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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, April 25, 2013

"जा गेछे ता गेछे"! वोट पर भी अब टैक्स लगायें, हाईकोर्ट की सलाह

"जा गेछे ता गेछे"! वोट पर भी अब टैक्स लगायें, हाईकोर्ट  की सलाह


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


कोलकाता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से शारदा समूह चिटफंड फर्जीवाड़े पर राहत  जुटाने के लिए तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर कर बढ़ाने के नरिणय पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और पूछा है कि अगर राज्य में अर्थ व्यवस्था इतनी खराब है तो चुनाव का भारी खर्च उठाने के लिए जनता पर क्यों नहीं वोट टैक्स लगाया जाता!पंचायत चुनावों के सिसिले में राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार के विवाद से सबंधित मामले की सुनवाई पर दीदी की घोषणा के ठीक एक दिन बाद न्यायादीस विश्वनाथ समाद्दार ने सवाल किया कि जब हर चीज पर टैक्स लगाया जा रहा है तो वोट पर क्यों नहीं?शारदा चिटफंड कंपनी का घपला सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार की नींद उड़ी हुई है।इसी बीच मतदान की तिथियों और केंद्रीय वाहिनी की तैनाती के अलावा पंचायत चुनाव को लेकर प्रस्तावित सूची में जनसंख्या में विसंगतियों के कारण अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल क्षेत्र वाले चुनावी क्षेत्रों के निर्णय को लेकर भी विवाद उत्पन्न हो गया है।मालूम हो किचिटफंड केस में कोलकाता हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इस मामले में कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से 2 मई तक शपथपत्र देने को कहा है। इसके बाद कोर्ट ने शारदा ग्रुप के बैंक खातों को फ्रीज रखने का आदेश दिया ।बुधवार को ही सरकार ने शारदा ग्रुप के तमाम बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे। इस बीच कोर्ट ने शारदा ग्रुप पर पूरे देश में प्रॉपर्टी के हस्तांतरण पर रोक लगा दी। वहीं कोर्ट ने सीबीआई से सवाल पूछा कि इस मामले में उसने अभी तक क्या किया है। इस पर सीबीआई के वकील की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि चीट फंड स्कैम में जांच चल रही है। सीबीआई ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। ये जानकारी सीबीआई ने कोर्ट को दी है।


शारदा ग्रुप के ढहने से चौतरफा घिरी ममता बनर्जी सरकार को तृणमूल के विद्रोही सांसद कबीर सुमन और चिढाने में जुटे हैं। कबीर ने चिटफंड मामले पर पैरोडी तैयार कर जलती आग में घी डालने का काम किया है।इस गीत में दो दिनों पहले एक मीडिया मीट में ममता के बयान पर भी तंज कसा गया है। ममता ने निवेशकों को भविष्य के लिए सावधान रहने की सलाह दते हुए कहा था, "जा गेछे ता गेछे" (जो धन चला गया सो चला गया।)


श्यामलाल मित्रा के गाए एक लोकप्रिय पुराने बंगाली गीत 'जा गेछे ता जाक' (जो चले गए उसे जाने दो) पर तैयार पैरोडी में कबीर ने शारदा ग्रुप चिटफंड घोटाले की कहानी कही है।जादवपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद कबीर ममता बनर्जी नीत सरकार के कई कदमों की आलोचना करते हुए इससे पहले भी कई गीत लिख चुके हैं।पैरोडी में कहा गया है कि किस तरह गांव के किसानों को एजेटों ने धोखा दिया और वे उनसे पैसे ऐंठ कर धनी बन गए।


अब ममता का 'भरपाई' फॉर्मूला! शारदा ग्रुप द्वारा संचालित चिटफंड कंपनी में निवेश कर धन गंवाने वाले निवेशकों को राहत देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार 500 करोड़ रुपए के राहत कोष का गठन करेगी। राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग में संवाददाताओं से बातचीत में सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, `हम अपना धन गंवाने वाले छोटे एवं मझोले निवेशकों के लिए 500 करोड़ रुपए के राहत कोष का गठन करेंगे। इससे परेशान आम लोगों को मदद मिलेगी।


पश्चिम बंगाल का चिट फंड घोटाला अभी तक सिर्फ तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा था, लेकिन अब इसके लपेटे में कांग्रेस के नेतृत्‍व वाल यूपीए सरकार भी आ गई है। इस घोटाले के घेरे में यूपीए के वित्‍त मंत्री की गृहलक्ष्‍मी का नाम आ रहा है। हालांकि, इससे ममता बनर्जी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से ठीक पहले हुए 20,000 करोड़ के इस घोटाले के शिकार बने लोगों की मदद के लिए ममता सरकार ने सरकारी खजाने से 500 करोड़ देने का ऐलान कर नुकसान की भरपाई करने का प्रयास किया, लेकिन यहां भी उनका दांव उलटा पड़ गया। ममता ने सिगरेट पर टैक्‍स बढ़ाया और उससे वसूल होने वाला पैसा निवेशकों को देने का ऐलान किया और साथ में लोगों से ज्‍यादा सिगरेट पीने की अपील भी कर डाली। चिटफंड संकट से उबरने के लिए ममता बुधवार को खुद सामने आईं। उन्होंने फौरन इस घोटाले के शिकार लोगों के लिए 500 करोड़ की राहत का ऐलान कर दिया।अब इस ऐलान पर भी सवाल उठ रहे हैं। ममता सिगरेट पर टैक्स बढ़ाकर यह पैसा वसूलना चाहती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि चिटफंड के घोटालेबाज अगर पैसा लेकर भाग गए तो उसकी भरपाई आम आदमी के पैसे से क्यों की जाए।


ममता ने कहा, मैं आपसे माफी चाहती हूं कि 500 करोड़ रुपये के इंतजाम के लिए एक जगह से मुझे पैसे जुटाने होंगे, बाकी पैसे दूसरी जगह से ले आएंगे।


मैं सिगरेट पर 10 फीसदी टैक्स बढ़ाने जा रही हूं। इससे सिगरेट महंगा होगा, आप थोड़ा ज्यादा सिगरेट पीना, इससे पैसे जल्दी जमा हो जाएंगे।


ममता ने कहा, लोगों के पैसे लौटाने के लिए 500 करोड़ का फंड बनाया जाएगा। 150 करोड़ रुपये सिगरेट पर 10 फीसदी टैक्स लगाकर जुटाए जाएंगे। सिगरेट पीने वाले लोग ज्यादा सिगरेट पिएं, ताकि फंड के लिए ज्यादा पैसा मिल सके। ममता बनर्जी के शारदा चिटफंड घोटाले पर 500 करोड़ रुपये का फंड जुटाने पर विवाद हो रहा है।सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर सरकारी खजाने से इस घोटाले की भरपाई क्यों की जा रही है। वह भी तब जब इस घोटाले में तृणमूल के सांसदों समेत कई नेताओं की मिलीभगत सामने आ रही है। ऐसे में ममता की इस अजीब स्कीम से विरोधियों को उन पर हमला करने का एक और मौका दे दिया है।  


ममता बनर्जी द्वारा चिटफंड घोटाले के प्रभावित निवेशकों को मदद करने के लिए अधिक धूम्रपान करने की सलाह देने के लिए गुरुवार को उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों और विपक्ष ने उनकी कड़ी आलोचना की।तृणमूल कांग्रेस के सांसद कबीर सुमन ने कहा, 'धूम्रपान अच्छा नहीं है. उस पर कर होना चाहिए। लेकिन सुदीप्त सेन ने जो कुछ किया, क्या मैं उसके लिए दोषी हूं? मैं हर सिगरेट पीने के साथ अधिक कर क्यों दूं? मैंने लोगों से पैसे नहीं ठगे हैं।' गायक से नेता बने सांसद ने कहा कि बनर्जी सरकार द्वारा बुधवार को सिगरेट पर 10 फीसदी अतिरिक्त कर लगाये जाने के पीछे कोई ठोस राजनीतिक तर्क नहीं है।



कांग्रेस सांसद और प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने बनर्जी की सलाह को खतरनाक बताया। चौधरी ने कहा, 'पूरी दुनिया धूम्रपान के विनाशकारी प्रभाव के विरुद्ध अभियान चला रही है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री लोगों को अधिक धूम्रपान करने की सलाह दे रही हैं. यह खतरनाक है।'



इस बीच सत्तादल की छवि बचाने की कवायद जारी है।मंत्री और सांसदों के नाम शारदासमूह के सुदीरप्त सेन के विस्फोटक पत्र में उजागर होने के बाद राज्य के उद्योग मंत्री ने बाकायदा पत्रकारों  को संबोधित  करते हुए साफ किया कि कानून अपना काम करेगा। सरकार या पार्टी दागी नेताओं के बचाव में खड़ी नहीं होगी।शारदा ग्रुप के घोटाले के बाद टीएमसी बैकफुट पर आ गई है। टीएमसी के कई नेता शारदा ग्रुप से जुड़े रहे हैं। अब ये नेता अपने आपको पाक-साफ बता रहे हैं और सफाई देते फिर रहे हैं। शारदा ग्रुप के मीडिया कारोबार के सीएमडी और राज्यसभा सांसद कुणाल घोष ने अपनी सफाई में कहा कि वो कंपनी के महज कर्मचारी हैं, कंपनी के मालिक नहीं।वहीं टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने लाखों लोगों के पैसे डूबने पर अफसोस जताया है, उन्होंने कहा कि इस मामले की तह तक जाने की पूरी कोशिश की जा रही है वहीं केंद्र, बंगाल सरकार पर अनदेखी का आरोप लगा रहा है। केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता दीपा दासमुंशी के मुताबिक ममता सरकार अपने कारनामे छिपाने के लिए केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है। चिटफंड कंपनी शारदा ग्रुप की ठगी को लेकर लोगों में गुस्सा है। रियल एस्टेट, मीडिया, एग्रिकल्चर और हॉस्पिटालिटी कारोबार से जुड़े शारदा ग्रुप पर निवेशकों का पैसा लेकर भागने का आरोप है। इस मामले में शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन समेत 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। तीनों को कश्मीर के सोनमर्ग से गिरफ्तार कर लिया गया और स्थानीय कोर्ट ने तीनों को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता पुलिस को सौंप दिया है।वहीं मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कंपनी के खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू कर दी है। विपक्ष सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगा रहा है। वहीं ममता बनर्जी का कहना है कि ग्रुप का कारोबार लेफ्ट सरकार के समय शुरु हुआ था। जबकि अब सरकार ने मामले की जांच के लिए डीजीपी की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया है। ममता सरकार ने कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्यामल सेन की अगुवाई में जांच आयोग बनाया है।उधर मार्केट रेगुलेटर सेबी ने भी बढ़ती शिकायतों के बाद शारदा ग्रुप की जांच नए सिरे से शुरू कर दी है। सेबी फर्जी तरीके से फंड जुटाने की कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम नियमों के तहत जांच करेगी। दरअसल सेबी पहले भी जांच करके राज्य सरकार को चेतावनी दे चुका है क्योंकि चिट फंडों का रेगुलेशन राज्य सरकार के दायरे में है। सेबी ने पश्चिम बंगाल में चल रही चिट फंड कंपनियों के बारे में चेतावनी दी थी।


पंचायत चुनाव की प्रस्तावित सूची बीते 3 दिसंबर को प्रकाशित हुआ था इसे लेकर कूचबिहार एक नंबर प्रखंड के गुड़ियाहाटी-2 अंचल कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बाच्चू कर ने आपत्ति जताई थी।


आरोप है कि गुड़ियाहाटी दो ग्राम पंचायत में 2001 के जनगणना के मुताबिक जनसंख्या 22 हजार से अधिक है, लेकिन इसबार प्रस्ताव की सूची में 19 हजार 657 दिखाया गया है। इसके अलावा कई त्रुटियां सूची में है। उसके लाए आरोप के आधार पर बाच्चू कर को 19 दिसंबर को सुनवाई के लिए जिला पंचायत चुनाव अधिकारी व जिलाधिकारी मोहन गांधी के कार्यालय में बुलाया गया था। आरोप है कि सुनवाई में बुलाये जाने के बाद भी प्रस्ताव सूची में कोई संशोधन नहीं किया गया। अंत में कोलकाता में हाईकोर्ट में 26 फरवरी को बाच्चू कर ने रिट पिटिशन दर्ज किया। न्यायाधीश विश्वनाथ समाद्दार के इजलास में 17 अप्रैल को रिट पिटिशन की पहली सुनवाई हुई। दो सप्ताह के अंदर इस संबंध में कूचबिहार के जिलाधिकारी व पंचायत चुनाव अधिकारी को सही कारण दर्शाते हुए नया निर्देश जारी करने को कहा गया है। यह आदेश कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायाधीश विश्वनाथ समाद्दार ने 17 अप्रैल को दिया है।


जिलाधिकारी मोहन गांधी ने मंगलवार को सवाल के जबाव में बताया कि इस विषय में आवश्यक व्यवस्था ली जा रही है। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने बताया था कि 2001 के जनगणना के साथ 12.42 फीसदी जोड़ने पर प्राप्त जनसंख्या के आधार पर इसबार की प्रस्तावित सूची तैयार की जाएगी। गुड़ियाहाटी दो ग्राम पंचायत के गोदाम महारानीगंज संसदीय क्षेत्र में 2001 के जनगणना के मुताबिक जनसंख्या 1404 एवं अनुसूचित जाति के अंतर्गत आने वाले लोगों की संख्या 187 है। 12.42 फीसदी जोड़ने पर यह संख्या 1578 एवं 210 होगी। जबकि प्रस्तावित सूची में इन दोनों की संख्या 1396 एवं 121 है। इसका अर्थ है 2001 की तुलना में इसबार जनसंख्या एवं अनुसूचित जाति के अंतर्गत लोगों की संख्या इलाके में घट गई है जो वास्तव में असंभव है। इसी तरह हरिणचौड़ा क्षेत्र में 2001 में जनसंख्या 2052 एवं अनुसूचित जाति के अंतर्गत 127 लोग थे, इसके साथ 12.4 फीसदी जोड़ने पर यह दो संख्या 2307 एवं 127 है, जबकि सरकारी प्रस्तावित सूची में हरिणचौड़ा संसदीय क्षेत्र की जनसंख्या व अनुसूचित जाति के अंतर्गत आने वालों की संख्या 1852 एवं 195 थी। बाच्चू कर ने बताया कि छोट गुड़ियाहाटी संसदीय क्षेत्र में जनसंख्या व अनुसूचित जाति के अंतर्गत संख्या 3285 एवं 452 होनी चाहिए थी, जबकि प्रस्तावित सूची में जनसंख्या व अनुसूचित जाति के अंतर्गत यह संख्या क्रमश: 4049 एवं 576 में दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि इस विसंगतियों के कारण जो सीटें अनुसूचित जाति के अंर्तगत आने वालों के लिए आरक्षित रहने की बात थी जो आम सीटें बन गई है। इसके मुताबिक सरकारी हिसाब के मुताबिक इलाके में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची के आने वालों की संख्या 4035 है। बाच्चू कर का आरोप है कि पूरी सूची मनगढ़ंत है। अब यह देखना है कि उनकी शिकायत के परिप्रेक्ष्य में हाईकोर्ट के आदेश को मानकर जिला प्रशासन क्या व्यवस्था लेता है।



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