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Memories of Another day

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Wednesday, May 16, 2012

अपना डीएनए उनको दे दो तिवारी

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अपना डीएनए उनको दे दो तिवारी

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अपना डीएनए उनको दे दो तिवारी
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आखिर वही हुआ जिसका डर था. समय का चक्र किसी को भी नहीं बख्शता. रंगीन मिजाजी के आरोपों के मध्य पितृत्व विवाद के चलते दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कांग्रेस नेता एनडी तिवारी को आदेश दिया है कि वह कोर्ट के सह-रजिस्ट्रार के सामने २१ मई तक डीएनए परिक्षण के लिए अपने रक्त का नमूना दें अन्यथा आवश्यक पुलिस मदद से आदेशों का पालन किया जायेगा.

इस विषय में सह-रजिस्ट्रार को पूरा अधिकार दे दिया है कि वह तिवारी  के रक्त का नमूना जबरन प्राप्त  कर  सकता  है . दो दिनों पूर्व के आदेशों के अनुसार तिवारी को आज शाम तक दिल्ली हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना था कि वह रोहित शेखर की याचिका पर कोर्ट के आदेशनुसार डीएनए परिक्षण के लिए स्वयं अपने रक्त का नमूना देंगे या पुलिस की सहायता से कोर्ट को अपने आदेशों की पालना सुनिश्चित करनी पड़ेगी. बताते चलें कि इससे पूर्व भी दिल्ली उच्च न्यायालय परिक्षण के आदेश दे चुका है जिस पर रोक लगाने के लिए तिवारी ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी परन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगाने से इंकार करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी थी. आज के आदेशनुसार अब २१ मई तक यदि तिवारी अपने रक्त का नमूना नहीं देंगे तो कोर्ट के रजिस्ट्रार पुलिस की सहायता से जबरन उनके रक्त का नमूना लिया जायेगा. राजनेताओं के रंगीन मिजाजी से जुडा यह बहुत ही दिलचस्प मामला है. रोहित शेखर नाम के एक युवक जिसने बहुत ही हिम्मत रख अदालत से गुहार लगाईं है कि एनडी तिवारी के उसकी मां मां उज्ज्वला शर्मा के साथ गहरे ताल्लुकात थे और उन्होंने उनकी मां से शादी करने का वादा किया था जिससे वो बाद में मुकर गए. रोहित शेखर ने  एनडी तिवारी को अपना पिता बताते हुए एक पुत्र होने के सभी कानूनी अधिकार दिलवाने की मांग की है. रोहित शेखर की दलील पर ही दिल्ली  उच्च नयायालय  ने डीएनए परिक्षण  द्वारा दोनों का सम्बन्ध जांचने के आदेश दिए है.

मेरे विचार से तो चुनाव में प्रत्येक प्रत्याशी के लिए नामांकन-पत्र भरने से पूर्व अपना डी.एन.ए. परिक्षण करवा उसका उल्लेख नामांकन-पत्र में करते हुए उसकी रिपोर्ट नामांकन-पत्र के साथ नत्थी  करने का अनिवार्य प्रावधान होना चाहिए. वैसे देश में आतंकवाद और अन्य हादसों के चलते डी.एन.ए. परिक्षण तो  देश के सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य कर  आधार-कार्ड में इसका उल्लेख करना समय की आवश्यकता है. अपने इन  जनप्रतिनिधियों के रसिक व रंगीन स्वभाव के चलते हमारे देश के न्यायालयों का कीमती समय तो रिश्तों को कानूनीजामा पहनाने में ही खप रहा है. राजनीति में अपने प्रभाव का गैरकानूनी और बेजा इस्तेमाल कर अकूत दौलत कमा पर-स्त्रियों को प्रलोभन दे, अवैध रिश्ते बनाने वाले इन रसिक-मिजाज नेताओं पर नकेल कसने की दृष्टी से तो  डी.एन.ए. परीक्षण परमावश्यक है. विगत दिनों  राजस्थान की लापता लोक गायिका भंवरी देवी के सम्बन्ध में भी कुछ इसी प्रकार की खबरें समाचार पत्रों में आ रही थी. जरा सोचिये यदि डी.एन.ए. परिक्षण का उल्लेख नामांकन पत्र में होता तो क्या रोहित शेखर नाम के व्यक्ति की याचिका पर  दिल्ली उच्च न्यायालय को नारायण दत्त तिवारी से बार-बार  डीएनए परीक्षण करवाने के आदेश देने पड़ते ? 

वादी रोहित  शेखर ने अपनी वाचिका में दावा किया है कि उसकी माँ के साथ एन.डी.तिवारी के साथ कथित संबंधों से उसका जन्म हुआ है, लिहाजा एन.डी.तिवारी उसके पिता हैं और पुत्र होने के नाते भारतीय संविधान और विधी के अनुसार उसे एन.डी.तिवारी का पुत्र होने के सभी अधिकार दिलवाए जायें. इसी सन्दर्भ में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एन.डी.तिवारी से २१ मई तक डी.एन.ऐ. परिक्षण करवा इस बात के सुबूत देने को कहा है कि वह वादी के पिता नहीं है. इससे पहले कोर्ट में  डीएनए परीक्षण के आदेश के खिलाफ तिवारी ने अपील की थी कि उन्हे डीएनए जांच कराने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर परिक्षण करवाने के आदेश दिए हैं. अनिवार्य  डी.एन.ए. परिक्षण और उसका उल्लेख नामांकन पत्र में होने से कोई भी स्त्री-पुरुष सूचना के अधिकार के तहत  परिक्षण  रिपोर्ट की प्रतिलिपि प्राप्त कर पता करवा सकता है कि कहीं वह भी?

सरकार और राजनैतिक दल मेरे इन सुझावों पर गौर कर इस पर कोई  कारवाई  करेंगे,  इसकी तो मुझे  तनिक  भी  आशा नहीं है. हाँ, देश की कॉमन-सोसाइटी के सदस्य अवश्य ही मुझ से सहमत होगे. इस सन्दर्भ में यदि न्यायालय में कोई जनहित याचिका लगा दे तो बात बन सकती है. यदि ऐसा हो गया तो रंगीन मिजाजी के चलते अवैध संबंधों का  दोषी इस देश में ढूंडने से भी नहीं मिलेगा. वंशवाद  और  परिवारवाद  के  पौषक, राजनीति  के यह  खिलाड़ी   भ्रष्टाचार के  साथ-साथ   यौनाचार  में   भी  लिप्त रहते हैं.  इन  रसिक और रंगीन मिजाज वाले नेताओं के पूर्व जीवन की खोज की जाये तो अनेक रोहित शेखर निकल आएंगे. अनिवार्य डी.एन.ए. परीक्षण होने से कानूनी वारिसों को अपने भूले-बिसरे वालिदों से उनका विधि और संविधान सम्मत अधिकार सुलभता से मिलना निश्चित हो जायेगा. 

विगत दिनों समाचार-पत्रों  में खबर छपी कि  वैज्ञानिकों ने आलू के डी.एन.ए की खोज कर ली है. तेलगी और आलू का नार्को और डी.एन.ऐ. हो सकता है तो हमारे जनप्रतिनिधियों का क्यूँ नहीं? इसलिए हम सब तिवारी जी से यही अपील करेंगे कि अपना डीएनए उनको दे दें और जीवन में जो कुछ किया है उसकी सच्चाई सामने आने दें.

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