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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, February 23, 2012

फैसले पर टिप्पणी से बचे बाबा,रामलीला मैदान में कार्रवाई के लिए रामदेव और पुलिस दोनों जिम्मेदार

Thursday, 23 February 2012 14:37

नयी दिल्ली , 23 फरवरी (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय ने रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई के लिए बाबा रामदेव और दिल्ली पुलिस दोनों को जिम्मेदार ठहराया।

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली पुलिस और योग गुरू रामदेव को फटकार लगाते हुए आज कहा कि यह जनता और सरकार के बीच 'विश्वास में कमी का स्पष्ट उदाहरण' है।

न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की एक पीठ ने कहा कि इस घटना से राज्य की शक्ति जाहिर होती है, जिसने लोकतंत्र की नींव पर प्रहार किया।
पीठ ने इससे आगे कहा कि पुलिस और राज्य इस घटना को टाल सकती थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। 
पीठ ने कहा, ''सत्ता में मौजूद लोग और शासित लोगों के बीच विश्वास की कमी का यह सुस्पष्ट उदाहरण है।''
न्यायालय ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई शांति कायम करने लिए है लेकिन उसने खुद ही शांति व्यवस्था में खलल डाला। 
शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई के लिए रामदेव और दिल्ली पुलिस दोनों को जिम्मेदार ठहराया।
पीठ ने घटना के दौरान हिंसात्मक व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों और रामदेव के समर्थकों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन का निर्देश दिया। 
हालांकि, पीठ ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने सोते हुए लोगों पर हमला किया और पुलिस एवं राज्य इस हिंसक घटना को टाल सकती थी।  
न्यायालय ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने शक्ति का दुरूपयोग किया और लोगों के मूल अधिकार का हनन किया गया। 

न्यायालय ने राजबाला के परिवार के लोगों को पांच लाख रूपया मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। राजबाला इस घटना में घायल हो गई और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। 
पीठ ने इस घटना में गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 50...50 हजार रूपया और मामूली रूप से घायलों को 25...25 हजार रूपया मुआवजे के रूप में देने का भी निर्देश दिया। 
गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ योग गुरू के आंदोलन के दौरान पिछले साल चार...पांच जून की मध्य रात्रि रामलीला मैदान में रामदेव के सोते हुए समर्थकों पर पुलिस की क्रूरतापूर्ण कार्रवाई को दिखाने वाली मीडिया रिपोर्ट पर शीर्ष न्यायालय ने संज्ञान लिया था। इस कार्रवाई के दौरान वहां औरतें और बच्चे भी मौजूद थे। 
शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में 20 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रामदेव ने आरोप लगाया था कि पुलिस कार्रवाई उनके :पुलिस के: राजनीतिक आकाओं के निर्देश पर की गई। 
उन्होंने इस कार्रवाई के लिए निर्देश देने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की थी। 
रामदेव अपने समर्थकों के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे और उन्होंने यह मांग कर रहे थे कि संप्रग सरकार को विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए।
वहीं, दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि रामदेव ने अपने समर्थकों को हिंसात्मक गतिविधियों के लिए उकसाया था, जिस पर पुलिस को रात के वक्त इस कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ा।


फैसले पर टिप्पणी से बचे बाबा

Thursday, 23 February 2012 19:20

नयी दिल्ली, 23 फरवरी (एजेंसी) उच्चतम न्यायालय के फैसले पर योग गुरू टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि अभी फैसले की प्रति नहीं मिली।

पिछले साल रामलीला मैदान में आधी रात की हिंसक घटना के लिए दिल्ली पुलिस और रामदेव दोनों को जिम्मेदार ठहराये जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर योग गुरू ने टिप्पणी करने से बचते हुए आज कहा कि उन्हें अभी फैसले की प्रति प्राप्त नहीं हुयी है।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बाबा रामदेव ने संवाददाता सम्मेलन बुलाया था। अदालत की उक्त टिप्पणी के बारे में बार बार किए गए सवालों पर उन्होंने कहा, ''अभी हमें फैसले की प्रति प्राप्त नहीं हुयी है इसलिए इसे देखने के बाद कुछ कहना उचित होगा। इस घटना के लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार थी।''
योग गुरू ने सवाल उठाते हुए कहा, ''आखिर पुलिस ने किसके इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया। खुद पुलिस आयुक्त ने कहा था कि उन्हें इसी तरह का निर्देश मिला था...आखिर कौन था यह निर्देश देने वाला...इस हिंसक घटना के लिए पूरी तरह से सरकार जिम्मेदार है।''
रामदेव से जब पूछा गया कि उनकी भूमिका पर भी तो न्यायालय ने कहा है इस पर उन्होंने कहा, ''हमने आधे घंटे तक लोगों को समझाया। हमने उन्हें बार-बार कहा कि कुछ भी हो जाए आप पुलिस पर हाथ न न छोड़ें। लोग शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन के लिए एकत्र हुए थे। लेकिन रात में सोए हुए लोगों पर कार्रवाई कें्रद सरकार के इशारे पर की गयी।''   गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव और सरकार को फटकार लगाते हुए अपने फैसले में रामलीला मैदान की घटना के लिए दोनों को जिम्मेदार ठहराया है। 
दिल्ली पुलिस पर बरसते हुए योग गुरू ने कहा, ''धारा 144 का इस्तेमाल शांति बनाए रखने के लिए होता है लेकिन इसका इस्तेमाल शांति भंग करने के लिए किया गया।''

मामले में रामदेव की तरफ से पैरवी करने वाले रामजेठमलानी ने कहा, ''पुलिस ने जिस तेजी के साथ कार्रवाई की वहां पर उस तरह की कोई स्थिति ही नहीं थी। दिल्ली पुलिस से ज्यादा इसके लिए सरकार दोषी है। गृहमंत्री को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''सरकार लगातार कानून का उल्लंघन कर रही है। इससे पहले भी न्यायालय ने टू जी के 122 लाइसेंसों को रद्द करके प्रमाणित कर दिया कि सरकार नियमों का उल्लंघन करती है।''
रामजेठमलानी ने कहा, ''लोग तो मैदान में शांतिपूर्ण तरीके से एकत्र हुए थे। उनपर किसने अत्याचार शुरू किया। जब हमला शुरू हुआ उस वक्त पूरी भीड़ सो रही थी। जांच होनी चाहिए कि इस पूरे मामले में गृह मंत्री की क्या भूमिका थी।''
रामदेव पर अदालत की टिप्पणी के बारे में राम जेठमलानी ने भी फैसले की प्रति उपलब्ध होने तक इस पर कुछ नहीं कहने की बात कही। उन्होंने कहा, ''चौरी-चोरा में जो घटना हुयी थी इसके लिए गांधी जी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था। समाजसेवी आंदोलन चलाते हैं...बाबा रामदेव भी समाजसेवी हैं...वो भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात कहते हैं...कालाधन को वापस लाने की मांग करते हैं...हिंसक कार्रवाई के लिए पूरी तरह से सरकार की जिम्मेवारी बनती है।''
बाबा रामदेव ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वह अपनी जंग जारी रखेंगे और शीघ्र ही फिर से आंदोलन को तेज करेंगे। इस अवसर पर पुलिस कार्रवाई की शिकार राजबाला के परिजन भी मौजूद थे ओर उन्होंने इस घटना की जांच कराने की मांग की।

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