वेदांता रिसोर्सेज की सब्सिडियरी कंपनियों- सेसा गोवा और स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के विलय को बोर्ड से मंजूरी मिल गई
इस कंपनी को भारतीय शेयर बाजारों के अलावा न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध कराया जाएगा।केयर्न इंडिया, हिंदुस्तान जिंक, स्कोरपियन, लिशीन, तलवंडी साबो पावर, वीएएल पावर, मालको पावर, भारत अल्युमिनियम, वेस्टर्न क्लस्टर और ऑस्ट्रेलियन कॉपर माइंस सेसा स्टरलाइट की सब्सिडियरी होंगी।
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
क्या कोयला हासिल करना वेदांत रिसोर्सेज के विलय का खास मकसद है या फिर वेदांता एल्यूमीनियम के भारी कर्ज से निजात पाना?वेदांता की इस कार्रवाई को बोर्ट की मंजूरी मिल गयी है, पर शेयर बाजार पर इसका क्या असर होगा, यह कहना अभी मुश्किल है। पर विशेषज्ञ अंतिम राय बनाने से पहले थोड़ा इंतजार करेंगे।वेदांत केयर्न सौदेबाजी में हुई देरी के मद्देनजर कहना होगा, कि इसबार अनिल अग्रवाल की कंपनी ने बेहतर रणनीति से काम लिया है और विरोधियों को धता बताकर कामयाबी हासिल कर ली।गौरतलब है कि सरकार ने इसी महीने कोयले की खानों की नीलामी की अधिसूचना जारी की है। अग्रवाल ने कहा कि कम्पनी विदेश में भी कोयले की खानों की खोज कर रही है। उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिका में कोयले की खान की खोज कर रहे हैं, यदि हमें मिलेगा तो वह हम ले लेंगे। जाहिर है कि वेदांता का लक्ष्य लाभदायक कोयला ब्लाक हासिल करना होगा, पर कोयला खानों की मौजूदा राजनीति और प्रतिरोध, प्रतिद्वंदियों का जोरदार रणनीति में विलय की कार्रवाई जैसा कामयाबी हासिल करना उसके लिए मुश्किल होगा।
अनिल अग्रवाल की जन्मस्थली पटना है ।अरबपति अग्रवाल जमन से बिहारी होने की वजह से कोयलाखानों में अकूत मुनाफे की खबर भी रखते होंगे। अब ज्यादातर कोयलाखान झारखंड में जरूर हैं, पर झारखंड कभी बिहार का हिस्सा हुआ करता था। अग्रवाल ने पटना के मिलर स्कूल में पढ़ाई की जहां लालू प्रसाद यादव उनके सहपाठी हुआ करते थे। हाल ही में वो तब चर्चा में आए जब उन्होंने तेल और ऊर्जा के क्षेत्र की बड़ी कंपनी केर्न इंडिया पर 9।6 अरब डॉलर की बोली लगा दी।
वेदांता रिसोर्सेज की सब्सिडियरी कंपनियों- सेसा गोवा और स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के विलय को बोर्ड से मंजूरी मिल गई है। इस कंपनी को भारतीय शेयर बाजारों के अलावा न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध कराया जाएगा।विलय की प्रक्रिया में वेदांता एल्यूमिनियम को शामिल किए जाने से चिंता नजर आ रही है। दरअसल वेदांता एल्यूमिनियम पर भारी कर्ज है। ऐसे में बाजार भी इस विलय को लेकर मायूस नजर आ सकता है।वहीं वेदांता रिसोर्सेज के लिए विलय प्रक्रिया अच्छी रही है जिससे कंपनी का कर्ज कम होने की उम्मीद है। इसके अलावा लंदन के निवेशकों को इस विलय प्रक्रिया का फायदा होगा। वेदांता रिसोर्सेज ने भारत और विश्व के अपने समूचे कारोबार को मिलाकर एक कंपनी 'सेसा स्टरलाइट' के तहत लाने का आज प्रस्ताव किया। हालांकि, अफ्रीका स्थित तांबा खदान को इससे अलग ही रखा जाएगा।लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध वेदांत रिसोर्सेज अनिवासी भारतीय अरबपति अग्रवाल के वेदांत समूह की मूल कंपनी है।
अपने कारोबार को पुनर्गठित करने की घोषणा करने वाली कम्पनी वेदांता रिसोर्सेज ने शनिवार को कहा कि वह भारत और विदेशों में तथा खासकर लैटिन अमेरिका में कोयले की खान खरीदना चाहती है। वेदांता लौह अयस्क, जिंक, एल्यूमिनियम, ताम्बा, तेल और गैस जैसे पदार्थों के क्षेत्र में कारोबार करती है, लेकिन वह कोयला का कारोबार नहीं कर रही है। कम्पनी अपनी सहयोगी कम्पनियों के उपयोग के लिए कोयला हासिल करना चाहती है। अनिल अग्रवाल ने कहा कि हम अपने कारोबार में कोयला शामिल करना चाहते हैं। हम सरकार की योजना का इंतजार कर रहे हैं। पहले जिस प्रकार हमने बाल्को तथा हिंदुस्तान जिंक का अधिग्रहण किया था, उसी प्रकार हम नीलामी का इंतजार कर रह हैं।सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को प्रधानमंत्री कार्यालय ने बिजली क्षेत्र की आपूर्ति प्रतिबद्धतों को पूरा करने के लिए जरूरत पडऩे पर आयात करने का निर्देश भी दिया है। इससे खफा कोयला कंपनी ने बिजली कंपनियों के लिए उठान संबंधी पूर्व शर्तों के साथ कोयला आयात करने का निर्णय लिया है।
कोयला सचिव का कहना है कि कोयले की मांग को पूरा करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। आयात के जरिए कोयले की आपूर्ति बढ़ना सही कदम नहीं है।
कोयला सचिव के मुताबिक घरेलू उत्पादन कम होने पर ही कोल इंडिया कोयला का आयात करेगा। कोल इंडिया को पहले कोयले की कुल मांग का पता होना जरूरी है।
पावर कंपनियों को राहत देने के लिए सरकार ने कोल इंडिया को पावर प्लांट्स के साथ करार करने का निर्देश दिया है। करार के तहत कोल इंडिया को पावर प्लांट्स की कुल जरूरत का 80 फीसदी सप्लाई करना होगा।
80 फीसदी से कम सप्लाई करने पर कोल इंडिया पर जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि, सप्लाई पूरी करने के लिए कोल इंडिया को कोयला आयात करने की भी छूट दी गई है। आयातित कोयले की ज्यादा कीमत पावर कंपनियों से वसूली जा सकती है।
कोल इंडिया के एक कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि वैश्विक कोयला दिग्गजों के साथ दीर्घावधि आपूर्ति सौदे होने तक कंपनी एमएमटीसी लिमिटेड जैसी संबंधित व्यापार एजेंसियों को लघु अवधि के लिए कोयला आयात करने के लिए कह सकती है। हालांकि आमतौर पर बिजली कंपनियां कोल इंडिया से आयातित कोयला नहीं खरीदना चाहती हैं। बिजली कंपनियां संभवत: सेवा शुल्क थोपे जाने के कारण खरीद के प्रति अनिच्छुक हैं। साथ ही, अभी तक यह भी स्पष्टï नहीं हो पाया है कि परिवहन लागत का वहन किसे करना होगा।
हाल में, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेट (सेल) के पूर्व अध्यक्ष एसके रूंगटा ने बतौर प्रबंध निदेशक, वेदांता एल्यूमिनियम ज्वाइन किया है।
उधरउडीसा उच्च न्यायालय ने राज्य में कालाहांडी जिले के लांजीगढ में वेदांता एल्यूमिनियम लिमिटेड .वीएएल. के रिफायनरी के विस्तार की योजना पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लगायी गयी रोक के फैसले को आज बरकरार रखा है।हालांकि मैटास इन्फ्रा ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने वेदांता एल्यूमिनियम के साथ अपना विवाद सुलझा लिया है। मैटास ने इस मामले में न्यायालय में दायर यचिका वापस ले ली। राहुल गांधी ने नियामगिरी के उस पहाड़ी इलाके का दौरा किया है जहां बाक्साईट खनन का ठेका लेने में वेदांता को तगड़ा झटका लगा। राहुल गांधी ने खुलेआम कहा कि उन्ही की वजह से वेदांता को ये ठेका नहीं मिला और कि वे दिल्ली में आदिवासी हितों के एकमात्र पहरुआ हैं। वेदांता को नियमगिरी पर्वत से 780 लाख टन बॉक्साइट की खुदाई करनी थी और उसने इसकी पूरी तैयारी भी कर ली थी।मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इंग्लैंड की एल्युमिनियम कंपनी वेदांता की आलोचना की है और कहा है कि उसने उड़ीसा में स्थानीय लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है।हालांकि वेदांता कंपनी ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वो मानवाधिकारों का सम्मान करती है और ऐसा कोई भी काम नहीं किया गया है जिससे स्थानीय लोगों को नुक़सान हो।मालूम हो कि तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने नियमागिरि मामले में अति सक्रियता दिखायी थी और उनसे पर्यावरण मंत्रालय ही छीन लिया गया।
बहरहाल हाल में तेल व गैस उत्पादक कंपनी केयर्न इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के वेदांत रिसोर्सेज के सौदे को सरकार ने मंजूरी दे दी। अनिवासी भारतीय उद्योगपति अनिल अग्रवाल के वेदांत समूह पर गृह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी आपत्तियों के मद्देनजर इस सौदे के लिए कैबिनेट की अनुमति जरूरी थी।गृह मंत्रालय ने वेदांत समूह से जुड़े करीब आठ ऐसे मुद्दे उठाए थे, जो भुगतान में देरी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और मानवाधिकार नियमों के उल्लंघन से जुड़े थे। पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन आपत्तियों के जवाब के साथ ही इस प्रस्ताव को दोबारा सीसीईए की अनुमति के लिए भेजा था।
जन समर्थन अपने हक में करके प्राकृतिकसंसाधनों के दोहन की रणनीति में वेदांता की ओर से कोई कोताही नहीं की जा रही है। छत्तीसगढ़ में सामूदायिक विकास के बहाने वेदांता का विस्तार इसकी ताजा मिसाल है। वेदांत समूह की कोरबा जिला स्थित कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड तकनीकी और आर्थिक प्रगति के साथ ही सामुदायिक विकास के क्षेत्र में अनेक बड़ी परियोजनाओं का संचालन कर रही है।मालूम हो कि कोरबा छत्तीसगढ़ के कोयलाखानों का मुख्य केंद्र भी है। वेदांत समूह और उसकी कंपनी बालको का निरंतर विस्तार हो रहा है। कभी एक लाख टन हर वर्ष बनाने वाला बालको वेदांत समूह के निवेश के बाद साढ़े तीन गुना अधिक एल्यूमिनियम का उत्पादन करने लगा। और अब स्मेल्टर और विद्युत परियोजना के विस्तार का कार्य जारी है। और अब स्मेल्टर और विद्युत परियोजना के विस्तार का कार्य जारी है। वेदांत समूह द्वारा बालको के माध्यम से यह निवेश कोरबा जिले तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी पहुंच बालको के बॉक्साइट उत्खनन क्षेत्रों - कबीरधाम जिले के बोदई दलदली और सरगुजा जिले के मैनपाट में रहने वाले ग्रामीणों तक है।इसके अलावा वेदांत मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और वेदांत समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की उपस्थिति में रायपुर में 8 अगस्त, 2007 को केंद्र की आधारशिला रखी। निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के अंतर्गत निर्माणाधीन परियोजना का क्रियान्वयन संयुक्त रूप से छत्तीसगढ़ सरकार और वेदांत मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। परियोजना पर लगभग 300 करोड़ रुपए निवेश होंगे।
अनिल अग्रवाल जैसे-जैसे सेसा गोवा और स्टरलाइट के बीच हो रहे विलय के साथ समूह के पुनर्गठन के लिए तैयार हो रहे हैं, स्टरलाइट पर एक बार फिर अपनी ओर सभी का ध्यान खींचने लगी है। इस बीच प्रमुख रूप से भारत में खनन कारोबार चलाने वाली कंपनी वेदांता की अपनी दो सहयोगी कंपनियों के एकीकरण की घोषणा से आज लंदन शेयर बाजार में इसके शेयरों के भाव में सात प्रतिशत से अधिक का उछाल दर्ज किया गया। लंदन शेयर बाजार के सूचकांक एफटीएसई की शीर्ष 100 खनन कंपनियों में शामिल वेदांता के शेयर 7.4 प्रतिशत तक चढ़ गये। हालांकि खनन क्षेत्र की कंपनियों में औसतन एक फीसदी की ही बढ़त दर्ज की गयी। इस तरह वेदांता ने अपने प्रदर्शन से अन्य खनन कंपनियों को काफी पीछे छोड़ दिया। कारोबार विश्लेषकों के मुताबिक वेदांता द्वारा अपनी दो सहयोगी कंपनियों सेसा गोवा और स्टरलाइट के एकीकरण के फैसले से निवेशकों का भरोसा इसके प्रति बढ़ा है।
केयर्न इंडिया, हिंदुस्तान जिंक, स्कोरपियन, लिशीन, तलवंडी साबो पावर, वीएएल पावर, मालको पावर, भारत अल्युमिनियम, वेस्टर्न क्लस्टर और ऑस्ट्रेलियन कॉपर माइंस सेसा स्टरलाइट की सब्सिडियरी होंगी। यह विलय जटिल स्वामित्व प्रक्रिया और कॉरपोरेट ढांचे को सुगम बनाएगा और साथ ही इससे वेदांत की विस्तार योजनाओं के लिए भी नकदी मिल जाएगी। इस विलय के बाद केयर्न इंडिया भी इस पहल का हिस्सा बनने पर विचार कर सकती है। दिसंबर 2011 तक वेदांत और अन्य प्रवर्तक समूह की सेसा गोवा में 55 फीसदी और स्टरलाइट में 53 फीसदी हिस्सेदारी थी। इस विलय के बाद स्टरलाइट में भारतीय स्वामित्व वाली कंपनी बनाए जाने की योजना है जिसकी दो इकाइयां होंगी। पहली इकाई लौह अयस्क व्यवसाय का प्रबंधन करेगी और बाकी अलौह व्यवसाय दूसरी इकाई के दायरे में आएंगे।
खनन क्षेत्र की कम्पनी वेदांता रिसोर्सेज ने शनिवार को नियामक की अनुमति से अपनी सहयोगी कम्पनियों के विलय का प्रस्ताव रखा और कहा कि इस विलय से कारोबारी संचालन सरल हो जाएगा और खर्च में भी काफी कमी आएगी। कम्पनी ने बम्बई स्टॉक एक्सचेंज को दी गई अपनी नियमित सूचना में कहा कि वह अपनी एल्यूमिनियम कम्पनी स्टरलाईट इंडस्ट्रीज और लौह अयस्क कम्पनी सेसा गोवा का एक कम्पनी 'सेसा स्टरलाईट' में विलय करना चाहती है।
वेदांत अल्युमिनियम और मद्रास अल्युमिनियम का भी सेसा स्टरलाइट में विलय किया जाएगा। साथ ही वेदांत की केयर्न इंडिया में 38.8 फीसदी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी सेसा गोवा को हस्तांरित की जाएगी। इस नई कंपनी में समूह की मूल कंपनी वेदांत रिर्सोसेज की हिस्सेदारी 58.3 फीसदी होगी। वहीं, केयर्न इंडिया में सेसा स्टरलाइट की हिस्सेदारी 58.9 फीसदी हो जाएगी। फिलहाल वेदांत रिसोर्सेज की सेसा गोवा और स्टरलाइट में 55-55 फीसदी हिस्सेदारी है। सभी कंपनियों के विलय के बाद सेसा स्टरलाइट की अनुमानित पूंजी करीब एक लाख करोड़ रुपये [20अरब डॉलर से ज्यादा] होगी। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह देश की शीर्ष 15 कंपनियों में शुमार होगी। इसकी आमदनी 66,400 करोड़ रुपये होगी।
समूह के ढांचे को सरल बनाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया जा रहा है। इससे नई कंपनी का प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में दुनिया की सात प्रमुख कंपनियों के बीच स्थान बन जाएगा।
वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने नई दिल्ली में कहा कि प्रस्तावित विलय 2012 के अंत तक पूरा होगा और इससे 1,000 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। वैसे प्रस्तावित विलय नियामकों तथा शेयरधारकों की मंजूरी पर निर्भर है। इस एकीकृत योजना में स्टरलाइट का सेसा गोवा के साथ विलय शामिल है। यह विलय शेयरों की 5:3 के अनुपात में अदला-बदली रूप में होगी।
प्रबंधन का मानना है कि यह योजना सेसा गोवा, स्टरलाइट तथा वेदांता तीनों के लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा वेदांता अल्यूमीनियम तथा मद्रास अल्यूमीनियम कंपनी को सेसा स्टरलाइट में विलय किया जाएगा।
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