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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, September 4, 2015

देखिये फसिस्ट ताकतो - खासकर सवर्णो के खिलाफ इस लड़ाई को हिंदी के लेखको के आपसी झंझटो से से दूर रखंगे तो बेहतर होगा. राजेंद्र यादव और शानी को छोड़ कर सभी डगमगाये हैं या उस वक्त चुप रहे जब बोलने की ज़रूरत थी. अरुंधत्ती रॉय का सौवां हिस्सा भी नही हैं ये सरकारी नौकर.


   
Prashant Tandon
September 5 at 12:42am
 
देखिये फसिस्ट ताकतो - खासकर सवर्णो के खिलाफ इस लड़ाई को हिंदी के लेखको के आपसी झंझटो से से दूर रखंगे तो बेहतर होगा. राजेंद्र यादव और शानी को छोड़ कर सभी डगमगाये हैं या उस वक्त चुप रहे जब बोलने की ज़रूरत थी. अरुंधत्ती रॉय का सौवां हिस्सा भी नही हैं ये सरकारी नौकर.

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