Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, June 24, 2013

रूद्रप्रयाग: तबाही के बाद के हालात

रूद्रप्रयाग: तबाही के बाद के हालात

Monday, 24 June 2013 17:33

गुप्तकाशी। रूद्रप्रयाग की पहाड़ियों पर रहने वाले गांववासियों  के चेहरे पर दुख और उनकी आंखों से खौफ साफ झलकता है... कितने ही लोग केदारनाथ की त्रासदी के शिकार हो गए और कितने खुद गांव में बाढ़ के पानी में बह गए।  
पहाड़ियों के ढलान पर इधर उधर बिखरे गांव और बस्तियां बड़े पैमाने पर कुदरत के कहर का शिकार हुई हैं। फिर भी, यहांं के लोग अब अपनी बेनूर सी आंखों से आकाश को ताकने की जगह वक्त के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। कुदरत के कहर से जो कुछ बचा है, उसे समेट कर वह अब आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
गुप्तकाशी के विश्वनाथ टूरिस्ट लॉज के मैनेजर भूपिन्दर सिंह नेगी बताते हैं, ''तकरीब हर गांव के लोग यहां केदारनाथ इलाके में काम करते थे। उनमें से ढेर सारे नहीं लौटे हैं। किसी को नहीं पता कि उनका क्या हुआ।''
जो लोग नहीं लौटे उनकी तादाद अच्छी-खासी है। बाजार के मध्य में एक लॉज है और इस लॉज में एक समन्वय केन्द्र चलाया जा रहा है। इस केन्द्र के पास ब्योरे हैं।
समन्वय केन्द्र से जुड़े हुए राजेन्द्र जामलोकी बताते हैं, ''तुलांगा से 27 लोग लापता हैं। इतनी ही तादाद में बरासू के गांववासियों का पता नहीं चल रहा है। भानीग्राम से 24 लोग लापता है। देवली से 17। ये सभी गांव उखीमठ ब्लॉक के हैं।''

जामलोकी के पास 20 गांवों की सूची है और उस सूची के हिसाब से 220 लोग का कोई अता-पता नहीं चल पा रहा है।
उधर, स्थानीय लोगों ने यहां बताया कि यह संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि छोटी-मोटी बस्तियों से रिपोर्टों का आना अब भी जारी है।
जामलोकी ने बताया, ''महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात की सरकारों ने बचाव अभियान में जुटने के लिए अपने अपने अधिकारी भेजे हैं। उत्तराखंड सरकार को स्थानीय लोगों तक पहुंचने और यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि इन लोगों तक कैसे राहत पहुंचाई जाए। उन्हें भी हालात से जूझना पड़ रहा है।''
दुख और त्रासदी के इस समय में लोगों ने एक दूसरे को मदद करने की अपनी तरह से कोशिशें की। रघुवीर असवाल ने बताया, ''त्रासदी से बचे लोगों के लिए गांववासियों ने जंगलों में अपने घर के दरवाजे खोल दिए। लोगों के पास जो भी थोड़ा बहुत खाने पीने का सामान है केदारनाथ से आने वाले लोगों के साथ बांटा जा रहा हैै।''
असवाल ने बताया, ''अब इन गांवों में खाने-पीने का सामान खत्म हो रहा है। स्थानीय प्रशासन को उनके बारे में सोचना चाहिए।''

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...