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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, February 23, 2016

फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है जुल्म की इंतहा हो गयी है और अब ये हालात बदलने चाहिए हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत कातिलों में दम कहां कि मुल्क से मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला . पलाश विश्वास


फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है

कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है


जुल्म की इंतहा हो गयी है और

अब ये हालात बदलने चाहिए

हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं

कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए

अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत

कातिलों में दम कहां कि मुल्क से

मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां

सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .

पलाश विश्वास

#JusticeForRohith: March for Solidarity in Delhi, CM Arvind ...

Video for jantar mantar solidarity▶ 2:34

https://www.youtube.com/watch?v=5BfGLc8GHBc

6 hours ago - Uploaded by NewsX

Massive march for solidarity from Ambedkar Bhawan to Jantar Mantar to take place today. Hyderabad ...

Rahul Gandhi and Arvind Kejriwal To Join March For ...

Video for march for solidarity▶ 4:37

https://www.youtube.com/watch?v=hosVFBPY3MY

5 hours ago - Uploaded by TIMES NOW

Rahul Gandhi and Arvind Kejriwal To Join March For Solidarity - Rohith Vemula Case. TIMES NOW ..

Justice For Rohith: March for solidarity in capital - YouTube

Video for march for solidarity▶ 12:25

https://www.youtube.com/watch?v=2GM1keVjeMk

58 mins ago - Uploaded by NewsX

Massive march for solidarity from Ambedkar Bhawan to Jantar Mantar took place today. Hyderabad students .


सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है!


हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं,

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए!


मुल्क ने फिर अंगड़ाई ली है!

फिर रंग दे वसंती चोला है!


अब तो यकीन मान लें दोस्तों कि शहीदे आजम भगत सिंह मरे नही हैं और न मरे हैं हमारे ख्वाब।न आजादी का सर कोई कुचल सके हैं और न गुलामगिरि की जंजीरें गहने बन सके हैं।


गांधी अगर मरे होते तो फिर फिर नाथुराम को जिंदा बनाने की जरुरत न होती।


अगर हमारे बाबासाहेब मरे होते तो भव्य राममंदिर में उन्हें दफनाने का चाकचौबंद इंतजाम नहीं होता।


अगर दाभोलकर,पनसारे,कलबुर्गी मरे होते तो हजारोहजार ये जवां हुजूम जाति उन्मूलन के खिलाफ नारे बुलंद नहीं कर रहा होता।


हिंदुस्तान की कसम खाने वाले लोगों,सरहदों में कैद लोगों,दीवारों में महाभारत मंडल कमंडला का रचकर इस जन्नत को दोजख बनाने वाले लोगों गौर से देखो कि हमारे जिगर के टुकड़े,हमारे कलेजे के टुकड़े बदलाव के नारे बुलंद कर रहे हैं और मुल्क को कत्लगाह में तब्दील करने वालों के खिलाफ तारीक न रचा है उनका किरदार।

हमारे कलेजे के टुकड़ हर्गिज नहीं हारेगें।


हमारी आंखों की रोशन पुतलियां कटकटेले अंधियारे में भी भोर का आगाज करेंगी और हमारा मुल्क इंसानियत का मुकम्मल मुल्क होगा।अंधेरे  के तमाम विषेले जीवों जंतुओं की जहर सुनामी के खिलाफ आज सड़क पर मार्चाबंद गोलबंद हैं हमारे कलेजे के टुकड़े।


फिर सरफरोशी की तमन्ना है।फिर इंक्लाब है।


सियासत की हाथीदांत मीनारों में गहरी पैठी मनुस्मृति देख लें कि उनके बंटवारे की बुनियाद पर खड़ा तिलिस्म अब ढहने को ही है।


बिटिया जिंदाबाद।हमारी तमाम बिटिया हर जुलूस के आगे आगे हैं।उनके हाथों में मशालें हैं।वे रोशनी के सितारे हैं आसमान के फरिश्ते।हमारी माताओं,बहनों और बेटियों की अस्मत की कसम है नौजवानों कि अब कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए।



फिर सरफरोशी की तमन्ना है।फिर इंक्लाब है।

फिर सरफरोशी की तमन्ना है।फिर इंक्लाब है।


हाथों में हाथ लेकर देखो,दो कदम साथ साथ चलकर देखो,तो देख भी लो शैतानी दोजख में कैसे जलकर खाक होते हैं वे जो इस मुल्क को दोजख बनाने पर आमादा हैं।


सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है!


हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं,

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए!


मुल्क ने फिर अंगड़ाई ली है!

फिर रंग दे वसंती चोला है!



हमें इन बच्चों पर फक्र हैं जिनने सियासत को हरा दिया है।

सड़क पर तमाम झंडों का रंग एकाकार कर दिया है और इंसानियत का मुकम्मल नक्शा खींचा है।


सड़कें बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारें ढहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


हमें कोई आधा अधूरा कश्मीर नहीं चाहिए।

हमें टुकड़ों में बंडा मुल्क नहीं चाहिए।

हमें इंसानियत को बांटने वाली सियासत नहीं चाहिए।


हमें इंसानियत को बांटने वाला मजहब नहीं चाहिए।

हमें कश्मीर चाहिए तो कश्मीर के हर इंसान के लिए उनके हक हकूक चाहिए।


हमें सोनी सोरी के लिए उतना ही न्याय चाहिए जितना  कि खुदकशी कर रहे किसानों को चाहिए,जितना कि बेदखल होते जल जंगल जमीन को चाहिए,कटे हुए  बेरोजगार हाथों को चाहिए।


हमें रोहित वेमुला के लिए उतना ही न्याय चाहिए जिसका हकदार देश का चप्पा चप्पा है।जिसका हकदार हर मेहनतकश है।


हमें रोहित वेमुला के लिए जितना इंसाफ चाहिए,उतना ही इंसाफ इरोम शर्मिला और नंगी होकर  आजादी की मांग कर रही मणिपुर की माताओं को चाहिए।हमें जुल्मोसितम के इस कयामती मजर से रिहाई चाहिए कि आजादी की जंग अभी खत्म हुई नहीं है।


हमें उतनी ही आजादी नागौर में ट्रैक्टर से कुचल दी गयी औरतों के लिए चाहिए या रोज रोज बलात्कार की शिकार मां बहन बेटी की बेइज्जत अस्मत को चाहिए।


हमें कामदुनी के लिए उतना ही न्याय चाहिए जितना न्याय उजाडे गये आदिवासियों को चाहिए,जिनकी लाशों पर तामीर है उनकी सियासत का शीश महल।


सत्तर के दशक में हमारी पीढ़ी के साथ बाबासाहेब नहीं थे।


हम तब आधी अधूरी मुल्क की आधी अधूरी लड़ाई लड़ रहे थे और इसीलिए सियासत में जमींदोज हो गये।


मुकम्मल इंसानियत के मुल्क के लिए सियासत की शिकस्त जरुरी है।मुकम्मल हिदुस्तान के लिए फिर भागतसिंह चाहिए।


हमारे बच्चे हमारे पुरखों की पूरी विरासत के साथ कदम कदम साथ साथ हैं।

उन्हेें नीला सलाम।

उन्हें लाल सलाम।

जयभीम कामरेड।

हमारी जान,हमारा खून,हमारी हड्डियां उन्हीं के नाम।


यही विरासत की खुशबू हमारी वसीयत है।

यही विरासत हमारी सियासत है।

यही विरासत हमारा मजहब है।


इंसानियत के अलावा हमारी कोई सियासत नहीं है।

इंसानियत के अलावा हमारा कोई मजहब नहीं है।

इंसानियत के अलावा हमारी कोई पहचान नहीं है।

इंसानियत के अलावा हमारा कोई वजूद नहीं है।


न रोहित वेमुला की कोई जात है।

न कन्हैया की कोई जात है।

और न खालिद की कोई जात है।

जात के नाम बज्जाति नहीं चाहिए।

हमें जिहाद नहीं चाहिेए और न हमें कोई मजहबी मुल्क चाहिए।


अब मौका है कि बाबासाहेब का मिशन पूरा हो।

अब सही मौका है कि हमारे कलेजे के टुकड़े जात पांत को खत्म करके ,सियासत को करारी शिकश्त देकर हर आंधी तूफान के मुखातिब हैं।


सात दशक बाद यह पहला मौका है।

हाथ से जाने न दें,साथी।

हाथों में हाथ रखें।

मानव शृंखला बना लें।

मुहब्बत के इस पैगाम को बैरंग न होने दें।


अब मौका है कि बाबासाहेब का मिशन पूरा हो।

अब सही मौका है कि हमारे कलेजे के टुकड़े जात पांत को खत्म करके ,सियासत को करारी शिकश्त देकर हर आंधी तूफान के मुखातिब हैं।



फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है।

फिर वही इंक्लाब है।


हमें टुकड़ों में बंडा मुल्क नहीं चाहिए।

हमें इंसानियत को बांटने वाली सियासत नहीं चाहिए।


हमारे बच्चे बाबासाहेब,गांधी और भगतसिंह के साथ हैं और उनकी यह चीख कि गुलामी का यह मंजर बदलना चाहिए,जुल्मोसितम से आजादी चाहिए,जाति व्यवस्था से आजादी चाहिए,मुक्त बाजार से आजादी चाहिए,हर इसान को इंसान का दर्जा चाहिए,समता चाहिए,न्याय चाहिए,वक्त की पुकार है।


जालिम चाहे तो किसी शख्स को कुचल कर रख दें।


वक्त को कुचल सकें ना कोई।


कायनात तरक्कीपसंद है और इतिहास पीछे नहीं मुड़ता और न ज्ञान विज्ञान में अंधेरे की कोई गुंजाइश है।


सर चाहे कोई काट लें,मजहब की सबसे बड़ी सीख यह है कि मुहब्बत जिंदा है।


मौत वजूद मिटा दें तो रुह फिर आजाद है।


शहादतें और कुर्बानियां फिर बेकार नहीं होतीं कभी,वे कायनात की रहमतों नियामतों बरकतों में तब्दील हैं।


कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है

फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है

जुल्म की इंतहा हो गयी है और

अब ये हालात बदलने चाहिए

हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं

कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए

अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत

कातिलों में दम कहां कि मुल्क से

मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां

सड़के बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारे ढगहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .


हजारों छात्रों नागरिकों ने देश के कोने कौने से आकर विचारधाराओं और मंचों का भेद भुलाकर एक साथ आए, अम्बेडकर भवन दिल्ली से जन्तर मन्तर तक मार्च किए और रोहित वेमुला के हत्यारों को सजा देने की आवाज गूंजी।


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .


विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्रों के अधिकारों पर हमलों के खिलाफ, कन्हैया की गिरफ्तारी के खिलाफ, छद्म देशभक्ति के खिलाफ, साम्प्रदायिकता के खिलाफ, देश भर की बेचैनी फिर उभर कर सामने आई।


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .


शहादतें और कुर्बानियां फिर बेकार नहीं होतीं कभी,वे कायनात की रहमतों नियामतों बरकतों में तब्दील हैं।


कायनात भी वहीं हैं,मुल्क की सरजमीं भी वही है

फिर वही सरफरोशी की तमन्ना है

जुल्म की इंतहा हो गयी है और

अब ये हालात बदलने चाहिए

हंगामा खड़ा करना मकसद नहीं

कयामत का यह मंजर बदलना चाहिए

अब भी बहुत हैं सर,बाजू भी बहुत

कातिलों में दम कहां कि मुल्क से

मुहब्बत करने वालों का मिटा दें नामोनिशां

सड़के बोल रही हैं जुबान मुहब्बत की

अब सारी दीवारे ढगहाने का वक्त है

हमें टुकड़ा टुकड़ा हिंदुस्तान नहीं

इंसानियत का मुकम्मल मुल्क चाहिए


आर एस पर हल्ला बोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. रंग दे वसंती चोला , रोहित वेमुला , रोहित वेमुला. ब्राह्मण वाद की पोलें खोला , रोहित वेमुला, रोहित वेमुला. फोटोशॉप की सरकार की पोलें खोला, रोहित वेमुला, रोहित वेमुला .





Shrawan Kumar Paswan

रोहित वेमुला मार्च लाइव दिल्ली

## छात्रों से पंगा लेकर मोदी अच्छा नहीं किया

ब्राह्मणवादी सरकार की उलटी गिनती शुरु !


जॉइंट एक्शन फोरम का दिल्ली मार्च

हैदराबाद विश्व विधालय के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के खिलाफ दिल्ली में देशभर के छात्रों ने मार्च निकला ,छात्र झण्डेवालन( आंबेडकर) भवन से जंतरमंतर में धरने पर बैठ गए और सभा में तब्दील हो गयी।


छात्र दोषी मंत्री मनुस्मृति ईरानी ,बंडारु दत्तात्रेय को बर्खास्त कर अबिलम्ब गिरफ्तार करने JNU में छात्रों के ऊपर लगाये गए झूठे आरोप बापस लेने और कन्हैया की अबिलम्ब रिहाई की मांग भी

कर रहे थे ,पुरे देश के छात्र जातिवादी ब्राह्मणवादी सरकार के खिलाफ एक होते जा रहे हैं जो सरकार के लिए गंभीर समस्या उतपन्न हो गयी है और मोदी सरकार की उलटी गिनती शुरू हो है

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