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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, June 26, 2013

दंतेवाड़ा का किस्सा है ! सन दो हज़ार पांच में सरकार आदिवासियों के गाँव जला रही थी ! सरकार ने इस काम के लिये पूरे इलाके से बन्दूक की नोक पर गाँव गाँव से पांच हज़ार आदिवासी लड़कों को जमा किया ! इन लड़कों को विशेष पुलिस अधिकारी का दर्ज़ा दिया गया ! उन्हें बंदूकें दी गयी और पुलिस को इनके साथ भेज कर गावों को जला कर खाली करने का काम शुरू कराया गया ! सरकार ने आदिवासियों के साढ़े छह सौ गावों को जला दिया ! करीब साढ़े तीन लाख आदिवासी बेघर हो गये ! यह बेघर आदिवासी जान बचाने के लिये जंगल में छिप गये थे !

दंतेवाड़ा का किस्सा है ! सन दो हज़ार पांच में सरकार आदिवासियों के गाँव जला रही थी ! सरकार ने इस काम के लिये पूरे इलाके से बन्दूक की नोक पर गाँव गाँव से पांच हज़ार आदिवासी लड़कों को जमा किया ! इन लड़कों को विशेष पुलिस अधिकारी का दर्ज़ा दिया गया ! उन्हें बंदूकें दी गयी और पुलिस को इनके साथ भेज कर गावों को जला कर खाली करने का काम शुरू कराया गया ! सरकार ने आदिवासियों के साढ़े छह सौ गावों को जला दिया ! करीब साढ़े तीन लाख आदिवासी बेघर हो गये ! यह बेघर आदिवासी जान बचाने के लिये जंगल में छिप गये थे !

सरकार इन गावों को खाली करवा कर उद्योगपतियों को देना चाहती थी ! मुख्यमंत्री रमन सिंह और पुलिस अधिकारियों को उद्योगपतियों ने खूब पैसा दिया था ताकि ज़ल्दी से आदिवासियों को भगा कर गावों को खाली करा कर ज़मीन के नीचे छिपे खनिजों को खोद कर बेच कर पैसा कमाया जा सके ! 

सरकार ने जंगल में छिपे हुए साढ़े तीन लाख आदिवासियों को मारने की योजना बनायी ! सरकार ने आदिवासियों के घरों में रखा हुआ अनाज जला दिया ! सरकार ने इस इलाके में लगने वाले सभी बाज़ार बंद करवा दिये जिससे आदिवासी बाज़ार से भी चावल ना खरीद सकें ! सरकार ने सारी राशन की दुकाने भी बंद करवा दी ! इन साढ़े छह सौ गावों के सारे स्कूल, आँगनबाडी, स्वास्थ्य केन्द्र भी सरकार ने बंद कर दिये ! 

मैं और मेरी पत्नी वीणा बारह साल से अपने आदिवासी साथियों के साथ मिल कर इन गावों में सेवा का काम करते थे ! हमें इन जंगल में छिपे आदिवासी बच्चों की बहुत चिन्ता हुई ! हमने इस सब के बारे में और इसे रोकने के लिये सरकार से बात की, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखा , राष्ट्रीय महिला आयोग को लिखा , राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को लिखा , राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिकार आयोग को भी लिखा पर किसी ने इन आदिवासियों की कोई मदद नहीं करी !

हमने संयुक्त राष्ट्र में बच्चों के लिये काम करने वाली संस्था यूनिसेफ से संपर्क किया ! यूनिसेफ से हमने कहा कि जंगल में छिपे हुए इन आदिवासियों के बच्चे किस हाल में हैं कम से कम उसकी जानकारी तो ली जाए ! इन बच्चों की जान बचाई जानी चाहिये ! यूनिसेफ तैयार हो गयी ! हमारी संस्था और यूनिसेफ ने तीन सौ गावों का सर्वेक्षण करने का समझौता किया ! हमने इस काम के लिये अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया ! सर्वे फ़ार्म बनाए गये ! सर्वेक्षण के लिये टीमें बनायी गयी !

पहली टीम में तीन कायकर्ता थे ! इन्हें इन्द्रावती नदी के पार जाकर चिन्गेर गाँव में जाकर सर्वे करने का काम सौंपा गया ! चिन्गेर गाँव जाने के लिये जाने वाले रास्ते पर विशेष पुलिस अधिकारी पहरा देते थे ! ताकि कोई आदिवासी नदी के इस पार आकर खाने के लिये चावल ना खरीद पाए ! हमारे वरिष्ठ कार्यकर्ता कोपा और लिंगु ने इस टीम को सुरक्षित नदी पार कराने का काम अपने ऊपर लिया ! तय हुआ कि तीन लोगों की सर्वे टीम एक सप्ताह नदी पार ही रुकेगी और कोपा और लिंगु रात तक लौट आयेंगे !इस बीच मुझे किसी काम से दिल्ली आना पड़ा ! मैं दिल्ली में था ! यह टीम चिन्गेर गाँव के लिये रवाना हुई ! मुझे फोन पर मेसेज आया कि हम नदी पार कर रहे हैं ! रात तक अगर कोई मेसेज ना आये तो आप हमें ढूँढने की कार्यवाही शुरू कर देना ! रात को मेरे पास मेसेज आया कि नदी के इस पार रखी हुई मोटर साइकिलें गायब हैं ! और हम जंगल में रास्ता बदल कर आश्रम पहुँच रहे हैं ! 

अगले दिन शाम को एक गाँव वाला छिपता हुआ आया और उसने बताया कि कल सर्वेक्षण के लिये भेजे गये आपके कार्यकर्ताओं को विशेष पुलिस अधिकारियों ने पकड़ लिया है ! और सीआरपीएफ तथा एसपीओ लोगों ने आज रात को आपके कार्यकर्ताओं को मार कर उनकी लाशें इन्द्रावती नदी में बहा दिये जाने का प्लान बनाया है ! 

मैंने तुरंत गांधीवादी कार्यकर्ता और सांसद निर्मला देशपांडे को फोन किया ! उन्होंने तुरंत तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल से बात की ! इसके बाद मैंने छत्तीसगढ़ के डीजीपी विश्वरंजन से कहा कि इन कार्यकर्ताओं को कुछ हुआ तो बबाल हो जाएगा ! ये लोग संयुक्त राष्ट्र संघ के लिये काम कर रहे हैं ! पुलिस अधिकारियों के फोन मेरे मोबाइल पर आने लगे ! आधी रात को इन कार्यकर्ताओं को और संस्था की मोटर साइकिलों को पुलिस ने कासोली सलवा जुडूम कैम्प में सीआरपीएफ कैम्प से बरामद किया !

अगले दिन सुबह घायल हालत में तीनों कार्यकर्ताओं को गीदम थाने में मुझे सौंपा दिया गया ! एक कार्यकर्ता के कान का पर्दा फट चुका था ! एक की उंगलियां टूटी हुई थीं ! तीसरे के दांत टूटे हुए थे ! तीनों मुझे देख कर दौड कर मुझसे लिपट कर रोने लगे ! मैं भी रोया ! अब लड़ाई का बिगुल बज चुका था ! उस रात हमारी संस्था ने सलवा जुडूम और छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ पहली प्रेस कांफ्रेंस करी ! एक हफ्ते के भीतर संस्था को आश्रम तोड़ने का नोटिस आ गया ! यूनिसेफ ने संस्था से किसी प्रकार का कोई संबंध होने से इनकार कर दिया !

इसके बाद हमने दंतेवाड़ा में तीन साल और काम किया ! पर अन्त में कार्यकर्ताओं पर इतने हमले हुए कि हमें लगा कि हमें इन आदिवासी कार्यकर्ताओं की जिंदगी को और खतरे में नहीं डालना चाहिये ! फिर हम छत्तीसगढ़ से बाहर आ गये ! 

सवाल यह है कि अगर हमारी सरकार ही अपने देश के बच्चों को मारेगी तो आदिवासी सरकार की तरफ आयेंगे या नक्सलियों की तरफ जायेंगे ? हम इतनी तकलीफ सरकार की इज्ज़त बचने के लिये ही तो कर रहे थे ! लेकिन दुःख की बात है कि हमारी ही सरकार ने हम पर ही हमला कर दिया !
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