मिथाइल आइसोसाइनाइट जैसा निःशब्द कत्लेआम का इंतजाम यह बजट!
डाउ कैमिकल्स के वकील अब समूचे देश को भोपाल गैस त्रासदी में बदलने लगे!
पलाश विश्वास
मुश्किल यह है कि डाइरेक्ट टैक्स कोड बजट में लागू करने के बाद प्रणव मुखर्जी के बजट को हमने पोटाशियम सायोनाइड कहकर बजट प्रक्रिया पर एक किताब इसी शीर्षक से लिखी थी,जो बहुत पढ़ी भी गयी।इसके अलावा देश भर में बजट विश्लेषण करते हुए हमने बजट को पोटाशियम सायोनाइड ही लिखा था।
डाउ कैमिकल्स के वकील जो अब समूचे देश को भोपाल गैस त्रासदी में बदल रहे हैं,तो इस बजट को मिथाइल आइसोसाइनाइट या मिक कहना चाहिए।
इसमें भी मुश्किल यह है कि आम जनता मिक से समझेगी नहीं।बेहतर है कि इसे हम मुक्त बाजार का जहरीला बजट बुलेट कहें।ऐसा बुलेट जो देशद्रोही हो या देश प्रेमी,हर भारतीय नागरिक को खेत बना देगा बिना भेदभाव का।
इसे समरसता भी कह सकते हैं।
इस बजट में गरीब ,गांव और किसान की बात कहकर भोपाल गैस त्रासदी की पुनरावृत्ति देशभर में करने की तैयारी है।
टीवी पर न जाने कैसे विशेषज्ञ,विश्लेषक और अर्थशास्त्री मोदी को अग्निपरीक्षा में सफल बताते हुए इस अमानवीय बजट को अभूतपूर्व बता रहे हैं,जिससे कारपोरेट इंडिया की भी हवा खराब है।
अर्थ व्यवस्था कोई जुमले का शोरबा है नहीं कि जुमले उछालने से बुलेट ट्रेन की तरह रफ्तार पकड़ लेगी अर्थव्यवस्था जबकि बुनियादी समस्याएं जस की तस हैं।
जिन आंकड़ों के भरोसे धड़धड़ नंबर बांटे जा रहे हैं,वे उतने ही फर्जी हैं,जितने कि अच्छे दिनों के ख्वाबी पुलाव।इन आंकड़ो का लब्वोलुआब यहै है कि बजट में अमीरों पर कर का बोझ डाला गया है। एक करोड़ से ज्यादा आय वाले लोगों पर सरचार्ज 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है। डीजल कारें, ब्रैंडेड कपड़े और गहने मंहगे हो जाएंगे।
अमीरों पर कितना बोझ और उन्हें कितनी और कैसी राहत इस पर कोई चर्चा हो नहीं रही है।किसानों के विकास के लिए 35984 करोड़ रुपए के मुकाबले कर माफी,कर छूट,टैक्स होली डे और मनोपाली,पीपीपी माडल के तहत कितने लाक लाक करोड़ का बंदरबांट हो रहा है,इसका लेखा जोखा कोई नहीं है।
अमीरों की काल खींचने का नाटक कुछ ऐसा हैः
छोटी कारें और अन्य वाहन अब महंगे हो जाएंगे। वित्त मंत्री अरण जेटली ने आज पेश वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में विभिन्न प्रकार के वाहनों पर चार प्रतिशत तक का बुनियादी ढांचा उपकर (सेश) लगाने का प्रस्ताव किया है। सबसे अधिक बढ़ोतरी डीजल वाहनों पर होगी।
गौर करें कि सबसे अधिक बढ़ोतरी डीजल वाहनों पर होगी।
वित्त मंत्री ने पेट्रोल, एलपीजी और सीएनजी से चलने वाली छोटी कारों पर एक प्रतिशत का उपकर लगाने का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा कुछ निश्चित क्षमता की डीजल कारों पर 2.5 प्रतिशत तथा उच्च क्षमता वाले वाहनों व एसयूवी पर चार प्रतिशत उपकर लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
इसके अलावा जेटली ने 10 लाख रुपये से अधिक कीमत की लग्जरी कारों तथा दो लाख रुपये से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर एक प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर लगाने का प्रस्ताव किया है।
तो दावा यह है कि गरीबों के लिए वित्त मंत्री ने कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने की घोषणा की है।
मसलन गरीब बुजुर्गों को एक लाख तीस हजार का स्वास्थ्य बीमा, गरीब महिलाओं के नाम पर होगा एलपीजी कनेक्शन, गरीबों के लिए नई सुरक्षा बीमा योजना, गरीबों को रसाई गैस के लिए 200 करोड़, किसानों की आय पांच सालों में दोगुनी करना, परंपरागत खेती को लाभ की खेती बनाना, किसानों के विकास के लिए 35984 करोड़ रुपए, किसानों के लिए देश में 12 ई-पोर्टल खुलेंगे, मनरेगा के लिए 38500 करोड़ रुपए, गांवों में विद्युतिकरण के लिए 8500 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
इस बजट में जितना दिखाया गया है,उससे बहुत ज्यादा छुपाया गया है।बजट में चार चार एनेक्सर है।जिसका खुलासा आम जनता को कभी होने की उम्मीद नहीं है।पढ़े लिखे लोग भी बजट घोषणाओं से इतने ज्यादा उल्लास में हैं,जितना वे हिंदुत्व के जयघोष से हुआ करते हैं या मंकी बातों से जिन्हें वैदिकी ज्ञान मिलता रहता है और ज्ञानविज्ञान से इन देशप्रेमियों को कुछ लेना देना नहीं होता।
प्रणव मुखर्जी ने कर प्रणाली को सुधारने का जो बीड़ा उठाया,उसका आशय अभी लोग वैसे ही नहीं समझते हैं,जैसे विनिवेश,विनियमन और विनियंत्रण की ग्रीक त्रासदी समझ से बाहर है।
गांवों की तरफ तबाही का अश्वमेध इस बजय बुलेट भव्य राममंदिर अभियान है।भोपाल गैस त्रासदी के वक्त भी लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि मौत कितनी खामोश होती है।रुपरसगंध हीन निःशब्द मिथाइल आइसोसाइनाइट की तरह देश भर में आम लोगों के लिए यह हसीन मौत का दस्तक है।
मसलन इस बजट के मुताबिक प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों में 1060 करोड़ की कमी होगी जबकि अप्रत्यक्ष करों में 20,600 करोड़ का इजाफा हो जायेगा।
सीधा मतलब यह है कि राजस्व वसूली आम लोगों से होगी अप्रत्यक्ष कर सुनामी के मार्फत और कर सुधारों के तहत टैक्स चोरों को टैक्स होलीडे का चाकचौबंद इंतजाम।
मजे की बात है कि अप्रत्यक्ष करों में यह भारी इजाफा सेस की बदौलत होना है और यह वसूली आम जनता से होगी।
सबसे पहले यह समझ लें कि देश की अर्थव्यवस्था मेहनतकश बाजुओं के दम है।औद्योगिक या कृषि उत्पादन में वृद्धि का कोई नक्शा नहीं है,गांवों और किसानों के नाम सारा प्रसाद कारपोरेट के खाते में जा रहा है।निर्यात क्षेत्र में लगातर गिरावट है।सेवाक्षेत्र में ठहरा व बना हुआ है जो नवउदारवाद की सर्वोच्च प्राथमिकता है और जो या तो एफडीआई या फिर अमेरिका से होने वाले आउटसोर्सिंग पर निर्भर है।
हालत कितनी खराब होगी,इसका अंदेशा अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव परिदृश्य है,जहां जीत के क्रमशः प्रबल दावेदार बन रहे रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप ने मुसलमानों के लिए अमेरिका बंद के ऐलान के बाद भारत के लिए रोजगार बंद नारा दिया हुआ है।
बजट अनुदान के जो आंकड़े हैं,वे राजकोष की माली हालत और राजस्व प्रबंधन के दायरे में नहीं है।ज्यादातर रकम बाजार से बांड के जरिये वसूली जानी है।बांड चल गये तो अनुदान देने की हालत बनेगी।फिर ऐसे तमाम अनुदान में राज्यसरकारों की भागेदारी अनिवार्य है।उनका हिस्सा नहीं मिला तो घोषित प्रोजेक्ट भैंस गई पानी जैसा है।
अर्थव्यवस्था के विकास में कारपोरेट इंडिया का योगदान पंद्रह फीसद भी नहीं है।लेकिन सारी रियायतें उन्हींके लिए।इसपर मजा यह कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था जमींदोज हो जाने के बावजूद राजकोषीय घाटे को तीन फीसद तक बनाये रखने के बहाने आम जनता पर अप्रत्यक्ष करों का पहाड़ जैसा बोझ,जिससे हर सेवा ,हर चीज मंहगी हो जानी है।
गौरतलब है कि मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा उम्मीद आय कर स्लैब में बदलाव को लेकर थी लेकिन वित्त मंत्री ने आय कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है बल्कि सर्विस टैक्स में 0.5 फीसदी का इजाफा कर जोर का झटका दिया है। बजट में सर्विस टैक्स 14.5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी कर दिया गया है। यानी सर्विस टैक्स से जुड़ी सभी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। सर्विस टैक्स में 0.5 फीसदी का कृषि कल्याण कर लगाया गया है।
यही नहीं,वित्त मंत्री अरूण जेटली ने 2016-17 के बजट में ईपीएफ तथा अन्य योजनाओं में सभी स्तरों पर छूट की पुरानी व्यवस्था में बदलाव लाते हुए एक अप्रैल 2016 के बाद किये गये योगदान पर अंतिम निकासी के समय 60 प्रतिशत योगदान पर सेवानिवत्ति कर लगाने का आज प्रस्ताव किया।
फिलहाल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामालिक सुरक्षा योजनाएं पूरी तरह कर छूट के दायरे में आती हैं। ये योजनाएं इग्जेम्प्ट-इग्जेम्प्ट-इग्जेम्प्ट (ईईई) के अंतर्गत आती हैं। यानी जमा, ब्याज तथा निकासी तीनों पर कर छूट का प्रावधान है।
विभिन्न प्रकार की पेंशन योजनाओं पर समान कर व्यवहार के इरादे से बजट में एक अप्रैल 2016 के बाद कर्मचारियों के मान्यता प्राप्त भविष्य निधि तथा सेवानिवत्ति कोष में जमा राशि में से 40 प्रतिशत तक की निकासी पर कोई कर नहीं लगेगा।
इसमें कहा गया है कि एक अप्रैल 2016 या उसके बाद सेवानिवत्ति योजनाओं में किये गये योगदान पर जमा राशि की निकासी 40 प्रतिशत के अलावा शेष पर कर लगेगा। धारा 80सीसीडी के मौजूदा प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से निकासी राशि पर कर लगता है।
पेंशन युक्त समाज की ओर बढ़ने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा, पेंशन योजनाएं वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं। मुक्षे विश्वास है कि परिभाषित लाभ और परिभाषित योगदान वाली पेंशन योजनाओं के मामले में कर व्यवहार समान होना चाहिए।
मजे की बात यह है कि यह स्वच्छता अभियान पूरीतौर पर खैरात बांटने जैसा आयोजन है,जिसके तहत पैसा कहां जाता है,इसका कोई हिसाब लेकिन वित्त मंत्रालय के पास होता नहीं है।
इसी तरह भुलावे के मुद्दे बहुतेरे हैं।
मसलनः
सारे नंबर इन्ही मुद्दों पर लिये दिये जा रहे हैं,जिन पर अमल कितना हो पायेगा और रुपया कहां से कहां पहुंचेगा,कुछ बताया नहीं जा सकता।
सर्विस टैक्स बढ़ने का सीधा असर आम आदमी के जन-जीवन पर होगा। सर्विस टैक्स बढ़ने से हर सेवा महंगी हो जाएगी। मसलन हवाई यात्रा, एटीएम से पैसे निकालना, रेस्तरां में खाना, फिल्म देखना, मोबाइल बिल, जिम, ब्यूटी पार्लर जाना और रेल टिकट भी महंगा होगा। महंगाई की मार बीमा पॉलिसी पर भी पड़ेगी। यही नहीं सर्विस टैक्स बढ़ने से सिगरेट, सिगार, गुटखा और पान मसाला महंगा हो जाएगा। बजट में छोटी-बड़ी सभी तरह की कारें भी महंगी कर दी गई हैं। ब्रांडेड कपड़ों को लेकर भी आपको अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
वित्त मंत्री ने सलाना ढाई लाख रुपए की आमदनी को टैक्स के दायरे से बाहर रखा है। यानी सलाना ढाई लाख रुपए की आय करने वाले लोगों को आय कर नहीं देना होगा जबकि 2.5 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। वहीं 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपए से ज्यादा की सालाना आमदनी पर 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स लगाया जाता है। सीनियर सिटीजन को 3 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी पर 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है। जबकि महिलाओं को तीन लाख रुपए की सलाना आमदनी पर कोई आयकर नहीं देना होता है। महिलाओं को 3 लाख से पांच लाख रुपए तक 10 फीसदी, 5 लाख से 10 लाख रुपए तक- 20 फीसदी, 10 लाख रुपए से ऊपर 30 फीसदी आयकर देना होता है।
कोयला और बिजली के दाम बढ़ते जाने से मंहगाई बेइंतहा होने का अंदेशा है।खेती की लागत मिल नहीं रही।मनसैंटो और ठेका खेती के हरित क्रांति दूसरे चरण के बाद अब गांव के लोग बुनियादी जरुरतों औरसेवाओं को कैसे हासिल करेंगे इस थोंपी हुई मंहगाई में,इसकी फिक्र वातानुकूलित बुद्धिजीवियों को नहीं है।
2008 की मंदी के बाद उद्योग जगत को साढ़े तीन लाख करोड़ की राहत दी गयी थी।
अब रेट्रो टैक्स लागून न होने के ऐलान के बाद यह राहत सालाना तीन पांच लाख करोड़ के मुकाबले कुल कितनी बैठेगी,इसका हिसाब डाउ कैमिकल्स के वकील ने नहीं दी है।
बहरहाल बैकरप्ट कंपनियों को बाजार से निकलने के लिए पलायन का सुरक्षित रास्ता दिया जा रहा है ताकि वे बाजार से पैसा निकालकर किसी को भी भुगतान किये बिना विदेशी निवेशकों की तरह खुली लूट के लिए आजाद हो जाये।
चिटफंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए नया कानून बनाने के वायदे के साथ साथ,सेबी के कानून बदलने के भरोसे के साथ साथ देस की पूरी अर्थव्यवस्था को मकम्मल चिटफंड का कातिल कैसिनो बनाने का यह चाकचौबंद इंतजाम है।
दूसरी तरफ, विदेशी व्यापार घाटा घटने का नाम ले नहीं रहा है।मुद्रास्फीति शून्य के दावे के बावजूद मंहगाई सुरसामुखी है और रुपये का मूल्य लगातार गिरता ही जा रहा है।अब तो लगता है कि फर्जी विकास दर की तरह वित्तीय घाटे का आंकड़ा भी फर्जी है।
बलिहारी जुमले बाजी की।यह तो भारत के आत्महत्या करते किसानों के चरणों में सर काटरकर अर्पण करने का संकल्प है।जबकि गरीबों को मध्यवर्ग से अलग खांचे में डालकर उन्हें हर तरह के कर रहात और सब्सिडी से वंचित करने का प्रावधान है और इसके लिए बाकायदा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए बुनियादी जरुरतों और सेवाओं को गैरकानूनी आधार कार्ड से जोड़ दिया वित्तमंत्री ने,जिसका राजनीतिक विरोध होने की संभावना शून्य है।कृषि संकट का हल बुनियादी ढांचे के नाम हाईवे की बेदखली और उसके जरिये प्रोमोटर बिल्डर राज है।
महज पांच सौ कोरड़ के आबंटन से बेरोजगार युवा हाथों को रोजगार के ख्वाब उतने ही अच्छे दिन हैं ,जितने सौ फीसद विनिर्माण एफडीआई के मार्फत भारत निर्माण का मिथकीय सच।
कृषि संकट का आलम जल जंगल जमीन से बेदखली का अनंत सिलसिला है।इंफास्ट्रक्चटर के नाम देशी विदेशी पूंजी के लिए खुल्ला मुनाफावसूली का प्रोमोटर बिल्डर माफिया राज और यही है गांवों के विकास का असली राज।भारत निर्माण के हवा हवाई दावों के बावजूद विनिर्माण की दिशा हाईवे तक सीमाबद्ध है।
बेदखल खेतों का मुआवजा अगर बाजार की दरों के मुताबिकमिल जाये,तभी मंकी बातों के मुताबिक किसानों की आय औचक दोगुणी हो सकती है और कोई दूसरी सूरत नहीं है।
गरीबों से मध्यवर्ग को अलग करने का तात्कालिक नतीजा यह हुआ है कि आयकर में नौकरी पेशा लोगों के लिए पांच लाख तक की आय में महज तीन हजार की छूट है। जिस मध्यमवर्ग के दम पर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और एनडीए सत्ता में आया, उसी मिडिल क्लास की उम्मीदों पर सरकार ने पानी फेर दिया है। आम बजट 2016-17 में मध्यम वर्ग को मामूली राहत दी गई है उसके बदले में उस पर महंगाई का बोझ डाल दिया गया है। वित्त मंत्री ने हालांकि मिडिल क्लास को कुछ राहत देने की घोषणा की है। अगर आप 50 लाख तक का मकान खरीदते हैं तो आपको 50 हजार रुपए की अतिरिक्त छूट मिलेगी। हालांकि यह पहली बार मकान खरीदने वालों के लिए ही होगी।
रस्मी तौर पर महिलाओं को जो विशेष छूट दी जाती रही है,वह भी सिरे से गायब है।
मल्टी ब्रांड खुदरा बाजार में सौ फीसदी एफडीआई से कारोबारी शहरी और कस्बाई लोगों की शामत अलग आने वाली है।
दूसरी तरफ सबकुछ ओएलएक्स पर बेच देने की हड़बड़ी में विनिवेश लक्ष्य करीब 56 हजार करोड़ का बताया जा रहा है।
कर विवाद निपटारे के बहाने,करों को सरल बनाने के बहाने पहले ही कारपोरेट और वेल्थ टैक्स में भारी रियायतें दी जा चुकी है।
बड़ी कंपनियों को दी गयी राहतों को छुपाने के लिए कुछ चिप्पियां जरुर लगायी गयी है।
गौरतलब है कि गांवों,किसानों और गरीबों की भलाई के लिए तीन साल तक नई स्ट्राट अप कंपनियों को टैक्समाफी है औरयह रकम कुल कितनी होगी, यानी कितने लाख करोड़,इसका खुलासा नहीं हुआ है।
इसीतरह बनियों की पार्टी का बिजनेस फ्रेंडली गवर्नेंस का चरमोत्कर्ष मल्टी ब्रांड खुदरा बाजार में सौ फीसदी एफडीआई जो है सो है,ई कामर्स के लिए दी जा रही इफरात छूट का भी कोई आंकड़ा नहीं है।
इस कारपोरेट कार्निवाल के मुकाबले अब कृषि पर सरकारी घोषणाओं का मतलभ भी समझ लें।
टैक्स फोरगान के आंकड़े अब होंगे नहीं और आम जनता को पता ही नहीं चलेगा की उनकी गरदन चाक करके उनकी जेबों से पैसे निकालकर कुल कितने लाख करोड़ का उपहार पूंजी के हवाले है।
दलितों और अंबेडकर के नाम मगरमच्छ आंसू के मतलब रोहित वेमुला का संस्तागत हत्या के बाद भी जो लगो समझ नहीं रहे हैं,वे अनुसूचित जातियों,जनजातियों और अल्पसंख्यकों के खाते में दिये जाने वाले अनुदान में कटौती का हिसाब नहीं मांगेंगे,जाहिर है।
मनुस्मृति राजकाज में भारत में ज्ञान विज्ञान के सारे दरवाजे बंद हैं और वैदिकी आयुर्वेदिक विशुध रामराज्य में उच्च शिक्षा और शोध का कोई मतलब भी नहीं है क्योंकि डिजिटल इंडिया में कारीगरी दक्षता की बदौलत बारहवीं पास करने के बाद बिना श्रम कानून,ठेके पर बंधुआ मजदूरी का रोजगार सृजन सिलसिला है।इसलिए उच्चशिक्षा के लिए लिए हजारेक करोड़ का प्रावधान भी जियादा है।महिलाओं और बच्चों के लिए मनुस्मृति राज में अलग से सोचने की जरुरत ही नहीं है।तो सामाजिक योजनाओं का हाल न ही पूछें।
गौरतलब है कि विशेषज्ञों ने सरकार के अप्रत्यक्ष कर संग्रहण के 20,600 करोड़ रुपये के ऊंचे लक्ष्य पर संदेह जताते हुए कहा है कि पूर्व में भी इसे हासिल नहीं किया जा सका है।
खेतान एंड कंपनी के दिनेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार का अप्रत्यक्ष करों से अतिरिक्त राजस्व जुटाने का प्रयास संभवत: पूरा नहीं हो पाएगा। विशेष रूप से आभूषण और परिधान क्षेत्रों से। बजट 2016-17 में आभूषण और ब्रांडेड परिधानों पर उत्पाद शुल्क की दरों में क्रमश: एक और दो प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि पूर्व में इन उत्पादों पर शुल्क लगाने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
इसके अलावा तंबाकू उत्पादों, एसयूवी और 10 लाख रुपये से अधिक की लग्जरी कारों पर भी उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है। केपीएमजी इंडिया के गिरीश वनवारी ने कहा कि कराधान के मोर्चे पर कुछ नया नहीं किया गया है, वित्त मंत्री अरुण जेटली कुछ अधिक कर सकते थे। वनवारी ने एक नोट में कहा, 'सूचीबद्ध शेयरों पर पूंजीगत लाभ कर में बदलाव नहीं होना शेयर बाजारों के लिए सकारात्मक है। हालांकि, 10 लाख रुपये से अधिक लाभांश पर 10 प्रतिशत का अतिरिक्त कर और विकल्प पर शेयर लेनदेन कर में बढ़ोतरी बाजार के लिए प्रतिकूल होगी।'
कर मुकदमों को समाप्त करने के प्रस्ताव पर खेतान एंड कंपनी के संजीव सांघवी ने कहा, 'कुल मिलाकर यह अच्छा बजट है। सरकार के मेक इन इंडिया अभियान के अनुरूप यह वृद्धि को प्रोत्साहन देने वाला और कर विवादों व अनुपालन बोझ को कम करने पर केंद्रित बजट है। अपील के निपटान तक विवादित कर मांग में करदाताओं के लिए 15 प्रतिशत के भुगतान पर रोक की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि इससे करदाताओं की दिक्कतों को कम करने में मदद मिलेगी। घरेलू काले धन के मुद्दे को हल करने की योजना भी एक अन्य उल्लेखनीय कर प्रस्ताव है।
केपीएमजी के नवीन अग्रवाल ने कहा कि बजट कर सरलीकरण ईश्वर समिति की रिपोर्ट के अनुरूप है। करदाताओं के लिए अनुमान पर आधारित कराधान योजना के लिए सालाना कारोबार की सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये किया गया है, जो स्वागतयोग्य पहल है।
बहरहाल वित्त मंत्री अरुण जेटली शनिवार को ओर से लोकसभा में प्रस्तुत आम बजट के मुख्य इस प्रकार हैं :
- इस साल इनकम टैक्स की छूट की सीमा नहीं बढ़ेगी।
-इनकम टैक्स छूट सीमा में कोई बदलाव नहीं, पुराना टैक्स स्लैब ही लागू होगा।
-कॉरपोरेट टैक्स दर को अगले 4 साल में घटाकर 30 फीसदी से 25 फीसदी किया जाएगा।
-एक करोड़ से ज्यादा आय वालों पर दो फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा।
-वेल्थ टैक्स खत्म, सुपर रिच कैटेगरी पर लगेगा दो फीसदी सरचार्ज।
- कर छूटों को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।
-सर्विस टैक्स में बढ़ोतरी, तकरीबन हर चीज होगी महंगी।
- हेल्थ इंश्योरेंस में छूट सीमा 15 हजार से बढ़ाकर 25000 रुपये की गई।
- पेंशन फंड पर छूट सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई।
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस 20000 से बढ़ाकर 30000 करोड़ रुपये किया गया।
- यात्रा भत्ता की टैक्स छूट सीमा 800 रुपये से बढ़ाकर 1600 रुपये की गई।
- एक लाख से ज्यादा की खरीद पर पैन नंबर बताना जरूरी होगा।
-2016 से लागू किया जाएगा जीएसटी।
- रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पर जोर।
- शहरी आवास के लिए 22407 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- विदेश में कालाधन छिपाने पर सात साल की सजा।
- कालेधन के दोषियों को दस साल की सजा।
- कालेधन रखने वालों पर सरकार का बडा ऐलान।
- बेनामी संपत्तियों को जब्त करने पर कानून बनेगा।
- कॉरपोरेट टैक्स दर को अगले 4 साल में घटाकर 30 फीसदी से 25 फीसदी किया जाएगा।
- रक्षा क्षेत्र के लिए 2.46 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान।
- नमामि गंगे के लिए 4173 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- बिहार और पश्चिम बंगाल को आंध्र प्रदेश जैसी ही मदद दी जाएगी।
- आईएसएम धनबाद को आईआईटी का दर्जा देंगे।
- 20000 गांवों में सौर ऊर्जा पहुंचाने का लक्ष्य।
- 80000 सीनियर सेंकेडरी स्कूल खोलने का लक्ष्य।
-कालाधन रोकने के लिए कैश ट्रांजेक्शन को बढ़ावा।
- वीजा ऑन अरावइल में 150 देशों को शामिल करेंगे।
- विदेशी निवेश के नियम सरल बनाएंगे।
- गोल्ड अकाउंट खोलने की योजना और बदले में ब्याज मिलेगा।
- राष्ट्रीय स्किल मिशन योजना की शुरुआत।
- पीएम विद्या लक्ष्मी योजना में छात्रों को एजुकेशन लोन। गरीब छात्रों को मिलेगा कर्ज।
- बिहार में एम्स जैसे नए संस्थान बनाने का प्रस्ताव।
- जेएंडके, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल, असम में नए एम्स बनाए जाएंगे।
- कर्नाटक में आईआईटी खोला जाएगा।
- विदेशी निवेश को सरल बनाया जाएगा।
-कृषि सिंचाई योजना में तीन हजार करोड़ रुपये बढ़ाएंगे।
- अगले साल से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होंगी।
- फेमा नियमों में बदलाव का प्रस्ताव।
- मनरेगा में पांच हजारा करोड़ रुपये की राशि बढ़ेगी।
- सेबी और एफएमसी का विलय किया जाएगा।
- डायरेक्ट टैक्स प्रणाली लागू किया जाएगा।
- कर्मचारियों को ईपीएफ या पेंशन स्कीम चुनने का विकल्प दिया जाएगा।
- ईपीएफ या पेंशन स्कीम को लागू किया जाएगा।
- नकद लेन देन को कम करने के लिए डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा।
- गोल्ड अकाउंट खोलने की योजना से ब्याज मिलेगा।
- विदेशी सोने की सिक्कों की जगह देशी सोने की सिक्कों का चलन बढ़ेगा।
- 4000 मेगावाट के 5 अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट शुरू होंगे।
-टैक्स फ्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड का ऐलान1
- विदेशी मुद्रा भंडार 340 बिलियन डॉलर
- सरकार ने बढ़ाया निवेश का माहौल
- चालू खाते का घाटा 1.3 फीसदी से कम रहने की उम्मीद
- सरकार की तीन बड़ी उपलब्धियां- 1. जन-धन योजना 2. पारदर्शी कोल ब्लाक नीलामी 3.स्वच्छ भारत अभियान
- 50 लाख शौचालय का निर्माण हो चुका है
- हमारा लक्ष्य 6 करोड़ शौचालय बनाने का
- सब्सिडी पहुंचाने के लिए JAM का उपयोग
- सभी योजनाएं गरीबी केंद्रित होनी चाहिए
- 2022 तक 2 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य
- 2015-16 में 8 फीसदी विकास दर का लक्ष्य
- प्रधानमंत्री बीमा योजना लागू होगी।
- 2020 तक सभी गांवों तक बिजली पहुंचाएंगे।
- 2022 तक गरीबी उन्मूलन का लक्ष्य।
- 2022 तक दो करोड़ घर को पूरा करने का लक्ष्य।
- हर गांव को संचार नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश
- एक लाख किलोमीटर तक सड़क बनाने का लक्ष्य।
-निर्भया कोष में अतिरिक्त 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- सब्सिडी के लिए जेएएम आधार बनेगा।
- समावेशी विकास के लिए पूर्वोत्तर राज्यों पर जोर।
- मोदी सरकार के लिए जन धन योजना बड़ी उपलब्धि।
- 5300 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के लिए आवंटित
- 250000 करोड़ रुपये किसानों को नाबार्ड के गठित फंड के जरिये मिलेंगे।
- उच्च आय वर्ग वाले लोग एलपीजी सुविधा न लें।
-मनरेगा के लिए 34600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- 15000 करोड़ रुपये आरईबी योजना में लागू होगा।
- गांववालों को कर्ज देने के लिए पोस्ट ऑफिस का सहरा लिया जाएगा।
- पीएम बीमा योजना के तहत हर नागरिक को बीमा
- 12 रुपये प्रीमियम पर हर साल दो लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा
- पीएम बीमा योजना शुरू करने का ऐलान
- जीडीपी 7.4 फीसदी रहने का अनुमान
- अल्पसंख्यक युवाओं की शिक्षा के लिए नई मंजिल योजना लॉन्च योजना करेंगे
- अटल पेंशन योजना शुरू की जाएगी, इसके तहत 60 साल के बाद पेंशन मिलेगी। 1000 रुपये सरकार देगी और 1000 रुपये दावेदार देंगे।
- बीपीएल बुजुर्गों के लिए पीएम बीमा योजना।
- जन धन योजना में दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मिलेगा।
-जन धन योजना के तहत पेंशन भी मिलेगी।
-जन धन योजना से डाकघरों को जोड़ने का प्लान।
-अगले वित्त वर्ष से चार वर्षो में कारपोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव।
-बचत सुगम बनाने के लिए करदाता को व्यक्तिगत छूट जारी करेगी।
-कालेधन के सृजन और उसे छिपाने के कृत्य से प्रभावी और कठोरतापूर्वक निपटा जाएगा।
-इस मामले में स्विस अधिकारियों के साथ बातचीत के सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।
-कालेधन पर महत्वपूर्ण नए कानून।
- देश में विनिर्माण इकाईयों का विकास और निवेश तथा संवर्धन उपलब्ध कराना ताकि उनमें रोजगार सृजन हो सके।
-एंबुलेंस के चेसिस पर उत्पाद शुल्क को 24 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत किया गया।
- कर प्रक्रियाओं का सरलीकरण।
- वार्षिक रूप से एक करोड़ से अधिक कर योग्य आय वाले लोगों पर 2 प्रतिशत का अतिक्त अधिभार।
-घरेलू अंतरण मूल्य निर्धारण की प्रारंभिक सीमा पांच करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए की गई।
-नशीले पदार्थो के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय निधि में किया गया अनुदान आयकर अधिनियम की धारा 80जी के अंतर्गत 100 प्रतिशत छूट।
-स्वच्छ भारत कोष और स्वच्छ गंगा निधि में सीएसआर में अंशदानों के लिए 100 प्रतिशत की कर छूट।
-स्वच्छ पर्यावरण पहलों के लिए वित्त पोषण के लिए कोयला आदि पर स्वच्छ ऊर्जा उप कर को 100 रुपए से बढ़ाकर 200 रुपए प्रति मीट्रिक टन किया गया।
-नौ महीनों में देश कामयाबी की छलांग लगाते हुए 7.4 प्रतिशत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के साथ अब नई श्रृंखला में विश्व की सबसे तेजी से उभरने वाली अर्थवस्था के रुप में सामने आया है।
-विद्युत चालित वाहनों और हाई ब्रिड वाहनों पर लागू रियायती सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क की समय सीमा 31 मार्च 2016 तक बढ़ाई गई।
-स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम की छूट सीमा को 15 हजार रुपए से 25 हजार रुपए तक, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए 20,000 से 30,000 हजार रूपये तक किया गया।
-80 वर्ष से अधिक की आयु वाले वरिष्ठ नागरिक जो स्वास्थ्य बीमा में कवर नहीं है, उन्हें चिकित्सीय व्यय के लिए 30 हजार रुपए की कटौती की अनुमति दी गई।
-विकलांग व्यक्तियों के लिए 25 हजार रुपए की अतिरिक्त कटौती। पेंशन निधि और नई पेंशन स्कीम में अंशदान के लिए 50 हजार रुपए की अतिरिक्त छूट।
-कृषि उत्पाद की ढुलाई में सेवाकर से छूट जारी रहेगी।
-कृत्रिम ह्रदय को 5 प्रतिशत के बुनियादी सीमा शुल्क और सी वी डी से छूट।
-केवल 12 रूपये प्रतिवर्ष के प्रीमियम पर 2 लाख रुपए के दुर्घटना जन्य मृत्यु जोखिम को कवर करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना।
-पीपी एफ में लगभग 3 हजार करोड़ रुपए कर्मचारी भविष्यनिधि की संचित राशि में अनुमानत: 6 हजार करोड़ रुपए की अदावाकृत जमा राशि।
-सड़कों और रेल मार्गों के लिए परिव्यय में तीव्र वृद्धि।
-20,000 करोड़ रुपए के वार्षिक प्रवाह से राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना निधि की स्थापना की जाएगी।
-प्लग और प्ले मोड में 4000.4000 मेगावाट क्षमता वाली 5 नई अल्ट्रा मेगा विद्युत परियोजनाएं।
-सोना खरीदने के लिए विकल्प के तौर पर सरकारी स्वर्ण बाण्ड स्कीम बनाना।
-भारतीय सोने के सिक्के बनाने की दिशा में कार्य करना, जिसके अग्र भाग में अशोक चक्र होगा।
-निर्भया निधि के लिए 1000 करोड़ रुपए।
-आगमन पर वीजा सुविधा का विस्तार चरणबद्ध तरीके से 150 देशों तक करना।
-नवीकरणीय उर्जा क्षमता को 2022 तक बढ़ाकर 1,75,000 मेगावाट तक करने का लक्ष्य।
-आंध्र प्रदेश की तरह बिहार और पश्चिम बंगाल में विशेष सहायता उपलब्ध कराई।
-जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और असम में नए एम्स की स्थापना, बिहार में एम्स जैसे दूसरे संस्थान की स्थापना।
-वित्त वर्ष के लिए आयोजा भिन्न व्यय 13,12,200 करोड़ रुपए अनुमानित।
-आयोजना व्यय 4,65,277 करोड़ रुपए अनुमानित है।
-कुल व्यय 17,77,477 करोड़ रुपए अनुमानित है।
-रक्षा, आंतरिक सुरक्षा व्यय और अन्य आवश्यक व्यय की आवश्कता की पर्याप्त पूर्ति का प्रावधान किया गया।
-सकल कर प्राप्तियां 14,49,490 करोड़ रुपए अनुमानित है।
-राज्यों को अंतरण 5,23,958 करोड़ रुपए अनुमानित है।
-केन्द्र सरकार का हिस्सा 9,19,842 करोड़ रुपए होगा।
-आगामी वित्त वर्ष के लिए कर-भिन्न राजस्व 2,21,733 करोड़ रुपए अनुमानित है।
-प्रति बूंद जल से अधिक फसल प्राप्त करने हेतु प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना।
-वर्ष 2015-16 के लिए आठ दशमलव पांच लाख करोड़ रुपए का कृषि ऋण लक्ष्य।
-ऋण देने में अंतरजातीय और अंतर जन जातीय उद्यमों को वरीयता।
-गांवों में फैले 1,54,000 उपस्थित केंद्रों वाले डाक नेटवर्क का सामान्य वित्तीय प्रणाली तक लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
-आजीविका के लिए परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोजगार।
-गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रीत करने का लक्ष्य । मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से भारत को विश्व के विनिर्माण केंद्र में परिवर्तित करना।
-युवाओं को रोजगार सृजन बनाने के लिए उद्यमिता की भावना का प्रोत्साहन और विकास।
-पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्रों का देश के अन्य भागों की तरह ही विकास कारना।
-सरकार सकल घरेलू उत्पाद की तीन प्रतिशत की दर पर राजकोषीय घाटा लक्ष्य हासिल करने के लिए कृतसंकल्प है।
-लाभार्थियों की संख्या एक करोड से बढ़ाकर 10 दशमलव 3 करोड़ के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का विस्तार।
-कृषि उत्पादन के लिए दो महत्वपूर्ण निर्णायक कारकों मृदा और जल से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
-परंपरागत कृषि विकास योजना को पूरी तरह से सहायता प्रदान की जाएगी।
-पिछले नौ माह में भारतीय अर्थव्यवस्था की साख बढ़ी।
-भारतीय अर्थव्यवस्था तीव्र विकास के पथ पर।
-कमजोर वैश्विक आर्थिक वृद्धि के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के अधिकांश विकास संकेतक उन्नति के मार्ग पर।
-भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में आर्थिक रूप से सशक्त राज्यों की समान रूप से सहभागिता।
-शेयर बाजार में 2014 में दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन।
-दीर्घकालिक गरीबी उन्मूलन, रोजगार सृजन और दोहरे अंकों की विश्वसनीय आर्थिक विकास दर हासिल की गई।
-विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर सेवा के माध्यम से सरकार ने जनता का विश्वास हासिल किया।
-वित्तीय समायोजन- सौ दिनों के भीतर 12.5 करोड़ परिवारों को वित्तीय मुख्य धारा में शामिल गया।
-राज्यों के संसाधनों में वृद्धि के लिए पारदर्शी कोयला ब्लॉक नीलामी।
-स्वच्छ भारत अभियान न सिर्फ स्वास्थ्य और स्वच्छता में सुधार का एक कार्यक्रम है बल्कि यह भारत के पुनर्निमाण आंदोलन का रूप ले चुका है।
-व्यापक सुधारों का शुभारंभ- माल और सेवाकर जीएसटी मुद्रा स्फीति में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई।
-वर्ष के अंत तक 5 प्रतिशत खुदरा मुद्रस्फीति। मौद्रिक नीति को सरल बनाया।
-मुद्रास्फीति को 6 प्रतिशत से कम रखने की दृष्टि से भारतीय रिजर्व के साथ मौद्रिक नीति प्रारूप समझैता।
-वर्ष 2022 में स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में टीम इंडिया हेतु दृष्टिकोण सभी के लिए आवास- शहरी क्षेत्रों में 2 करोड़ और ग्रामीण क्षेत्रों में 4 करोड़ आवास।
-24 घंटे बिजली, स्वच्छ पेयजल, एक शौचालय सड़क संपर्क की मूलभूत सुविधा।
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