Sunday, 22 July 2012 14:02 |
नयी दिल्ली, 22 जुलाई (एजेंसी) रायसीना हिल्स प्रणब मुखर्जी के स्वागत को तैयार है। प्रणब को आज देश का नया राष्ट्रपति चुन लिया गया। उनके हिस्से सात लाख 13 हजार 763 मत मूल्य आये जबकि भाजपा समर्थित प्रतिद्वंद्वी पी ए संगमा को तीन लाख 15 हजार 987 मत मूल्य हासिल हुए । दलीय सीमाओं से परे उनकी स्वकार्यता ने ही विपक्षी गठबंधन राजग में राग द्वेष खडे हो गये और जद-यू शिवसेना जैसे धुर विरोधी उनके समर्थन में उनके सिरहाने खडे हैं । और तो और अरूण जेटली जैसे प्रखर विरोधी भी जब उनकी तुलना क्रिकेट के योद्धा सर डान ब्रैडमैन से से करने लगे तो यह संतोष हो जाता है कि देश में शीर्ष संवैधानिक पद प्रथम नागरिक और अपना सर्वोच्च सेनापति वाकई सक्षम और सुधि हाथों में है । राष्ट्रपति पद की चुनावी दौड में शुरूआत से ही कई उतार चढाव देखने को मिले । संप्रग की प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस ने काफी ना नुकुर के बाद अंतत: प्रणब की उम्मीदवारी पर समर्थन दे दिया । उधर राजग के घटक जदयू और शिवसेना ने भी मुखर्जी का समर्थन किया। भले ही प्रणव दा को महज विरोध के लिए विरोध के नाम पर पी ए संगमा से मुकाबला करना पडा हो पर उनका अनुभव उनको जीत के लिए बहुत पहले आश्वस्त कर चुका था । तभी तो उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें राष्ट्रपति भवन का लॉन काफी पसंद है। ''मुझे सुबह टहलने की आदत है। मैं अपने लॉन में 30..40 चक्कर लगाता हूं। राष्ट्रपति भवन का लॉन काफी बड़ा है। किसी को इतने चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।'' वह पहली बार 1969 में राज्यसभा के लिए चुने गए। एक बार राज्यसभा की ओर गए तो कई वषो' तक जनता के बीच जाकर चुनाव नहीं लड़ा। सियासी जिंदगी में करीब 35 साल बाद उन्होंने लोकसभा का रुख किया। 2004 में वह पहली बार पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से चुने गए। 2009 में भी वह लोकसभा पहुंचे। अस्सी के दशक में प्रधानमंत्री पद की हसरत का इजहार करने के बाद उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर दी थी। बाद में वह फिर से कांग्रेस में आए और सियासी बुलंदियों को छूते चले गए। अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश मामलों पर पैनी पकड रखने वाले 77 वर्षीय प्रणब सियासत की हर करवट को बखूबी समझते हैं। यही वजह रही कि जब भी उनकी पार्टी और मौजूदा संप्रग सरकार पर मुसीबत आई तो वह सबसे आगे नजर आए। कई बार तो ऐसा लगा कि सरकार की हर मर्ज की दवा प्रणव बाबू ही हैं। |
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.
Sunday, July 22, 2012
प्रणब मुखर्जी बने देश के 13वें राष्ट्रपति
प्रणब मुखर्जी बने देश के 13वें राष्ट्रपति
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment