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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, September 4, 2015

यार बड़ा घनचक्कर है. पुरस्कार लेने पर विवाद, न लेने पर विवाद. लौटाने पर विवाद, न लौटाने पर विवाद. विरोध करने पर विवाद, चुप रहने पर विवाद. एक फेसबुकिया फूहड़ कामरेड थानवी जी के पक्ष में झंडा उठाए घूम रहे हैं कि पुरस्कार ले लिया, अब कोई कुछ तो वह संदिग्ध है. यदि विरोध की राजनीति इतनी कन्फ्यूज और इतनी अश्लील है तो अतिवादियों की हर कार्रवाई सही है. कठमुल्लों में एका है. विरोध करने वाले अपनी क्षुद्रता से ही दबे एक दूसरे की लंगोट खींच रहे हैं. चौरासी हुआ था तो गुजरात अनिवार्य है. तब विरोध नहीं किया था तो अब नहीं करना है चाहे आईएस मार्का संहार ही क्यों न हों. अबके पहले दोनों हत्याओं के समय खरे जी क्या कर रहे थे? उन्होंने कोई पहलकदमी क्यों नहीं की? उन मुसलसल हो रही हत्याओं पर कुछ नहीं कहना था. इस विरोध पर बहुत कुछ कहना है.

   
Krishna Kant
September 5 at 12:26am
 
यार बड़ा घनचक्कर है. पुरस्कार लेने पर विवाद, न लेने पर विवाद. लौटाने पर विवाद, न लौटाने पर विवाद. विरोध करने पर विवाद, चुप रहने पर विवाद. एक फेसबुकिया फूहड़ कामरेड थानवी जी के पक्ष में झंडा उठाए घूम रहे हैं कि पुरस्कार ले लिया, अब कोई कुछ तो वह संदिग्ध है. यदि विरोध की राजनीति इतनी कन्फ्यूज और इतनी अश्लील है तो अतिवादियों की हर कार्रवाई सही है. कठमुल्लों में एका है. विरोध करने वाले अपनी क्षुद्रता से ही दबे एक दूसरे की लंगोट खींच रहे हैं. चौरासी हुआ था तो गुजरात अनिवार्य है. तब विरोध नहीं किया था तो अब नहीं करना है चाहे आईएस मार्का संहार ही क्यों न हों. अबके पहले दोनों हत्याओं के समय खरे जी क्या कर रहे थे? उन्होंने कोई पहलकदमी क्यों नहीं की? उन मुसलसल हो रही हत्याओं पर कुछ नहीं कहना था. इस विरोध पर बहुत कुछ कहना है.

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