अभावों से मुक्ति है, न कि मि. रूश्दी की दोयम दर्जे की किताबों को पढ़ने की स्वतंत्रता।''


अमेरिका के संयुक्त सेना प्रमुख मार्टिन डेम्पसे ने कहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई के विकल्प पर सोचना जल्दबाजी होगी क्योंकि ईरान के साथ टकराव से आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी।

डेम्पसे ने कहा 'मेरा मानना है कि ईरान के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध और राजनयिक प्रयास जैसे कदमों का असर हो रहा है। यह निर्णय लेना जल्दबाजी होगी कि आर्थिक और कूटनीतिक कदम अपर्याप्त हैं।

उन्होंने कहा कि ईरान के साथ टकराव से अस्थिरता आएगी। उन्होने स्पष्ट किया कि वह सुरक्षा चिंताओं के कारण यह बात नहीं कर रहे हैं। सच्चाईतो यह है कि इससे आर्थिक अस्थिरता पैदा हो जाएगी।

डेम्पसे का बयान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दो दिन पहले दिए गए उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।


अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) के अधिकारियों ने ईरान की संदिग्ध परमाणु परियोजना के बारे में चर्चा करने के लिए रविवार से तीन दिवसीय यात्रा शुरू कर दी। आइएईए मिशन उन बातों का समाधान करने आया है जिनमें ईरान पर परमाणु हथियार बनाने की कवायद के आरोप लग रहे हैं। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके खिलाफ इजरायल की संभावित सैन्य कार्रवाई को टालने की दिशा में एक दुर्लभ मौका माना जा रहा है। तीन सदस्यीय दल का नेतृत्व कर रहे आइएईए के प्रमुख निरीक्षक हर्मन नाकेरटस ने वियना से रवाना होते वक्त बताया कि उन्हें उम्मीद है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में हमसे बातचीत करेगा। उन्होंने कहा, हम वार्ता शुरू होने की आशा करते हैं जो काफी समय से लंबित है। दूसरी ओर ईरान की संसद के स्पीकर अली लारीजानी ने कहा कि यदि आइएईए के अधिकारी प्रोफेशनल हैं तो सहयोग का रास्ता खुल जाएगा।


अमेरिका ने ईरान के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को और कड़ा करते हुए उसके तीसरे सबसे बड़े बैंक 'तिजारत'के साथ किसी भी तरह के लेन देन पर रोक लगा दी है।

प्रतिबंध के बाद अगर कोई भी विदेशी कंपनी ईरान के तिजारत बैंक और इसके सहयोगी बेलारूस स्थित ट्रेड कैपिटल बैंक के साथ लेन देन करेगी तो वह अमेरिका के साथ किसी भी किस्म का वित्तीय संबंध नहीं रख सकेगी। हालांकि विदेशों में स्थित ईरानी कंपनियों को अपने बकाया चुकाने तथा पूर्व में किए गए लेन देन के निबटारे के लिए इन बैंकों के साथ लेने देन की छूट बनी रहेगी।

अमेरिका का कहनाहै कि इस प्रतिबंध के बाद ईरान अंतरराष्ट्रीय आर्थिक जगत से अलग थलग पड़ जाएगा। इससे ईरान को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

इससे पहले यूरोपीय संघ ने ईरान के खिलाफ लगाए जाने वाले कड़े आर्थिक क प्रतिबंधों को मंजूरी दे दी जिसमें वहां से कच्चे तेल के आयात और ईरानी केन्द्रीय बैंक की संपत्ति को सील कर दिया जाना भी शामिल है।


ईरान ने अमेरिका को दी गई चुनौती पर खरा उतरते हुए मानवरहित ड्रोन विमान बना लिया है और जल्द ही इसका इस्तेमाल शुरु करने की तैयारी में है।

चीन की शिन्हुआ संवाद एजेंसी ने ईरान की ड्रोन परियोजना के मुख्य इंजीनियर मेहदी इराजी के हवाले से बताया कि इस मानवरहित विमान को 'ए वन' का नाम दिया गया है और यह अधिकतम 10 हजार फुट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।

ईरान के रक्षा मंत्नी अहमद वाहिदी ने भी रविवार को बताया कि उनका देश बहुत जल्द ही इस टोही विमान का इस्तेमाल शुरु कर देगा। इस टोही विमान को जमीनी ठिकानों पर नजर रखने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है१ इस पर श्रृव्य और रासायनिक सेंसर तो लगाए ही गए हैं साथ ही यह रंगों का अंतर पहचानने में भी सक्षम होगा।

यह विमान एकल इंजन वाले प्रोपेलर के माध्यम से उड़ान भरेगा और इसे आवश्यक गति देने के लिए ट्रक या जहाज पर लगी प्रक्षेपण प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा जिसके बाद यह स्वत:ही प्रोपेलर के माध्यम से आसमान की दूरियां नापने में सक्षम होगा। यह विमान पांच किलोग्राम भार के साथ दो घंटे तक उड़ान भर सकता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष के आखिर में ईरान ने उसकी निगरानी कर रहे अमेरिका के एक टोही ड्रोन को मार गिराया था। ईरान ने बाद में इस विमान को अपने कब्जे में ले लिया था और घोषणा की थी कि वह बहुत जल्द ही इसकी नकल तैयार कर लेगा।

ईरान द्वारा ड्रोन विमान हथिया लेने के बाद अमेरिका के राजनीतिक गलियारों में एक तूफ़ान सा उठ खड़ा हुआ था। यह दोनों देशों के संबंधों में तल्खी का चरम बिंदु साबित हुआ और इसका बदला अमेरिका ने ईरान पर अधिक कड़े आर्थिक प्रतिबंध थोप कर लिया।






​​
​​

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...