Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna
सुचिता
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Sucheta Kriplani | |
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Sucheta Kriplani | |
4th Chief Minister of Uttar Pradesh | |
In office 2 October 1963 – 13 March 1967 | |
Preceded by | Chandra Bhanu Gupta |
Succeeded by | Chandra Bhanu Gupta |
Personal details | |
Born | 25 June 1908 Ambala, Punjab, British India |
Died | 1 December 1974 (aged 66) |
Political party | INC |
Spouse(s) | Acharya Kriplani |
Sucheta Kriplani (née Mazumdar, 25 June 1908[1] – 1 December 1974[2][3])
उत्तराखण्ड में विधायकों की करोड़ों में री सेल वैल्यू का ज़िक़्र छिड़ा , तो मेरे फुफेरे भाई डॉ गिरीश चन्द्र मैठाणी ने अभी - अभी एक संस्मरण सुनाया । साझा कर रहा हूँ ।
60 के दशक में कभी , उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी सुदूर जनपद उत्तरकाशी के दौरे पर आयीं । मोटर सड़क धरासू तक ही थी । वहां मोटर पुल नहीं था , अतः मुख्यमंत्री को कच्चा पुल पैदल पार कर उस पार से दूसरी जीप में बैठ कर उत्तरकाशी जाना था । इसी बीच किसी ने उन्हें बताया कि यहां सुन्दर लाल बहुगुणा भी आये हैं । मुख्य मंत्री के आदेश पर डिप्टी कलक्टर उन्हें ढूंढने निकला । मेरे पिता कहीं भूदान यात्रा से लौट कर काली कमली धर्म शाला में गमछा लपेट कर , अपने लिए खिचड़ी पका रहे थे । उन्होंने डिप्टी को जवाब दिया कि मेरे कपड़े अभी सूख रहे हैं , सूखते ही आ जाऊँगा । ज़ाहिर है कि उन पर एक ही जोड़ी कुरता पाजामा रहा होगा , जो उन्होंने धो कर सुखा दिया ।
मुख्यमंत्री ने सुना । सिर्फ अधो वस्त्र पहने , पर पुरुष से वह भी कैसे मिलने जाएँ । उन्होंने इंतज़ार करने का निर्णय लिया । गर्मी का मौसम था । कपड़े घण्टे भर से पहले ही सुख गए , और मुख्य मंत्री अपने भूत पूर्व कांग्रेसी कार्यकर्ता मित्र को गाडी में बिठा कर साथ ले गयीं ।
फेस बुक के एक रचनात्मक सदस्य दीपक तिरुवा को रुद्रपुर में रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किये जाने की खबर है । कदाचित् मैं उनसे कभी मिला भी हूँ , पर याद नहीं आता । वह सरकारी कर्मी हैं ।
मैं आश्वस्त नहीं हूँ , कि उन्होंने रिश्वत ली या नहीं । कई बार रचनात्मक और विचारशील अधिकारी / कर्मचारियों को खुन्दक में भी फंसा दिया जाता है । क़रीब 12 साल पहले देहरादून में एक ड्रग निरीक्षक को किसी छुटभैये कोंग्रेसी नेता की शिकायत पर फंसा दिया गया था । प्रायः सबका कहना था कि फंसाया गया पुरुष ईमानदार और बे कसूर था । इसी तरह अब्दुर्रहीम खानखाना ( कवि रहीम ) को अकबर के पुत्र जहांगीर ने राजकोष में घपला करने के आरोप में क़ैद करवा लिया था । हो सकता है कि रहीम ने ऐसा घपला किया भी हो , लेकिन यह भी उल्लेख मिलता है कि वह यदाकदा काशी जाकर गोस्वामी तुलसी दास को चन्दा दे आते थे । कथित घपला करने से कवि रहीम की रचनात्मक मेधा और उनकी सदाशयता को नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता ।
मेरे कई भ्रष्ट अफसर एवं राजनेता मित्र मुझे भी चन्दा देते रहते हैं , और मैं सब कुछ जान बूझ कर भी रोकड़ा खीसे में रख लेता हूँ । चोर का माल चण्डाल खाये । जिस देश में मंत्री लाखों करोड़ की रिश्वत के अभियोग में जेल काट रहे हों , और जिस प्रदेश में विधायकों की बोली करोड़ों में लग रही हो , वहां दस पांच हज़ार की रिश्वत का प्रकरण ज़्यादा बड़ा झटका नहीं देता ।
मेरी तिरुवा को सलाह है की यदि उन्होंने रिश्वत ली भी है , तो रिश्वत देकर छूटने का उपक्रम करें । भविष्य में रिश्वत न लें , अथवा सम्भल कर ले । नही ली है तो दृढ़ता से अपना केस लड़ें । अपनी क्रिएटिविटी क़ायम रखें ।
आज Asghar Wajahat साहेब ने एक कहानी सुनायी जिसे मैं बिना उनकी अनुमति के आपको सुनाता हूँ - एक ग़रीब आदमी को पुलिस ने बिहार के कटिहार ज़िले में संदिग्ध हालात में पकड़ा । उसके पास दो कुप्पियाँ तीन घड़े कुछ नलकियां कुछ नौसादर कुछ छलनियाँ एक खुरपी और कुछ नपनियाँ थीं । उसने पूछा मुझे किस ज़ुर्म में गिरफ़्तार किया जा रहा है तो पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा - तुम्हारे पास शराब बनाने के उपकरण पाये गये हैं इसलिये तुम्हें अवैध शराब बनाने के अपराध में गिरफ़्तार किया जा रहा है । तब उस ग़रीब मनुष्य ने कहा कि इसमें बलात्कार की धारा भी जोड़ लीजिये तो इंस्पेक्टर ने कहा यह किसलिये ?
- क्योंकि उसका उपकरण भी मैं साथ लिये घूम रहा हूँ ! यह कहकर उस ग़रीब आदमी ने पुलिस के सामने समर्पण कर दिया !
मित्र कल्बे कबीर की वाल से
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