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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, August 2, 2012

आधे भारत में अंधेरे के कारण कारपोरेट इंडिया उजाला ही उजाला, सुधारों के लिए उत्प्रेरक बना अंधेरा!बिजली संकट के बहाने प्रोमोटर बिल्डर लाबी की चांदी ही चांदी हो गयी!


आधे भारत में अंधेरे के कारण कारपोरेट इंडिया उजाला ही उजाला, सुधारों के लिए उत्प्रेरक बना अंधेरा!बिजली संकट के बहाने प्रोमोटर बिल्डर लाबी की चांदी ही चांदी हो गयी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

प्रधानमंत्री ने सरकारी जमीन के हस्तांतरण के लिए नई नीति बनाकर बबहिष्कृत समाज के लोगों का आखेट सहज कर दी है।प्रधानमंत्री ने कुछ प्रोजेक्ट्स के जमीन बिक्री पर लगाई रोक हटा ली है।जमीन हस्तांतरण की शर्तें कड़ी किए जाने के बाद से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) वाली परियोजनाओं पर पड़ रही मार को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था को मंजूरी दी है जिसके बाद मंत्रिमंडलीय स्वीकृति की जरूरत नहीं पड़ेगी। भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर सरकार ने पिछले साल की शुरुआत में सभी मंत्रालयों पर जमीन हस्तांतरण को मंजूरी देने की रोक लगा दी थी। नई जमीन नीति के तहत सभी मंत्रालयों की ओर से सरकारी कंपनियों को जमीन ट्रांसफर की जा सकेगी। रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी को रेलवे की जमीन पर डेवलपमेंट और इस्तेमाल करने की मंजूरी दी गई है।योजना आयोग के उपाध्यक्ष, मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि ये फैसला इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की जमीन की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित होगा। जाहिर है कि आधे भारत में अंधेरे के कारण कारपोरेट इंडिया उजाला ही उजाला, सुधारों के लिए उत्प्रेरक बना अंधेरा!अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग संस्था गोल्डमैन साक्स का कहना है कि इस सप्ताह पावर ग्रिड ठप होने से देश के 22 राज्यों में बिजली आपूर्ति ठप होने की स्थिति से देश के बिजली क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने में उत्प्रेरक का काम कर सकती है। विद्युत क्षेत्र के सुधारों में वितरण कंपनियों की वित्तीय हालत में सुधार शामिल है।दूसरी ओर अंधेरा का विश्लेषण करते हुए अर्थसास्त्री और मीडिया की ओर से बिजला दरों को बढ़ाने का अभूतपूर्व दबाव बना है। बिजली के निजीकरण की कथा यही है कि निजी कंपनियां बिजली का दाम बढाने के लिए ब्लैक आउट का  बाकायदा हथियार बतौर इस्तेमाल करती हैं। मानसून में कमी पिछले दस साल का रोना है। कोयला संकट भी बहाना है। आधी आबादी को अंधेरे में डालकर एक तरफ सुधार के अश्वमेध घोड़े दसों दिशाओं में छोड़ दिये गये हैं तो दूसरी ओर कोयला संकट से निपटने के लिए वनों और वनवासियों के विनाश का महासंग्राम शुरू हो गया है। इसी सप्ताह एक साथ तीन पावर ग्रिड के ठप होने से देश का आधे से अधिक हिस्से में बत्ती गुल हो गई थी। देश के 65 करोड़ लोगों की जिंदगी जहां की तहां ठप हो गई।केंद्र का कहना है कि राज्यों ने अपने कोटे से ज्यादा बिजली ली इस वजह से ऐसा हुआ। देर रात तक धीरे-धीरे हालात सामान्य करने की कोशिश की जा रही थी। फर्म का कहना है कि बिजली वितरण खंड में सुधारों को शायद अधिक समय लगे क्योंकि 28 राज्यों में से अनेक में शीघ्र ही चुनाव होने हैं। मंगलवार को उत्तरी, पूर्वी तथा पूर्वोत्तर ग्रिड एक साथ ठप हो गया था। इससे पहले सोमवार को उत्तरी ग्रिड ठप हो गया था। फर्म की रपट में कहा गया है कि इस संकट से बिजली क्षेत्र में सुधारों की अनिवार्यता एक बार फिर रेखांकित हुई है। बिजली संकट सुधारों को मजबूती से बढ़ाने के लिये उत्प्रेरक का काम कर सकता है। इसमें कहा गया है कि ईंधन आपूर्ति मामले को सुलझाने का परिणाम बिजली उत्पादन क्षमता के अधिकतम उत्पादन के रूप में सामने आएगा।बिजली संकट के बहाने प्रोमोटर बिल्डर लाबी की चांदी ही चांदी हो गयी।शेयर बाजार में इसके साफ संकेत मिले। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में तेजी आने की उम्मीद ने बाजार की गिरावट पर लगाम लगाई। सेंसेक्स 33 अंक गिरकर 17224 और निफ्टी 13 अंक गिरकर 5228 पर बंद हुए। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 0.25-0.5 फीसदी मजबूत हुए।कमजोर अंतर्राष्ट्रीय संकेतों की वजह से बाजारों ने गिरावट पर शुरुआत की। फेडरल रिजर्व से निराशा और ईसीबी की बैठक के पहले वैश्विक बाजारों में मायूसी दिखी। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी ने भी बाजार पर दबाव डाला।ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सरकार के हरकत में आने से संकेत मिलने से बाजार संभले। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन मिलने में आसानी के लिए सरकार ने नई नीति बनाई है।खबर के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरों में जोरदार तेजी आई, जिसकी वजह से बाजार में रिकवरी नजर आई।कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 77 प्रोजेक्ट, थर्मल पावर के 22 प्रोजेक्ट और हाइड्रो पावर के 10 प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं। जमीन अधिग्रहण की दिक्कत से 667 अरब रुपये का पॉस्को प्लांट लटक गया है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, 4,550 करोड़ रुपये का वर्ली-हाजीअली सी लिंक प्रोजेक्ट, नवी मुंबई एयरपोर्ट, जेएनपीटी पर 8,000 करोड़ रुपये का चौथी टर्मिनल और 5,156 करोड़ रुपये का मोनोरल प्रोजेक्ट जैसे अहम इंफ्रा प्रोजेक्ट अटके पड़े हुए हैं।

इस पर तुर्रा यह कि बिल्डर प्रोमोटर लाबी की सहूलियत के लिए इसीके मध्य सरकारी जमीन के हस्तांतरण में बाधाओं को दूर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को भूमि हस्तांतरण नीति में रियायत को मंजूरी दे दी। इसके तहत आधारभूत संरचना से जुड़ी परियोजनाओं के लिए छूट देने में होने वाली देरी को दूर किया जा सकेगा।अब तक जो प्रोजेक्ट्स जमीन की वजह से अटके हुए थे उनकी मंजूरी में तेजी आएगी क्योंकि प्रधानमंत्री ने सरकारी जमीन के ट्रांसफर की नीति आसान कर दी है। पिछले साल सरकारी विभागों को छोड़कर किसी भी कंपनी को सरकारी जमीन ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी गई थी जिसकी वजह से बहुत से प्रोजेक्ट्स अटक गए थे।और अगर किसी प्रोजेक्ट के लिए जमीन चाहिए तो उसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेना जरूरी था जिसके चलते प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री ने जमीन ट्रांसफर की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इससे सबसे ज्यादा फायदा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में बन रहे प्रोजेक्ट्स को होगा, जिन्हें अब आसानी से सरकारी जमीन मिल पाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, कुछ श्रेणियों में सभी सरकारी जमीन के हस्तांतरण पर लगे प्रतिबंध में रियायत देने के निर्णय से इस महीने से निजी सार्वजनिक हिस्सेदारी :पीपीपी: परियोजनाओं को मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। गौरतलब है कि पिछले वर्ष प्रारंभ में कुछ मामलों को छोड़कर किसी भी उद्यम को सरकारी जमीन के हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाया गया है । यह प्रतिबंध से उन मामलों में लागू नहीं था जिसमें सरकारी जमीन का हस्तांतरण एक सरकारी विभाग से दूसरे विभाग को किया जाना था। आर्थिक मामलों के विभाग को सरकारी स्वामित्व वाली जमीन के हस्तांतरण से जुडी समग्र नीति तैयार करनी थी। इस संबंध में अगर जमीन पट्टे, लाइसेंस, या किराये पर देना हो तो इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत होती थी। इसके कारण आधारभूत क्षेत्र की परियोजनाओं (विशेष तौर पर पीपीपी से जुड़ी) को छूट प्रदान करने में काफी देरी होती थी।फिलहाल देश में पावर, स्टील, हाइवे और सीमेंट जैसे सेक्टर में कुल 1.46 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट अटके पड़े हुए हैं। देश में कुल 254 इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को पर्यावरण मंजूरी मिलना बाकी है। पर्यावरण और अधिग्रहण की मंजूरी न मिलने से 15,000 करोड़ रुपये के 16 बड़े रोड प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं। जमीन अधिग्रहण की दिक्कत से एनएचएआई के 58 प्रोजेक्ट अटके हैं।

देश में बिजली के जबरदस्त संकट के 20 घंटे बाद तीन प्रमुख बिजली ग्रिडों को ठीक कर लिया गया है। पावरग्रिड ने बुधवार को यह जानकारी दी।देश की आधी से ज्यादा आबादी को बिजली पहुंचाने वाले उत्तरी ग्रिड, पूर्वी ग्रिड और पूर्वोत्तर ग्रिड को आज सुबह करीब 9:30 बजे बहाल कर लिया गया। कल दोपहर करीब एक बजे ये तीनों ग्रिड ठप्प पड़ गए थे।सार्वजनिक क्षेत्र की पावरग्रिड ने एक बयान में कहा कि सभी तीन क्षेत्रों को 100 प्रतिशत आपूर्ति बहाल कर दी गई है। दिल्ली सहित उत्तरी क्षेत्र में 30,081 मेगावाट की पूर्ण बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है।

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि इस सप्ताह व्यापक स्तर पर बिजली गुल होना भारत में कमजोर बुनियादी ढांचा को प्रतिबिंबित करता है। एजेंसी का कहना है कि इसका आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इस सप्ताह उत्तरी, उत्तर पूर्वी तथा पूर्वी ग्रिड के ठप होने से देश की आधी आबादी को घंटों बिजली से वंचित रहना पड़ा। मूडीज की निवेश सेवा इकाई ने कहा कि उत्तरी, उत्तर पूर्व तथा पूर्वी ग्रिड के ठप होने के कारण व्यापक स्तर पर बिजली संकट से देश की आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ा है।मूडीज के अनुसार बिजली संकट देश के कमजोर बुनियादी ढांचे को रेखांकित करता है। इससे न केवल निवेश हतोत्साहित होता है बल्कि उत्पादन सुधार भी प्रभावित होता है। एजेंसी ने बयान में कहा कि बिजली संकट से कारोबारी धारणा प्रभावित होगा जो पहले से वृद्धि कम होने से कमजोर है। साथ ही सरकार निवेश को माहौल को बेहतर बनाने के लिये सुधारों को लागू करने में अबतक अक्षम रही है। मूडीज ने कहा कि निवेश गतिविधियों में तेजी के कारण ही पिछले दशक के मध्य में देश की आर्थिक वृद्धि अच्छी रही।

तीन दिन पहले उत्तर प्रदेश और हरियाणा समेत कुछ राज्यों द्वारा बिजली के अंधाधुंध ओवरड्रा करने से नार्दर्न ग्रिड फेल हो गया था, जिससे पहले तो सात राज्यों में ब्लैक आउट हुआ और उसके अगले दिन नार्दर्न के साथ पूर्वी ग्रिड और पूर्वी उत्तर ग्रिड फेल होने से बीस राज्य बिजली को तरस गए। इसके बाद केंद्र सरकार ने ओवरड्रा पर सख्त रुख अपनाते हुए इस पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार के ओवरड्रा पर सख्ती से रोक लगा देने से उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश में में बिजली संकट और गहरा गया है। सिंचाई नलकूप संचालित न होने से धान व गन्ने की फसलों को पानी नहीं मिल पा रहा है। इससे किसान परेशान हैं। बिजली आपूर्ति के नजरिए से उद्योग जगत की वरीयता में कापी ऊपर उत्तराखंड में हालत यह है कि स्टेट लोड डिस्चार्ज सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार जलविद्युत परियोजनाओं से 17 मिलियन यूनिट बिजली मिल रही है, जबकि सेंटर का शेयर (नौ एमयू) मिलाकर यह 26 मिलियन यूनिट तक है, जबकि मांग 30 से 31 मिलियन यूनिट तक चल रही है। इससे चार से पांच मिलियन यूनिट तक बिजली की कमी चल रही है। ओवरड्रा से एक-दो मिलियन यूनिट बिजली मिल जाती थी, लेकिन अब ओवरड्रा पर रोक लगने से हालत बिगड़ गई है। स्टेट लोड डिसपेच सेंटर के डीजीएम राजीव गुप्ता ने बताया कि बिजली की कमी के कारण बड़े शहरों में पांच से घंटे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सात से आठ घंटे तक कटौती करनी पड़ रही है। उद्योगों को तो 12 घंटे की कटौती से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अनुशासन कायम कर ही बिजली संकट से निजात मिल सकती है।

सार्वजनिक क्षेत्र के कर्नाटक पावर कारपोरेशन लिमिटेड (केपीसीएल) ने गुरुवार को कहा कि दक्षिणी पावर ग्रिड फेल नहीं हो सकता है। केपीसीएल के एक अधिकारी ने कहा कि एहतियाती कदम के तौर पर हमने अपने राज्य और दक्षिणी पावर ग्रिड की जांच की है ताकि अन्य पावर ग्रिड की तरह इसके फेल होने की घटना नहीं हो। राज्य के ऊर्जा मंत्री शोभा करांदलाजे ने केपीसीएल, वितरण कम्पनियों और राज्य बिजली नियामक आयोग के साथ एक बैठक कर राज्य में बिजली की स्थिति की समीक्षा की। अधिकारी ने कहा कि दक्षिणी ग्रिड से जुड़ी इकाई नियमों का पूरा पालन करती है और उतनी ही बिजली खींचती है, जितना का उन्हें हक है, ताकि 50 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी बनी रहे। दक्षिणी ग्रिड में विशेष सुरक्षा प्रणाली लगाई गई है, जो 50 मेगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी बरकरार रखती है और इसमें गिरावट आने पर यह प्रणाली सक्रिय हो जाती है।

नवनियुक्त बिजली मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने बुधवार को देश को भरोसा दिलाते हुए कहा कि राष्ट्रीय पारेषण ग्रिड में जिस तरह की खराबी इस सप्ताह के शुरू में आई वैसी घटना भविष्य में नहीं घटेगी। मोइली ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं देश को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि देश भर में ऐसी (पावर ग्रिड ठप्प होने जैसी) घटना दोबारा कभी नहीं होगी।' ठीक एक दिन पहले देश के तीन ग्रिड ठप्प हो गए थे और लगभग आधे देश में बिजली गुल हो गई थी। भारत का पावर ग्रिड या राष्ट्रीय पारेषण नेटवर्क दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है. ग्रिड की यह खराबी भारी चिंता का विषय है।उन्होंने कहा कि ग्रिड की सामान्य स्थिति बहाल कर दी गई है और अब आगे सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि सामान्य स्थिति को सौ फीसदी बरकरार रखा जाए और ग्रिड के ठप्प होने की घटना दोबारा कभी नहीं होने पाए। तो दूसरी ओर, देश के उद्योग जगत ने मंगलवार को सरकार से मांग की कि वह नेशनल पावर ग्रिड के परिचालन की तुरंत समीक्षा करे। इसके साथ ही बिजली क्षेत्र में सुधारों की मांग की गई है। उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष आर वी कनोड़िया ने कहा, यह नींद तोड़ने वाली घटना है। बिजली क्षेत्र में तत्काल निवेश बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बिजली संकट के कारण सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा है कि बिजली संकट के कारण उद्योगों को भारी नुकसान होता है।

पावर ग्रिड फेल होने के कारण मंगलवार को ईसीएल का कोयला उत्पादन 25 हजार टन प्रभावित हुआ और अनुमानत: 10 करोड़ रुपये का नुकसान ईसीएल को सहना पड़ा। इसी बीच खदानों के अंदर पड़े लगभग दो सौ श्रमिक बिजली आने के बाद लगभग साढ़े पांच बजे खदान से निकल पाए। उल्लेखनीय है कि मंगलवार की दोपहर लगभग एक बजे पावर ग्रिड के फेल से ईसीएल के लगभग सभी एरिया में कोयला उत्पादन पर ऋणात्मक प्रभाव पड़ा। लगभग छह घंटे से अधिक समय तक बिजली की समस्या बनी रही। ईसीएल के सीएमडी के तकनीकी सचिव निलाद्री राय ने कहा कि बिजली की समस्या से कंपनी को भारी परेशानी उठानी पड़ी। खदान के सारे पंप बंद थे। अधिक समय तक इनके बंद रहने से पानी भरने की आशंका बनी हुई थी। हालांकि इसका कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा पर उत्पादन प्रभावित हुआ और लगभग दस करोड़ रुपये की क्षति उठानी पड़ी।उत्तरी ग्रिड के लगातार 2 दिन फेल होने से इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ है। सिर्फ पंजाब में ही इंडस्ट्री को 1 दिन में 200 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। साथ ही एक्सपोर्ट ऑर्डर में देरी होने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी उनका नाम खराब हो रहा है।24 घंटे में दो बार ग्रिड फेल होने से इंडस्ट्री की चिंताएं बहुत बढ़ गई हैं। पंजाब में पहले से ही इंडस्ट्री 3 दिन के पावर कट का सामना कर रही है। ऐसे में ग्रिड फेल होने से प्रोडक्शन पर खासा असर पड़ा है और इंडस्ट्री को करोड़ों रुपयों का नुकसान उठाना पड़ा है।यही नहीं ग्रिड फेल होने पर इंडस्ट्री ने ऑर्डर पूरा करने के लिए जेनरेटर का सहारा लिया। इससे उनकी लागत काफी बढ़ गई है। यही नहीं एक्सपोर्ट मार्केट के ऑर्डर भी बिजली नहीं होने से काफी प्रभावित हुए हैं। हालांकि बोझ तो बढ़ेगा लेकिन भविष्य में इस तरह की परेशानी से निपटने के लिए इंडस्ट्री अपना इंतजाम करने की सोच रही है।इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार इसके ब्लैक आउट के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए। हालांकि उन्हें सबसे ज्यादा चिंता अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अपने साख की है क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके खरीदार दूसरे देशों की ओर शिफ्ट न हो जाएं।

पावर ग्रिड कारपोरेशन ने मंगलवार शाम यह दावा किया कि उत्तर भारत में 90 फीसदी बहाल हो गई है। इसके अलावा पूर्वी भारत में 50 फीसदी बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है। पावर ग्रिड ने कहा है कि दिल्ली में पूरी बिजली बहाल हो चुकी है। वहीं, पूर्वोत्तर में सौ फीसदी बिजली बहाल हो चुकी है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में बिजली पूरी तरह बहाल कर दी गई है। पावर ग्रिड कारपोरेशन ने यह भी कहा कि उत्‍तरी ग्रिड और पूर्वी ग्रिड आंशिक तौर पर बहाल कर दिया गया है।

ग्रिड फेल की घटना को दोहराने से बचने  के लिए   नए बिजली मंत्री वीरप्पा मोइली ने 6 अगस्त को नॉर्दर्न ग्रिड से जुड़े आठ राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली व चंडीगढ़ शामिल हैं।उन्होंने कहा कि इस वक्त किसी राज्य पर आरोप-प्रत्यारोप की जगह आपसी सहयोग से ही संकट का हल किया जा सकता है। ग्रिड फेल होने के कारणों का पता लगाने के लिए बनाई गई तीन सदस्यीय कमेटी अगले दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी, लेकिन इसकी अंतरिम रिपोर्ट 15 अगस्त तक आ सकती है। बुधवार को इसकी पहली बैठक आयोजित की गई। हालांकि, अभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि ग्रिड किन कारणों से फेल हुआ।बुधवार को बिजली मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में मोइली ने कहा कि उन्होंने अगले 24 घंटे के भीतर सभी क्षेत्र की ट्रांसमिशन क्षमता व नाजुक लिंक्स की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। इस समीक्षा के आधार पर ग्रिड की सुरक्षा को देखते हुए कुछ प्रतिबंध लगाने का भी निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ग्रिड की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हर प्रकार के व्यावसायिक व तकनीक सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। इनमें कंजेशन चार्ज को बढ़ाने से लेकर राज्यों द्वारा बिजली को ओवर ड्रॉ करने पर अंकुश लगाना भी शामिल हैं।


गौर हो कि देश के उत्तरी, पूर्वी तथा पूर्वोत्तर हिस्सों को बिजली आपूर्ति करने वाले तीन ग्रिड ठप हो गए। इससे देश के आधे से अधिक हिस्से में बत्ती गुल हो गई। बिजली आपूर्ति बाधित होने से 22 राज्यों में जनजीवन प्रभावित हुआ तो पश्चिम बंगाल में 200 खननकर्मी फंस गए। लगातार दूसरे दिन देश में बिजली का यह संकट रहा है।

पावर ग्रिड कारपोरेशन के प्रमुख आरएन नायक ने आज कहा ग्रिड ठप होने से प्रभावित अधिकांश शहरों में शाम सात बजे तक बिजली बहाल कर दी जाएगी। नायर ने कहा कि अधिकांश शहरों व कस्बों में शाम सात या साढे सात बजे तक बिजली बहाल कर दी जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र की यह कंपनी देश में पारेषण नेटवर्क को देखती है। उसका कहना है कि देश में हालात मध्य रात्रि तक सामान्य होंगे। देश में कुल मिलाकर पांच बिजली ग्रिड हैं और दक्षिणी ग्रिड के अलावा सभी आपस में जुड़े हैं। इन ग्रिड का संचालन पावर ग्रिड कारपोरेशन करती है।इससे पहले, देश के तीन ग्रिड दोपहर लगभग एक बजे ठप हुए। पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में सोडेपुर व सतग्राम में ईस्टर्न कोलफील्डस के खननकर्मी फंस गए। जिन्हें बड़ी मशक्कपत के बाद निकाला गया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बिजली आपूर्ति बंद होने से मेट्रो बंद हो गई' और यात्रियों को कुछ समय तक उसी में बंद रहना पड़ा। केंद्र ने आज के संकट के लिए राज्यों द्वारा पूर्वी ग्रिड से अधिक बिजली लेने को जिम्मेदार ठहराया है। ग्रिड में खराबी से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, पंजाब, जम्मू कश्मीर, ओड़ीशा, बिहार, राजस्थान व असम तथा केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति ठप पड़ गई। यानी देश की आधे से अधिक जनसंख्या प्रभावित हुई। नार्दर्न ग्रिड सोमवार को भी फेल हो गया था, जिसके कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित करीब सात राज्यों में बिजली का संकट हो गया था। मंगलवार को ग्रिड फेल हो जाने के कारण जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखण्ड, सिक्किम, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश में बिजली का संकट पैदा हो गया।

केंद्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने ग्रिड फेल होने की वजह कुछ राज्यों द्वारा अधिक बिजली लेने को बताया। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। मैंने अपने सभी लोगों को काम पर लगाया है।

बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण देश के सभी छह रेलवे क्षेत्र में रेल सेवाएं पूरी तरह ठप्प हो गई। रेल मंत्रालय में जनसम्पर्क विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक अनिल सक्सेना ने कहा कि आठ राज्यों में करीब 300 रेलगाड़ियां जगह-जगह रुकी रहीं, जिसके कारण करीब तीन लाख रेल यात्री फंसे रहे। नॉर्दर्न ग्रिड फेल होने के कारण दिल्ली में सभी छह मार्गों पर मेट्रो सेवा भी ठप्प हो गई। दिल्ली मेट्रो के एक अधिकारी ने बताया कि नॉर्दर्न ग्रिड फेल होने के कारण सभी रेल सेवाएं ठप्प हो गईं।

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने उन रिपोर्टों का खंडन किया जिनमें विद्युत परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी मिलने में देरी को देश में मौजूदा बिजली संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।मंत्रालय ने आज यहां जारी विज्ञप्ति में कहा कि पिछले पांच साल में जितनी विद्युत परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी दी गई, उनसे बिजली उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है।विज्ञप्ति के अनुसार 11वीं योजना में 50 हजार मेगावाट और 12वीं में एक लाख मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था। दूसरी ओर मंत्रालय पिछले पांच साल में ही कुल दो लाख दस हजार मेगावाट की परियोजनाओं को मंजूरी दे चुका है।मंत्रालय ने कहा कि उसने पर्यावरण मंजूरी देने की प्रक्रिया की समीक्षा की है ताकि गैरजरूरी परेशानी या नुकसान नहीं हो। देरी से बचने के लिए वन और पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रियाओं को एक साथ चलाने का निर्देश दिया गया है।

सोमवार के बाद मंगलवार को भी ग्रिड फेल होने से भले ही 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के घरों में अंधेरा छाया रहा हो, लेकिन समूचे देश में बिजली की लाइनें बिछाने और बिजली की आपूर्ति सुचारू रखने के लिए जिम्मेदार कंपनी पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के शेयरों में चमक बरकरार है।शुक्रवार के दोपहर एक बजकर 10 मिनट हुए थे कि तभी अचानक हाहाकार मच गया। एक बाद एक 22 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की बिजली गुल हो गई। 65 करोड़ लोगों पर सीधा असर हुआ। 65 करोड़ लोग बिना बिजली के अंधेरे में रहने को मजबूर हुए। 400 से ज्यादा ट्रेनें रुक गईं। अस्पताल ठप हो गए। पानी सप्लाई बंद हो गई। रेड लाइट बंद होने से सड़कों पर जाम लग गया। दिल्ली मेट्रो जहां की तहां ठहर गई। सरकारी संस्थानों में काम ठप हो गया। उद्योगों का चक्का रुक गया।दो दिन में दूसरी बार ठीक ऐसा हुआ था लगा जैसे एक्शन रीप्ले हो लेकिन कुछ ही मिनट बाद समझ आया कि इस बार हाल कहीं ज्यादा बदतर हैं। सोमवार को सिर्फ 9 राज्यों की बिजली गुल हुई थी मंगलवार को 22 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में हाहाकार मचा हुआ था। केंद्र सरकार सकते में आ गई, बिजली मंत्री के होश उड़ गए। तीन ग्रिड एक के बाद एक फेल जो हो गए थे। कई घंटों तक सीधे सवालों से बचने के बाद मंत्री सुशील कुमार शिंदे सामने आए और राज्यों की बेईमानी को इस संकट का जनक करार दिया। कहा कि कई राज्यों ने अपने कोटे से ज्यादा बिजली खींची और इस वजह से ग्रिड फेल हो गया।

मंगलवार को बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर कंपनी के शेयर का भाव खासी बढ़ोतरी दर्ज करते हुए 52 सप्ताह के उच्च स्तर 120.50 रुपये पर पहुंच गया।हालांकि, बाद में हुई हल्की मुनाफावसूली के चलते शाम को यह सोमवार की तुलना में 0.42 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 118.55 रुपये पर बंद हुआ।

पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के साथ ही हाइड्रो पावर उत्पादक कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड के शेयरों में भी 0.83 फीसदी की तेजी रही और इसके शेयर का भाव 18.25 रुपये पर बंद हुआ। हालांकि, थर्मल पावर उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड के शेयर का भाव 0.35 फीसदी की गिरावट के साथ157.10 रुपये पर बंद हुआ।साथ ही, निजी क्षेत्र की टाटा पावर कंपनी लिमिटेड के शेयर में 0.46 फीसदी और रिलायंस पावर लिमिटेड के शेयर में 0.76 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

बीएसई पर मंगलवार शाम को टाटा पावर कंपनी लिमिटेड व रिलायंस पावर लिमिटेड के शेयर का भाव क्रमश: 98.05 रुपये और 91.20 रुपये पर बंद हुआ। अधिकांश कंपनियों के शेयरों में दर्ज की गई गिरावट की वजह से बीएसई का पावर सेक्टोरल इंडेक्स भी 0.20 फीसदी की गिरावट के साथ 1,896.90 अंक पर बंद हुआ। गौरतलब है कि सोमवार को पावर सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में हुई जबरदस्त लिवाली के चलते बीएसई का पावर सेक्टोरल इंडेक्स तीन फीसदी से भी ज्यादा की बढ़ोतरी के साथ बंद हुआ था।

नया भूमि अधिग्रहण बिल उद्योग व बिल्डर्स के लिए लाभकारी होने के साथ किसानों या भूमि मालिकों के लिए भी बेहतर होगा। इसके अंतिम रूप में किसी तरह की कोई भी बाधा नहीं होगी बल्कि यह लचीलेपन के साथ सुविधाजनक होगा।

ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विकास विभाग की सचिव अनिता चौधरी ने कहा कि सरकार ने नए भूमि अधिग्रहण बिल को संतुलित करने की कोशिश की है। इसे अगले सप्ताह कैबिनेट में विचार के लिए लाया जाएगा। उन्होंने यह बात एसोचैम की ओर से आयोजित विकास के लिए लैंड बैंक बनाने की योजना व इसके कार्यान्वयन संबंधी राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को दौरान कही।

उन्होंने बताया कि नए भूमि अधिग्रहण बिल को 8 अगस्त से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाए जाने की संभावना है। चौधरी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल बिल्डर्स और उद्योग के खिलाफ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने नए भूमि अधिग्रहण बिल को संतुलित बनाने का प्रयास किया गया है। इससे औद्योगिकरण के विकास में कोई बाधा नहीं होगी और यह किसानों के लिए भी लाभकारी होगा। नए बिल में किसानों के पुनर्वास के लिए प्रावधान रखे गए हैं।

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