Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, April 30, 2013

सत्ता परिवर्तन और चुनावों में बंगाल से होकर चिटफंड का पैसा अरुणाचल , मिजोरम, मेघालय,मणिपुर , त्रिपुरा में सत्ता परिवर्तन और चुनावों में कैसे लगाया गया, सीबीआई उसकी भी जांच करेगी!

सत्ता परिवर्तन और चुनावों में बंगाल से होकर चिटफंड का पैसा अरुणाचल , मिजोरम, मेघालय,मणिपुर , त्रिपुरा में सत्ता परिवर्तन और चुनावों में  कैसे  लगाया गया, सीबीआई उसकी भी जांच करेगी!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


शारदा समूह और दूसरी फर्जी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में असम की तरुण गगोई सरकार ने केंद्र और पश्चम बंगाल सरकारों के मुकाबले बढ़त ले ली है। औपचारिक रुप से गगोई की मांग के मुताबिक अभी सीबीआई जांच शुरु नहीं हुई है लेकिन जांच के सिलसिले में तैयारियों के लिए​​ सीबीआई टीम गुवाहाटी पहुंच चुकी है। बंगाल में पूर्ववर्ती वाम सरकार २००३ से लंबित चिटफंड निरोधक बिल पास कराने में नाकाम रही जिसे ​​वापस लेकर आज बंगाल सरकार ने नया कानून बनाने के लिए बंगाल विधानसभा के विशेष अधिवेशन में बिल पास कर दिया है। केंद्र सरकार सेबी को विशेष अधिकार देने के लिए कानून बदल रही है और ऐसी कंपनियों को मान्यता न मिले, इसके लिए केंद्र सरकार के कंपनी मामलों के मंत्रालय ने कानून में संसोदन का इरादा जताया है। पर असम सरकार पहले ही कानून बना चुकी है। इसके बावजूद शारदा समूह को वहां अपना जाल बिछाने का मौका कैसे मिल​​ गया, कैसे मीडिया कारोबार में बेंगल पोस्ट की तर्ज पर सेवन सिस्टर्स जैसे चिट अखबारों के जरिये शारदा समूह ने असम की आम जनता को अहमक बनाकर जमा पूंजी लूट ली, उसकी जांच कराने को तत्पर हैं गोगोई। सूत्रों के मुताबिक असम समेत पूर्वोत्तर की राजनीति में चिटफंड का इफरात जो पैसा​​ लगा, सीबीआई उसकी भी जांच करेगी।इस बात की भी जांच होगी की अरुणाचल , मिजोरम, मेघालय,मणिपुर , त्रिपुरा में सत्ता परिवर्तन और चुनावों में बंगाल से होकर चिटफंड का पैसा  कैसे  लगाया गया।​

​​

​इस बीच बंगाल में इस फर्जीवाड़े के खिलाफ जिनके खिलाफ आरोप हैं, गिरफ्तार सुदीप्त और देवयानी के अलावा उनमें से सांसद कुणाल घोष से पुलिस ने पूछताछ की है। लेकिन बाकी असरदार लोगों को पुलिस छूने  की हालत में भी नहीं है। प्रमुख विपक्षी दल माकपा ने तो सीबीआई  जांच के लिए जोरदार प्रचार अभियान छेड़ दिया है, जिसके तहत मुख्यमंत्री की ईमानदार छवि को ध्वस्त करने की मुहिम बी शुरु हो गयी है। पंचायत चुनावों में नये जोश के साथ उतरने वाली माकपा इसे प्रमुख मुद्दा बनायेगी , जाहिर सी बात है।​


तृणमूल सांसद व पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमेन मित्र के खुलकर सीबीआई जांच की मांग कर देने से साफ जाहिर है कि दीदी और उनकी पार्टी के अनुयायियों का एक असरदार तबका सीबीआई जांच के हक में हैं। पर तरुण गोगोई की पहल के बाद सवाल उठता है कि बंगाल में शारदा समूह के लिए सीबीआई जांच से तृममूल सुप्रीमो को आखिर कौन और क्या रोक रहा है।सोमेनदादाकी दलील है कि इस फर्जीवाड़े के चपेट में अनेक राज्य हैं , इसलिए किसी एक राज्य के कानून और उसकी जांच एजंसी के मार्फत दोषियों को सजा नहीं दिलायी जा सकती। ऐसे में सीबीआई जांच की पहल कर चुकी असम के पास कानूनी हथियार होने के बावजूद बंगाल सरकार क्यों नहीं उसके साथ मिलकर काम कर रही है, सवाल यह भी है। इसके विपरीत, केंद्रीय जांच एजंसियां सक्रिय तो हो ​​चुकी हैं पर उनकी सारी कवायद अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकार और उसकी एजंसियों पर टालने की है।सेबी ने सफाई और  वादे से अलग हटकर शारदा समूह और दूसरी फर्जी कंपनियों के खिलाफ अभी कार्रवाई शुरु ही नहीं की है, वरना सीना ठोंककर डंके कीचोट पर बाकी कंपनियां दिनदहाड़े डाका डालने का यह धंधा जारी रखने की हिम्मत नहीं कर पातीं। आयकर विबाग को तो अब पता चला है कि शारदा समूह के खातों में फर्जी घाटा दिखाकर अबतक किसी भी तरह आयकर भुगतान नहीं किया जाता रहा है। आम आयकरदाता के साथ जो सलूक करता है आयकर विभाग, उसके मद्देनजर शारदा समूह को कैसे छूट मिली हुई है, इसकी जांच जाहिर है राज्य सरकार की कोई एजंसी या जांच आयोग के जरिये संभव नहीं है। इस फर्जीवाड़े के दौरान दो दशक से अधिक समय तक क्यों केंद्रीय एजंसियां सोयी रहीं, इसकी जांच न हो, तो दोषियों को पकड़ना बेहद मुश्किल है।


गौरतलब है कि गुवाहाटी सीबीआई टीम के पहुंचने की खबर खुद मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने दी है।गोगोई के मुताबिक औपचारिकताएं पूरी होने में थोड़ा वक्त लग सकता है।लेकिन अनौपचारिक तरीके से सीबीआई जांच टीम ने सारा मामला देखने का काम अभी से शुरु कर दिया है।अभी प्राथमिक जांच ​​चलेगी।​

​​

​इसके अलावा मुख्यमंत्री ने चिटफंड मामलों की जांच के लिए एक आयोग की भी घोषणा की है। उनके मुताबिक असम के चिटफंड निरोधक कानून में निवेशकों के हित सुरक्षित करने के अलावा यह प्रावधान भी है कि महज ट्रड लाइसेंस से ही कोई कारोबार नहीं चला सकता। इसके लिए अलग से जिलाधिकारी से इजाजत ही नहीं, लाइसेंस भी लेना होगा। लाइसेंस देते वक्त कंपनी की वित्तीय हालत और उसकी संपत्ति की जांच का प्रावधान है।​​उन्होंने दावा किया कि पिछले दो साल से ऐसी कंपनियो के खिलाफ इस कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने १२८ संस्थाओं के खिलाप २४६ मुकदमे शुरु किये हैं।३०३ लोग गिफ्तार हुए। १०६ बैंक खाते सील हुए। चालीस करोड़ रुपये और ९० एकड़ जमीन जब्त की गयी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शारदा समूह समेत ११ कंपनियों के खिलाफ मामले सीबीआई को सौंपे  जा रहे हैं।


अब बंगाल सरकार भी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई के आंकड़े जारी करें।



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...