राजनीतिक बाध्यता अब हवा हवाई है और नरसंहार महायज्ञ में शामिल हैं तमाम विचारधाराएं और राजनीतिक दल!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
अश्वमेध के गोड़े फिर दौड़ने लगे हैं सरपट. जल जंगल जमीन को रौंदते हुए कारपोरेट इंडिया का परचम लहराने के लिए। रायसिना फतह होते न होते तेज हो गये बहुप्रचारित आर्थिक सुधार। नीति निर्धारम में सुस्ती की शिकायत करने में न अघाने वाले कारपोरेट इंडिया को भी भरोसा हो चला है कि राजनीतिक बाध्यता अब हवा हवाई है और नरसंहार महायज्ञ में शामिल हैं तमाम विचारधाराएं और राजनीतिक दल। न कोई अवरोध है और न चुनौती। रतन टाटा ने दरअसल बाजार के जश्न को ही अभिव्यक्त किया है।रतन टाटा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से देश में विकास के लिए सुधारों को लागू करने की मांग की है साथ ही विकास की सुस्त पड़ी रफ्तार के लिए उन्होंने मनमोहन सिंह पर आरोप लगाने वालों को भी खरी खरी सुनाई है।सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सेल में अपनी 10.82 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश प्रस्ताव को गुरुवार को हरी झंडी दे दी। इससे सरकारी खजाने में 4,000 करोड़ रुपये आने की संभावना है।
मजा देखिये, अभी कल ही तो आर्थिक सुधार सुस्त होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा बारत सरकार की आलोचना करते नजर आ रहे थे। तमाम रेटिंग एजंसियों और आईएसएफ व विस्व बैंक के जरिये सुधार तेज करने के लिए अमेरिकी दबाव तेज से तेज हो रहा था। अमेरिकी मीडिया प्रधानमंत्री को अंडर एचीवर बता रहा था।रातोंरात क्या हो गया कि मैडम हिलेरिया का सुर बदल गयाअमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का मानना है कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों का वैश्विक स्तर पर प्रभाव उनकी आर्थिक प्रगति की वजह से बढ़ा है न कि सैन्य ताकत से। अखबार 'न्यू स्टेट्समैन' में प्रकाशित लेख में हिलेरी ने लिखा है, 'हमारा मानना है कि चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों का प्रभाव सैन्य बल की वजह से नहीं बल्कि उनकी आर्थिक वृद्धि की वजह से बढ़ा है।'उन्होंने लिखा है, 'और हम लोगों ने सीखा है कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा आज केवल राजनयिक समझौतों और युद्ध क्षेत्र के संबंध में लिए गए निर्णयों पर नहीं टिकी है बल्कि इस पर वित्तीय बाजारों का भी प्रभाव है। इस लिए अमेरिका विदेशों में अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए वैश्विक अर्थशास्त्र के उपकरणों को और अधिक प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल करने को प्राथमिकता दे रहा है।'
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की गुरुवार को हुई बैठक में सेल के विनिवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। आधिकारि सूत्रों ने यह जानकारी दी।शेयर बाजार में नीलामी के जरिये अथवा बिक्री पेशकश के जरिये किये जाने वाले इस विनिवेश से सरकार को 4,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद की जा रही है। विनिवेश विभाग द्वारा तैयार इस प्रस्ताव पर पिछले सप्ताह इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा और इस्पात सचिव डी़आऱएस़ चौधरी के शहर में नहीं होने की वजह से निर्णय नहीं लिया जा सका था।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये वित्त मंत्रालय की नीतियों में बदलाव कर सकते हैं। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह बात कही।
इस बीच देश के 14वें राष्ट्रपति के चुनाव से 1078 'माननीयों' ने दूरी बनाए रखी। इनमें 52 सांसद और 1026 विधायक हैं। भाकपा समेत चार दलों के चुनाव में भाग नहीं लेने के फैसले के बीच राष्ट्रपति के लिए मतदान बृहस्पतिवार शाम समाप्त हो गया। मतगणना 22 जुलाई को होगी। मतदान समाप्त होने के साथ ही यूपीए प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी और भाजपा समर्थित पीए संगमा के भाग्य का फैसला मतपेटियों में बंद हो गया। अब रविवार को नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान हो जाएगा। हालांकि आंकड़ों के हिसाब से प्रणब दा का रायसीना हिल्स जाने का रास्ता साफ नजर आ रहा है। देश के शेयर बाजारों में गुरुवार को तेजी रही। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 93.84 अंकों की तेजी के साथ 17278.85 पर और निफ्टी 26.40 अंकों की तेजी के साथ 5242.70 पर बंद हुआ। बंबई स्टाक एक्सचेंज [बीएसई] का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 103.33 अंकों की तेजी के साथ 17288.34 पर और नेशनल स्टाक एक्सचेंज [एनएसई] का 50 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक निफ्टी 33.55 अंकों की तेजी के साथ 5249.85 पर खुला। बीएसई के मिडकैप और स्मालकैप सूचकांकों में भी तेजी रही।
आखिरकार कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने कह ही दिया कि वह पार्टी और सरकार में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। हालांकि यह बात उन्होंने कैमरे के सामने नहीं कही लेकिन खुलकर कही। गांधी ने कहा कि इस बारे में पार्टी के नेतृत्व ने तय कर लिया है और इसके समय पर अंतिम फैसला होना है। गांधी के इस बयान के बाद कांग्रेस और सरकार ने देर शाम बयान जारी कर कहा कि उन्हें कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
छोटी सी नौटंकी भी देखने को मिल गयी इस बीच, अन्ना ब्रिगेड के तमासे की तरह, जिनका इस देश की अर्थ व्यवस्था पर किसी खास असर की गुंजाइश नहीं है।जनलोकपाल की मांग को लेकर सरकार को परेशानी में डालने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे की केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से हुई गुपचुप मुलाकात पर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि अन्ना और सलमान की यह मुलाकात बीते 23 को हुई थी। पुणे-नासिक हाईवे से 90 किलोमीटर दूर फिरौदिया नाम के गेस्ट हाउस में हुई इस मुलाकात के बारे में अब अन्ना कुछ भी बोलना नहीं चाह रहे हैं।तो केंद्र सरकार में नंबर दो का ओहदा नहीं मिलने से एनसीपी सुप्रीमो और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार कांग्रेस से खासे नाराज हैं। समझा जाता है कि इस मुद्दे को लेकर पवार और उनकी पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है। नाराजगी के चलते पवार और पटेल बृहस्पतिवार को कैबिनेट की बैठक में भी नहीं पहुंचे। उनके इस कदम को कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में जब शाम को कैबिनेट की बैठक चल रही थी तब पवार अपने आवास पर भारी उद्योग मंत्री पटेल और एनसीपी प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी के साथ भविष्य की रणनीति के लिए माथापच्ची कर रहे थे। सरकार से प्रणब मुखर्जी की विदाई के बाद नंबर दो का ओहदा नहीं मिलने से पवार बेहद नाराज बताए जाते हैं।पवार के आवास पर एनसीपी नेताओं की बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने इस्तीफे की पेशकश संबंधी खबरों का खंडन किया। जब उनसे पूछा गया कि पवार और पटेल कैबिनेट की बैठक में क्यों नहीं पहुंचे, तो उनका कहना था कि पवार ने कभी कोई पद नहीं मांगा। बैठक में शिरकत नहीं करने का मुद्दा इससे कहीं बड़ा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, 'हम घरेलू अर्थव्यवस्था को भी आर्थिक शासन कला और रोजगार कूटनीति के जरिए सशक्त बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।' क्लिंटन ने कहा कि प्रभाव डालने वाले नए क्षेत्रीय और वैश्विक केंद्रों का तेजी से उदय हो रहा है। सिर्फ भारत और चीन ही नहीं बल्कि तुर्की, मैक्सिको, ब्राजील, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका और रूस जैसे देश भी हैं। उन्होंने लिखा है कि इनमें से कुछ देशों में लोकतंत्र है और उनके बहुत सारे मूल्य हमारे जैसे हैं। वहीं अन्य देशों में बिल्कुल दूसरे तरह की राजनीतिक प्रणाली और परिप्रेक्ष्य हैं।
हिलेरिया के सुर में सुर मिलाते हुए सौ अरब डॉलर समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने विपक्ष, मीडिया तथा सत्तारूढ़ दल के 'कुछ सदस्यों' को तल्ख आलोचना करते हुए कहा कि देश के समक्ष मौजूदा आर्थिक संकट के लिए अकेले प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है।रतन टाटा ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सरकार की विश्वसनीयता बहाल करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जिन सुधारों का वादा किया गया है, उन्हें क्रियान्वित कर देश को एक बार फिर वृद्धि के रास्ते पर लाना चाहिए।लगातार आलोचना का सामना कर रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सराहना करते हुए देश के जाने माने उद्योगपति रतन टाटा ने गुरुवार को विपक्ष को आड़े हाथों लिया। रतन टाटा ने कहा कि प्रधानमंत्री को अर्थव्यव्स्था के बुरे दौर के लिए जिम्मेदार ठहराना 'सामूहिक दिशाहीनता' है।टाटा ने ट्विटर पर लिखा '91 के सुधारों ने हमें नई ऊंचाइयां दीं। लेकिन महंगाई, कम निवेश, विकास की धीमी रफ्तार के लिए पीएम को दोषी ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है। पीएम के विरोधियों ने इस बात को पूरी तौर पर अनदेखा किया कि विनम्र स्वभाव के पीएम ने गरिमा और निष्ठा से देश का नेतृत्व किया।रतन टाटा के निशाने पर पूरा तरह विपक्ष रहा। टाटा ने कहा कि गौर करना चाहिए कि विपक्ष का सिर्फ एक ही लक्ष्य रहा है कि किस तरह से सरकार को अस्थिर किया जाए। टाटा ने जोड़ा कि राजनीतिक रस्साकशी ने काफी नुकसान पहुंचाया है।
टाटा ने ट्विटर पर लिखा है, 'अब समय आ गया है कि हमारे प्रधानमंत्री पुरानी परंपराओं को तोड़ें, सरकार का भरोसा बहाल करें और जिन सुधारों का वादा किया है, उन्हें क्रियान्वित करें। इसके विकास के रास्ते की बाधाओं को दूर कर देश को दोबारा तरक्की के रास्ते पर लाएं। उन्होंने कहा कि देश पिछले लगभग 12 महीने में प्रगति के रास्ते से हट गया है। निवेश का विश्वास कम हुआ है और महंगाई बढ़ी है। इस लिहाज से सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं, वह पर्याप्त नहीं है।
सरकार उच्चतम न्यायालय द्वारा तय सीमा से चार दिन पहले यानी 27 अगस्त को ही दूरसंचार स्पेक्ट्रम नीलामी का अंतिम दस्तावेज जारी करेगी। उच्चतम न्यायालय ने स्पेक्ट्रम की नीलामी 31 अगस्त तक पूरी करने की समयसीमा तय की है।माना जा रहा है कि दूरसंचार विभाग स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया पर जिस तरीके से आगे बढ़ रहा है, उससे वह 31 अगस्त की समयसीमा का अनुपालन करने की स्थिति में नहीं है। उच्चतम न्यायालय फरवरी में 2जी मोबाइल सेवाओं के 122 लाइसेंस रद्द किए थे। लाइसेंसों के रद्द किए जाने की वजह से खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी सरकार को 31 अगस्त तक करनी है।उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी जल्द से जल्द सितंबर में शुरू हो सकती है। हालांकि, सरकार ने अभी इस समयसीमा को बढ़ाने के लिए शीर्ष अदालत से संपर्क नहीं किया है।नॉर्वे की प्रमुख दूरसंचार कंपनी टेलीनॉर ने वित्त मंत्रालय से बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) दिशानिर्देश में एकबारगी रियायात की मांग की है ताकि आगामी 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए वह 75 करोड़ डॉलर (करीब 4,163 करोड़ रुपये) कर्ज को बढ़ा सके। मौजूदा परिचालन जारी रखने के लिए भी कंपनी को इसकी जरूरत है। टेलीनॉर का यह कदम महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कंपनी ने पहले कहा था कि वह भारत से बाहर निकल सकती है। कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर दूरसंचार नियामक ट्राई की सिफारिशों के आधार पर 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए 1 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम का आधार मूल्य 3,622 करोड़ रुपये रखने पर सरकार सहमत होती है तो वह नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेगी। यूनिटेक समूह के साथ संयुक्त उद्यम इकाई यूनिटेक वायरलेस में टेलीनॉर की 67 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत जिन कंपनियों के 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उनमें यूनिनॉर भी शामिल है। टेलीनॉर ने यह घोषणा भी की थी कि वह नए भारतीय साझेदार के साथ अलग कंपनी बना सकती है और नीलामी में उसी के तहत बोली लगाई जा सकती है।
एडीबी के क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण कार्यालय के प्रमुख इवान जे अजीस ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिये भारत को विदेशी निवेश की जरूरत है और मेरा मानना है कि सिंह इसके लिए वित्त मंत्रालय में बदलाव करेंगे। अजीस ने कहा कि सिंह द्वारा नीतियों में बदलाव से भारत को और विदेशी निवेश के लिये खोला जायेगा। उन्होंने यह बात यहां एशियाई आर्थिक एकीकरण मानिटर के जुलाई अंक के जारी करने के बाद कही।इस अंक में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2012 में 6.5 फीसदी और 2013 में 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया है। अजीस ने सिंह द्वारा वित्त मंत्रालय का प्रभार अपने हाथ में लेने के बारे में कहा इससे सकारात्मक संकेत पहले से मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अब कच्चे तेल की कीमत में गिरावट, आयात की लागत कम होने और व्यापार घाटे के असर में कमी से फायदा होगा।
बीते छह महीने में वहत आर्थिक परिवेश में गिरावट के कारण जून में भारतीय कंपनियों के भरोसे में भारी गिरावट देखने को मिली।उद्योग मंडल एसोचैम ने एक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकाला है। इसमें कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 51.6 प्रतिशत भागीदारों ने कहा है कि वहत आर्थिक हालात पूर्व के छह महीने की तुलना में बदतर हुए हैं।हालांकि, अधिकतर लोगों को उम्मीद है कि अगले छह महीन में हालात सुधरेंगे। एसोचैम अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा है कि भविष्य की राय आशाओं से भरी है, हमें सुनिश्चित करना होगा कि व्यापार माहौल में सुधार हो और घरेलू मांग बढ़े।उद्योग मंडल ने कहा है कि उसका सर्वेक्षण लगभग 1000 कंपनियों के विचारों पर आधारित है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त और विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं। भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2011-12 में घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई। वर्ष की चौथी तिमाही की आर्थिक वृद्धि घटकर 5.3 प्रतिशत रही जो कि पिछले नौ साल में सबसे कम है।
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment