गार के दांत तोड़ने की पूरी तैयारी!
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
ये दांत दिखाने के लिए है खाने के लिए नहीं। भारत सरकार अपने एक सूत्री वित्तीय नीति से पीठ हटेंगी, इसके कोई आसार दूर दूर तक नहीं है। निनानब्वे प्रतिशत जनता को हाशिये पर धकेलकर विदेशी पूंजी के लिए अंधी दौड़ जो न कराये, वही कम है। कारपोरेट लाबिइंग रंग दिखाने लगा है और संसद में आर्थिक सुधारों का चाहे जो हश्र हो , तय है कि सरकार विदेशी निवेशकों और कारपोरेट इंडिया के मिजाज के मुताबिक गार के दांत तोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है।पेंच यह है कि आयकर अफसरान को पूरी कसरत करके यह साबित करना होगा कि निवेशक ने वाकई कर चोरी केतरीके अपनाये हैं, तभी गार के प्रावधान लागू होंगे.रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान ने कारपोरेट जगत की चिंता को रेकांकित करते हुए ही कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए असल चिंता की बात गार (जीएएआर) का मुद्दा और क्रूड की कीमतें है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडीपी) द्वारा देश की क्रेडिट रेटिंग का आउटलुक निगेटिव किए जाने से घबराने की जरूरत नहीं है।
संसद में अब वित्त विधेयक के साथ आयकर कानून संसोधनों को क्या शक्ल दी जायेगी, इसके बारे में कारपोरेट इंडिया आश्वस्त है और बाजार में अब कोई गार पर हाय तौबा नहीं मचा रहा है। सौदा पट चुका है,जाहिर है।जीएएआर के अलावा सरकार के सामने डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सरकार को 1 अप्रैल 2013 से डीटीसी लागू करने का भरोसा है। डीटीसी के ज्यादातर प्रस्तावों पर आम सहमति बन चुकी है। डीटीसी को लेकर 6-7 मुद्दों पर बातचीत जारी है।
कौशिक बसु और प्रणव मुखर्जी की वाशिंगटन में शास्त्रीय युगलबंदी से पासा पलट गया है और अब कारपोरेट इंडिया और खुले बाजार के सामने अपनी उद्योग बंधु छवि बचाने गरज विपक्ष को है।वैश्विक पूंजी का दबाव वोटबैंक साधने से बड़ी चुनौती बन गया है, जिससे सबसे ज्यादा संघ परिवार को निपटना है।माना जा रहा है कि एफआईआई की बिक्री के चलते बाजार पर दबाव बना हुआ है।यह तस्वीर राजनीतिक दलों के लिए काफी खतरनाक है और आर्थिक सुधारों के मुद्दे पर उनकी गोलबंदी का खास सबब है।
प्रणव मुखर्जी ने अमेरिकी उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा- कानूनी संशोधनों को लेकर हमने जो प्रस्ताव किए हैं, कुछ अमेरिकी व्यावसायियों में इसको लेकर निराशा का भाव है, विशेषकर उनकी आशंका ज्यादा है, बल्कि मैं तो कहूंगा कि यह गलत-फहमी है, हमारी नीतियां पारदर्शी हैं। ऐसे में जब कभी कोई भी गलत-फहमी होती है, हम उसे सुनने और जरूरी होने पर नए सिरे से समन्वित करने के लिए तैयार हैं।आयकर कानून में पिछली तिथि से संशोधन के विवादास्पद बजट प्रस्ताव से उपजे डर को दूर करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि प्रस्तावित संशोधन केवल स्पष्टीकरण प्रकृति वाला है और इस संबंध में उद्यमियों की चिंताओं को सुनने के लिए भारत तैयार है।
आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन का कहना है कि 8 मई को फाइनेंस बिल में जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल (जीएएआर) का मुद्दा पूरी तरह साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि टैक्स साबित करने की जिम्मेदारी टैक्स अथॉरिटीज की होगी। नए नियमों के बाद जीएएआर लागू होने में आसानी होगी।सरकार ने आज फिर एसएंडपी के आउटलुक घटाने के कदम पर सफाई दी है। आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन के मुताबिक दूसरे देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था की हालत काफी अच्छी है। और एसएंडपी ने जल्दबाजी में काफी सख्त कदम उठा लिया है। भारत में मंदी का खतरा काफी कम है।
जानकारी मिली है कि जीएएआर से परेशान विदेशी निवेशकों को राहत मिल सकती है।सूत्रों के मुताबिक एफआईआई पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स हट सकता है। एफआईआई सरकार पर टैक्स हटाने के लिए दबाव बना रहे हैं।माना जा रहा है कि सरकार विदेशी निवेशकों को रोकने के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स हटा सकती है। हालांकि, सिक्योरिटीज ट्रांसजैक्शन टैक्स में मामूली बढ़ोतरी की जा सकती है।7 मई वित्त विधेयक के जवाब में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी शॉर्ट टर्म एफआईआई पर से कैपिटल गेंस टैक्स हटाने का ऐलान कर सकते हैं।
आर गोपालन ने ये भी साफ किया कि सरकार को वित्तीय घाटा काबू में रखने के लिए सब्सिडी पर जल्द कड़े फैसले लेने होंगे। अगर वित्तीय घाटा काबू नहीं किया गया तो बजट में जीडीपी के 2 फीसदी सब्सिडी के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
आर गोपालन ने कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर बैंकिंग सेक्टर में सुधार करने जा रही है। उन्होंने कहा कि बैंकों में सरकार पूंजी डालेगी और नए बैंकिंग लाइसेंस भी जल्द ही जारी किए जाएंगे। बैंकिंग संशोधन बिल से बैंकों को फैसला लेने का ज्यादा अधिकार होगा।
राजस्व सचिव आर एस गुजराल का पहले से कहना है कि सरकार जीएएआर के जरिए टैक्स चोरी पर शिकंजा कसना चाहती है। अगर एफआईआई का मकसद सिर्फ टैक्स बचाना हो, तभी जीएएआर लागू किया जाएगा।गुजराल के मुताबिक जीएएआर को पुरानी तारीख से लागू नहीं किया जाएगा। जीएएआर 1 अप्रैल 2012 के बाद की एफआईआई की कमाई पर लगाया जाएगा। अगर एफआईआई टैक्स चुकाते हैं, तो जीएएआर लागू नहीं होगा।
गुजराल ने भरोसा दिलाया है कि जीएएआर को एफआईआई को परेशान करने के लिए नहीं किया जाएगा। जीएएआर किसी खास देश से आने वाले विदेशी निवेश के लिए नहीं बनाया गया है।साथ ही, पी-नोट्स धारकों पर जीएएआर लागू नहीं होगा। अगर पी-नोट्स पर टैक्स की देनदारी बनती है, तो एफआईआई से टैक्स वसूल किया जाएगा।
उधर आर्थिक समाचार चैनल 'सीएनबीसी टीवी-18' को दिए इंटरव्यू में जालान ने कहा कि सब्सिडी बोझ को तय लक्ष्य के दायरे में रखने के लिए सरकार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा करना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द से जल्द आर्थिक सुधारों को ओर कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझता कि हमें देश का आउटलुक घटने से अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता करनी चाहिए। यदि हम पूरे विश्व बाजार पर नजर दौड़ाएंगे तो पाएंगे कि भारत बेहतर कर रहा है। हालांकि आर्थिक नीतियों को लेकर हमें एक-दो क्षेत्रों में तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। मसलन, असामान्य तरह का पूर्वप्रभावी कर संशोधन प्रस्ताव चिंताजनक है। वहीं, क्रूड की कीमतें निश्चित तौर पर बहुत अधिक है। इसका घरेलू तेल कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है, जो परेशान करने वाला है। हालांकि जालान ने भरोसा जताया कि भारत इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है।
गार (जीएएआर) के मुद्दे पर बिमल जालान ने कहा कि सरकार ने जो टैक्स पॉलिसी पेश की है, उसके सही या गलत होने का सवाल नहीं है। यदि हम दुनिया भर में देखें तो अलग-अलग तरह की कई टैक्स पॉलिसियां हैं। यह पूरी तरह अलग मुद्दा है। यह सही है कि अब तक हम विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) से टैक्स ले रहे थे, क्योंकि बाजार में पूंजी की आवक बहुत ज्यादा थी और एफआईआई इस पर मोटा मुनाफा कमा रहे थे। लेकिन अब जब शार्ट टर्म में पूंजी की आवक बहुत कम है, ऐसे में विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए हमें उन्हें टैक्स में कुछ छूट देनी चाहिए। इसलिए यह सभी चीजें पूर्वप्रभावी होने की बजाय प्रत्याशी होनी चाहिए।
जालान ने कहा कि आर्थिक सुधार की पहल करना सिर्फ सरकार का ही मामला नहीं है, बल्कि यह संसदीय मसला है। निश्चित तौर सरकार को जल्द से जल्द आर्थिक सुधार की दिशा में पहल करनी चाहिए। इसमें संसद का भी पूरा समर्थन मिलना चाहिए। मालूम हो कि एसएंडपी ने भारत की क्रेडिट रेटिंग का आउटलुक स्टेबल से घटाकर निगेटिव किया था।
एसएंडपी का कहना है कि भारत में निवेश और विकास की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। व्यापार घाटा बढ़ने, विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने या आर्थिक सुधारों की ओर कदम न उठाए जाने पर भारत को डाउनग्रेड किया जा सकता है।
सरकार के पिछली तारीख से आयकर कानून में संशोधन के प्रस्ताव पर जारी विवाद के बीच ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने कहा है कि यह प्रस्ताव वैश्विक नियमों के अनुरूप नहीं है। इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद वोडाफोन-हच जैसे सौदे भी कर के दायरे में आ जाएंगे। वित्त विधेयक में प्रस्तावित इस संशोधन के पारित होने के बाद ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को 11,000 करोड़ रुपये का कर अदा करना होगा।
वोडाफोन ने एक बयान में कहा कि भारतीय कंपनियों के अप्रत्यक्ष स्थानांतरण पर कर लगाने का प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय कर नियमों के अनुरूप नहीं है। यह प्रस्ताव ओईसीडी या संयुक्त राष्ट्र की दोहरा कराधान संधि के माडल पर भी खरा नहीं उतरता।
उल्लेखनीय है कि राजस्व सचिव आर एस गुजराल ने हाल में कहा है कि वोडाफोन की तरह के सौदों पर अमेरिका, ब्रिटेन, अन्य ओईसीडी देशों और चीन में कर लगता है। गुजराल के इसी बयान पर कंपनी की यह प्रतिक्रिया आई है।
पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन [ओईसीडी] अंतरराष्ट्रीय कर मानक तय करता है। यह मुख्यत: अमीर देशों का समूह है। वोडाफोन ने कहा कि यह बात पूरी तरह से गलत है कि इस तरह के सौदों पर अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य ओईसीडी सदस्य देशों में कर लगता है। ये देश शेयरों के अप्रत्यक्ष स्थानांतरण [देश के बाहर किए गए हस्तांतरण] पर कर नहीं लेते, जैसा की भारत में प्रस्ताव किया जा रहा है।
उद्योग मंडल एसोचैम ने इस बार के बजट में कर चोरी और कालेधन के खिलाफ आयकर कानून के प्रावधानों को सख्त करने के कुछ प्रस्तावों पर गंभीर आपत्ति उठाई है। उद्योग मंडल का कहना है कि मारीशस और सिंगापुर जैसे देशों के रास्ते होने वाले निवेश को कर के दायरे में लाना है, तो इसके लिए इन देशों के साथ कर संधि में संशोधन करना उचित होगा न कि घरेलू काूनन में संशोधन के जरिए इन संधियों के प्रावधानों को खारिज करना।
एसोचैम ने यह भी कहा है कि वित्त विधेयक 2012 में आयकर कानून में पिछली तारीख से प्रभावी संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को लेकर व्यापारियों और उद्यमियों को 'गंभीर चिंता है' और सरकार को ऐसे कदम पर पुनर्विचार करना चाहिए। संगठन ने सामान्य कर-वंचन निवारक नियम (गार) के प्रस्तावों में बदलाव करने तथा इसे प्रत्यक्ष कर संहिता के साथ ही प्रस्तुत किए जाने की अपील की है।
आयकर कानून में प्रस्तावित प्रतिगामी बदलाव से 40 हजार करोड़ रुपये राजस्व की वसूली हो सकती है। यह बात केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री एसएस पलानिमणिकम ने मंगलवार को कही। प्रस्तावित बदलाव में भारतीय सम्पदा से सम्बंधित विदेशों में हुए सौदे के भारत में कर देयता के दायरे में लाने का प्रावधान है।पलानिमणिकम ने राज्य सभा में एक लिखित जवाब में कहा, आय कर विभाग का अनुमान है कि वित्त विधेयक 2012 में पेश प्रस्तावित प्रतिगामी संशोधन से 35 हजार करोड़ रुपये से 40 हजार करोड़ रुपये का कर हासिल हो सकता है।मंत्री ने हालांकि कहा कि यह सिर्फ एक अनुमानित राशि है और सही राशि का पता तभी चल पाएगा, जब मूल्यांकन अधिकारी मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी करेंगे।
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