सारी बीमारी की जड़ वह नाम है जो हमें विदेशी अक्रांताओं ने दिया है. वह नाम है हिन्दू . हमारे पूर्वजों ने तो हमें ' भारती' नाम दिया था . उन्होने दुनिया को अपना परिचय देते हुए कहा था :
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रिश्चैव दक्षिणं
वर्षम तद्भारतं नामा भारती यत्र संतति
उन्माद गर्त में धकेल देता है. मोदी के आने के बाद हिन्दुओं में राजनीतिक उन्माद का बढ़ना भारतीय इतिहास की वह नियति है जो हर बार इसकी एकता को 90 साल से अधिक जिन्दा नहीं रहने देती .सावधान ! स्वाधीन भारत 69 साल का हो चुका है.
विचार के दुश्मन बुद्धि से लठैत देश को अराजकता के गर्त में धकेल देंगे. आपका मौन देश के लिए घातक सिद्ध होगा मोदी जी. इस्लामिक स्टेट की तर्ज पर हिन्दू स्टेट उभरता दिख रहा.दिल्ली में वकील और बंगलूर में भगुआ उत्पात में मुस्लिम पुलिस कर्मी को थाने से घसीट कर अधमरा करना. क्या यही आपके वादे के अच्छे .दिन हैँ ?
मेरी संस्कृति वह संस्कृति है जो पठान को भी रसखान बना देती है. कुतुबन, मंझन,जायसी, उसमान और शेख नबी को भी हिन्दुओं की प्रेम गाथाओं में तन्मय कर देता है, नबाब मुहम्मद शाह रंगीले को भी होलियों में छैला बना देता है. ज़िसमें पीर और औलिया सांझी विरासत बन जाते हैँ. मेरा आदर्श अमीर खुसरो है. न वह हिन्दू है न मुसलमान वह मौला है, मस्तमौला. आपके और मेरे बचपन में जो मनिहार, जिसे कलुवा कहा जाता था, हमारी माताओं बहिनों को चूडी पहनाता था ,ज़िससे से हमारी भाभिय़ां ठिठोली भी करती थीं, कभी किसी को उसके मजहब को जानने की इच्छा हुई.मेरे सपनों का भारत वही है. जिसे वोट बैंक की राजनीति ने उजाड़ दिया हैँ .
मैं हिन्दू नहीं हूँ. मैं पहले मानव हूँ और उसके बाद भारतीय. मेरे लिए मेरी संस्कृति सब को गले लगाने वाली संस्कृति है.
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