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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, July 21, 2012

Fwd: TaraChandra Tripathi updated his status: "ब्राह्मण विदेशी हैं? भाई पलाश, क्या तुम भी बुद्धिजीवी हो ग...



---------- Forwarded message ----------
From: Facebook <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/7/21
Subject: TaraChandra Tripathi updated his status: "ब्राह्मण विदेशी हैं? भाई पलाश, क्या तुम भी बुद्धिजीवी हो ग...
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


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TaraChandra Tripathi
TaraChandra Tripathi updated his status: "ब्राह्मण विदेशी हैं? भाई पलाश, क्या तुम भी बुद्धिजीवी हो गये हो? जो इतिहास के भीतर से ऐसे बातों को सामने ला रहे हो जिस से इस देश के वर्तमान और भविष्य को आग के हवाले किया जा सके. जो विचार तुमने प्रस्तुत किया है, वह मुद्रा राक्षस जी की ' धर्मग्रन्थों का पुनर्पाठ की देन है. यह पुस्तक मैनें कई बार पढी है. उनकी दृष्टि भले ही पूर्वग्रह युक्त हो, विवेचना और साक्ष्यों की खोज अद्भुत है. आर्य तो इस देश में एक ही बार में नहीं आ गये थे. एक लम्बे कालान्तराल में अलग अलग समूहों में आये थे. यही स्थिति द्रविड़ जनों यहाँ तक कि तथाकथित मूल निवासियों की भी है. यह कोई नहीं बता सकता कि अतीत के ये यायावर मानव समूह कहाँ पैदा हुए और कहाँ ठहर गये.. कौन देशी है कौन विदेशी, इस प्रकार का विवाद उठाना श्रमजीवी जनता की एकता को भंग करने की चाल मात्र है. सारे बुद्धिजीवी यही कर रहे हैं. तुम मेरे छात्र हो. इसीलिए मुझे सीजर के अन्तिम वचन याद आ रहे हैं -'अरे ब्रूटस तुम भी'"
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