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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, June 27, 2015

जनसंख्या बढ़ रही है, इसलिए इतनी मिलावट करो कि दस साल; में आबादी आधी रह जाय. और मुनाफे का आधा राजनीतिक दलों और प्रशासकों को दे कर निश्चिन्त हो जाओ.

लन्दन के हीथ्रो विमान पत्तन से बाहर निकलते ही सहज प्राकृतिक परिवेश ने मन मोह लिया. अपने देश की याद आयी. और लगा स्वर्ग को नरक बनाना कोई भी विकसित देश हम से सीख सकता है. प्रकृति ने तो जितने विविधता से भरे उपादान भारत को दिये, उतने तो किसी भी अन्य देश को दिये ही नहीं. पर हमारे भीतर छिपे लोभ के भस्मासुर ने सब खतम कर दिया.

जहरीली शराब से लोग मरते हैं तो मरने दो. मंदिरों को छोड़्कर हर जगह को पान की पीक से भर दो. उजाड़ दो वनानी को, क्योंकि हमारे बाद इस इस धरती पर जीवन रहे या न रहे, हमारा क्या मतलब. कानून के मंदिरों पर लिख दो कि यहाँ त्वरित न्याय केवल अम्बानियों और अदानियों के लिए उपलब्ध है. बाकी लोग भगवान की शरण में जायें. क्योंकि अन्य लोगों को उनके जीवन काल में ही न्याय दिलाने की परंपरा यहाँ नहीं है
अस्पताल के बाहर लिख दो कि यहाँ केवल पैसे वालों का ही इलाज होता है और मृत व्यक्ति को भी कुछ दिन वैंटिलेटर में रखने की सुविधा है ताकि उसके परिजनों से वसूली की जा सके.
जनसंख्या बढ़ रही है, इसलिए इतनी मिलावट करो कि दस साल; में आबादी आधी रह जाय. और मुनाफे का आधा राजनीतिक दलों और प्रशासकों को दे कर निश्चिन्त हो जाओ.

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