अजल सत्याग्रह
पलाश विश्वास
जल सत्याग्रह पर वे भी हैं जो फिलहाल जल में नहीं है कतई!
पर वे सभी बहिष्कृत भारत जन शामिल हैं अनंत डूब में
और एक अश्वमेधी युद्ध जारी है जिनके खिलाफ सर्वत्र।
गौर करने लायक हैं कि
वे निहत्थे हैं हालांकि
प्रकृति और मनुष्य के अधिकारों के हक में आवाज बुलंद करने के
राष्ट्रद्रोह के मामले में संदिग्ध हैं वे सभी,
मसलन
सुदूर अस्पृश्य मणिपुर की
लौहमानवी
इरोम
शर्मिला!
बारह वर्षों से आमरण अनशन पर,
और शायद आपको कभी मालूम न हो,
शर्मिला के अनशन में शामिल है बाकी देश भी।
चूंकि देश की दिनचर्या में आपने
आंदोलन और प्रतिरोध को प्रतिबंधित कर दिया है
और निश्चिंत है कि कहीं कुछ नहीं हो रहा है आपके खिलाफ!
पूरा देश अब कुडनकुलम है
या फिर नर्मदा बांध या टिहरी या इंदिरा सरोवर
या जैतापुर परमाणु संकुल या स्वर्णिम चतुर्भुज या सेज
इंदितकरई समुद्रतट का विस्तार
मंगल अभियान हेतु नियत अंतरिक्ष से भी तेज है।
उन्हें नहीं मालूम
जो सशस्त्र बल विशेष सैन्य अधिनियम की छतरी से ढके हुए हैं
स्थगित परमाणु विस्फोट कश्मीर से लेकर मणिपुर तक
या रंग बिरंगे अभियानों से नरसंहार का विविध आयाम खोल रहे हैं
दंडकारण्य समेत हर आदिवासी इलाके में,
जहां जल जंगल जमीन के अधिकार,
नागरिकता, और संविधान
निलंबित है,
गणतंत्र बेमायने हैं।
मुगालते में हैं वे महाजन जिनकी संसदीय राजनीति में
संसद मौन है, अवाक दर्शक, सत्र स्तब्ध
और राष्ट्र के सैन्यीकरण से
बजरिये कालाधन की अर्थव्यवस्था
मुक्त बाजार के निर्द्वंद्व आखेटगाह में
आर्थिक सुधारों के रथ पर सवार
एक दूसरे के विरुद्द खेल रहे हैं
असीमित क्रिकेट। अर्थशास्त्री कुछ नहीं समझते
सिवाय साम्राज्यवादी इशारों और कारपोरेट लाबिइंग!
और वे हवा में हैं अनंतकाल से।
दमन और दखल का परिवेश बनाकर
पूरे देश को वधस्थल बनाने में
दिनरात चौबीसों घंटे व्यस्त है जो मीडिया
और जिनकी संगत में तालबद्ध है
सुशील सवर्ण समाज
सामाजिक न्याय, समता, समान अवसर,
भ्रातृत्व और मानवता के विरुद्ध सदैव सक्रिय,
उन्हें भी मालूम नहीं है कि
सत्याग्रह हो
या जल सत्याग्रह,
उसमें आखिर शामिल है समूचा देश
जबकि सत्ता का कोई दुर्भेद्य किला नहीं है इतिहास में।
जनता जब आती है,
सिंहासन स्वतः खाली हो जाता है
और सारे ब्रह्मास्त्र हैंग हो जाते हैं, हैक हो जाते हैं।
नदियां अंततः बंधी नहीं रह सकती क्योंकि
पानी से धारदार कोई हथियार नहीं होता
और उसके विरुद्ध
कोई प्रक्षेपास्त्र प्रणाली काम नहीं करती।
ग्लेशियर जब पिघलते हों ,
तब जलप्रलय तय है
और सौर्य आंधियों का क्या कहना है!
उन्हें मालूम नहीं है कि इतिहास विभागों
और पुरातत्व समाज के अनजाने में
जागने लगे हैं
मोहंजोदोड़ो और हड़प्पा के तमाम नगर,
एकदिन जाग उठेंगे
तमाम युद्धस्थलों में मारे गये लोग
और खूंटी में टंगी उनके कटे हुए सिर
पूर्वजों की विस्मृत अवलुप्त भाषाओं में
मुखर होंगे
आक्रमणकारी तत्वों के विरुद्ध!
और कोई मोसाद या सीआईए या अमेरिका
या इजराइल की अगुवाई में
पारमाणविक सैन्य गठबंधन,
विश्वबैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, डब्लूटीओ,
विदेशी निवेशक संस्थाएं, डालर वर्चस्व,
शेयर बाजार या सोने की छलांग,
विनिवेश या धार्मिक राष्ट्रवाद के बूते में नहीं है
वह महाविद्रोह रोकना, जो अपरिहार्य है।
सिर्फ इंतजार है कि गुलामों को
अपनी गुलामी का तनिक अहसास तो हो और
आजादी का जज्बा
जिस दिन उनके रगों में दौड़ने लगेगा,
पार्टीबद्ध, जातिबद्ध तिकड़मों में बंधी
मनुष्यता की मुक्ति अभिव्यक्त होनी ही है अंततः
और उसे आयातित लोकतंत्र
या तेल युद्ध या संयुक्त राष्ट्रसंघ सुरक्षा परिषद के
पक्षपाती फतवों से रोका नहीं जा सकता।
मध्यपूर्व और अफ्रीका में अब भी
वसंत पर भारी है रेगिस्तान की आंधी!
किसी को खबर नहीं है कि अवतार फिल्मी कल्पना से परे
जमीनी हकीकत भी है और मिस्र के ममी फिर जगने लगे हैं
घाटियों में सुलगने लगा है बारुद, जबकि सुरंगें बिछी हैं महानगरों में,
बेदखल लोगों की फौजें
कब राजधानी की ओर कूच कर दें, और यह देश
अफ्रीका, लातिन अमेरिका या मध्यपूर्व की तरह
विद्रोह के कार्निवाल में
हो जाय शामिल, किसी को नहीं मालूम।
कारपोरेट चंदों से चलने वाली राजनीति,
समाचार माध्यम,
सिविल सोसाइटी
अपने टैक्सफ्री स्वर्ग में
कब तक रहेंगे सुरक्षित
कहना मुश्किल है,
पर सिक कबाब बनाये जाने के लिए
चुने गये लोग खतरनाक तो होंगे ही!
उन्हें हरगिज खबर नहीं है
भूगर्भीय और भूमिगत हलचलों की,
सुनामी के पूर्वाभाष पर मौसम विभाग का वर्चस्व नहीं है
समाचार माध्यमों में प्रसारित तस्वीरों में वह नही है,
जिसमें सुनामी के बीज जनम ले रहा है।
जल सत्याग्रह पर वे भी हैं
जो फिलहाल जल में नहीं है कतई!
पर वे सभी बहिष्कृत भारत जन
शामिल हैं अनंत डूब में
और एक अश्वमेधी युद्ध जारी है जिनके खिलाफ सर्वत्र!
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.

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