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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, May 24, 2014

दहकते अंगारे- दोस्त हो तो दौलतराज जैसा…

दहकते अंगारे- दोस्त हो तो दौलतराज जैसा…
भंवर मेघवंशी की आत्मकथा 'हिन्दू तालिबान'

दहकते अंगारे- दोस्त हो तो दौलतराज जैसा…

तालिबान -19

भंवर मेघवंशी

मैं कृषि मंडी से बाहर हो गया, घर लौटने का मन नहीं था, संघ के लोगों द्वारा खाना फेंकने के बाद से मैं घर जाने से कतराता था। भीलवाड़ा में ही इधर-उधर भटकना,कहीं खाना,कहीं सोना। कुछ भी ठिकाना न था, अनिश्चय, अनिर्णय और अन्यमनस्क स्थिति के चलते मेरा अध्ययन प्रभावित हो गया। मैंने माणिक्यलाल वर्मा राजकीय महाविद्यालय में प्रथम वर्ष कला संकाय में प्रवेश तो लिया और साल भर छात्र लीडरशिप भी की, लेकिन एग्जाम नहीं दे पाया, घर पर पिताजी को जब इसकी खबर मिली तो उनकी डांट पड़ी, कुछ गालियाँ भी। बस गनीमत यह थी कि पिटाई नहीं हुयी, लेकिन इससे पढ़ाई बाधित हो गयी। बाद का सारा अध्ययन स्वयंपाठी के रूप में ही संपन्न हुआ।

उन विकट दिनों में मुझे अपने छोटे से कमरे में शरण दी, करेडा क्षेत्र की नारेली ग्राम पंचायत के रामपुरिया गाँव के निवासी दौलत राज नागोड़ा ने। वो भी आर एस एस के स्वयंसेवक थे, ऑफिसर्स ट्रेनिंग प्राप्त। संघ कार्यालय पर भी रह चुके थे, बदनोर में रहते हुए उन्होंने संघ के आदर्श विद्या मंदिर में आचार्य के नाते भी अपनी सेवाएँ दी थीं। वे बहुत ही सक्रिय स्वयंसेवक माने जाते थे। उनका बौद्धिक भी बेहद सधा हुआ होता था,एक शिक्षक की तरह वे बोलते जो समझने में आसान होता, संघ के गीत भी उन्हें खूब कंठस्थ थे, जिन्हें वे विभिन्न मौकों पर गाते थे, उनमें लोगों को मोबलाइज करने की अदभुत क्षमता है। उन्हें भी संघ कार्य के दौरान कई प्रकार के कटु अनुभव हुए, भेदभाव और अस्पृश्यता की कड़वी अनुभूतियां…

एक बार उन्होंने महाराजा अजमीड आदर्श विद्या मंदिर में आयोजित आर एस एस के ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप ( ओ टी सी ) के बौद्धिक सत्र में जाति उन्मूलन में संघ की भूमिका से सम्बंधित सवाल उठा दिया,जिसका कोई जवाब संघ के पदाधिकारियों से देते नहीं बना। तत्कालीन प्रचारक महोदय ने दौलत जी को कुछ उल्टा सीधा जवाब दे दिया। मामला इतना तूल पकड़ गया कि मारपीट की नौबत आ गयी। जिला प्रचारक और दौलत राज नागोड़ा गुत्थमगुत्था हो गए। दौलत जी भी ठहरे ठेठ देहाती संघर्षशील व्यक्ति। हार मानने का तो सवाल ही नहीं उठता था, उन्होंने संघ के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में प्रचारक जी के बाल नोंच लिए और उस दिन से आर एस एस से किनारा भी कर लिया। बाद में उन्होंने एक अम्बेडकर बचत समूह बना कर दलितों को संगठित करना शुरू किया। यह काम उन्होंने निरंतर जारी रखा। दलित आदिवासी युवाओं को क़ानूनी प्रशिक्षण देने और उन्हें फुले कबीर आंबेडकर के मिशन से जोड़ने में लगे रहे और आज भी लगे हुए हैं।

संघ से लड़ाई होने के बाद दौलत राज जी गाडरीखेडा में एक कमरा किराये पर ले कर इलेक्ट्रीसियन ट्रेड में आई टी आई करने लगे। इस सरकारी संस्थान में भी संघियों की भरमार थी। उनको वहां भी उनसे संघर्ष करना पड़ा। बहुत ही कठिन परिस्तिथियों में उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की। पान की केबिन लगा कर उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी की। फिर प्रेक्टिस शुरू की। वहां भी गरीबों के मुद्दे उठाये, उनकी पैरवी की, आज भी पीड़ितों के लिए उनकी प्रतिबद्धता जग जाहिर है। तो ऐसे समर्पित साथी के साथ उस छोटे से कमरे में मैं कई दिनों तक टिका। वहीँ से एक अख़बार निकालने की धुन मुझ पर सवार हुयी। मैं अभिव्यति का एक जरिया चाहता था, जिससे संघ और उसकी विचारधारा के दोगलेपन को उजागर कर सकूँ। अंततः वह जरिया पा लिया 'दहकते अंगारेनामक पाक्षिक समाचार पत्र प्रारंभ करके …

दौलत राज नागोड़ा तब से आज तक साथ बने हुए है,कई बार उन्मादी हुडदंगी लोगों ने हमारे खिलाफ फतवे जारी किये,हमारी निंदा की गयी,हमें अलग थलग करने के प्रयास किये गए मगर संघी हमें दलित पीड़ित वंचित जनता से अलग कर पाने में सफल नहीं हुए। दलितों पीड़ितों और हाशिये के तबकों के लिए हमारी आवाज़ बंद होने के बजाय बुलंद ही हुयी आज दौलत राज नागोड़ा एक स्थापित वकील हैं। तीन बार वे आसींद बार असोसिएसन के निर्विरोध अध्यक्ष रह चुके हैं और राजस्थान के दलित मूवमेंट का जाना पहचाना नाम है। इन दिनों वे दलित आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान (डगर ) के प्रदेश संयोजक भी हैं और वंचितों के लिए पूरी तरह से समर्पित रहते हैं

ज़िन्दगी में दोस्त तो बहुत मिले और मिलते रहते हैं, आगे भी मिलेंगे पर विगत 25 वर्षों से दौलत जी के साथ जो वैचारिक और मिशनरी दोस्ती बनी रही, उसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूँ और अक्सर कहता हूँ कि जीवन में दोस्त हो तो दौलत राज जैसा

- See more at: http://www.hastakshep.com/hindi-literature/book-excerpts/2014/05/24/%e0%a4%a6%e0%a4%b9%e0%a4%95%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%85%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%87-%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4-%e0%a4%b9%e0%a5%8b-%e0%a4%a4%e0%a5%8b-%e0%a4%a6#sthash.X7a2eXae.dpuf

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