Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, June 25, 2013

उत्तराखंड में नंदिता ने बचाई 300-400 जान

उत्तराखंड में नंदिता ने बचाई 300-400 जान


केदारनाथ पर सैलाब जब कहर बन कर टूटा तो सभी को सिर्फ अपनी ज़िंदगी बचाने की चिंता थी लेकिन खरगौन की नन्ही नंदिता खुद की जान की परवाह किए बगैर दूसरों को बचाने में जुट गईं। छह दिनों तक नंदिता भूखे प्यासे सेना के मिलकर लोगों को बचाती रहीं।

केदारनाथ में जब कुदरत कहर बन कर टूटा। खरगौन की नंदिताउस वक्त वहीं अपने परिवार के साथ दर्शन कर रही थीं लेकिन सैलाब के आगे नंदिता ने हिम्मत नहीं हारी। बस जुट गई लोगों की ज़िंदगियां बचाने में लेकिन उसके बाद भी नंदिता को अफसोस इस बात का है कि काश वो बाकियों को भी बचा सकतीं।

अपने इस सफर में नंदिता अपने परिवार से बिछुड़ गईं और उसे लाशों के बीच रातें भी गुजारनी पड़ी। नंदिता के पिता भी मानते हैं कि अगर उनके बच्चों के हिम्मत नहीं दिखाई होती तो वो शायद केदारनाथ से वापस नहीं लौट पाते।

केदारनाथ में भले ही सैलाब भले ही बर्बादी का कहर बन कर टूटा हो वो मानती है कि भोले की वजह से ही उसे और उसके परिवार को दोबारा ज़िंदगी मिली है।

http://www.p7news.com/dimag-ki-batti-jala/10700-nandita-saved-life-of-300-400-people-in-uttrakhand-epidemic.html

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...