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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, February 26, 2016

करेंट अफेयर : भैंस पर एक निबन्ध ------------------------------------------- महिष संस्कृत में भैंस को कहते हैं । भैंस काली ज़रूर होती है , लेकिन इसका दूध गाय से अधिक गाढ़ा होता है । यह कभी अपने साथ रंग भेद का आरोप नहीं लगाती ।फ्रिज़ में इसका मांस पाया जाए , तो दंगा नहीं होता । इसे संगीत और साक्षरता से विशेष लगाव रहता है । क्योंकि इसके आगे बीन भी बजाई जाती है । काला आखर भी इसके बराबर होता है । किसी नवेली बहू को गाय कह दो , तो वह मुदित होती है , लेकिन किसी आंटी को भी यदि भैंस कह दिया तो शामत आ जाती है । बस, यही एक माइनस पॉइंट है । अन्यथा यह गोबर भी ज़्यादा करती है । यह तुरन्त खूंटा छुड़ा करउसी की हो जाती है , जिसकी लाठी हो ।भैंसा भले ही दूध नहीं देता , पर गाडी खींचता है , और साथ के साथ यम राज को भी गन्तव्य तक पंहुचाता है । वापसी में डबल सवारी लेकर लौटता है । इसलिए भैंस या भैंसे को असुर कहना ठीक नहीं । by - Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna


करेंट अफेयर : भैंस पर एक निबन्ध

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महिष संस्कृत में भैंस को कहते हैं । भैंस काली ज़रूर होती है , लेकिन इसका दूध गाय से अधिक गाढ़ा होता है । यह कभी अपने साथ रंग भेद का आरोप नहीं लगाती ।फ्रिज़ में इसका मांस पाया जाए , तो दंगा नहीं होता । इसे संगीत और साक्षरता से विशेष लगाव रहता है । क्योंकि इसके आगे बीन भी बजाई जाती है । काला आखर भी इसके बराबर होता है । किसी नवेली बहू को गाय कह दो , तो वह मुदित होती है , लेकिन किसी आंटी को भी यदि भैंस कह दिया तो शामत आ जाती है । बस, यही एक माइनस पॉइंट है । अन्यथा यह गोबर भी ज़्यादा करती है । यह तुरन्त खूंटा छुड़ा करउसी की हो जाती है , जिसकी लाठी हो ।भैंसा भले ही दूध नहीं देता , पर गाडी खींचता है , और साथ के साथ यम राज को भी गन्तव्य तक पंहुचाता है । वापसी में डबल सवारी लेकर लौटता है । इसलिए भैंस या भैंसे को असुर कहना ठीक नहीं ।

मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा ?
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भैंस ( महिष ) पर ऐसा विवाद दूसरी बार देख रहा हूँ । पहली बार विवाद का कारण हास्य कवि सम्राट गोपाल प्रसाद व्यास की एक कविता थी । व्यास जी अपनी युवावस्था में मूर्धन्य गद्यकार बाबू गुलाब राय जी के घर में रहते थे । व्यास जी के अनुसार - बाबू जी के ज्येष्ठ पुत्र के विवाह पर उन्हें ससुराल से एक भैंस मिली । एक बार वह भैंस बाबू जी की पत्नी के गुसलखाने में घुस गयी , जब गुरु पत्नी स्नान कर रही थीं । बड़ी गड़बड़ मची । सबने बाहर से हट हट की आवाज़ मचाई लेकिन भैंस इससे और भीतर पैठ गयी । अंततः किशोर व्यास जी को भीतर भेजा गया , और उन्होंने " महिषासुर " पर क़ाबू पाया । इस प्रकरण ने उन्हें हास्य कवि बना दिया , और उन्होंने जीवन की प्रथम कविता लिखी - मेरी कुटिया में घुस आई ओ बाबू जी की डबल भैंस । " ... लगता है , यही भैंस अभी सबके भेजे में घुस गयी है । खैर ....
बाबू गुलाब राय के पुत्र ने इस कथन पर कड़ा एतराज़ जताया । उनका कहना था कि भैंस उनकी मातुश्री के गुसलखाने में नहीं , अपितु व्यास जी के कमरे में घुसी थी । कभी वह कहते कि उन्हें दहेज़ में भैंस मिली ही नहीं थी । कुल मिला कर यह साबित हो चुका है कि भैस में घपरोळ मचाने की गज़ब क्षमता है । जिन्होंने खूंटा तुड़ा कर दौड़ती भैंस देखी हो , वे इस तथ्य को समझ सकते हैं । इस समय दोनों धड़े इस बात पर एकमत हैं कि महिषासुर का अस्तित्व था । जब कि मैं इसे अब तक एक पौराणिक कथा प्रसङ्ग ही मानता था । अब पुनर्विचार करना होगा ।

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