---------- Forwarded message ----------
From: rajiv yadav <rajeev.pucl@gmail.com>
Date: 2012/7/28
Subject: an article/report on Nikhat's visa plea to KSA authority.
To: rajeevjournalistup <rajeevjournalistup@gmail.com>
व्यवस्था निकहत को फसीह से मिलने का मौका देगी?
दो महीने से भी ज्यादा लंबे इतंजार के बाद आज निकहत परवीन ने अपने पति
फसीह महमूद से मिलने के लिए सउदी सरकार से प्रार्थना की कि उसे यात्रा
वीजा दिया जाय।
13 मई 2012 को सउदी से फसीह के उठाए जाने के बाद निकहत के जीवन में शुरु
हुए इस बवंडर ने न सिर्फ निखत और उसके परिवार को सहमा दिया बल्कि दूर देश
में रोजी-रोटी की तलाश में गए पूरे मुस्लिम समुदाय को सकते में ला दिया।
फसीह महमूद इरम इन्जीनियरिंग जुबैल, केएसए में इन्जीनियर के बतौर कार्यरत
थे। उन्हें फर्जी आरोपों में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के दबाव में
सउदी सरकार की आन्तरिक मंत्रालय द्वारा 13 मई 2012 को गिरफतार कर लिया
गया।
निकहत अपने पति की तलाश में भारत पहुंची और विदेश मंत्रालय-गृह मंत्रालय
समेत तमाम जिम्मेदार संस्थानों के दरवाजे खटखटाए। जहां विदेश मंत्रालय के
अंडर सेक्रेटरी श्री रेड्डी ने कहा कि वे लोग नहीं जानते कि फसीह महमूद
कौन है और भारत की कोई भी एजेंसी फसीह को किसी भी आरोप में नहीं ढूंढ़
रही है। हम इसलिए फसीह को ढूंढ रहे हैं, क्योंकि उनकी पत्नी ने हमें पत्र
लिखा है। तो वहीं गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने उन मीडिया रिपोर्ट को खारिज
किया जिसमें महमूद के बारे में बताया गया था कि भारतीय अधिकारियों द्वारा
2010 के चिन्नास्वामी स्टेडियम मामले में उन्हें पकड़ा गया है। आरोपों और
तथ्यों को बेबुनियाद बताया।
(http://www.firstpost.com/india/missing-engineers-wife-seeks-answers-from-govt-333956.html)
18 जून 2012 को संचार माध्यमों से खबर आई कि कर्नाटक-दिल्ली पुलिस
चिन्नास्वामी स्टेडियम और जामा मस्जिद पर हुए आतंकी हमले मामले में फसीह
को कस्टडी में लेने की कोशिश में है। पर इन मामलों में अभी तक चार्जशीट
नहीं आई है। इंटरपोल के नियमों के तहत किसी व्यक्ति का तभी प्रत्यर्पण
किया जा सकता है, जब उस पर चार्जशीट हो और कोर्ट ने संज्ञान में लिया
हो।(http://www.asianage.com/india/delhi-k-taka-police-seek-fasih-custody-311)
यहां सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका को देश के अंदर समझा जा सकता है कि किस
तरह वो मानवाधिकारों को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से एक पूरे समुदाय
पर आतंकवाद का ठप्पा लगा दिया है। दरअसल, फसीह मामले में सवाल उठने और हर
छोटे मामले के प्रकाश में आ जाने की वजह से वो अपनी मनमानी नहीं कर पाईं।
खुफिया एजेंसियां मौजूदा हालात में जान चुकी हैं कि अब राजनयिक स्तर पर
बातचीत कर के ही फसीह को भारत लाया जा सकता है। एक तरफ निकहत न्याय के
लिए लड़ रहीं हैं तो वहीं दूसरी तरफ खुफिया एजेंसियां का अन्याय करने पर
तुली हैं। अब गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की भूमिका को देखना है?
24 मई 2012 को जब निकहत ने हैबियस कार्पस दाखिल किया तो 28 मई को फसीह पर
वारंट और 31 मई को रेड कार्नर नोटिस जारी कर दी गई। दिल्ली-कर्नाटक पुलिस
के कहने पर सीबीआई के अनुरोध पर इन्टरपोल ने रेड कार्नर नोटिस जारी किया
था। 16 जुलाई को दिल्ली-कर्नाटक पुलिस ने गृह मंत्रालय से कहा कि फसीह के
खिलाफ किसी कोर्ट में चार्जशीट नहीं है।
(http://timesofindia.indiatimes.com/india/Cant-extradite-Fasih-Mohammed-Interpol/articleshow/15023388.cms)
सूत्रों की इन खबरों को 24 जुलाई को आई खबरों ने आधार दिया कि
चिन्नास्वामी स्टेडियम धमाकों में 16 जुलाई को सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने
फस्र्ट एडीशनल चीफ मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट दाखिल की।
17 अपै्रल 2010 के पांच मामलों में यह पहली चार्जशीट है। जिसमें 14
आरोपियों में से सात हिरासत में हैं। इसमें कहा गया है कि कतील, फारुक,
यासीन, खुमैनी सीधे तौर पर सम्लित थे, रियाज और फसीह षणयंत्र में शामिल
थे। (http://www.dnaindia.com/bangalore/report_ccb-files-charge-sheet-in-stadium-blasts-case_1719367)
यहां गौर करना चाहिए कि पुलिस ने आतंकवाद के नाम पर झूठे मुकदमों में
फसाने के लिए मुस्लिम लड़कों के खिलाफ एक ही मामले में कई केस बनाती है।
जिससे ढेर सारे गवाह और अदालती पेंचों में लड़कों को लंबे समय तक जेल में
सड़ाया जा सके। वो जानती है कि उसके झूठ का पुलिंदा एक दिन खुल ही जाएगा।
एक-एक व्यक्ति पर सैकड़ों-सैकड़ो झूठे गवाह बनाती है।
जैसा कि 16 जुलाई को दिल्ली-कर्नाटक पुलिस गृहमंत्रालय से कह चुकी है कि
फसीह के खिलाफ कोई चार्जशीट नहीं है। ऐसे में उपरी स्तर से ही इस मामले
को हल किया जाय। कोर्ट में भी सरकारी पक्षों से जब जवाब मांगा गया कि
सउदी से उनकी क्या बात हुई है तो इस प्रमाण को सुरक्षा करणों का हवाला
देकर नहीं दिया गया, वहीं सूत्रों द्वारा जो खबरे हैं उसमें यह साफ किया
गया है कि भारत ने सउदी को दस्तावेज भेजें हैं कि फसीह एक भारतीय नागरिक
है, इन आधारों पर उसे भारत को सौंपा जाय।
ऐसे में सुरक्षा करणों का हवाला देकर अपने देश के नागरिकों कि खिलाफ
षडयतंत्र में शामिल व्यवस्था पर सवाल उठता है कि वो जांच एजेंसियों के
कहने पर फसीह पर किसी भी हालत में आतंकवादी का ठप्पा लगाना चाहती है।
सरकार बताए कि जब निकहत सरकार के हर दर पर अपने पति को खोजने के लिए
गुहार लगा रहीं थीं और मांग कर रहीं थी कि सउदी के जिम्मेदारान से बात की
जाय तो क्या उसने बात की? नहीं की?
जिन एजेंसियों के कहने पर रेडकार्नर नोटिस जारी की गई क्या कभी उनसे गृह
मंत्री पी चिदम्बरम और विदेश मंत्रालय ने सवाल किया कि उनको क्यों अंधेरे
में रखा गया? आज जो खुफिया एजेंसियां अपने सूत्रों के हवाले से खबरें
प्रसारित करवा रहीं हैं उनसे पूछा कि जब उन्होंने पहले ही फसीह को उठा
लिया था तो क्यों नहीं बताया?
निकहत बताती हैं कि तमाम प्रयासों बावजूद जब कुछ पता नहीं चला तो अंतिम
विकल्प के रुप में उन्होंने 24 को हैबियस कार्पस दाखिल किया था। अन्तिम
सुनवाई के दौरान 11 जुलाई 2012 को सुप्रिम कोर्ट के समक्ष भारत सरकार ने
बताया कि फसीह महमूद सउदी सरकार की हिरासत में हैं। 26 जून 2012 को सउदी
सरकार द्वारा इस बात की तस्दीक की गई।
निकहत कहती हैं कि दो महीनें से ज्यादा का वक्त गुजर गया, पता नहीं उनकी
सेहत कैसी है? हमें इस बीच उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली, पूरा
परिवार मानसिक तनाव में है। ऐसे में जब यह स्पष्ट हो गया है कि मेरे पति
सउदी की कस्टडी में हैं जिसकी तस्दीक भारत सरकार ने किया है, तो ऐसे में
मैं सरकार से मांग करती हूं कि मुझे मेरे पति से मिलने के लिए यात्रा
वीजा जारी किया जाय?
राजीव यादव
प्रदेश संगठन सचिव पीयूसीएल
द्वारा- मो0 शोएब, एडवोकेट
एसी मेडिसिन मार्केट
प्रथम तल, दुकान नं 2
लाटूश रोड, नया गांव, ईस्ट
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मो0- 09452800752, 09415254919
From: rajiv yadav <rajeev.pucl@gmail.com>
Date: 2012/7/28
Subject: an article/report on Nikhat's visa plea to KSA authority.
To: rajeevjournalistup <rajeevjournalistup@gmail.com>
व्यवस्था निकहत को फसीह से मिलने का मौका देगी?
दो महीने से भी ज्यादा लंबे इतंजार के बाद आज निकहत परवीन ने अपने पति
फसीह महमूद से मिलने के लिए सउदी सरकार से प्रार्थना की कि उसे यात्रा
वीजा दिया जाय।
13 मई 2012 को सउदी से फसीह के उठाए जाने के बाद निकहत के जीवन में शुरु
हुए इस बवंडर ने न सिर्फ निखत और उसके परिवार को सहमा दिया बल्कि दूर देश
में रोजी-रोटी की तलाश में गए पूरे मुस्लिम समुदाय को सकते में ला दिया।
फसीह महमूद इरम इन्जीनियरिंग जुबैल, केएसए में इन्जीनियर के बतौर कार्यरत
थे। उन्हें फर्जी आरोपों में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के दबाव में
सउदी सरकार की आन्तरिक मंत्रालय द्वारा 13 मई 2012 को गिरफतार कर लिया
गया।
निकहत अपने पति की तलाश में भारत पहुंची और विदेश मंत्रालय-गृह मंत्रालय
समेत तमाम जिम्मेदार संस्थानों के दरवाजे खटखटाए। जहां विदेश मंत्रालय के
अंडर सेक्रेटरी श्री रेड्डी ने कहा कि वे लोग नहीं जानते कि फसीह महमूद
कौन है और भारत की कोई भी एजेंसी फसीह को किसी भी आरोप में नहीं ढूंढ़
रही है। हम इसलिए फसीह को ढूंढ रहे हैं, क्योंकि उनकी पत्नी ने हमें पत्र
लिखा है। तो वहीं गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने उन मीडिया रिपोर्ट को खारिज
किया जिसमें महमूद के बारे में बताया गया था कि भारतीय अधिकारियों द्वारा
2010 के चिन्नास्वामी स्टेडियम मामले में उन्हें पकड़ा गया है। आरोपों और
तथ्यों को बेबुनियाद बताया।
(http://www.firstpost.com/india/missing-engineers-wife-seeks-answers-from-govt-333956.html)
18 जून 2012 को संचार माध्यमों से खबर आई कि कर्नाटक-दिल्ली पुलिस
चिन्नास्वामी स्टेडियम और जामा मस्जिद पर हुए आतंकी हमले मामले में फसीह
को कस्टडी में लेने की कोशिश में है। पर इन मामलों में अभी तक चार्जशीट
नहीं आई है। इंटरपोल के नियमों के तहत किसी व्यक्ति का तभी प्रत्यर्पण
किया जा सकता है, जब उस पर चार्जशीट हो और कोर्ट ने संज्ञान में लिया
हो।(http://www.asianage.com/india/delhi-k-taka-police-seek-fasih-custody-311)
यहां सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका को देश के अंदर समझा जा सकता है कि किस
तरह वो मानवाधिकारों को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से एक पूरे समुदाय
पर आतंकवाद का ठप्पा लगा दिया है। दरअसल, फसीह मामले में सवाल उठने और हर
छोटे मामले के प्रकाश में आ जाने की वजह से वो अपनी मनमानी नहीं कर पाईं।
खुफिया एजेंसियां मौजूदा हालात में जान चुकी हैं कि अब राजनयिक स्तर पर
बातचीत कर के ही फसीह को भारत लाया जा सकता है। एक तरफ निकहत न्याय के
लिए लड़ रहीं हैं तो वहीं दूसरी तरफ खुफिया एजेंसियां का अन्याय करने पर
तुली हैं। अब गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की भूमिका को देखना है?
24 मई 2012 को जब निकहत ने हैबियस कार्पस दाखिल किया तो 28 मई को फसीह पर
वारंट और 31 मई को रेड कार्नर नोटिस जारी कर दी गई। दिल्ली-कर्नाटक पुलिस
के कहने पर सीबीआई के अनुरोध पर इन्टरपोल ने रेड कार्नर नोटिस जारी किया
था। 16 जुलाई को दिल्ली-कर्नाटक पुलिस ने गृह मंत्रालय से कहा कि फसीह के
खिलाफ किसी कोर्ट में चार्जशीट नहीं है।
(http://timesofindia.indiatimes.com/india/Cant-extradite-Fasih-Mohammed-Interpol/articleshow/15023388.cms)
सूत्रों की इन खबरों को 24 जुलाई को आई खबरों ने आधार दिया कि
चिन्नास्वामी स्टेडियम धमाकों में 16 जुलाई को सेंट्रल क्राइम ब्रांच ने
फस्र्ट एडीशनल चीफ मैट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष चार्जशीट दाखिल की।
17 अपै्रल 2010 के पांच मामलों में यह पहली चार्जशीट है। जिसमें 14
आरोपियों में से सात हिरासत में हैं। इसमें कहा गया है कि कतील, फारुक,
यासीन, खुमैनी सीधे तौर पर सम्लित थे, रियाज और फसीह षणयंत्र में शामिल
थे। (http://www.dnaindia.com/bangalore/report_ccb-files-charge-sheet-in-stadium-blasts-case_1719367)
यहां गौर करना चाहिए कि पुलिस ने आतंकवाद के नाम पर झूठे मुकदमों में
फसाने के लिए मुस्लिम लड़कों के खिलाफ एक ही मामले में कई केस बनाती है।
जिससे ढेर सारे गवाह और अदालती पेंचों में लड़कों को लंबे समय तक जेल में
सड़ाया जा सके। वो जानती है कि उसके झूठ का पुलिंदा एक दिन खुल ही जाएगा।
एक-एक व्यक्ति पर सैकड़ों-सैकड़ो झूठे गवाह बनाती है।
जैसा कि 16 जुलाई को दिल्ली-कर्नाटक पुलिस गृहमंत्रालय से कह चुकी है कि
फसीह के खिलाफ कोई चार्जशीट नहीं है। ऐसे में उपरी स्तर से ही इस मामले
को हल किया जाय। कोर्ट में भी सरकारी पक्षों से जब जवाब मांगा गया कि
सउदी से उनकी क्या बात हुई है तो इस प्रमाण को सुरक्षा करणों का हवाला
देकर नहीं दिया गया, वहीं सूत्रों द्वारा जो खबरे हैं उसमें यह साफ किया
गया है कि भारत ने सउदी को दस्तावेज भेजें हैं कि फसीह एक भारतीय नागरिक
है, इन आधारों पर उसे भारत को सौंपा जाय।
ऐसे में सुरक्षा करणों का हवाला देकर अपने देश के नागरिकों कि खिलाफ
षडयतंत्र में शामिल व्यवस्था पर सवाल उठता है कि वो जांच एजेंसियों के
कहने पर फसीह पर किसी भी हालत में आतंकवादी का ठप्पा लगाना चाहती है।
सरकार बताए कि जब निकहत सरकार के हर दर पर अपने पति को खोजने के लिए
गुहार लगा रहीं थीं और मांग कर रहीं थी कि सउदी के जिम्मेदारान से बात की
जाय तो क्या उसने बात की? नहीं की?
जिन एजेंसियों के कहने पर रेडकार्नर नोटिस जारी की गई क्या कभी उनसे गृह
मंत्री पी चिदम्बरम और विदेश मंत्रालय ने सवाल किया कि उनको क्यों अंधेरे
में रखा गया? आज जो खुफिया एजेंसियां अपने सूत्रों के हवाले से खबरें
प्रसारित करवा रहीं हैं उनसे पूछा कि जब उन्होंने पहले ही फसीह को उठा
लिया था तो क्यों नहीं बताया?
निकहत बताती हैं कि तमाम प्रयासों बावजूद जब कुछ पता नहीं चला तो अंतिम
विकल्प के रुप में उन्होंने 24 को हैबियस कार्पस दाखिल किया था। अन्तिम
सुनवाई के दौरान 11 जुलाई 2012 को सुप्रिम कोर्ट के समक्ष भारत सरकार ने
बताया कि फसीह महमूद सउदी सरकार की हिरासत में हैं। 26 जून 2012 को सउदी
सरकार द्वारा इस बात की तस्दीक की गई।
निकहत कहती हैं कि दो महीनें से ज्यादा का वक्त गुजर गया, पता नहीं उनकी
सेहत कैसी है? हमें इस बीच उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली, पूरा
परिवार मानसिक तनाव में है। ऐसे में जब यह स्पष्ट हो गया है कि मेरे पति
सउदी की कस्टडी में हैं जिसकी तस्दीक भारत सरकार ने किया है, तो ऐसे में
मैं सरकार से मांग करती हूं कि मुझे मेरे पति से मिलने के लिए यात्रा
वीजा जारी किया जाय?
राजीव यादव
प्रदेश संगठन सचिव पीयूसीएल
द्वारा- मो0 शोएब, एडवोकेट
एसी मेडिसिन मार्केट
प्रथम तल, दुकान नं 2
लाटूश रोड, नया गांव, ईस्ट
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
मो0- 09452800752, 09415254919
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