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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, February 20, 2016

Jha Commission Report will be opened in High Court - ordered Madhya Pradesh High Court ; M. P. Govt. wants to restrain the order.


Jha Commission Report will be opened in High Court - ordered Madhya Pradesh High Court ; M. P. Govt. wants to restrain the order.

प्रेस विज्ञप्ति दिनांक – 20.02.2016

मoप्रo उच्च न्यायालय का आदेश जारी, झा आयोग की रिपोर्ट वादी प्रतिवादी को दी जाए ।

उच्च न्यायालय की रिपोर्ट पर सुनवाई करेगी और आगे की कार्यवाही के आदेश भी देगी ।

झा आयोग की रिपोर्ट हाईकोर्ट में खोलने से रोकने की मoप्रo शासन ने फिर की कोशिश ।

  • मoप्रo शासन ने आदेश जाहिर होने से रोकने के लिए सर्वोच्च अदालत से फैसला चाहा ।

  • रिपोर्ट खोलने के पक्षधरों को देने का कार्य 01 महीना आगे धकेलने की बात कही ।


सरदार सरोवर पुनर्वास, भ्रष्टाचार पर न्यायमूर्ति श्रवण शंकर झा, की रिपोर्ट संबंधी आदेश कल मoप्रo उच्च न्यायालय ने जारी किया । न्या. राजेन्द्र मेनन, व न्या. एस. पोलो खण्डपीठ ने मoप्रo शासन व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, ने लगाई अर्जी ख़ारिज करने का आदेश देते हुए हाईकोर्ट जनरल रजिस्टार को यह निर्देश दिया कि झा आयेाग की रिपोर्ट की प्रतियां वादि/प्रतिवादियों या नर्मदा बचाओ आंदोलन व मoप्रo शासन व अन्य को दिया जाय।

यह विशेष बात है कि कल ही राज्य शासन की ओर से उच्च न्यायालय में एक नई अर्जी दाखिल करते हुए उच्च न्यायालय से विनती की गई कि उच्चत्तम न्यायालय झा आयेाग रिपोर्ट की प्रति देने में एक महीने मौकूक रखे ताकि शासन इस दौरान सर्वोच्च अदालत में आयेाग की रिपोर्ट हाईकोर्ट के बदले विधानसभा में प्रस्तुत करने के संबंध में फैसला दे सकते है। इस अर्जी की सुनवाई 22 फरवरी को रखी गई है, बात में अपना फैसला दिया जाना चाहिए।

मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय में राज्य शासन व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने कल फिर एक अर्जी पेश की। झा. कमिशन यानि "भ्रष्टाचार संबंधी जॉंच आयोग" रिपेार्ट हायकोर्ट को खोलने का उस पर सुनवाई करने का अधिकार उच्च न्यायालय को है, और हाईकोर्ट रिर्पोट की प्रतियॉं सभी पक्षकारों को देना चाहेगा यह आदेश दिनांक 16.02.2016 को न्या. राजेन्द्र मेनन व न्या. एस पोलो के खंडपीठ ने आदेश पारित कर दिया गया।

इसी दौरान कल अचानक शासनकर्ताओं ने नयी अर्जी पेश करते हुए कहा है कि 16.02.2016 को पारित आदेश को एक महीने तक मौकूफ रखा जाय ताकि हमें सर्वोच्च अदालत के निर्णय पर व कानूनी पेच पर निर्णय लेना संभव हो सके। इस अर्जी के बावजूद भी खण्डपीठ के न्या. राजेन्द्र मेनन व एस. पोलो द्वारा आदेश पारित करते हुए कहा कि झा आयेाग की रिपोर्ट कोर्ट में खोली जाये व प्रतिवादियों को दी जाय।

इस पर सोमवार 22 फरवरी को सुनवाई रखी गयी है, क्योंकि आंदोलन की पैरवी करने वाली याचिकाकर्ता मेधा पाटकर अनुपस्थिति तथा अर्जी रजिस्ट्री में दाखिल न करते हुए सुनवाई, न्यायपीठ ने नामंजूर की। आंदोलन की स्प्ष्ट राय है कि भ्रष्टाचार की पोलखोल झा आयोग की रिपोर्ट से होने की डर से ही शासक ये हथकंडे अपना रहा है।


(राहुल यादव)    (मुकेश भगोरिया)    (अनन तोमर)

संपर्क: 9179617513



प्रेस विज्ञप्ति                                                                                          

दिनांक – 20.02.2016


मoप्रo उच्च न्यायालय का आदेश जारी, झा आयोग की रिपोर्ट वादी प्रतिवादी को दी जाए ।

उच्च न्यायालय की रिपोर्ट पर सुनवाई करेगी और आगे की कार्यवाही के आदेश भी देगी ।

झा आयोग की रिपोर्ट हाईकोर्ट में खोलने से रोकने की मoप्रo शासन ने फिर की कोशिश ।

-      मoप्रo शासन ने आदेश जाहिर होने से रोकने के लिए सर्वोच्च अदालत से फैसला चाहा ।

-      रिपोर्ट खोलने के पक्षधरों को देने का कार्य 01 महीना आगे धकेलने की बात कही ।

 

सरदार सरोवर पुनर्वास, भ्रष्टाचार पर न्यायमूर्ति श्रवण शंकर झा, की रिपोर्ट संबंधी आदेश कल मoप्रo उच्च न्यायालय ने जारी किया । न्या. राजेन्द्र मेनन, व न्या. एस. पोलो खण्डपीठ ने मoप्रo शासन व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, ने लगाई अर्जी ख़ारिज करने का आदेश देते हुए हाईकोर्ट जनरल रजिस्टार को यह निर्देश दिया कि झा आयेाग की रिपोर्ट की प्रतियां वादि/प्रतिवादियों या नर्मदा बचाओ आंदोलन व मoप्रo शासन व अन्य को दिया जाय।


यह विशेष बात है कि कल ही राज्य शासन की ओर से उच्च न्यायालय में एक नई अर्जी दाखिल करते हुए उच्च न्यायालय से विनती की गई कि उच्चत्तम न्यायालय झा आयेाग रिपोर्ट की प्रति देने में एक महीने मौकूक रखे ताकि शासन इस दौरान सर्वोच्च अदालत में आयेाग की रिपोर्ट हाईकोर्ट के बदले विधानसभा में प्रस्तुत करने के संबंध में फैसला दे सकते है। इस अर्जी की सुनवाई 22 फरवरी को रखी गई है, बात में अपना फैसला दिया जाना चाहिए।


मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय में राज्य शासन व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने कल फिर एक अर्जी पेश की। झा. कमिशन यानि "भ्रष्टाचार संबंधी जॉंच आयोग" रिपेार्ट हायकोर्ट को खोलने का उस पर सुनवाई करने का अधिकार उच्च न्यायालय को है, और हाईकोर्ट रिर्पोट की प्रतियॉं सभी पक्षकारों को देना चाहेगा यह आदेश दिनांक 16.02.2016 को न्या. राजेन्द्र मेनन व न्या. एस पोलो के खंडपीठ ने आदेश पारित कर दिया गया।


इसी दौरान कल अचानक शासनकर्ताओं ने नयी अर्जी पेश करते हुए कहा है कि 16.02.2016 को पारित आदेश को एक महीने तक मौकूफ रखा जाय ताकि हमें सर्वोच्च अदालत के निर्णय पर व कानूनी पेच पर निर्णय लेना संभव हो सके। इस अर्जी के बावजूद भी खण्डपीठ के न्या. राजेन्द्र मेनन व एस. पोलो द्वारा आदेश पारित करते हुए कहा कि झा आयेाग की रिपोर्ट कोर्ट में खोली जाये व प्रतिवादियों को दी जाय।


इस पर सोमवार 22 फरवरी को सुनवाई रखी गयी है, क्योंकि आंदोलन की पैरवी करने वाली याचिकाकर्ता मेधा पाटकर अनुपस्थिति तथा अर्जी रजिस्ट्री में दाखिल न करते हुए सुनवाई,न्यायपीठ ने नामंजूर की। आंदोलन की स्प्ष्ट राय है कि भ्रष्टाचार की पोलखोल झा आयोग की रिपोर्ट से होने की डर से ही शासक ये हथकंडे अपना रहा है।

 


(राहुल यादव, मुकेश भगोरिया, अनन तोमर)


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