पद्म प्रलय में अमदाबाद,दिल्ली,
पटना, जयपुर, कोलकाता, सर्वत्र पीपीपी ड्रोन हमला,सर्वत्र निरंकुश पूंजी,अबाध बेदखली
केसरिया कारपोरेट राज में गरीबी उन्मूलन यह,सरकारी उपक्रम कसाईबाड़े में और हजार कंपनियों का मुनापा 35 फीसद,श्रम कानूनों का सफाया और भूमि अधिग्रहण जबरन
रियल एस्टेट सेक्टर को राहत देने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। सेबी ने रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) को मंजूरी दे दी है। रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट से कंपनियों की पूंजी की दिक्कत खत्म होगी। साथ ही, निवेशक बिना प्रॉपर्टी खरीदे रियल एस्टेट में निवेश का फायदा ले पाएंगे।
पलाश विश्वास
इस मुक्तबाजारु अरथव्यवस्था का अजब तमाशा है,गजब खेला है।
जिसको समझा गउ है,वही सांढ़ निकला है।
लड्डु के इंतजार में रहे,मिला कच्चा केला है।
Firm top line growth, stable costs & other income help post best profit surge in 9 quarters
Firm top line growth, stable operating costs and higher other income are helping India Inc report possibly the best net profit growth and operating margins in recent quarters. A sample of 1,000 companies that have announced earnings for the June quarter -excluding banks, finance and oil & gas firms -has delivered a robust 35.4% increase in net profit at the aggregate level compared with the year ago -the highest growth in 9 quarters.
मतबल ई कि सरकारी कपनियों मसलन वित्तीय,बैंकिंग,तेल गैस इत्यादि को ठोड़ पूरे एक हजार कंपनियों को नमो महाराज के माता दरबार में 35.4 फीसद मुनाफा का मुफ्त चढावा।मोदी वाहक वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज को 556.7 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज को 278.3 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज की आय 43.1 फीसदी बढ़कर 16524 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज की आय 11547 करोड़ रुपये रही थी।
रिलायंस बाबाओं के मुनाफे के आंकड़ों से पहले ही बाजार बम बम है तो वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स का मुनाफा 3.1 गुना बढ़कर 5398 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स का मुनाफा 1726 करोड़ रुपये रहा था।
साफ है कि अटल आडवानी जमाने में चकाचौंध इंडिया का ग्लो साइनबोर्ड इतना डिजिल नही रहा जो गुजराती पीपीपी माडल का है।
तो अब कहकहे लगाकर भी अरबपति बन जाने के तिलिस्मी अर्थव्यवस्था का राज समझ लीजिये।
अंबेडकर ने ब्रिटिश हुकूमत को अकादमिक अर्थशास्त्र से गोल्ड स्टैंडर्ड लागू करने को मजबूर किया तो आजाद देश के राजनेता कोई बुरबक न थे जो अर्थव्यवस्था को डालर से नत्थी कर दियो रे।
अंबेडकर के गोल्ड स्टैंडर्ड के मुताबिक रुपी प्राब्लम सुलाझाने ब्रिटिश हुकूमत ने भारतीय रिजर्व बैंक आफ इंडिया की स्थापना की जो अब कारपोरेट कंपनियों की पालतू बिल्ली है।वित्तीय नीति अनुपस्थित देश में मौद्रिक कसरत में तार पर चलती यह बिल्ली है तो दसो दिशाओं से विदेशी आवारा पूंजी की बौछार है और सांढ़ संसक्ृति की मुनाफावसूली भी बेलगाम।
कोई ससुरे अंबेडकरी को मालूम नहीं कि उनके बाबासाहेब ने भारतीय रिजर्व बैंक की नींव भी डाली श्रम कानून और कामकाज कामगार के तमाम अधिकारों के अलावा।जयभीम का हांका इस पर ऐसा लगाया कि बाकी देश और किसानों,मजदूरों और आदिवासियों को पत्ता ही लगने नहीं दिया कि तमाम नागरिक,श्रमिक और आऱ्थिक अधिकारों के मसीहा थे बाबासाहेब जो किसी जात तबके के नहीं हर भारतीयके भी नहीं,सीमाओं के आर पार हर मनुष्य के बाबासाहेब हैं वैसे ही जैसे कार्ल मार्क्स और लेनिन।
ससुरे कामरेडों और उनके साथ मसीहा दुकानदार अंबेडकरी दुकानदार लोगों ने न किसानों की गोलबंदी होने दी, न मजदूरों की, न महिलाओं की और न युवाओं की गोलबंद वे मालिकान के लिए हुए और मालिकान भी गोलबंद हो गये ठैरे ।
बाम्हण को गरियाते गरियाते बनियाराज लाये और बनिया राज लाते लाते पूरा का पूरा देश आवारा पूंजी का।
पूरा देश डालर उपनिवेश।
पूरा देश फारेन टेरेटोरी।इंडस्ट्रियल गलियारा।स्मार्ट सिटी।शापिंग माल।कैशएंड करी कैरी। रिलायंस रिटेल पूरा देश।टाटा का नैनो पूरा देश।पूरा देश रियल्टी कारोबार।स्मारट सिटी।हर कोई शेयर दल्ला।मार्केटिंग एजंट या काल सेंटर आईटी का मुलाजिम हायरफायर।मुक्मल स्मारट सिटी पूरा देश।
न संविधान।न लोकतंत्र। न कायदे कानून। न कानून का राज।
डालर पीच्छे भागे चील कौव्वे हमार रहमुमा जी रौ लाख बरस।
अरबपति करड़पति हमार झां चकचाक झकास नुमािंदे जी रौ लाख बरस।
श्रम कानूनों के सफाये के लिए कांग्रेस अब महिलाओंको रात्रिपाली से बचाने की सिफारिश कर रही है।एप्रेंटिस को एब्जार्ब करने की मांग भी है कांग्रेसी।
बाकी कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी या मजदूरों की कथा व्यथा के कीर्तनिये तमाम सांप सूंघे हैं।
पद्मनाभ महाराज तो पहले से जल्दी जल्दी की गुहार मचाये हैं और इस पद्मप्रलय में कौन कितना केसरिया है,पता लगाना सीसैटहुआ जाय रे।
मारुति के कर्मचारी बिगुल मजदूर वाले दिल्ली में हांका लगा सकते हैं,तो क्रांति के तमाम मुक्तांचलों में सन्नाटा क्यों है।
जाहिर सी बात है कि हायर फायर के जलवे में अप्रेंटिस की प्लेसमेंटकी गाजर और सर्विस सेक्टर में महिलाओं के नानाविध शोषण उत्पीड़न से बेलगाम राजनीति की बंद होती जा रही मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन इकाइयों में उन्हें रात्रि पाली से बचाने की नौटंकी के अलावा बाकी पूर्ण राजकीय सम्मति से एकमुश्त फैक्ट्री एक्ट और लेबर कमिशन का बाजा बजाकर पूरे देश को सेजदेश टैक्स होली डे डीकंट्रोल डीरेगुलेटेड फारेन टेरेटोरी बना देने का है।
यानी फिर वही डालर उपनिवेश का स्ताई बंदोबस्त।मालिकान को अब सरकार को कर्मचारियों के बारे में न कोई सूचना देनी है, न अदालतों को खैफियत, न वर्किंग कंडीशन,न जाब सिक्युरिटी और न सर्विस रुल,न काम के घंटे तय, न कोई वेतनमान।
केंद्र सरकार की मंजूरी से पहले,संसदीय मुहर से पहले नया श्रम कानून राजस्थान में महारानी के हुक्म से लागू भी ठैरा जी।
तेनु कोई फर्क पैंदा जी
तुस्सी क्यूं लाल पीला हुआ जाये रे
मैंनि कोई झूठ बोल्या जी
लाल सलाम।इंक्लाब जिंदाबाद जिंदाबान।
चोलछे ना चोलबे ना,आमादेर दाबि मानते होबे
बस
बाकी सबै बरोबर।जम मूलनिवासी जय भीम जय अंबेडकर।
अंबेडकर और संविधान की हत्या के बाद समता और सामजिक न्याय का यह स्थाई बंदोबस्त.मातुश्री में जिंदा होंगे फिर बाबासाहेब जी।
इसी तरह अब नये भूमि अधिग्रहण कानून जनवरी मां रद्द 1884 के भूमि अधिग्रहण कानून से भी भयंकर बनाने का प्रयोग चल पड़ा है म्हारा राजस्थान में।
पधारो म्हारा देश निवेशक महाराज।
1884 की तरह जनहित प्रयोजने भूमि अधिग्रहण का पाखंड भी नहीं।
डायरेक्ट पीपीपी माडल गुजराती। नाममात्र जनसुनवाई की भी गुंजाइशे नेइ।
गुजराती माडल पीपीपी लागू मायने पर्यावरण लहूलुहान,वेदांता चालू।नियमागिरि चालू।टाटा रिलायंस चालू।अदाणी चालू।माइनंगि निषिद्ध चालू।मध्यबारत में आदिवासी इलाकों में गुजराती माडल पीपीपी का सलवाजुड़ुम चालू।अभ्यारम्य सुंदरवन समुद्रतीर से लेकर उत्तुंग हिमाद्रिशिखर तक सबै पीपीपी।महानगर पीपपीपी।
देहात पीपीपीप।
खेत पीपीपपपी।खलिहान पीपीपपीपीप।
जंगल पीपीपपीजा।जमीन पीपपीपखाजा।
पहाड़ पीपीपीपीप भूस्खलन केदार जलप्रलय बाढ़ प्रलयंकर और भूकंप पीपीपी।
नागरिक अधिकार पीजी पित्जा डायरेक्टड्रोन डेलीवरी बायोमेट्रिक डिजिटल।मानवाधिकार गाजापट्टी मोसाद साआईए अमेरिका पीजा पीजा।
अगंरेजी में हो ज्यादा खुलासा ।सीसैट करते रहोगे भाया तो अंग्रेजी में अगवाड़ा पिछवाड़ा उठा उठाकर मारेंगे और सीलते रहना जिंदगीभर।
बामुलाहिजा होशियार।
खल्क खुदा का मुल्क महारानी का।
मजहब केसरिया प्रोमोटर राज धर्मोन्मादी
और जयपुर का ताजा नजारा आंग्ल भाषा में।
समझ में आये समझो वरना सीसैट विहिपअभाविपभामस करते रहो आस्थासंपन्न कांवड़ियों,जलाभिषेक करते रहो।
करते रहो जयनमो जयनमो।
Under new law, consent of landowners may not be needed; compensation likely to be hiked
After radical changes in labour laws, the Vasundhara Raje-led Rajasthan government is firming up plans for a new land acquisition Act that seeks to facilitate speedier acquisition of land for industry and government by scrapping some key measures, notably those requiring consent of landowners, that form part of legislation passed by UPA last year. While relaxing the consent provisions, the desert state's version of the law will hike the quantum of compensation to incentivise purchase of land from owners. According to senior officials involved in the drafting process, the new law will get rid of a provision requiring consent of 70% to 80% (in case of private projects) of land owners and a requirement to carry out a Social Impact Assessment Study (SIA). These relaxations will apply to "Core Infrastructure Projects" such as roads, power lines, bridges and pipelines regardless of whether these are being implemented by the public or the private sector.
However, to incentivise owners to part with their lands, the quantum of compensation will be increased from two to two-and-a-half of the prevailing rates for urban areas and from four to four-and-a-half for rural areas.
हमने पीपीपी माडल पटना का हाल पहले बताया।धर्मनिरपेक्ष विषिणुअवतारै हैं नीतीश भैया लालू को लगै दूध दुहाने। करें हुंकार घनघोर,करुक्षेत्र में मारेंगे कुरुवंश और सार अस्पताल कर दिये पीपीपी गुजराती।
तो तमाशा देखें बंगाल का।सेजदेवी दुर्गावतार दीदी शांतिनिकेतन,कोलकाता से लेकर कल्याणी सबै बनाने चली हैं स्मार्ट सिटी सेज महासेज।
श्रमकानून का सफाया वाया जयपुर। हीरक बुलेट चतुर्भुज।
भूमि अधिग्रहण नया बेददखली कानूनमुआवजा गाजर वही,नहीं होगीग सुनवाई।रजामंदी नहीं चलेगी।पांचवा छठां शिड्युल संविदान कुछ भी न चलेगा।खालिस बेदखली अभियान पीपीपी गुजराती जहर रसीला पीजा पीजा।
वाया जयपुर।
तो रियल्टी प्रोमोटर राज भाया कोलकाता,सिटी आफ जाय,वामासुर बौद्धमय अतीत का प्रदेश क्रांतिकारी बंगाली का जहां सबसे ज्यादा मजबूत है संग परिवार ताजा स्टेटस।बाकायदा डीएनए टेस्ट कराना पड़ेगा कि कौन ससुरा नहीं है संघी।
वाया अमित मित्र प्रोमोटरों को पुराना मकान ढगहाने से लिए शौ फीसद टैक्स होलीडे।शापिंग कांप्लेक्स मल्टीप्लेक्स से लेकर कृषि कारखाना जमीन तक में नालेज हास्पीटल ग्रीन हाउसिंग का खुल्ला टैक्स होलीडे। पीपीपी माडल गुजराती का क्रांति बाप्तिस्मा हुआ संपन्न।इति सिद्धम।
नतीजा देखें मजेदार।कैसे तार तारेतरै लच्छेदार।
पिछवाड़े निकरै लाल नीला धागा लच्छेदार।
रियल एस्टेट सेक्टर को राहत देने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। सेबी ने रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) को मंजूरी दे दी है। रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट से कंपनियों की पूंजी की दिक्कत खत्म होगी। साथ ही, निवेशक बिना प्रॉपर्टी खरीदे रियल एस्टेट में निवेश का फायदा ले पाएंगे।
अब आप बिना घर खरीदे प्रॉपर्टी में निवेश का फायदा उठा सकेंगे। सरकार ने रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़ा बूस्ट दिया है। बोर्ड बैठक में सेबी ने रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट को हरी झंडी दे दी है। रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट के अमल में आने के बाद रियल एस्टेट कंपनियों की बड़ी दिक्कत तो खत्म होगी ही, साथ ही देश में निवेश का माहौल भी सुधरेगा। आरईआईटी में आप 2 लाख रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकेंगे।
सेबी के नियमों के मुताबिक आरईआईटी में न्यूनतम निवेश 2 लाख रुपये का होगा। सिर्फ पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स में ही आरईआईटी निवेश कर पाएंगे। एसपीवी से आरईआईटी में ट्रांसफर होते वक्त टैक्स नहीं लगेगा। सिर्फ एसेट बिकने पर ही टैक्स लगाया जाएगा। आरईआईटी का ऑफर साइज कम से कम 500 करोड़ रुपये होगा और कुल फंड कम से कम 10 करोड़ रुपये होना चाहिए। ब्रोकरों को आरईआईटी के लिए सिर्फ एक बार रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जिन प्रोजेक्ट में कमाई हो रही है आरईआईटी का निवेश सिर्फ उन्हीं में होगा। 1 अक्टूबर से आरईआईटी के नियम लागू होने की संभावना है।
इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट को मंजूरी मिलने से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की पूंजी की दिक्कतें दूर होंगी। इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट सीधे या एसपीवी के जरिए निवेश करेगा। नियमों के मुताबिक तैयार प्रोजेक्ट में 80 फीसदी निवेश करने पर पब्लिक इश्यू लाना होगा। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट में निवेश के लिए क्यूआईपी करना होगा। सभी ट्रस्ट की लिस्टिंग जरूरी होगी। ट्रस्ट के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपये का एसेट होना जरूरी होगा और ट्रस्ट के इश्यू के लिए कम से कम 250 करोड़ का ऑफर लाना अनिवार्य होगा। सब्सक्रिप्शन साइज कम से कम 10 लाख रुपये और ट्रेडिंग लॉट कम से कम 5 लाख रुपये होना चाहिए। इश्यू लाने वाले इंवेस्टमेंट ट्रस्ट एसेट वैल्यू का सिर्फ 10 फीसदी अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं।
जानकारों का मानना है कि आरईआईटी को मंजूरी मिलने से काफी निवेश आएगा और रिटेल निवेशकों को भी फायदा होगा।
मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संकेत और सरकार के बड़े फैसलों की वजह से बाजार 0.75 फीसदी चढ़े। सेंसेक्स 190 अंक चढ़कर 25519 और निफ्टी 57 अंक चढ़कर 7626 पर बंद हुए। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 0.5-0.75 फीसदी मजबूत हुए।एशियाई बाजारों से मिले मजबूती के संकेतों के दम पर घरेलू बाजारों ने शानदार शुरुआत की। निफ्टी 7600 के ऊपर खुला। सेंसेक्स में 200 अंक से ज्यादा का उछाल आया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर 1-1.25 फीसदी चढ़े।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2015 के लिए इनडायरेक्ट टैक्स वसूली का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। वित्त मंत्री इनडायरेक्ट टैक्स ऑफिसरों के एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। वित्त मंत्री ने इस मौके पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) को ये हिदायत भी दी कि वो कानूनी विवाद में उलझे टैक्स मामलों को जल्दी सुलझाएं।
वित्त मंत्री के मुताबिक अभी जून और जुलाई के मैन्युफैक्चरिंग आंकड़ों को ट्रेंड मानना जल्दबाजी होगी। कानूनी मसलों में 1.50 लाख करोड़ रुपये अटके हुए हैं। लिहाजा सीनियर टैक्स ऑफिसर ट्रांसपेरेंट टैक्स पॉलिसी अपनाएं और सीबीईसी को ट्रेंड को बढ़ावा देना चाहिए।
सीएनबीसी आवाज़ की एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय एसयूयूटीआई में लिस्टेड कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में नहीं है। वित्त मंत्रालय एसयूयूटीआई में एलएंडटी, आईटीसी और एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी बेचने की पक्ष में नहीं है।
वित्त मंत्रालय एसयूयूटीआई में लिस्टेड कंपनियों के अलावा एसेट्स बेचने के पक्ष में है। सरकार की एसयूयूटीआई में करीब 250 अनलिस्टेड कंपनियों में हिस्सेदारी है। दरअसल सरकार को विनिवेश का लक्ष्य आसानी से पूरा करने का भरोसा है। अगर विनिवेश का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
रियल एस्टेट सेक्टर को राहत देने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। सेबी ने रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) को मंजूरी दे दी है। रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट से कंपनियों की पूंजी की दिक्कत खत्म होगी। साथ ही, निवेशक बिना प्रॉपर्टी खरीदे रियल एस्टेट में निवेश का फायदा ले पाएंगे।
कुशमैन एंड वेकफील्ड के एक्जिक्यूटिव एमडी, संजय दत्त का कहना है कि आरईआईटी को मंजूरी मिलना रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अहम है। इससे सेक्टर में सुधार के साथ-साथ पारदर्शिता भी बढ़ेगी। आरईआईटी से रिटेल निवेशकों को भी फायदा होगा। देश में करीब 11 कंपनियों की 4-5 मिलियन स्क्वेयर फीट से लेकर 30-40 मिलियन स्क्वेयर फीट की कमर्शियल प्रॉपर्टी मौजूद है।
संजय दत्त के मुताबिक सेबी से मंजूरी मिलने के बाद करीब 20-25 आरईआईटी की लिस्टिंग होने की उम्मीद है। छोटी अवधि में सेक्टर में 4-5 अरब डॉलर का निवेश आएगा। अगर रियल एस्टेट सेक्टर में सुधार जारी रहा और ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ी, तो 20-30 अरब डॉलर का निवेश आने की संभावना है।
आस्कसंदीपसभरवाल डॉट कॉम के संदीप सभरवाल का मानना है कि आरईआईटी को मंजूरी मिलने और लंबी अवधि के निवेश पर टैक्स न लगने से लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अच्छा है। 1 साल के बाद विदेशी निवेशकों की ओर से आरईआईटी में रुझान बढ़ने का अनुमान है। आरईआईटी में इंश्योरेंस कंपनियों और बड़े निवेशकों का पैसा वक्त लगेगा। लेकिन, सिर्फ आरईआईटी को मंजूरी मिलने की खबर पर रियल्टी शेयरों में निवेश करने की राय नहीं है। रियल एस्टेट सेक्टर के सुधार में थोड़ा और वक्त लगेगा।
एनआईएफसीओ के एमडी और सीईओ, अमित गोयनका के मुताबिक 1 अक्टूबर को अंतिम गाइडलाइंस आने पर भी मार्च 2015 के पहले किसी आरईआईटी आने की संभावना नहीं है। आरईआईटी को मंजूरी मिलना विदेशी निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है। फेमा के अलावा कई और मुद्दों पर चर्चा होना अभी बाकी है। इक्विटी आरईआईटी में प्री-टैक्स 8-9 फीसदी से ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद नहीं है। ब्याज दरों में कमी होने पर आरईआईटी निवेश से काफी फायदा होगा।
ऑटो शेयर 2.5 फीसदी उछले। रियल्टी और कैपिटल गुड्स शेयर करीब 1 फीसदी चढ़े। मेटल, आईटी, तकनीकी, बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, हेल्थकेयर शेयर 0.7-0.3 फीसदी मजबूत हुए। पावर और एफएमसीजी शेयर करीब 0.5 फीसदी गिरे। ऑयल एंड गैस शेयरों पर हल्का दबाव दिखा।रियल्टी शेयरों में 2.25 फीसदी की तेजी बाकी है। ऑटो शेयर 2 फीसदी और कैपिटल गुड्स शेयर 1 फीसदी चढ़े हैं। बैंक, आईटी, तकनीकी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मेटल शेयर 0.5 फीसदी मजबूत हैं। हेल्थकेयर, ऑयल एंड गैस, पावर शेयरों में भी बढ़त है।
सेबी द्वारा आरईआईटी को मंजूरी मिलने से रियल्टी शेयर चढ़े। रियल्टी शेयरों में डीएलएफ, डेल्टा कॉर्प, एचडीआईएल में 2.5-1.5 फीसदी की तेजी आई।
अश्विन पारेख एडवाइजरी सर्विसेज के मैनेजिंग पार्टनर अश्विन पारेख का कहना है कि सेबी से इस फैसले से काफी निवेश आएगा क्योंकि इंडस्ट्री ने जो भी सफाई मांगी थी वो सेबी ने दी है। प्राइम डाटाबेस के पृथ्वी हल्दिया ने कहा है कि सेबी के कदम से रिटेल इन्वेस्टरों को काफी फायदा होगा।
इंफ्रा एक्सपर्ट मोनिका पॉल का कहना है कि सरकार इस इंफ्रा ट्रस्ट से 2017 तक के इंफ्रा में निवेश के लक्ष्य को पूरा कर पाएगी। साथ ही इस फंडिंग से इंफ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा प्रोजेक्ट शुरू हो पाएंगे। वहीं आगे इंफ्रा सेक्टर के हालात में सुधार की भी उम्मीद है। लेकिन इंफ्रा सेक्टर में फंड आने के लिए 2-3 महीनों का समय लगेगा।
पीरामल एंटरप्राइजेज के को-हेड जयेश देसाई का कहना है कि अगले 6-8 महीने के बाद बाजार में रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट के आने की उम्मीद है। रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट, रियल एस्टेट सेक्टर में नई जान फूंकने का काम करेगा। वहीं विदेशी निवेशकों के दिलचस्पी से रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट के जरिए भारत में बड़े पैमाने पर पूंजी आएगी।
जयेश देसाई के मुताबिक रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट के आने कमर्शियल प्रॉपर्टी में काफी पारदर्शिता आएगी और इससे कमर्शियल प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट की गुंजाइश नहीं होगी। साथ ही रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्ट के जरिए निवेशकों की जरूरतें भी पूरी होंगी।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स का मुनाफा 2 गुना बढ़कर 3635 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। टाटा मोटर्स करीब 3.5 फीसदी उछला।
दिग्गजों में एमएंडएम 6 फीसदी चढ़ा। बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी, सेसा स्टरलाइट, इंफोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट, कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीएफसी, मारुति सुजुकी, एक्सिस बैंक, पीएनबी 4.2-1.5 फीसदी मजबूत हुए।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में सेल का मुनाफा 17.5 फीसदी बढ़कर 530 करोड़ रुपये रहा। सेल 2.5 फीसदी चढ़ा।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइसेज को 556.7 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। अदानी एंटरप्राइसेज 5 फीसदी उछला।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में गेल का मुनाफा 23.1 फीसदी घटकर 621 करोड़ रुपये रहा। गेल 4.5 फीसदी लुढ़का।
दिग्गजों में डॉ रेड्डीज 2 फीसदी से ज्यादा टूटा। जिंदल स्टील, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी, यूनाइटेड स्पिरिट्स, एचसीएल टेक, एशियन पेंट्स, केर्न इंडिया, विप्रो 1.6-0.75 फीसदी गिरे।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स का मुनाफा 3.1 गुना बढ़कर 5398 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स का मुनाफा 1726 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स की आय 38.2 फीसदी बढ़कर 64683 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में टाटा मोटर्स की आय 46796 करोड़ रुपये रही थी।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में एचपीसीएल को 46 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में एचपीसीएल को 1460.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज को 556.7 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज को 278.3 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज की आय 43.1 फीसदी बढ़कर 16524 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज की आय 11547 करोड़ रुपये रही थी।
अप्रैल-जून तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज को 126.4 करोड़ रुपये का अतिरिक्त घाटा हुआ है। तिरोडा प्लांट के शुरू होने में हुई देरी से अदानी एंटरप्राइजेज को अतिरिक्त घाटा हुआ।
साल दर साल आधार पर अप्रैल-जून तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज का एबिटडा (एक्स-फॉरेक्स) 2066 करोड़ रुपये से बढ़कर 3156 करोड़ रुपये रहा। सालाना आधार पर पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज का ऑपरेटिंग मार्जिन (एक्स-फॉरेक्स) 17.9 फीसदी से बढ़कर 19.1 फीसदी रहा।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज का कोर एबिटा (एक्स-फॉरेक्स) 61.9 फीसदी बढ़कर 3345 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में अदानी एंटरप्राइजेज का कोर एबिटा 2066 करोड़ रुपये रहा था।
अदानी एंटरप्राइजेज के सीएफओ अमित देसाई का कहना है कि सभी सेगमेंट से अच्छे योगदान के कारण नतीजे मजबूत रहे हैं। कोल ट्रेडिंग वॉल्यूम में इस तिमाही 63 फीसदी की बढ़त हुई है।
गोदरेज इंडस्ट्रीज का मुनाफा 45.8 फीसदी बढ़कर 77.7 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में गोदरेज इंडस्ट्रीज का मुनाफा 53.3 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में गोदरेज इंडस्ट्रीज की आय 23.7 फीसदी बढ़कर 2326.2 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में गोदरेज इंडस्ट्रीज की आय 1879.8 करोड़ रुपये रही थी।
जीएसएफसी (गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन) का मुनाफा 19.5 गुना बढ़कर 108.23 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में जीएसएफसी का मुनाफा 5.54 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में जीएसएफसी की आय 22.1 फीसदी बढ़कर 1243.20 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में जीएसएफसी की आय 1018 करोड़ रुपये रही थी।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में जीएसएफसी का एबिटा 3.85 गुना बढ़कर 159.11 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में जीएसएफसी का एबिटा 41.31 करोड़ रुपये रहा था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में जीएसएफसी का एबिटा मार्जिन 12.8 फीसदी हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में जीएसएफसी का एबिटा मार्जिन 4.06 फीसदी रहा था।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में जीएसएफसी की अन्य आय 25.5 करोड़ रुपये हो गई है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में जीएसएफसी की अन्य आय 14 करोड़ रुपये रही थी।
वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में एचपीसीएल की बिक्री 16 फीसदी बढ़कर 59151.7 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में एचपीसीएल की बिक्री 50990.5 करोड़ रुपये रही थी।
सद्भाव इंजीनियरिंग का मुनाफा 67.7 फीसदी बढ़कर 27 करोड़ रुपये हो गया है। वित्त वर्ष 2014 की पहली तिमाही में सद्भाव इंजीनियरिंग का मुनाफा 16.1 करोड़ रुपये रहा था।
Aug 11 2014 : The Economic Times (Mumbai)
It's Raining Profits in India Inc
RANJIT SHINDE & SHAILESH KADAM ET INTELLIGENCE GROUP |
Firm top line growth, stable costs & other income help post best profit surge in 9 quarters
Firm top line growth, stable operating costs and higher other income are helping India Inc report possibly the best net profit growth and operating margins in recent quarters. A sample of 1,000 companies that have announced earnings for the June quarter -excluding banks, finance and oil & gas firms -has delivered a robust 35.4% increase in net profit at the aggregate level compared with the year ago -the highest growth in 9 quarters.
While revenue rose 15.2%, op erating mar gin widened to the most in 3 the most in 3 years amid signs of a revival. According to ET Intelligence Group's analysis of the aggregate performance of companies in the sample, revenue growth remained in double digits for the fourth consecutive quarter. Raw material costs have also been stable relative to sales -having stayed at 30-31% over the past six quarters. The ratio fell to 29.7% in the three months to June, the lowest in as many as 13 quarters.
Apart from sustained revenue growth and the lower proportion of input costs, higher other income has helped to sharply increase net profit.
Other income -which derives from avenues be sides the main business, such as in vestments -grew by 17.6% year-on year, the highest in six quarters.
These companies also reported an improvement in operating margin before considering the impact of de preciation and excluding other in come. At 19.4%, margins were the widest in any quarter over the past three years.
Select companies from sectors in cluding automobiles, information technology, pharmaceuticals, and real estate reported better num bers. Of the total incremental net profit of Rs 12,904 crore from the year ago, more than Rs 7,000 crore was contributed by information technology and pharma companies. The picture is expected to change in the coming few days as larger companies from core sectors unveil their numbers.
Analysts expect a turnaround in the performance of companies in core sectors such as capital goods, cement, construction and metals given the potential upside in economic activity. Ambuja Cement, Bharat Forge, Crompton Greaves, Cummins India, Voltas, Oberoi Realty and Prestige Estate Projects are some of the companies that are expected to perform better in the quarters to come.
Bank and finance companies are excluded from the survey because of factors such as the borrowing-lending nature of the business that skews operating costs, and the uncertainty over government subsidies in the case of oil & gas companies.
Aug 11 2014 : The Economic Times (Mumbai)
SCRAPPING KEY UPA MEASURES - Rajasthan Drafts Biz-Friendly Land Acquisition Act
AKSHAY DESHMANE |
JAIPUR |
Under new law, consent of landowners may not be needed; compensation likely to be hiked
After radical changes in labour laws, the Vasundhara Raje-led Rajasthan government is firming up plans for a new land acquisition Act that seeks to facilitate speedier acquisition of land for industry and government by scrapping some key measures, notably those requiring consent of landowners, that form part of legislation passed by UPA last year. While relaxing the consent provisions, the desert state's version of the law will hike the quantum of compensation to incentivise purchase of land from owners. According to senior officials involved in the drafting process, the new law will get rid of a provision requiring consent of 70% to 80% (in case of private projects) of land owners and a requirement to carry out a Social Impact Assessment Study (SIA). These relaxations will apply to "Core Infrastructure Projects" such as roads, power lines, bridges and pipelines regardless of whether these are being implemented by the public or the private sector.
However, to incentivise owners to part with their lands, the quantum of compensation will be increased from two to two-and-a-half of the prevailing rates for urban areas and from four to four-and-a-half for rural areas.
"We are not against farmers or landowners at all. We are against processes which increase delay in acquiring land.
By enhancing compensation, we will ensure land owners get a better deal as well as the project proponents who, under the current law, will otherwise have to wait for 4 years and 10 months, which is a huge delay and adds to costs. The burden of these high costs is eventually borne by the consumers, so why let that happen?" a senior official argued.
Rural Development Minister Gulab Chand Kataria, who headed a threemember ministerial group which vetted the proposed legislation, said the draft was sent to the CMO late last week and it is now for Raje to take a call on which measures to approve. "We have proposed to clarify the urban and rural boundaries more clearly to help identify lands better. The minimum expectation is that owners should get more rates than what is mentioned in the DLC. We have also proposed a ceiling on the quantum of land which can be acquired by one project proponent in both rural and urban areas -for the former it is 1000 hectares and for the latter it is 200 hectares," Kataria said.
Industry has been critical of the consent and Social Impact Assessment (SIA) clauses of the Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013, which is currently in force. While the industry has sought reducing the percentage of land-owners whose consent is required from 70% to 60% or 50% and limiting the SIAs to only large projects (more than 500 acres in area), a higher quantum of compensation may not be to their liking.
The complete doing away of these contentious measures is also certain to invite criticism from farmers groups and other organisations fighting against forcible land acquisition.
The senior official cited earlier said that a draft of the proposed legislation will be uploaded on the government's website soon after the Chief Minister's Office clears it, which could be on Monday or Tuesday.
Aug 11 2014 : The Times of India (Ahmedabad)
Govt eyes Aug 15 to roll out big-ticket projects
Dipak.Dash & Surojit.Gupta @timesgroup.com |
New Delhi: |
100 Days Of Govt, Deen Dayal B'day Other Options
The Narendra Modi government is weighing options of announcing "big ticket" projects on three key dates, including August 15.
Government officials said the other two dates on which the government may kick off some projects include completion of 100 days of the NDA coalition and September 25, the birthday of Jan Sangh stalwart Deen Dayal Upadhyaya.
BJP is also drawing up plans for a grand centenary celebration of Deen Dayal Upadhyaya with Modi flagging the date after taking over as prime minister.
While details of the pro jects to be unveiled are still being fine-tuned, there is urgency in some key ministries to wrap up the work before the crucial dates for the rollout.
Modi's speech on August 15 may signal a shift from the past where the prime minister is expected to announce specific timelines for the projects to be launched.
He is also likely to steer clear of announcing any populist scheme and is expected to focus on implementing poll promises.
Among the projects that the Modi administration may announce are financial inclusion to open bank accounts for 15 crore people, a comprehensive road and highways plan and projects in the vital power sector. Solar power projects could form part of the announcements as well as plans to make delivery of public services easier.
Aug 11 2014 : The Times of India (Ahmedabad)
Realty, infra cos can tap stock mkts
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New Delhi TIMES NEWS NETWORK |
Sebi Nod To Raise Funds Through Trusts To Complete Revenue-Earning Projects
The Securities & Exchange Board of India (Sebi) on Sunday paved the way for real estate and infrastructure developers to tap the stock markets to raise funds and repay some of the loans taken by them. But it decided to limit the scope of the fund-raising exercise through Real Estate Investment Trusts (REITs) and Infrastructure Investment Trusts (IITs), mainly to complete projects that are earning revenue.
Market experts said REITs can help real estate players raise up to $10 billion over the next four-five years although the market regulator has ensured that the focus remains on commercial real estate, with 80% of the assets in completed and revenue-generating properties. But given that the instrument is new and complex, the regulator has indicated that it is not keen on getting small investors to invest immediately by fixing the minimum investment limit for REITs at Rs 2 lakh.
Under the new instruments, developers can set up trusts, register them with Sebi, and invest directly or through a special purpose vehicle in real estate and infrastructure assets. After registration with the regulator, the trusts can raise money through a public offer, just like a company , and can have follow-on issues, rights issues and institutional placement to raise more funds later. Units of REITs need to be listed on stock exchanges, in trading lots of Rs 1 lakh, Sebi said. It also said that for an initial offer, the minimum value of assets has to be Rs 500 crore, with minimum issue size for initial offer pegged at Rs 250 crore.
In his maiden Budget, finance minister Arun Jaitley announced tax benefits for REITs, which set the stage for the Sebi board to clear the plan on Sunday .
It is expected to allow infrastructure and real estate developers to use the instrument to raise resources from the domestic market in the same way that was used overseas in countries such as the US, UK, Hong Kong and Singapore. In the past, some Indian real estate developers such as Unitech and Hiranandani group's Hirco had raised funds via REITs on London Stock Exchange's Alternative Investment Market for smaller companies.
"REITs are an avenue through which retail investors can invest in an asset class connected to real estate. This structure gives the option for developers to either exit or dilute their stakes in the commercial properties and give an entry to investors for regular income flow . Some of the developers with commercial properties in place, and sitting on a huge debt, can transfer prelease properties -such as office complexes, IT parks malls and SEZs -to REITs and reduce their debt burden," said Hemal Mehta, senior director at consulting firm Deloitte Touche Tohmatsu India.
Experts, however, suggested that residential projects too need to be included in REITs to really make the tool attractive for realtors. Some suggested further tax sops may be needed. "Before REITs become popular, some further tax clarity would be required given issues like assets to be housed in an SPV , which will result in capital gains and stamp duty ," said Indiabulls Financial Services MD Gagan Banga.
Aug 11 2014 : The Times of India (Ahmedabad)
New monetary policy norms on the anvil
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New Delhi TIMES NEWS NETWORK |
The government on Sunday left it to the RBI to decide on interest rates even as the two have begun discussions on putting in place a new monetary policy framework, which is a fresh mechanism to fix rates.
While the government wants Parliament to set the inflation target under the proposed plan, the RBI has already gone ahead and begun work towards a glide path, which targets 8% retail inflation by next January and 6% by January 2016.
On Sunday , finance minister Arun Jaitley , who spoke at the RBI board meeting, did not comment directly on the RBI's plan but made it clear that it was the central bank that will decide on rates. "On the last two occasions, RBI has announced its policy on interest rates, I had, on the same evening, issued a clear statement. This is the issue which the Reserve Bank decides and I am sure they will factor in various circumstances," he told reporters after the meeting.
Although some viewed it as a "prod" from the government to cut rates, since tak ing charge Jaitley has maintained that the RBI is the final authority on deciding when the time is ripe to tweak rates.
After the board meeting, RBI governor Raghuram Rajan was more emphatic in saying that the time was not ripe. "At this point, uncertainty is two-way ... Then, of course, if news comes on either side, we can change what the policy is. But as of now, we think the policy is on target.
This is contingent on data coming in," he said.
In recent weeks, inflation, industrial production and trade data have been positive but RBI's main worry stems from food inflation due to weak monsoon rains in several parts of the country .
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