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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, February 23, 2016

एह लूट मारां ते सरकार दी सियासत होंदी है जट तां बस खेचळ ते बदनामी खट रहे ने हुन सब कासी तों( लूट मात टॉप सरकार करवाती हैं जट तो अब सिर्फ परेशानी और बदनामी ही पा रहे हैं इस सब में )

Devender Kumar
February 23 at 11:08am
 
"जाट बनाम आरक्षण" 
अपने इलाके के एक सिख जट जोकि हमारे घर दूध डालने आते हैं से मेरी बातचीत :- 

जट सिख : ओ भाई कुछ रोला गोला खत्म होया हुणि के नही( भाई क्या जो दंगा-फसाद हो रही थी कुछ कम हुई है या नही ?) 

मैं : चुटकी लेते हुए बाबा जी इस सब का आखिर में फायदा तो आप लोगों को ही होना है | 

जट सिख : काहदा फायदा भाई आप्पाँ नू तां हुन सारा समान लालयां ने महंगा कर देना अपना घाटा पूरा करण लई ( किस बात का फायदा जी हमें तो अब लाला का घाटा पूरा करने के लिए सामान महंगा मिलेगा ) 

मैं : पर रिज़र्वेशन का फायदा तो आपके बच्चों को ही मिलेगा भविष्य में बाबा जी ! 

जट सिख : हरिजना के बच्चियां नू हुन तक किन्ना क मिल गया ? तकरीबन सारे वेहले धक्के खांदे पये ने बेचारे | सरकारी नौकरियां हुन बचियां ही किन्नी क ने ! सब कुछ तां प्राइवेट होइ जाँदा ! (दलितों के बच्चों को अब तक कितना मिल पाया है लगभग सब तो बेरोजगार धक्के खा रहे हैं | सरकारी नौकरी बची ही कितनी है अब सब कुछ तो प्राईवेट हो रहा है ) 

मैं : हाँ जी यह बात तो सच है | 

जट सिख : साडियां तां खोई होइ ज़मीन वापिस करदे सरकार रिज़र्वेशन नू असि चटना ऐ| सेक्टर कटने दे ना ते ज़मीन मलक लई साडी 6 -7 सालां ते एदां ही रखी होइ ऐ अपने कोल सरकार ने ( हमारी तो छीनी हुई ज़मीन सरकार वापिस कर दे हमें रिज़र्वेशन नही चाहिए | सेक्टर काटने के नाम पर हमारी ज़मीन हड़प ली सरकार ने जो 6 -7 सालों से ऐसे ही पड़ी हुई है सरकार के पास ) 

मैं : सही बात है बाबा जी | 

जट सिख : एह लूट मारां ते सरकार दी सियासत होंदी है जट तां बस खेचळ ते बदनामी खट रहे ने हुन सब कासी तों( लूट मात टॉप सरकार करवाती हैं जट तो अब सिर्फ परेशानी और बदनामी ही पा रहे हैं इस सब में ) 

मैं : हाँ जी बाबा जी | 

यह एक ऐसे किसान से बातचीत थी जिनकी पानी लगती ज़मीनो को जिसमें साल में दो से तीन तक फसलें लोग लेते थे बढ़ते शहरीकरण के कारण सरकार द्वारा बहुत कम मुआवज़ा दे कर ले ली गयी | खेतीबाड़ी से बेरोजगार हुए गाँव के अधिकतर लड़के आज बेहद महंगे और खतरनाक नशों के चंगुल में फंसे हुए हैं | इंडस्ट्री के नाम पर इलाके में HMT ट्रेक्टर जैसी बड़ी कंपनी गलत सरकारी नीतियों की वजह से आखिरी साँसे गिन रही है |

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