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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, May 9, 2013

दलित-आदिवासी और स्त्रियों का धर्म आधारित उत्पीड़न हमारी चिन्ता क्यों नहीं?

दलित-आदिवासी और स्त्रियों का धर्म आधारित उत्पीड़न हमारी चिन्ता क्यों नहीं?


Dr. P. Meena 'Nirankush'.jpgतत्काल समाधान हेतु इस देश में यदि आज सबसे बड़ी कोई समस्या है तो वो है, देश के पच्चीस फीसदी दलितों और आदिवासियों और अड़तालीस फीसदी महिला आबादी को वास्तव में सम्मान, संवैधानिक समानता, सुरक्षा और हर क्षेत्र में पारदर्शी न्याय प्रदान करना और यदि सबसे बड़ा कोई अपराध है तो वो है-दलितों, आदिवासियों और स्त्रियों को धर्म के नाम पर हर दिन अपमानित, शोषित और उत्पीड़ित किया जाना। यही नहीं इस देश में आज की तारीख में यदि सबसे सबसे बड़ी सजा का हकदार कोई अपराधी हैं तो वे सभी हैं, जो दलितों, आदिवासियों और स्त्रियों के साथ खुलेआम भेदभाव, अन्याय, शोषण, उत्पीड़न कर रहे हैं और जिन्हें धर्म और संस्द्भति के नाम पर जो लोग और संगठन लगातार सहयोग प्रदान करते रहते हैं।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

पिछले कुछ समय से मीडिया की मेहरबानी से कुछ चतुर, चालाक, भ्रष्ट और कट्टरपंथी ताकतों ने देश की राजधानी नयी दिल्ली को अपनी प्रायोजित ताकत दिखाने और संवैधानिक सरकारों को बदनाम करने का नया तरीका ईजाद कर लिया है। जिसकी बड़ी और सार्वजनिक शुरुआत अन्ना हजारे आन्दोलन के समय हुई। इस आन्दोलन को कथित रूप से विदेशी ताकतों और देशी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों का खुला समर्थन था। कुछ ही समय में इस कथित जन आन्दोलन की और इसके कर्ताधर्ताओं की चारित्रिक सच्चाई देश के सामने आ गयी।

इसी प्रायोजित नाटक का सहारा प्रारम्भ से ही तथाकथित योग गुरू बाबा रामदेव भी लेते रहे हैं, लेकिन उसका शोषक व्यापारी का घिनौना चेहरा भी देश के समक्ष आ चुका है। यही नहीं देश यह भी जान चुका है कि इन तथाकथित योग गुरू का असली मकसद देश में साम्प्रदायिक और फासीवादी ताकतों को मजबूत करना तथा देश के धर्म-निरपेक्ष ढांचे का ध्वस्त करना है। यही नहीं वह जनता से प्राप्त अनुदान और योग-शुल्क के मार्फत एकत्रित राशि में से चुनावों के समय भारतीय जनता पार्टी को आर्थिक सहयोग करते रहे हैं।

इसी क्रम में अन्ना हजारे से अलग होकर अरविन्द केजरीवाल ने अपनी नयी दुकान ''आम आदमी'' के नाम पर खोल ली है और वो न मात्र भारत के लोगों को देश की संवैधानिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ सरेआम भड़का और उकसा रहे हैं, बल्कि इसके साथ-साथ ''आम आदमी पार्टी'' बनाकर, आम आदमी के नाम का भी दुरूपयोग कर रहे हैं। जबकि इस पार्टी के नीति नियंताओं में कोई भी आम आदमी नहीं है!

ये और कि इन जैसे सभी लोगों के कथित जनान्दोलनों का भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अर्थात् आरएसएस और आरएसएस के अनुसांगिक सभी संगठन, जिनमें बजरंग दल, विश्‍व हिन्दू परिषद, दुर्गा वाहिनी आदि प्रमुख हैं, खुलकर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सक्रिय सहयोग करते रहे हैं और ये सब मिलकर हर छोटे बड़े मुद्दे को सुनियोजित तरीके से मीडिया के मार्फत राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का हरसंभव अनैतिक प्रयास करते रहे हैं।

लेकिन आश्‍चर्यजनक तथ्य ये है कि भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस और आरएसएस के अनुसांगिक संगठनों सहित ऐसी ताकतें, जो अपने आप को राष्ट्रवादी, देशभक्त और हिन्दुत्ववादी संस्कृति की संरक्षक बतलाती हैं, आश्‍चर्यजनक रूप से उस समय लम्बा मौन साध लेती हैं, जबकि दलितों, आदिवासियों और गरीब एवं पिछड़े वर्गों की स्त्रियों का सरेआम शोषण और उत्पीड़न होता है। बल्कि कड़वी सच्चाई तो ये है कि इन्हीं तथाकथित राष्ट्रवादी, देशभक्त और हिन्दुत्ववादी ताकतों के इशारों या इनके सक्रिय सहयोग और इन्हीं के उकसावे पर हर दिन देशभर में दलितों, आदिवासियों और गरीब एवं पिछड़े वर्गों की स्त्रियों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता रहता है। देश में हर दिन कहीं न कहीं दलितों और आदिवासियों की लड़कियों के साथ गैंग-रेप किये जा रहे हैं। दलितों और आदिवासियों का सार्वजनिक रूप से उत्पीड़न किया जाता है। उनको अमानवीय त्रासदियॉं दी जाती हैं।

कभी मंदिरों से धक्के देकर बाहर भगा दिया जाता है तो कभी बलात्कार करने में असफल होने पर दलितों और आदिवासियों की पीड़ित औरतों को विरोध करने के कारण जिन्दा जला दिया जाता है। कभी होटलों में खाना खाने की हिमाकत करने पर दलितों और आदिवासियों को अपमानित करके सरेआम सड़कों पर घसीटा जाता है। नाईयों को बाल नहीं काटने दिये जाते हैं। सार्वजनिक नल-कूपों से पानी नहीं भरने दिया जाता है। इन सब असंवैधानिक और मनमानियों को क्रियान्वित करने की आज्ञा जिन झूठे और ढोंगी ग्रंथों में दी गयी है, उन कथित धर्म ग्रंथों का सरकार और प्रशासन की नाक के नीचे, बल्कि सरकार और प्रशासन के सहयोग से हर दिन कहीं न कहीं और टीवी पर पूरे उत्साह के साथ और सार्वजनिक रूप से पठन-पाठन किया जाता है। इसी प्रकार से दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और स्त्रियों के साथ इतिहास में किये गये अन्याय के मुख्य खलनायकों का भी सार्वजनिक रूप से महिमामंडन किया जाता है।

इस प्रकार तत्काल समाधान हेतु इस देश में यदि आज सबसे बड़ी कोई समस्या है तो वो है, देश के पच्चीस फीसदी दलितों और आदिवासियों और अड़तालीस फीसदी महिला आबादी को वास्तव में सम्मान, संवैधानिक समानता, सुरक्षा और हर क्षेत्र में पारदर्शी न्याय प्रदान करना और यदि सबसे बड़ा कोई अपराध है तो वो है-दलितों, आदिवासियों और स्त्रियों को हर दिन धर्म के नाम पर अपमानित, शोषित और उत्पीड़ित किया जाना। यही नहीं इस देश में आज की तारीख में यदि सबसे सबसे बड़ी सजा का हकदार कोई अपराधी हैं तो वे सभी हैं, जो दलितों, आदिवासियों और स्त्रियों के साथ खुलेआम भेदभाव, अन्याय, शोषण, उत्पीड़न कर रहे हैं और जिन्हें धर्म और संस्कृति के नाम पर जो लोग और संगठन लगातार सहयोग प्रदान करते रहते हैं।

अत: हमारे देश में भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर उपरोक्त प्रकार के अन्यायों से देश के शोषित लोगों का ध्यान भटकाया जाता है। असल में आज सबसे बड़ी जरूरत है कि हम इस बात को समझें कि इस देश की तकरीबन नब्बे फीसदी से अधिक आबादी लगातार अभावों में जीने को विवश है। अत: हमें देश के कर्णधारों से इस बात के लिये सवाल करना होगा कि उन्हें देश की बहुसंख्यक आबादी की चिन्ता क्यों नहीं है। यदि जन-आन्दोलनों या बाबा रामदेव जैसों द्वारा योग के नाम पर भटकाया जावे तो इस देश के दलितों, आदिवासियों और स्त्रियों को सबसे पहले उनसे भी उपरोक्त सवाल पूछने चाहिये।

-लेखक : होम्योपैथ चिकित्सक, सम्पादक-प्रेसपालिका (पाक्षिक), नेशनल चेयरमैन-जर्नलिसट्स, मीडिया एण्ड रायटर्स वेलफेयर एशोसिएशन, राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) और संगठित षड़यंत्र के चलते जिला जज ने उम्र कैद की सजा सुनाई, चार वर्ष से अधिक समय चार-जेलों में व्यतीत किया। हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने दोषमुक्त/निर्दोष ठहराया। मोबाइल : 085619-55619, 098285-02666

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