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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, May 7, 2016

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna सुचिता

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna

सुचिता
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Sucheta Kriplani
Sucheta Kriplani.jpg
Sucheta Kriplani
4th Chief Minister of Uttar Pradesh
In office
2 October 1963 – 13 March 1967
Preceded byChandra Bhanu Gupta
Succeeded byChandra Bhanu Gupta
Personal details
Born25 June 1908
AmbalaPunjabBritish India
Died1 December 1974 (aged 66)
Political partyINC
Spouse(s)Acharya Kriplani

Sucheta Kriplani (née Mazumdar, 25 June 1908[1] – 1 December 1974[2][3]

उत्तराखण्ड में विधायकों की करोड़ों में री सेल वैल्यू का ज़िक़्र छिड़ा , तो मेरे फुफेरे भाई डॉ गिरीश चन्द्र मैठाणी ने अभी - अभी एक संस्मरण सुनाया । साझा कर रहा हूँ । 
60 के दशक में कभी , उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी सुदूर जनपद उत्तरकाशी के दौरे पर आयीं । मोटर सड़क धरासू तक ही थी । वहां मोटर पुल नहीं था , अतः मुख्यमंत्री को कच्चा पुल पैदल पार कर उस पार से दूसरी जीप में बैठ कर उत्तरकाशी जाना था । इसी बीच किसी ने उन्हें बताया कि यहां सुन्दर लाल बहुगुणा भी आये हैं । मुख्य मंत्री के आदेश पर डिप्टी कलक्टर उन्हें ढूंढने निकला । मेरे पिता कहीं भूदान यात्रा से लौट कर काली कमली धर्म शाला में गमछा लपेट कर , अपने लिए खिचड़ी पका रहे थे । उन्होंने डिप्टी को जवाब दिया कि मेरे कपड़े अभी सूख रहे हैं , सूखते ही आ जाऊँगा । ज़ाहिर है कि उन पर एक ही जोड़ी कुरता पाजामा रहा होगा , जो उन्होंने धो कर सुखा दिया । 
मुख्यमंत्री ने सुना । सिर्फ अधो वस्त्र पहने , पर पुरुष से वह भी कैसे मिलने जाएँ । उन्होंने इंतज़ार करने का निर्णय लिया । गर्मी का मौसम था । कपड़े घण्टे भर से पहले ही सुख गए , और मुख्य मंत्री अपने भूत पूर्व कांग्रेसी कार्यकर्ता मित्र को गाडी में बिठा कर साथ ले गयीं ।


फेस बुक के एक रचनात्मक सदस्य दीपक तिरुवा को रुद्रपुर में रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किये जाने की खबर है । कदाचित् मैं उनसे कभी मिला भी हूँ , पर याद नहीं आता । वह सरकारी कर्मी हैं ।


मैं आश्वस्त नहीं हूँ , कि उन्होंने रिश्वत ली या नहीं । कई बार रचनात्मक और विचारशील अधिकारी / कर्मचारियों को खुन्दक में भी फंसा दिया जाता है । क़रीब 12 साल पहले देहरादून में एक ड्रग निरीक्षक को किसी छुटभैये कोंग्रेसी नेता की शिकायत पर फंसा दिया गया था । प्रायः सबका कहना था कि फंसाया गया पुरुष ईमानदार और बे कसूर था । इसी तरह अब्दुर्रहीम खानखाना ( कवि रहीम ) को अकबर के पुत्र जहांगीर ने राजकोष में घपला करने के आरोप में क़ैद करवा लिया था । हो सकता है कि रहीम ने ऐसा घपला किया भी हो , लेकिन यह भी उल्लेख मिलता है कि वह यदाकदा काशी जाकर गोस्वामी तुलसी दास को चन्दा दे आते थे । कथित घपला करने से कवि रहीम की रचनात्मक मेधा और उनकी सदाशयता को नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता । 


मेरे कई भ्रष्ट अफसर एवं राजनेता मित्र मुझे भी चन्दा देते रहते हैं , और मैं सब कुछ जान बूझ कर भी रोकड़ा खीसे में रख लेता हूँ । चोर का माल चण्डाल खाये । जिस देश में मंत्री लाखों करोड़ की रिश्वत के अभियोग में जेल काट रहे हों , और जिस प्रदेश में विधायकों की बोली करोड़ों में लग रही हो , वहां दस पांच हज़ार की रिश्वत का प्रकरण ज़्यादा बड़ा झटका नहीं देता ।
मेरी तिरुवा को सलाह है की यदि उन्होंने रिश्वत ली भी है , तो रिश्वत देकर छूटने का उपक्रम करें । भविष्य में रिश्वत न लें , अथवा सम्भल कर ले । नही ली है तो दृढ़ता से अपना केस लड़ें । अपनी क्रिएटिविटी क़ायम रखें ।


आज Asghar Wajahat साहेब ने एक कहानी सुनायी जिसे मैं बिना उनकी अनुमति के आपको सुनाता हूँ - एक ग़रीब आदमी को पुलिस ने बिहार के कटिहार ज़िले में संदिग्ध हालात में पकड़ा । उसके पास दो कुप्पियाँ तीन घड़े कुछ नलकियां कुछ नौसादर कुछ छलनियाँ एक खुरपी और कुछ नपनियाँ थीं । उसने पूछा मुझे किस ज़ुर्म में गिरफ़्तार किया जा रहा है तो पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा - तुम्हारे पास शराब बनाने के उपकरण पाये गये हैं इसलिये तुम्हें अवैध शराब बनाने के अपराध में गिरफ़्तार किया जा रहा है । तब उस ग़रीब मनुष्य ने कहा कि इसमें बलात्कार की धारा भी जोड़ लीजिये तो इंस्पेक्टर ने कहा यह किसलिये ?

- क्योंकि उसका उपकरण भी मैं साथ लिये घूम रहा हूँ ! यह कहकर उस ग़रीब आदमी ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया !

मित्र कल्बे कबीर की वाल से



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