स्कूल में घुसकर दलित छात्र को पीटा, बहन को उठाने की कोशिश
अध्यापकों को भी नहीं बख्शा
भाई को बेरहमी से पिटते देख जब उसकी बहन पूजा अपने भाई को बचाने आयी तो इन लड़कों ने न केवल उसके साथ मारपीट की, बल्कि उसे उठाकर अगवा करने का प्रयास भी किया.........
सलीम मलिक
उत्तराखण्ड में दलित उत्पीड़न की घटनाओं में कड़ी में ताजा प्रकरण रामनगर जिले के स्कूल का है.बीते रोज घटी इस घटना में दबंगों के एक गुट ने सरेआम स्कूल में घुसकर एक दलित युवक को जमकर पीटा, इतना ही नही उसे बचाने आई युवक की बहन को भी दबंगो ने उठाने का प्रयास किया.अध्यापकों के साथ भी मारपीट की गयी.
घटना की बाबत दलित संगठनों में खासा रोष है, अलबत्ता पुलिस इस गम्भीर मामले को अपने जातिगत स्वार्थो के तहत हल्के में लेते हुये मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में है.फिलहाल इस विवाद को क्रिकेट के खेल में हुये विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है.
घटनाक्रम के अनुसार चोरपानी क्षेत्र के युवक दीपक का अपराधिक तत्वों के साथ उठना-बैठना बताया जाता है.बीते रोज यह युवक ही अपने करीब दर्जन भर साथियों के साथ लाठी, डन्डे व सरियांे से लैस होकर गौजानी के राजकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में घुस गया.जहां इन्होंने स्कूल में पढ़ रहे एक दलित किशोर भारत को उसकी क्लास से निकालकर बेहरमी से पीटना आरम्भ कर दिया.
इसी के साथ ही इन लोगांे ने अध्यापकों के साथ ही मारपीट की.भाई को बेरहमी से पिटते देख जब उसकी बहन पूजा अपने भाई को बचाने आयी तो इन लड़कों ने न केवल उसके साथ मारपीट की बल्कि उसे उठाकर अगवा करने का प्रयास भी किया.मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमलावरों ने भारत को पिटते समय हमलावरों ने उसे जातिगत सम्बोधनों के साथ ही अपने औकात में रहने की हिदायत देते हुये औकात से बाहर निकलने पर इसी प्रकार के सबक सिखाने की धमकी भी दी.
दलित मंच के शीशपाल सिंह आर्य ने घटना की तीखी निन्दा करते हुये हमलावरों की गिरफतारी की मांग की है.बकौल श्री आर्य घटना की गम्भीरता को प्रशासन हलके में ले रहा है.अगर जल्द ही न्यायसंगत कार्यवाही नही की गयी तो दलितों को एकजुट कर पुलिस के खिलाफ आंदोलन चलाया जायेगा.
घटना की बाबत पुलिस को खबर की गयी तो पुलिस ने जख्मी भाई बहन को उठाकर चिकित्सालय पहुंचाया जहां इलाज की आधी-अधूरी कवायद की.बाद में इलाके ग्राम प्रधान जगत सिंह व नीरज सती आदि ने भारत के पिता हरीशराम की आर्थिक मदद कर सुबह से भूखे-प्यासे इन बच्चों के लिये खाने के इंतजाम के साथ ही उपचार आदि के लिये आर्थिक सहयोग भी किया.
अपने बेटे और बेटी की सरेआम पिटाई से आहत हरीशराम ने कोतवाली में तहरीर भी दी, लेकिन देर रात तक पुलिस ने इस मामले में तहरीर देने के बाद भी मुकदमा कायम नहीं किया था.जिसके कारण आज सुबह इलाके के सैंकड़ों ग्रामीण इकटठा होकर स्कूल पहुंच गये जहां उन्होंने विद्यालय में अपने बच्चों की असुरक्षा का आरोप लगाते हुये अपने बच्चों को घर के लिये रवाना कर दिया.
पुलिस मुकदमा करने का तैयार नहीं दिख रही है, जिसका कारण दबंगों को बचाने की कवायद मानी जा रही है.ऐसे में पीडि़त परिवार और ग्रामीण जिले के एसएसपी से इस मामले में दखल की गुहार करने जा रहे हैं.
काबिल-ए-गौर है कि वर्तमान में रामनगर इलाके में प्रशासन के जिम्मेदार पद पर किसी भी दलित अधिकारी की तैनाती नहीं है, जिस कारण दलितों का एक समूह पुलिस की इस कार्यप्रणाली को अपने खिलाफ जातिगत कारणों से भी देख रहा है.घटना के 24 घन्टे बीत जाने के बाद भी पुलिस ने मामले की एफआईआर दर्ज नहीं की है जिससे इलाके के दलित संगठनों में गुस्सा पनप रहा है जो कि किसी भी समय फूट सकता है.
दलित चिंतक रविन्द्र साधू ने घटना के जिम्मेदार युवकों पर एससीएसटी एक्ट के तहत कार्यवाही करने की मांग करते हुये कहा कि यदि पुलिस ने इस मामले को हल्के में लेकर पक्षपात पूर्ण कार्यवाही की पूरे उत्तराखण्ड में आंदोलन छेड़ा जायेगा.
सलीम मलिक उत्तराखंड में पत्रकार हैं.
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