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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, June 26, 2015

आपातकाल से या फासिस्ट जनसंहारी चक्रव्यूह में सच को अनंतकाल तक कैद किया नहीं जा सकता। मसलन अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़े पैमाने पर करप्शन और पुलिस एवं सुरक्षा बल के दुर्व्यवहार के अलावा 2014 में भारत में धर्म आधारित सामाजिक हिंसा सबसे बड़ी मानवाधिकार समस्या रही ।

आपातकाल से या फासिस्ट जनसंहारी चक्रव्यूह में सच को अनंतकाल तक कैद किया नहीं जा सकता।
मसलन अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़े पैमाने पर करप्शन और पुलिस एवं सुरक्षा बल के दुर्व्यवहार के अलावा 2014 में भारत में धर्म आधारित सामाजिक हिंसा सबसे बड़ी मानवाधिकार समस्या रही ।
पलाश विश्वास
फासिज्म के राजकाज में बजरंगी बिरादरी तालिबान हैं और आलोचना हजम करने के बजाय,आइने में अपना नामौजूद चेहरा टटोलने के बजाय जो हरकतें बुरी आत्माओं की होती हैं,उनमें  योगासन की शाखा  लगा रहे हैं।

आसन चौसठ भारतीय वैदिकी संस्कृति में प्रसिद्ध है।

तर्कों और तथ्यों का खंडन करने में असमर्थ यह अश्वेमेधी फौज इन सभी चौरासी आसनों में कुशल हैं और बीवी को अनाथ छोड़ने वाले महामर्द के अंध भक्त  मर्दानगी महिलाओं के खिलाफ गालीगलौज माध्यमे व्यक्त कर रहे हैं।

हम बाकायदा सार्वजिनक तथ्यों के आधार पर अपनी बातें रख रहे हैं तो स्वयंसेवक बिरादरी जो नैतिकता के झंडेवरदार होने के साथ साथ भाषा और संस्कृति के धारक वाहक हैं,देवभाषा के बदले बलात्कारियों की भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं।

छुट्टा सांढ़ों और चियारियों चियारिनों के जलवे के बरखा बहार में हम इस मूसलाधार के अलावा उम्मीद ही क्या कर सकते हैं।

जनता से जवाबदेही तो फासिज्म के इतिहासबोध में है नहीं और न मिथकों और धर्मग्रंथों के परस्परविरोधी आख्यानों से पगे पले प्रशिक्षित इस मुक्तबाजारी मिशनरियों में किसी वैज्ञानिक दृष्टि की उम्मीद की जा सकती है।

चुनिंदा गालियों की बरसात से लेकिन सच का सामना करने से वे कतरा रहे हैं और धर्म राष्ट्र का जो उनका पवित्र विशुद्ध सपना है,वह उनके धर्म का नाश कर रहा है,यह देख पाने की और पाखंडी शासक तबके के कारनामों के खिलाफ खड़े होने की न उनकी दृष्टि है और न रीढ़।

जनता के समाने सच तो आ रहा है।आपातकाल से या फासिस्ट जनसंहारी चक्रव्यूह में सच को अनंतकाल तक कैद किया नहीं जा सकता।

मसलन ताजा खबर यह है कि अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बड़े पैमाने पर करप्शन और पुलिस एवं सुरक्षा बल के दुर्व्यवहार के अलावा 2014 में भारत में धर्म आधारित सामाजिक हिंसा सबसे बड़ी मानवाधिकार समस्या रही ।इसकी सालाना रिपोर्ट 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज फॉर 2014′ के लंबे चौड़े इंडिया सेक्शन में मनमाने तरीके से गिरफ्तारी और हिरासत, गुमशुदगी, कैद में जोखिम भरे हालात और मुकदमे से पहले लंबी हिरासत सहित कई बातों का जिक्र किया गया है।इसमें कहा गया है कि जूडिशरी में पुराने मामलों का अंबार लगा हुआ है जिससे न्याय प्रक्रिया में देर हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायेत्तर हत्याओं, प्रताड़ना और बलात्कार, व्यापक भ्रष्टाचार सहित पुलिस और सुरक्षा बलों के दुर्व्यवहार सर्वाधिक गंभीर मानवाधिकार समस्याएं हैं जिसने उन अपराधों के प्रति निष्प्रभावी भूमिका निभाई है जिसमें महिलाएं एवं अनुसूचित जाति या आदिवासी तथा लिंग, धर्म और जाति शामिल हैं।अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी द्वारा जारी रिपोर्ट में एक अन्य रिपोर्ट का जिक्र किया गया है जिसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के वरिष्ठ अधिकारियों और आईबी के एक प्रतिनिधि ने सरकार को सौंपा था।इस रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि मुसलमानों के प्रति पुलिस बल में पूर्वाग्रह है और मुसलमानों के प्रति पुलिस की धारणा सांप्रदायिक, पक्षपातपूर्ण और असंवेदनशील है।छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में मई और जुलाई के बीच करीब 50 ग्राम परिषदों ने प्रस्ताव पारित कर गैर हिंदू धार्मिक दुष्प्रचार, प्रार्थनाएं और अपने गांवों में भाषणों को प्रतिबंधित किया।

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