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Memories of Another day

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Wednesday, May 16, 2012

‘पहले आओ, पहले पाओ’ की नीति ने राजा को पहुंचाया था तिहाड़

'पहले आओ, पहले पाओ' की नीति ने राजा को पहुंचाया था तिहाड़

Wednesday, 16 May 2012 10:29

नई दिल्ली, 16 मई (जनसत्ता)। दिल्ली की एक अदालत से जमानत मिलने के बाद 15 महीने से जेल में बंद ए राजा मंगलवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ गए। 
ए राजा की जेल की यात्रा के पहले घटी घटनाओं का ब्योरा इस तरह है: अगस्त 2007 में दूर संचार विभाग ने दूरसंचार के लिए 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन और यूनिवर्सल एक्सेस सर्विस (यूएएस) में लाइसेंस दिए जाने की प्रक्रिया की शुरुआत की। 25 सितंबर, 2007 में दूरसंचार मंत्रालय ने एक प्रेस नोट जारी कर यूएएस लाइसेंस के लिए आवेदन की अंतिम समय सीमा एक अक्तूबर, 2007 निर्धारित की। एक अक्तूबर, 2007 में दूरसंचार विभाग को 46 कंपनियों से यूएएस लाइसेंस के लिए 575 आवेदन मिले। 
दो नवंबर, 2007 में प्रधानमंत्री ने राजा को पत्र लिख कर 2जी स्पेक्ट्रम का निष्पक्ष आबंटन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया। 22 नवंबर, 2007 में वित्त मंत्रालय ने दूर संचार विभाग को पत्र लिख कर उसकी ओर से अपनाई गई प्रक्रिया पर चिंता जताई। समीक्षा की मांग खारिज की। 10 जनवरी, 2008 में दूर संचार विभाग ने 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर लाइसेंस जारी करने का फैसला किया और अंतिम समय सीमा एक अक्तूबर 2007 से घटा कर 25 सितंबर कर दी। बाद में उसी दिन विभाग ने अपनी वेबसाइट पर एक घोषणा की और कहा कि जो शाम साढ़े तीन बजे से साढेÞ चार बजे के बीच आवेदन करेंगे, उन्हें इस नीति के तहत लाइसेंस जारी किए जाएंगे। 2008 में स्वान टेलिकॉम, यूनिटेक और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने कुछ शेयर बहुत ज्यादा दामों पर क्रम से  एतिसलात, टेलीनार और डोकोमो को बेच दिए। 
चार मई, 2009 में एक एनजीओ टेलीकॉम वाचडॉग ने लूप टेलीकॉम को अवैध रू प से स्पेक्ट्रम आबंटन किए जाने के बारे 

में केंद्रीय सतर्कता आयोग के सामने एक शिकायत दाखिल की। 2009 में सीवीसी ने सीबीआई को 2जी आबंटन में हुई अनियमितताओं की जांच के लिए निर्देश दिया।  21 अक्तूबर, 2009 में सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के अज्ञात निजी अधिकारियों-कंपनियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की।  31 मार्च, 2010 में कैग ने कहा कि स्पेक्ट्रम आबंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। मई 2010 में एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की। 
10 नवंबर, 2010 में कैग ने 2जी स्पेक्ट्रम पर रिपोर्ट सरकार को दी, जिसमें उसने जोर देकर कहा कि सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 14 नवंबर, 2010 में दूर संचार मंत्री राजा ने अपने पद से इस्तीफा दिया। आठ दिसंबर 2010 में प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी रिपोर्ट दाखिल की। उसने कहा कि धन के लेन-देन के सूत्र 10 देशों तक फैले हुए हैं। इसमें मॉरिशस भी शामिल है।  चार जनवरी, 2011 में सुब्रमण्यम स्वामी ने 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।  दो फरवरी, 2011 में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया गिरफ्तार। 17 फरवरी, 2011 में राजा को न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल भेजा गया। 20 मई, 2011में अदालत ने कनिमोड़ी और शरद कुमार की जमानत याचिका खारिज की और तत्काल उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। दो फरवरी, 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने राजा के कार्यकाल के दौरान आबंटित किए गए 122 लाइसेंस रद्द किए। लाइसेंसों को चार महीने के अंदर नीलाम करने का निर्देश दिया। 15 मई, 2012 में सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व दूर संचार मंत्री ए राजा को जमानत दी।

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