Sunday, 03 February 2013 13:16 |
सय्यद मुबीन ज़ेहरा इसलिए हमें समाज का ऐसा स्तर बनाना होगा, जहां महिलाओं की सुरक्षा की एक ऐसी भावना पैदा हो कि जो भी सरकारी योजनाएं उनके लिए चलाई जा रही हैं वे अपनी शिक्षा और प्रगति के लिए उनका भरपूर लाभ उठा सकें। क्योंकि केवल साइकिल देने भर से उनकी कठिन डगर आसान नहीं हो जाती। उन्हें इन साइकिलों पर चढ़ कर समाज के बनाए उन रास्तों से रोज गुजरना होता है, जहां कोई उस पर फब्ती कसता है, कोई उसे देख कर सीटी बजाता है। छोटीमोटी छेड़छाड़ को भाग्य का लिखा समझ कर वह इसलिए बर्दाश्त करती है कि अगर वह इसकी शिकायत करेगी तो घर वाले उसका स्कूल जाना ही रोक देंगे और आगे का जीवन अंधकारमय हो जाएगा। इन सामाजिक बुराइयों के चलते कई बार लड़कियों को अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ देनी पड़ती है। चाहे कोई भारत बनाम इंडिया की बहस छेड़े, पर शहरों और गांवों में औरतों को लेकर मर्द की मानसिकता एक जैसी दिखाई देती है। इसलिए हमारा सोचना है कि समाज को महिलाओं के प्रति हर हाल में सहनशील और परिपक्व बनाना ही इस समस्या का एकमात्र हल हो सकता है। अगर हमें में महिलाओं की स्थिति बदलनी है तो इसके लिए समाज और सरकार के बीच एक बेहतर तालमेल की जरूरत है। एक शिक्षित और सशक्त कोख ही शिक्षित और सशक्त भविष्य को जन्म दे सकती है। महिला शिक्षित होगी तो समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। इससे समाज में युवकों का सकारात्मक सोच पनपेगा। यही युवा आगे चल कर राजनीति का भी हिस्सा बनेंगे तो पूरे देश में नारी को लेकर स्वीकृति बढ़ती जाएगी। यही स्वीकृति आगे बढ़ कर औरत के प्रति समाज का सोच बदलने में सहायक होगी। इसके लिए बड़ी-बड़ी नहीं, बल्कि छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होगा। बालिका विद्यालयों में मुक्त और मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करानी होगी। हमें अपने भारतीय समाज को मजबूर करना होगा कि वह अपनी महिलाओं के हाथ में शिक्षा की कभी न बुझने वाली मशाल थमा सके। सरकार को महिलाओं की शिक्षा को लेकर नई राष्ट्रीय नीति बनानी होगी, जिसमें उनकी सुरक्षा और स्वास्थ को अहमियत देनी होगी। महिलाओं को भी उन्हें मिले अवसरों का लाभ उठाते हुए, हर कठिनाई का सामना करते हुए अपने आप को हर हाल में शिक्षित करना होगा। यही नहीं, हमें शिक्षा हासिल करके रुकना नहीं है। दूसरी महिलाओं तक शिक्षा की ज्योति इस तरह पहुंचानी होगी कि एक से दूसरी और दूसरी से तीसरी महिला के हाथ में शिक्षा की यह मशाल पहुंचती रहे और आगे बढ़ते-बढ़ते शिक्षा का उजियारा घर-घर को रोशन करता हुआ पूरे समाज को रोशनी में नहला दे। |
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Sunday, February 3, 2013
सिर्फ योजनाएं नहीं
सिर्फ योजनाएं नहीं
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