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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, November 24, 2012

'धरोहर' का लोकार्पण

'धरोहर' का लोकार्पण

रुद्रपुर (उधमसिंहनगर)। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर ९ नवंबर को पुलिन बाबू सेवा समिति के तत्वाधान में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान साहित्य, संस्कृति, समाज और समसामयिक विषयों पर आधारित 'धरोहर' नाम की स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। पुलिन बाबू पार्क में आयोजित गोष्ठी में साहित्य से जुड़े गणमान्य लोगों ने भाग लिया। 'शैलसूत्र' की संपादक आशा शैली ने कहा कि बंगाल से लेकर उत्तराखण्ड तक लोगों का मानना है कि पुलिन कुमार विश्वास को चौथे गांधी का दर्जा दिया जाना चाहिए।  मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि एवं कथाकार डॉ शम्भू दत्त पाण्डे ने कहा कि कला, साहित्य और संस्कृति पर काम करने का मतलब जुनून की हद पार करना होता है, तभी कुछ नया सृजन होता है। कार्यक्रम में आए वक्ताओं ने बंगाली शरणार्थियों की विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की।


विचार गोष्ठी आयोजित,'धरोहर'का लोकार्पण


अयोध्या प्रसाद 'भारती'

दिनेशपुर/रुद्रपुर (उत्तराखण्ड)। पुलिन बाबू सेवा समिति के तत्वावधान में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान साहित्य, संस्कृति, समाज और समसामयिक विषयों पर आधारित 'धरोहर' शीर्षक स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। पुलिन बाबू पार्क में आयोजित गोष्ठी में साहित्यकारों, कवियों, कथाकारों, पत्रकारों के अलावा क्षेत्र के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। वक्ताओं ने भारत-पाक बंटवारे और बाद में बांग्लादेश के निर्माण के समय पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों, विशेष रूप से बांग्ला शरणार्थियों को बसाने और उन्हें तमाम सुविधाएं दिलाने के लिए किए गये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी पुलिन कुमार विश्वास के संघर्ष को याद किया। 'शैलसूत्र' की संपादक लेखिका आशा शैली ने कहा कि उनका बंगाल से लेकर उत्तराखण्ड तक लोगों के लिए किए गये कार्यों के लिए उन्हें चौथा गांधी कहा जाना चाहिए। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि एवं कथाकार डा. शम्भू दत्त पाण्डे 'शैलेय' ने कहा कि कला साहित्य और संस्कृति पर काम करने का मतलब जुनून की हद पार करना होता है। तभी कुछ नया सृजन होता है।

वरिष्ठ समाजसेवी और चिंतक मुकुल ने कहा कि आज विकृत पश्चिमी संस्कृति भारत की संस्कृति की अच्छाइयों को निगल चुकी है, और तमाम बुराइयों से मिलकर आज जो संस्कृति फल-फूल रही है वह हमे पतन और स्वार्थ के गर्त में ले जा रही है। हमे व्यवस्था की चालों को समझना होगा और जो कुछ अच्छा बचा है उसे बचाए रखते हुए उसे और बेहतर से बेहतरतम की ओर ले जाना होगा। वक्ताओं ने बंगाली शरणार्थियों की विभिन्न समस्याओं पर भी चर्चा की। गोष्ठी में रवि सरकार, सुवीर गोस्वामी, डा जेएन सरकार, नित्यानंद मंडल, अनूप दत्ता, पद्दोलोचन विश्वास, हिमांशु सरकार और अनादि मंडल आदि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता चेयरपर्सन सीमा सरकार व संचालन खेमकरण सोमन ने किया। इस अवसर पर अयोध्या प्रसाद 'भारती', हीरा जंगपागी, विपुल मंडल, विजय बाछाड़, रमेश बैरागी, विजय सिंह, विश्वजीत मंडल, प्रेमा पाण्डे आदि मौजूद थे।

http://bhandafodindia.com/News.aspx?ID=1071


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